डिलिवरी के बाद न सिर्फ बच्चे बल्कि मां को भी पूरी देखभाल की जरूरत होती है। अगर मां की देखरेख को अनदेखा किया गया तो कमजोरी के साथ ही अन्य समस्याएं जन्म ले सकती हैं। डिलिवरी के बाद मां को मेंटल हेल्थ की मजबूती के साथ ही फिजिकल हेल्थ में भी ध्यान देना जरूरी होता है। आयुर्वेदिक पोस्ट डिलिवरी केयर के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है। हम भारतीयों का आयुर्वेद से बहुत पुराना रिश्ता है। जब बच्चा घर में जन्म लेता है तो उसके बाद कई तरह की परंपराओं के तहत कुछ खास काम किए जाते हैं जिनके पीछे कुछ लॉजिक भी होता है। इस आर्टिकल के माध्यम से आप भी आयुर्वेदिक पोस्ट डिलिवरी केयर के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
और पढ़ें: डिलिवरी के बाद बॉडी को शेप में लाने के लिए महिलाएं करती हैं ये गलतियां
डिलिवरी के पहले हफ्ते में (Delivery first week)
डिलिवरी के पहले हफ्ते में आयुर्वेदिक पोस्ट डिलिवरी केयर के तहत बच्चे और मां को मसाज दी जाती है। मसाज के लिए कुछ खास तरह के तेल जैसे बालस्वागंधादि तेल, कसीराबला तेल आदि का प्रयोग किया जाता है। तेल से मालिश करने से लोअर बैक, हिप एरिया, बोन्स, मसल्स और लिगामेंट को मजबूती मिलती है।
[mc4wp_form id=’183492″]
अगर आपकी डिलिवरी नॉर्मल हुई है तो एक हफ्ते के अंदर मसाज ली जा सकती है। सी-सेक्शन के बाद एब्डॉमिनल एरिया में मसाज न लें। घाव के भर जाने के बाद और डॉक्टर से सलाह लेने के बाद मसाज ली जा सकती है।
और पढ़ें : डिलिवरी के वक्त दिया जाता एपिड्यूरल एनेस्थिसिया, जानें क्या हो सकते हैं इसके साइड इफेक्ट्स?
लिगामेंट सपोर्ट के लिए बेल्ट (Belt for ligament support)
आप आयुर्वेदिक पोस्ट डिलिवरी केयर के तहत एब्डॉमिन बेल्ट का यूज कर सकती हैं। इसे दिन में चार से पांच घंटे तक लगाने से बैक के साथ ही यूट्रस सपोर्ट और लिगामेंट को मजबूती मिलती है। आप डिलिवरी के कुछ दिन बाद वॉक पर भी जा सकती हैं।
आयुर्वेदिक पोस्ट डिलिवरी केयर के दौरान मेडिसिन (Medicine during Ayurvedic Post Delivery Care)
आप अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह करने के बाद मेडिसिन ले सकती हैं। भारत के कई घरों में आज भी डिलिवरी के बाद मां को ड्राई फ्रूट्स के लड्डू, गोंद के लड्डू खिलाएं जाने की परंपरा है। ऐसा दूसरे हफ्ते से चार महीने तक किया जाता है। ड्राई फ्रूट्स और गोंद के लड्डू खाने से स्ट्रेंथ और इम्युनिटी बढ़ती है। इस दौरान महिलाओं को दशमूलारिष्ट भी सजेस्ट किया जाता है। आयुर्वेदिक पोस्ट डिलिवरी केयर लेते समय अपने डॉक्टर से एक बार जरूर संपर्क करें। कई बार कुछ दवाओं से समस्या भी हो सकती है।
और पढ़ें : जानिए क्या है प्रीटर्म डिलिवरी? क्या हैं इसके कारण?
डिलिवरी के बाद यूज होने वाली सामान्य हर्ब (Common Herbs Used After Delivery)
नट ग्रास का करें प्रयोग (Use nut grass)
आयुर्वेदिक पोस्ट डिलिवरी के तहत नट ग्रास लेने से फायदा हो सकता है। यह ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन बढ़ाने है। साथ ही नट ग्रास का पेस्ट पानी के साथ मिलाकर ब्रेस्ट में लगाने से सूजन में राहत मिलती है।
शतावरी रखेगी दिमाग को ठंडा (Asparagus will keep the mind cool)
एक चम्मच शतावरी को एक कप दूध में मिलाकर उबाल लें। इसका सेवन तीन से चार महीने तक किया जाता है। शतवारी के उपयोग से ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन में लाभ मिलता है। साथ ही ये दिमाग को ठंडा रखने में मदद करता है। इसलिए डिलिवरी के बाद मां की डायट में शतावरी को एड जरूर करना चाहिए।
और पढ़ें : डिलिवरी के वक्त होती हैं ऐसी 10 चीजें, जान लें इनके बारे में
इस बात पर दें ध्यान
महिलाओं को आयुर्वेदिक पोस्ट डिलिवरी केयर के दौरान गरम तासीर वाला खाना लेना चाहिए। साथ ही फ्रेश फूड स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना गया है। आइसक्रीम और ज्यादा तेल वाली चीजों से बचना चाहिए। मां को बच्चे को दूध भी पिलाना होना है तो ऐसे समय में किसी भी दूसरी बातों के बारे में न सोचें। दूध पिलाते वक्त मन को शांत रखें। ऐसा माना गया है कि मां दूध पिलाते वक्त तो सोचती है वो सीधे बच्चे के दिमाग में असर करता है।
और पढ़ें : प्रेग्नेंसी के बाद बॉडी में आते हैं ये 7 बदलाव
वातावरण पर भी दिया जाता है ध्यान (Environment factor)
डिलिवरी के बाद आयुर्वेदिक पोस्ट डिलिवरी केयर के अंतर्गत घर के वातावरण पर भी जोर दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि घर का माहौल शांत रहना चाहिए, ताकि मां और बच्चा आराम से सो सके। ऐसे समय में करीब 30 दिनों तक घर का कोई भी सदस्य किसी फंक्शन को अटेंड नहीं करता है और न ही घर में कोई भी अच्छा काम किया जाता है। कई ऐसा माना जाता है कि बच्चे के पैदा होने के बाद सूतक माने जाते हैं और किसी भी तरह का अच्छा काम नहीं किया जाता है।
बिजी शेड्यूल और डिप्रेशन का संबंध (Busy schedule and Depression)
आपने पोस्ट नेटल डिप्रेशन के बारे में सुना होगा। डिलिवरी के बाद होने वाली मां को कई प्रकार की बातें सोचकर डिप्रेशन की समस्या हो जाती है। आयुर्वेदिक पोस्ट डिलिवरी केयर के अंतर्गत कई प्रकार की एक्टिविटी जैसे बाथ ऑयल प्रिपेयर करना, मसाज करना, फ्रेश खाना बनाना, गंदे कपड़ों की धुलाई आदि के बीच किसी के पास समय नहीं बच पाता है कि किसी और भी चीज के बारे में सोच पाएं। इस तरह से महिलाएं डिप्रेशन से बच जाती हैं।
और पढ़ें : प्रेग्नेंसी के दौरान योग और व्यायाम किस हद तक है सही, जानें यहां
क्या हैं इससे जुड़े मिथ और तथ्य? (Myths and facts related to it?)
आयुर्वेदिक पोस्ट डिलिवरी केयर से एसिडिटी, कब्ज की समस्या, खाना न पचने की समस्या और डिप्रेशन दूर होता है। जबकि लोगों के मन में ये मिथ होता है कि मेडिसिन लेने से ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाएगा। आपको एक बात समझने की जरूरत है कि किसी भी तरह के आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट लेने से पहले एक बार डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। कई बार मेडिसिन के इंग्रीडिएंट्स के कारण इशू हो जाता है।
अगर आप डिलिवरी के बाद किसी भी तरह की आयुर्वेदिक दवा का सेवन करने जा रही हैं तो उचित होगा कि एक बार डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा न खाएं। बिना सलाह के दवा लेने से साइड इफेक्ट का भी खतरा रहता है।
उम्मीद है आयुर्वेदिक पोस्ट डिलिवरी केयर का ये आर्टिकल आपके काम आएगा और आप हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल से काफी जानकारियां ले पाएंगे, जो डिलिवरी के बाद महिला की देखभाल करने में काफी उपयोगी साबित हो सकता है। यदि इस लेख से जुड़ा आपका कोई सवाल है तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं। हम अपने एक्सपर्ट्स द्वारा आपके प्रश्न के उत्तर दिलाने का पूरा प्रयास करेंगे। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप कमेंट कर बता सकते हैं।
[embed-health-tool-ovulation]