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सेकेंड बेबी की प्लानिंग करते समय ध्यान रखें ये बातें

सेकेंड बेबी की प्लानिंग करते समय ध्यान रखें ये बातें

किसी भी महिला को पहली प्रेग्नेंसी के दौरान न तो प्रेग्नेंसी में होने वाले बदलावों के बारे में जानकारी होती है, और न ही बच्चे को संभालने की। सेकेंड बेबी की प्लानिंग (Second baby planning) के समय महिला इस बात को लेकर तैयार होती है कि उसे प्रेग्नेंसी और डिलिवरी के दौरान किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। सेकेंड प्रेग्नेंसी की प्लानिंग करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। हो सकता है कि आपको सबकुछ बहुत आसान लग रहा हो, लेकिन ये जरूरी नहीं है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि सेकेंड प्रेग्नेंसी के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

सेकेंड बेबी की प्लानिंग के लिए बेस्ट टाइम क्या है? (Second baby planning)

सेकेंड बेबी की प्लानिंग (Second baby planning) के लिए बेस्ट टाइम क्या है? इस प्रश्न के लिए कोई एक उत्तर सही नहीं हो सकता है। फाइनेंशियल और पर्सनल प्रिफरेंस के बेस पर सेकेंड बेबी की प्लानिंग की जा सकती है। सेकेंड प्रेग्नेंसी के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, ये बातें कुछ फैक्टर्स पर डिपेंड करती हैं।

 1.  शारीरिक क्षमता (Physical ability)

प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में बहुत से बदलाव होते हैं। अगर होने वाली महिला का शरीर इन बदलावों को सहने के लिए सक्षम होगा तो सेकेंड बेबी की प्लानिंग के बारे में सोचा जा सकता है। अगर महिला शारीरिक और मानसिक रूप से ठीक है तो सेकेंड बेबी की प्लानिंग (Second baby planning) कर सकती है।

2. बायोलॉजिकल क्लॉक (Biological clock)

महिला में एक उम्र तक ही ऑव्युलेशन होता है। इसे बायोलॉजिकल क्लॉक कहते हैं। मोनोपॉज के बाद ऐसा नहीं होता है। सेकेंड बेबी की प्लानिंग (Second baby planning) करते समय आपको अपनी सही उम्र यानी 35 से कम उम्र में प्रयास करना चाहिए। 35 से ज्यादा की उम्र में महिलाओं को कंसीव करने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है। अधिक उम्र में महिलाओं को कंसीव न कर पाने की स्थिति में आईवीएफ ट्रीटमेंट का सहारा लेना पड़ सकता है। उम्र बढ़ने के साथ ही एग की क्वालिटी भी खराब होने लगती है।

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3. सेकेंड बेबी की प्लानिंग (Second baby planning) में मां के साथ पिता की उम्र भी रखती है मायने

जब भी आप दूसरे बच्चे की प्लानिंग कर रहे हो, आपके पार्टनर की एज का सही होना बहुत जरूरी है। एक स्टडी के मुताबिक पुरुष के स्पर्म की क्वालिटी 35 साल से अधिक हो जाने पर खराब होने लगती है। इस कारण से अधिक उम्र में जब पुरुष पिता बनने की कोशिश करते हैं तो उन्हें समस्या का सामना करना पड़ता है। जब महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है तो ट्रीटमेंट का सहारा लेना पड़ता है। सेकेंड बेबी की प्लानिंग (Second baby planning) करते वक्त इस बात का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है।

 4. सेकेंड बेबी की प्लानिंग (Second baby planning) के लिए फाइनेंशियल कंडिशन है महत्वपूर्ण

बच्चे की केयर से लेकर उसकी शिक्षा तक, सभी के लिए आर्थिक मजबूती होना जरूरी होता है। अगर आप और आपका पार्टनर दोनों ही काम करते हैं तो सेकेंड बेबी की प्लानिंग (Second baby planning) के बारे में सोचने से पहले मजबूत आर्थिक स्थिति होना बहुत जरूरी है। महिलाएं बच्चे के जन्म के बाद अक्सर अपनी जॉब को जारी नहीं रख पातीं। आपको एक बार ये चेक कर लेना चाहिए कि आपकी जॉब छूटने के बाद घर में किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं। अगर स्थितियां ठीक हैं तो आप सेकेंड बेबी की प्लानिंग कर सकती हैं।

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5. सेकेंड बेबी की प्लानिंग (Second baby planning) में हो दोनों का मत

सेकेंड बेबी की प्लानिंग (Second baby planning) करते समय दोनों लोगों के मत समान होना बहुत जरूरी है। हो सकता है आपके पति बच्चा कुछ समय बाद चाहते हो, आप को जल्द ही दूसरे बच्चे की प्लानिंग करनी हो। आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दूसरा बच्चे आने के बाद आप दोनों की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाएगी। हो सकता है कि आप तैयार हो, लेकिन आपके पति के पास इसके लिए समय की कमी हो। आप दोनों को आपस में बैठकर इस पर चर्चा करनी चाहिए। दूसरे बच्चे के लिए दोनों की सहमति बहुत जरूरी है।

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6. दो बच्चों के बीच अंतर

दो बच्चों के बीच दो से तीन साल का अंतर होना बहुत जरूरी है। अगर आपका पहला बच्चा सी-सेक्शन से हुआ है तो  इस बारे में अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। पहला बच्चा पैदा करने के बाद महिला के शरीर को पहले जैसी अवस्था में आने के लिए कुछ समय चाहिए होता है। अगर पहली प्रेग्नेंसी के दौरान किसी तरह की समस्या हुई है तो भी डॉक्टर की राय लेने के बाद ही दूसरी प्रेग्नेंसी प्लान करनी चाहिए।

7. सेकेंड बेबी की प्लानिंग (Second baby planning) करते वक्त इस बात का भी रखें ख्याल

दूसरे बच्चे की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको न्यू स्पेस की जरूरत भी पड़ सकती है। एक बच्चे के लिए अलग से एक रूम की जरूरत पड़ती है। दूसरे बच्चे के आने पर आपको अधिक स्पेस की जरूरत पड़ेगी। हो सकता है कि आपके पास इतना बड़ा स्पेस न हो। आपको थोड़ा सा समय लेकर इस बारे में सोचने की भी जरूरत है। कम स्पेस में घर का सामान और बच्चों का खेलना एक साथ नहीं हो पाता है।

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8. परिवार के सदस्यों का होना भी है जरूरी

छोटे बच्चे को संभालना जिम्मेदारी भरा काम है। अगर माता-पिता कामकाजी हैं तो बच्चे की परवरिश के लिए किसी अन्य सदस्य की जरूरत भी पड़ेगी। अगर आपके परिवार में सास-ससुर या माता-पिता आपका सहयोग कर सकते हैं तो ये आप दोनों के लिए बेहतर होगा। आप चाहे तो किसी परिचित को भी घर में रखने की व्यवस्था कर सकते हैं। दो बच्चों की जिम्मेदारी के साथ ऑफिस का काम करना पॉसिबल नहीं है। बेहतर होगा कि आप घर में किसी अन्य की व्यवस्था भी करें।

दूसरे बच्चे की प्लानिंग करते समय बेबी बॉय के बारे में विश कर रही हैं तो पति की अधिक उम्र इसमें रोड़ा बन सकती है। स्टडी से ये बात सामने आई है कि अधिक उम्र के पुरुष के अंदर x क्रोमोसोम अधिक होते हैं। इस कारण से लड़की पैदा होने की संभावना अधिक हो सकती है।

दूसरे बच्चे की जिम्मेदारी आसान काम नहीं है। पति-पत्नी की आपसी रजामंदी होना बहुत जरूरी है। सेकेंड बेबी की प्लानिंग (Second baby planning) से पहले एक बार अपने डॉक्टर से भी मिले। इस विषय में आपको कुछ भी पूछना हो तो कृपया अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

उम्मीद करते हैं कि आपको सेकेंड बेबी की प्लानिंग (Second baby planning) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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Current Version

16/07/2021

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

Updated by: Manjari Khare


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Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 16/07/2021

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