आमतौर पर नवजात शिशु को खांसी आना सामान्य नहीं माना जाता। जन्म से ही शिशु को मां से रोग प्रतिरोधक शक्ति मिलती है। छह महीने तक यह शिशु की सर्दी- खांसी से रक्षा करती है। छह महीने बाद इस इम्युनिटी का असर कम होने लगता है और शिशु अपनी इम्युनिटी विकसित करता है। नवजात शिशु को खांसी होने पर उसकी बॉडी इससे लड़ने के लिए खुद को तैयार करती है। कुछ मामले ऐसे भी होते हैं, जिनमें डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत होती है।
खांसी के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इसमें शिशु को सर्दी होना एक बड़ा कारण होता है। आज हम इस आर्टिकल में नवजात शिशु को खांसी होने पर इसके घरेलू इलाज के बारे में बताएंगे।
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शिशु को सर्दी-खांसी होने पर होता है ऐसा
- रात के वक्त लगातार खांसी आना
- बुखार
- छींकना
- एपेटाइट का कम होना
- नाक और गला रुंदने से दूध पीने में दिक्कत होना
- रात में नींद ना आना
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नवजात शिशु की खांसी का घरेलू इलाज
फ्लूड इंटेक बढ़ाएं
शिशु को सर्दी खांसी होने पर उनका फ्लूड (तरल पदार्थ) इंटेक बढ़ा देना चाहिए। किसी भी बीमारी के इलाज में फ्लूड इंटेक एक आधार माना जाता है। शिशु की बॉडी में पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ रहने से उनकी बॉडी में पानी की कमी नहीं रहती है। यदि शिशु स्तनपान कर रहा है तो आपको स्तनपान रोकना नहीं है। खांसी को पैदा करने वाले वायरस से मां का दूध अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है।
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भाप दें
कोचरेन ने भाप से जुड़े 13 अध्ययनों का विश्लेषण किया। कोचरेन ब्रिटिश की एक चैरिटी संस्था है, जो मेडिकल रिसर्च की व्यवस्था करती है। वह सर्दी के लक्षणों में भाप के इस्तेमाल के फायदों का पता लगाने में नाकामयाब रही। जबकि छह अध्ययनों में सामान्य सर्दी खांसी में भाप से मिलने वाले फायदे की पुष्टि हुई। सामान्य मामलों में नवजात को सर्दी- खांसी होने पर डॉक्टर भाप की सलाह देते हैं।
जिंक
एनसीबीआई में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, खांसी पैदा करने वाले वायरल की ग्रोथ को जिंक रोक देता है। इससे पहले ही कई अध्ययनों में सर्दी खांसी के इलाज में जिंक के इलाज का परीक्षण किया जा चुका है। ज्यादातर अध्ययनों में पाया गया कि शिशु को खांसी शुरू होने के 24 घंटों के भीतर यदि जिंक से भरपूर चीजें दी जाती हैं तो इसकी रोकथाम संभव है। मौजूदा समय में बिना डॉक्टर की सलाह के शिशु को जिंक देना मना है।
अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन के मुताबिक, जिंक शिशु के विकास के लिए जिंक काफी अहम है। जिंक शिशु के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स का विकास करती है। इससे मस्तिष्क का विकास होता है। इम्यून सिस्टम के फंक्शन को चलाने के लिए जिंक की आवश्यकता होती है। शिशु में जिंक की कमी से सर्दी- खांसी हो सकती है।
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शिशु की खांसी का इलाज शहद
एनसीबीआई में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, शिशु को सर्दी- खांसी में शहद देने से फायदा मिलता है। वहीं, कोचरेन के सहयोग से 22 अध्ययनों की समीक्षा की गई। इन अध्ययनों में एक रेंडोमाइज्ड कंट्रोल ट्रायल था। कोचरेन को अपने विश्लेषण में खांसी में शहद के फायदे के संबंध में पर्याप्त सुबूत नहीं मिले।
हाल ही में 139 बच्चों पर एक रेंडोमाइज्ड कंट्रोल ट्रायल किया गया। अध्ययन में पाया गया कि अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक इंफेक्शन वाले इन बच्चों को सोने से पहले शहद दिया गया। शहद देने के बाद इनकी स्थिति में महत्वपूर्ण रूप से सुधार आया। इस बात के सुबूत लगातार मिल रहे हैं कि शिशु को खांसी होने पर शहद देने से म्युकस सिक्रेशन कम हो जाता है।
इससे शिशु की खांसी में कमी आती है। हालांकि, एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शहद देने को लेकर आम राय नहीं है। कुछ डॉक्टर एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शहद देने के खिलाफ हैं। उनका मानना है कि यह शिशु के लिए नुकसानदायक होता है।
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शिशु के सिर को ऊंचा रखें
सोते वक्त शिशु का सिर हल्का सा ऊपर रखें। इसके लिए आपको उसके सिर के नीचे एक तकिया रखना है। इससे उसका सिर हल्का उठ जाएगा। शिशु को इस स्थिति में सांस लेने में मदद मिलेगी। ज्यादातर मामलों में शिशु को सर्दी खांसी होने पर उन्हें ब्रीथिंग की दिक्कत हो जाती है।
आयुर्वेद का भी लें सहारा
आयुर्वेद के निम्न तरीके भी शिशु की खांस के उपचार में लाभकारी हो सकते हैंः
लहसुन का इस्तेमाल करें
लहसनु एक रासायनिक कंपाउड से बना है जिसमे एंटी बैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं। शिशु को खांसी होने पर उसके आहार में लहसुन की खुराक शामिल करें। अगर शिशु सिर्फ मां का ही दूध पीता है, तो मां को अपने आहार में लहसुन की खुराक शामिल करनी चाहिए।
तुलसी के पत्ते
शिशु की खांसी का इलाज करने के लिए तुलसी के कुछ पत्ते और शहद की बूदों का पेस्ट बनाएं और उसे बच्चे को चटाएं। इस पेस्ट को बच्चे को दिन में तीन से चार बार चटाए और ऐसा चार से पांच दिनों के लिए करें। शिशु की खांसी में जल्द ही आराम मिलेगा।
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शिशु की खांसी का उपचार कैसे किया जाता है?
शिशु की खांसी का उपचार आमतौर पर आप ऊपर बताए गए घरेलू उपायों से कर सकते हैं। हालांकि, अगर ये तरीके कारगर न हो, तो आप निम्न तरीकोंं का भी इस्तेमाल कर सकते हैंः
- अगर शिशु की खांसी का कारण बैक्टीरियल इंफेक्शन है, तो ऐसी खांसी का उपचार करने के लिए डॉक्टर आपके बच्चे का एंटीबायोटिक दवाओं की सलाह दे सकते हैं, जो लंबे समय तक चल सकता है। हालांकि, इसकी अवधि और खुराक आपके बच्चे की उम्र पर निर्भर कर सकता है।
- अगर आपके बच्चे को खांसी और बुखार दोनों की समस्या है, तो डॉक्टर्स इसके उपचार के लिए एनाल्जेसिक दवा जैसे एक्टेमिनोफेन के खुराक की सलाह दे सकते हैं।
- वहीं, अगर शिशु की खांसी का कारण अस्थमा और सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसी स्थितियां हैं, तो डॉक्टर इसके लक्षणों को कम करने के लिए भी एनाल्जेसिक दवा की सलाह देते हैं।
- स्थितियां अगर इससे भी ज्यादा खराब है, तो डॉक्टर उचित उपचार के साथ सर्जरी की भी सलाह दे सकते हैं। हालांकि, निम्न स्थितियों में किसी भी उपचार या दवा की खुराक बच्चे के लिए निर्धारत करने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
अंत में हम यही कहेंगे कि शिशु को होने वाली खांसी की गंभीरता अलग-अलग हो सकती है। किसी भी घरेलू उपाय को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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