backup og meta

वर्किंग मदर्स और बेबी के बीच बॉन्ड बढ़ाएंगे ये 9 टिप्स!

वर्किंग मदर्स और बेबी के बीच बॉन्ड बढ़ाएंगे ये 9 टिप्स!

वर्किंग मॉम्स की जिम्मेदारियां डिलिवरी के बाद और बढ़ जाती हैं। ऐसे में करियर के साथ बैलेंस बनाना काफी कठिन हो जाता है लेकिन “हैलो स्वास्थ्य” के इस आर्टिकल में वर्किंग मदर्स और बेबी या कामकाजी मां और बच्चे के बीच बॉन्ड को बढ़ाने के नौ आसान टिप्स बताए गए हैं। जिन्हें आप रोजमर्रा की जीवन में अपनाकर इस परेशानी को सुलझा सकती हैं।

कई बार वर्किंग मदर्स काम की वजह से बच्चे के साथ कुछ क्वालिटी टाइम मिस कर देती हैं। यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ लेबर के अनुसार, 70 प्रतिशत महिलाओं के पास नौकरी के साथ ही 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे भी हैं। वहीं 40 प्रतिशत महिलाएं अपने बच्चों के साथ-साथ, परिवार का भी पालन-पोषण करती हैं। इस तरह से पता चलता है कि काम के साथ-साथ वर्किंग मदर्स घर को भी अच्छे से मैनेज कर सकती हैं।

और पढ़ेंः अगर बार-बार बीमार पड़ता है आपका बच्चा, तो उसे हो सकती है ये परेशानी

इन टिप्स से वर्किंग मदर्स और बेबी बना सकते हैं सट्रांग बॉन्डिंग

फीडिंग टाइम, स्पेशल बनाएं

बच्चे को खाना खिलाना सबसे बेसिक काम है, लेकिन यदि वर्किंग मदर्स और बेबी या कामकाजी मां और बच्चे के बीच बॉन्ड को बढ़ाना है तो इस काम को भी मां काफी स्पेशल बना सकती हैं। जब भी महिला बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराए या फिर बोतल से दूध पिलाए, तो ध्यान रखें कि वह बच्चे से साथ आई कांटेक्ट बना कर रखे। साथ ही मां का स्पर्श भी बच्चे के साथ बॉन्ड बनाने में काफी मदद करता है। खाना खिलाते समय शिशु की त्वचा को स्पर्श करें। बच्चे मां के स्पेशल टच को महसूस करने लगते हैं, जिससे धीरे-धीरे मां और बच्चे के बीच बॉन्ड बढ़ने लगता है।

वीकेंड में बच्चों को दें पूरा समय

यदि आप वर्किंग मदर्स हैं, तो ऐसे में कोशिश करें कि पूरा वीकेंड फ्री रहे। वीकेंड का पूरा समय अपने बच्चों के साथ बिताएं। सैटरडे और संडे को बच्चों के साथ एक्टिविटीज में भाग लें। ऐसा करने से वर्किंग मदर्स और बेबी या कामकाजी मां और बच्चे के बीच बॉन्ड मजबूत होता है।

फिटनेस मेथड लेकफीट (LEKfit) की संस्थापक लॉरेन क्लेबन के अनुसार, “जब भी मैं अपने दोनों बच्चों के साथ डांस करती हूं, उस समय उनके साथ स्पेशल बॉन्ड फील कर पाती हूं।” बच्चों के साथ डांस करना, गाना गाना या व्यायाम करना, वर्किंग मदर्स और बेबी या कामकाजी मां और बच्चे के बीच बॉन्ड बनाने में मदद करता है।

और  पढ़ेंः नवजात शिशु को घर लाने से पहले इस तरह तैयार करें शिशु का घर

प्लानिंग से काम करें

वैसे तो हर व्यक्ति को प्लानिंग से ही काम करना चाहिए, लेकिन यदि आप वर्किंग मॉम है, तो ऐसे में प्लानिंग से काम करना और भी जरूरी हो जाता है। एक लिस्ट तैयार करें और उसी के अनुसार काम को नियमित रूप से पूरा करें। ऐसा करने से काफी समय बचेगा और वह समय बच्चे के साथ बिता सकेंगी।

मां का स्पर्श

नौ महीने मां के गर्भ में रहने के बाद, बच्चा मां का स्पर्श बखूबी जानता है। मां जब बच्चे को गले से लगाती है, तो शिशु काफी सहज महसूस करता है, ऐसे स्पर्श को “कंगारू केयर” कहा जाता है। मां का स्पर्श साथ ही शिशु के शरीर के तापमान और हृदय गति को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। महिला जब बच्चे की मालिश करती है, तब भी शिशु को अपने स्पर्श का एहसास दिलाती है। ऐसा करने से शिशु को काफी आराम मिलने के साथ ही सुरक्षा का भी एहसास होता है।

बच्चे से बातें करें

चाहे बच्चा छोटा हो या बड़ा, हर पेरेंट्स को बच्चों से बात जरूर करनी चाहिए। बच्चा छोटा है और बोल नहीं पाता है ऐसे में भी पेरेंट्स को बच्चों से बातें करनी चाहिए। हालांकि, नवजात शिशु बोलते नहीं है, लेकिन वह समझ सब पाते हैं। आवाज सुनने पर वे रिएक्ट जरूर करते हैं, जिससे उसका भावनात्मक विकास होता है। बच्चों से ज्यादा बात करने से पेरेंट्स का बॉन्ड उनके साथ बढ़ता ही है, साथ ही दो वर्ष की आयु में पहुंचने पर उनकी शब्दावली (vocabulary) भी बेहतर हो जाती है।

और पढ़ेंः शिशु को डायपर रैशेज से बचाने के लिए घरेलू उपाय

बच्चे के संकेतों को समझें

नवजात शिशुओं को किसी भी चीज व काम को सीखने-समझने में वक्त लगता है, क्योंकि हर चीजें उनके लिए नई होती हैं। ऐसे में मां ही बच्चे के संकेतों को समझने में सक्षम हो सकती है। मां ही बच्चे के हाव भाव को देख कर पता लगाने की कोशिश करें कि बच्चे को किस चीज की जरुरत है। यदि बच्चा रोता है, तो वह क्या कहना चाहता है? जितना ज्यादा बच्चे की जरूरतों के प्रति मां संवेदनशील होगी, उतनी ही तेजी से उसकी जरूरत को पूरा कर सकेंगी और उतना ही बेहतर वर्किंग मदर्स और बेबी (Working Mothers and Baby) के बीच का बॉन्ड होगा।

और पढ़ेंः पब्लिक प्लेस में ब्रेस्टफीडिंग कराने के सबसे आसान तरीके

बाथ टाइम, मतलब फन टाइम

जहां कुछ बच्चों क पानी में समय बिताना बहुत अच्छा लग सकता है, वहीं कुछ बच्चे पानी से बहुत डरते हैं और नहाने के दौरान बहुत रोते भी हैं। ऐसे में वर्किंग मदर्स और बेबी (Working Mothers and Baby) एक दूसरे के साथ अच्छा टाइम स्पेंड कर सकते हैं। वर्किंग मदर्स और बेबी (Working Mothers and Baby) को नहलाने से पहले यह समझें कि उनका बच्चा पानी के संपर्क में आने पर कैसा महसूस करता है। अगर बच्चा पानी देखकर रोता है, तो मां बच्चे को बहलाते हुए या उससे कोई भी बात करते हुए उसे नहलाएं। इसके अलावा वर्किंग मदर्स और बेबी के साथ भी नहा सकती हैं। इससे वर्किंग मदर्स और बेबी के बीच की बॉन्डिंग भी मजबूत होगी और बच्चा नाहते समय रोएगा भी नहीं। आप चाहें तो, नहाते समय बच्चे के आस-पास या उसके हाथ में खिलौने भी दे सकती हैं। साथ ही, बच्चे से किसी न किसी तरह की बात भी करते रहें।

और पढ़ेंः जानें स्ट्रोक के लक्षण, कारण और इलाज

बच्चे की मालिश करें

वर्गिंक मदर्स और बेबी के लिए मालिश करना एक अच्छा बहाना हो सकता है, जो दोनों के रिश्ते को मजबूत कर सकता है। बेबी को मालिश करने के लिए सबसे पहले मां को एक निश्चित समय तय करना चाहिए और हर दिन या हफ्ते में दो से तीन दिन उसी तय समय पर बच्चे की मालिश करें। साथ ही, मालिश से मां अपने बच्चे को बताए कि वह अब उसकी मालिश करने वाली हैं। मालिश करने के दौरान इस बात को नोटिस करें कि आपके बच्चे को किस तरह की मालिश में ज्यादा सहज महसूस होती है। मसाज करने से जहां बच्चे के शरीर की हड्डियां मजबूत बनेंगी वहीं, वर्किंग मदर्स और बेबी (Working Mothers and Baby) के बीच बॉन्डिंग भी स्ट्रांग बनेगी।

महिला फोकस्ड होकर बच्चों और ऑफिस की जिम्मेदारियों को आसानी से पूरा कर सकती है। वर्किंग मदर्स और शिशु के बीच बॉन्ड बढ़ाने के लिए बच्चे और ऑफिस के बीच बैलेंस बनाने और एक रूटीन सेट करने की जरूरत है।

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

[embed-health-tool-ovulation]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Bonding With Your Baby. https://kidshealth.org/en/parents/bonding.html?WT.ac=p-ra. Accessed on 17 January, 2020.

Forming a Bond With Your Baby – https://www.childwelfare.gov/pubPDFs/bonding.pdf. Accessed on 17 January, 2020.

The importance of early bonding on the long-term mental health and resilience of children. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5330336/. Accessed on 17 January, 2020.

bonding  https://www.education.vic.gov.au/parents/child-development/Pages/babies-bonding.aspx. Accessed on 17 January, 2020.

Postpartum Depression and Bonding Difficulties: Different but Interrelated Problems. https://womensmentalhealth.org/posts/postpartum-depression-bonding-difficulties-separate-interrelated-problems/. Accessed on 17 January, 2020.

Current Version

27/10/2021

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

और द्वारा फैक्ट चेक्ड Bhawana Awasthi

Updated by: Bhawana Awasthi


संबंधित पोस्ट

Pregnancy Weeks: पाएं इंफॉर्मेशन वीक बाय वीक प्रेग्नेंसी के बारे में!

अबॉर्शन के बाद केयर (After Abortion Care) करना है बेहद जरूरी, इन बातों का रखें विशेष ख्याल


और द्वारा फैक्ट चेक्ड

Bhawana Awasthi


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/10/2021

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement