गर्भावस्था का अनुभव हर मां के लिए अलग हो सकती है। इस दौरान उसे कई तरह के उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ता है। इन नौ महीनों के दौरान उनके मन में प्रसव का भय भी रहता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि शिशु को जन्म देना बेहद दर्द भरा होता है। किंतु, आजकल इस दर्द को कम करने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें से एक है एपिड्यूरल। आज हम एपिड्यूरल के फायदे और नुकसान (Epidural pros and cons) के बारे में आपको बताने वाले हैं। जानिए क्या हैं एपिड्यूरल के फायदे और नुकसान (Epidural pros and cons) विस्तार से। लेकिन, इससे पहले एपिड्यूरल के बारे में जान लेते हैं।
एपिड्यूरल क्या है? (Epidural)
एपिड्यूरल डिलीवरी के दौरान दर्द को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है। सी-सेक्शन प्रसव (C-section Delivery) के दौरान भी इसके इस्तेमाल की सलाह दी जा सकती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो एपिड्यूरल एक ऐसा प्रोसीजर है, जिसमें पीठ के निचले हिस्से में लोकल एनेस्थेटिक (Local Anesthetic) को इंजेक्ट किया जाता है। ताकि, प्रसव के दौरान होने वाली मां को दर्द से राहत मिल सके। यह लोकल एनेस्थेटिक (Local anesthetic) आमतौर पर लेबर कॉन्ट्रैक्शंस (Labor Contraction) और बर्थ के दौरान होने वाली दर्द को प्रभावी ढंग से ब्लॉक करता है। इसकी मदद से गर्भवती महिला आसानी से गर्भ में मौजूद अपने बच्चे को मूव और बाहर पुश कर सकती है।
एपिड्यूरल को एनेस्थेटिस्ट के द्वारा दिया जाता है। एपिड्यूरल के प्रयोग से पहले इसके बारे में पूरी जानकारी होना बेहद जरूरी है। इसलिए, एपिड्यूरल के फायदे और नुकसान (Epidural pros and cons) से पहले इसके प्रोसीजर के बारे में जान लेते हैं।
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एपिड्यूरल की प्रक्रिया (Process of Epidural)
एपिड्यूरल से पहले डॉक्टर गर्भवती महिला की बाजू में ड्रिप लगाएंगे, ताकि उसके माध्यम से फ्लूइड को शरीर में भेजा जा सके। इसके बाद गर्भवती महिला को एक तकिये के ऊपर आगे की तरफ पूरी तरह से बेंड होने के लिए कहा जाएगा, ताकि पीठ के निचले हिस्से में इसे आसानी से लगाया जा सके। आगे की तरफ पूरी तरह से बेंड होने से नीडल को आसानी से सही जगह पर इंसर्ट किया जा सकता है। इसके बाद आपको इसी स्थिति में कुछ देर रहने के लिए कहा जाएगा। सबसे पहले एंटीसेप्टिक की मदद से पीठ के निचले हिस्से को साफ किया जाएगा। इसके बाद पीठ के निचले हिस्से की स्किन में लोकल एनेस्थेटिक (Local anesthetic) को इंसर्ट किया जाएगा।
आपकी स्पाइनल नर्व के आसपास की जगह में स्पाइन के हड्डियों के बीच सुई को इंसर्ट किया जाता है। एनेस्थेटिस्ट एपिड्यूरल नीडल को तब इंसर्ट करते हैं जब गर्भवती महिला में कॉन्ट्रैक्शन रुक जाती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को अपने एनेस्थेटिस्ट को यह बताना जरूरी है कि उसे कॉन्ट्रैक्शन कब हो रही है। इसके बाद एक छोटी नरम प्लास्टिक की ट्यूब डाली जाएगी और सुई निकाल दी जाएगी।
यह ट्यूब लोकल एनेस्थेटिक (Local anesthetic) को डिलीवर करती है ताकि आपको दर्द महसूस न हो। एपिड्यूरल द्वारा दर्द से राहत पाने में पांच से तीन मिनट लग सकते हैं। हालांकि, एपिड्यूरल को लेबर के किसी भी स्टेज पर दिया जा सकता है लेकिन इसे आमतौर पर लेबर की पहली स्टेज पर दिया जाता है। अब जानिए एपिड्यूरल के फायदे और नुकसान (Epidural pros and cons) के बारे में।
एपिड्यूरल के फायदे और नुकसान क्या हैं? (Epidural pros and cons)
एपिड्यूरल का प्रयोग अधिकतर लेबर के दौरान किया जाता है। लेकिन, लोअर बॉडी सर्जिकल प्रोसीजर के दौरान भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे पेल्विस या लेग्स की सर्जरी। किसी प्रोसीजर के बाद दर्द से राहत पाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। एपिड्यूरल के फायदे और नुकसान में पहले इसके फायदों के बारे में जान लेते हैं:
एपिड्यूरल के फायदे और नुकसान में एपिड्यूरल के फायदे (Epidural pros)
एपिड्यूरल एक नर्व ब्लॉकर है। जिसका प्रयोग प्रसव के दौरान के अलावा अन्य स्थितियों में भी किया जा सकता है। इसके कई लाभ हैं। जानते हैं इनके बारे में विस्तार से।
दर्द से राहत दिलाएं (Pain relief)
एपिड्यूरल डिलीवरी और चाइल्डबर्थ के दौरान दर्द से राहत पाने का प्रभावी तरीका है। यही नहीं, इसके मां और शिशु दोनों के लिए बहुत कम साइड इफेक्ट्स हैं। यह बहुत जल्दी काम करता है और दस से बीस मिनटों में ही दर्द से राहत पहुंचाता है। इस का प्रयोग करने के बाद अधिकतर महिलाएं लेबर और डिलीवरी में कम या बिलकुल भी दर्द को महसूस नहीं करती हैं।
आराम मिलता है (Get rest)
जब एपिड्यूरल के प्रयोग के बाद आपको लेबर पैन से राहत मिलती है, तो आपको अधिक आराम करने में मदद मिल सकती है। यह चीज लॉन्ग लेबर में खासतौर पर लाभदायक है। यही नहीं, इससे आपका बर्थ एक्सपीरियंस भी पोसिटिव बनता है।
अलर्ट रहने में मदद मिलती है (It can help to stay alert)
एपिड्यूरल के फायदे और नुकसान के फायदों में आगे यह है कि इससे आपको चाइल्डबर्थ के दौरान आपको एक्टिव रहने में मदद मिलती है। अगर प्रसव के दौरान फोरसेप्स या वैक्यूम का इस्तेमाल जरूरी हो, तो इस दौरान भी आपको कोई समस्या नहीं होती। अगर आपकी सी-सेक्शन डिलीवरी होने वाली है तो पिड्यूरल से आपको पूरे प्रोसेस के दौरान जागने में भी मदद मिलती है।
एपिड्यूरल के फायदे और नुकसान में पोस्टपार्टम डिप्रेशन से बचाव (Reduce postpartum depression)
ऐसा भी माना जाता है कि एपिड्यूरल का प्रयोग करने से पोस्टपार्टम डिप्रेशन से भी बचा जा सकता है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक ऐसी समस्या है जिसका अनुभव अधिकतर महिलाएं प्रसव के बाद करती हैं। इसका एक फायदा यह भी है, कि एपिड्यूरल का प्रयोग लेबर के दौरान कभी भी किया जा सकता है। एपिड्यूरल के प्रयोग को लॉन्ग टाइम सर्जिकल प्रोसीजर में भी लाभदायक माना गया है, जैसे सी-सेक्शन डिलीवरी।
यह तो थे एपिड्यूरल के फायदे (Epidural pros)। अब जानिए क्या हो सकते हैं इसके नुकसान?
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एपिड्यूरल के फायदे और नुकसान में इसके नुकसान (Epidural Cons)
एपिड्यूरल के कुछ फायदे होने के साथ ही इसके कुछ नुकसान भी हैं। हर किसी के लिए यह उपयुक्त नहीं है। जानिए इसके नुकसान के बारे में:
लो ब्लड प्रेशर (Low blood pressure)
एपिड्यूरल के कारण कुछ लोगों में एकदम ब्लड प्रेशर में कमी महसूस की जा सकती है। आपके ब्लड प्रेशर को लेबर और डिलीवरी के दौरान मॉनिटर किया जाएगा। ताकि, आपके बच्चे और आपके पूरे शरीर में पर्याप्त रक्त प्रवाह हो सके। अगर आपके ब्लड प्रेशर में कम होती है तो आपको ऑक्सीजन, फ्लूइड और दवाईयों का प्रयोग किया जा सकता है।
मेडिकल कारण (Medical reasons)
कुछ मेडिकल कारणों की वजह से भी सबको एपिड्यूरल की सलाह नहीं दी जाती है। इसे देने से पहले डॉक्टर आपकी मेडिकल स्थितियों के बारे में जानेंगे। अगर उन्हें लगता है कि मेडिकली आप एपिड्यूरल के प्रयोग के लिए फिट नहीं हैं, तो वो इसका इस्तेमाल आप पर नहीं करेंगे।
एपिड्यूरल के फायदे और नुकसान में टांगों में समस्या (Problems in Legs)
ऐसा भी हो सकता है कि इसके इस्तेमाल के बाद आप इसके बाद कुछ घंटों तक यह महसूस करे कि आपकी टांगे सुन्न हो गयी है। इस दौरान आपके शिशु को अच्छे से मॉनिटर किया जाता है। इसके साथ ही इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। जो इस प्रकार हैं:
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एपिड्यूरल के साइड इफेक्ट्स (Side effects of Epidural)
एपिड्यूरल के फायदे और नुकसान (Epidural pros and cons) के साथ ही इसके कुछ साइड इफ़ेक्ट भी हैं। हालांकि, इसे बेहद प्रभावी और सुरक्षित माना जाता है। इसके कुछ साइड इफेक्ट्स इस प्रकार हैं:
- एपिड्यूरल के दौरान महिलाएं ठंड या खुजली महसूस कर सकती हैं।
- इसके प्रयोग के बाद कुछ महिलाएं ऐसा महसूस करती हैं कि उन्हें दर्द से कम राहत मिली है या बिलकुल भी दर्द से आराम नहीं मिला है।
- इसके प्रयोग के बाद बर्थ में मदद के लिए फोरसेप्स या वैक्यूम की जरूरत भी अधिक पड़ती है ।
- एपिड्यूरल के प्रयोग के 24 से 48 घंटे बाद कुछ महिलाओं को सिरदर्द की समस्या हो सकती है। यही नहीं इसके बाद स्किन इंफेक्शन की संभावना भी बढ़ जाती है ।
- दुर्लभ मामलों में कुछ महिलाओं को परमानेंट नर्व डैमेज की समस्या भी हो सकती है।
ऊपर दिए साइड इफेक्ट्स के अलावा भी कुछ महिलाएं अन्य साइड इफेक्ट्स का अनुभव कर सकती हैं। प्रसव से पहले ही एपिड्यूरल के फायदे और नुकसान (Epidural pros and cons) के बारे में अधिक जानने के लिए अपने डॉक्टर से बात करें। लेकिन, अन्य तरीकों के मुकाबले प्रसव के लिए नेचुरल बर्थ को ही सबसे बेहतर माना जाता है। आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों हैं?
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क्या नैचुरल बर्थ ही शिशु के लिए सबसे बेहतरीन है? (Natural Birth)
इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रसव के दौरान एपिड्यूरल का प्रयोग सुरक्षित और प्रभावी है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि यह सबके लिए उपयुक्त विकल्प है। अन्य प्रक्रियाओं की तरह एपिड्यूरल के फायदे और नुकसान (Epidural pros and cons) भी हैं, जिनके बारे में आप जान ही गए होंगे। किसी महिला के लिए प्रसव का कौन सा तरीका सबसे बेहतरीन है, यह चीज कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है। कई फैक्टर्स डिलीवरी और चाइल्डबर्थ के दौरान दर्द के लेवल को प्रभावी कर सकते हैं। यह फैक्टर्स यह जानने में मदद करते हैं कि दवा की जरूरत है या नहीं। यह फैक्टर्स इस प्रकार हैं:
- फिजिकल और इमोशनल हेल्थ (Physical and emotional health)
- दर्द सहन करने की क्षमता (Pain tolerance)
- पेल्विस का आकार (Size of pelvis)
- शिशु का आकार (Size of the baby)
- शिशु की पोजीशन (Baby’s position)
- कॉन्ट्रैक्शंस की इंटेंसिटी (Intensity of contractions)
हालांकि, आज भी नेचुरल बर्थ को सबसे बेहतरीन माना जाता है। लेकिन जब नेचुरल बर्थ में समस्या आ रही हो तो अन्य उपायों को अपनाया जाता है। अब जानते हैं कि लेबर के दौरान पैन मैनेजमेंट (Pain Management) के अन्य विकल्प क्या हैं?
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पेन मैनेजमेंट के अन्य विकल्प
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन(National Center for Biotechnology Information) के अनुसार प्रसव के दौरान पैन मैनेजमेंट के लिए केवल एपिड्यूरल ही एक विकल्प नहीं है। बल्कि अन्य कई उपाय भी हैं जिनका प्रयोग किया जाता है, यह उपाय इस प्रकार हैं:
- ओपिऑइड्स (Opioids)
- प्यूडेंडल ब्लॉक (Pudendal block)
- नाइट्रस ऑक्साइड (Nitrous oxide)
इसके अलावा कुछ नेचुरल रेमेडीज भी लेबर पैन को दूर करने में मदद कर सकती हैं। जैसे:
- अपनी लोअर बैक पर हीट या कोल्ड पैक का प्रयोग करना (Cold and Heat Pack)
- मालिश (Massage)
- गर्म पानी से स्नान करना (Take a hot bath)
- लेबर बॉल का प्रयोग (Use of labor ball)
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यह तो थी एपिड्यूरल के फायदे और नुकसान (Epidural pros and cons) के बारे में पूरी जानकारी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि एपिड्यूरल लेबर के दौरान दर्द से राहत पाने में सुरक्षित है। हालांकि, इससे जुड़े कुछ रिस्क्स भी हैं। लेकिन, यह जोखिम अस्थायी और बेहद दुर्लभ हैं। इसके अलावा अन्य विकल्प भी मौजूद हैं जिससे आप इस दौरान होने वाली दर्द से छुटकारा पा सकती हैं। गर्भवती महिलाओं को प्रसव से पहले अपने डॉक्टर से डिलीवरी और दर्द से राहत पाने के तरीकों के बारे में जान लेना चाहिए। आपको प्रसव के दौरान एपिड्यूरल का प्रयोग करना है या नहीं, यह आपकी निजी इच्छा पर निर्भर करता है।
लेकिन, फिर भी पहले ही एपिड्यूरल के फायदे और नुकसान (Epidural pros and cons) के बारे में जान लेना बेहतर होगा। उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब अपने मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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