प्रेग्नेंसी और बेबी डिलिवरी को नॉर्मल और हेल्दी बनाने के लिए तमाम प्रयास अपनाये जाते हैं। इसलिए बदलते वक्त के साथ-साथ बेबी डिलिवरी के तरीके में भी बदलाव आया है। बेबी डिलिवरी प्रक्रिया को और आसान बनाने के लिए लमाज ब्रीदिंग (Lamaze breathing) तकनीक का भी सहारा लिया जा सकता है।
इसलिए आज इस आर्टिकल में गर्भवती महिला के लिए लमाज ब्रीदिंग (Lamaze breathing) से जुड़ी जानकारी शेयर करें।
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- लमाज ब्रीदिंग क्या है?
- लमाज ब्रीदिंग के फायदे क्या हैं?
- लमाज ब्रीदिंग के नुकसान क्या हैं?
- कैसे समझें फॉल्स लेबर पेन को?
- लेबर पेन के लक्षण क्या हैं?
लमाज ब्रीदिंग और लेबर पेन से जुड़े कई अन्य सवालों का जवाब इस आर्टिकल में जानेंगे।
लमाज ब्रीदिंग (Lamaze breathing) क्या है?
लमाज ब्रीदिंग एक ब्रीदिंग तकनीक है और इसमें एक नहीं, बल्कि कई अलग-अलग पुजिशन (पोजीशन) होते हैं। लमाज ब्रीदिंग तकनीक लेबर labor यानी बेबी डिलिवरी के दौरान इस्तेमाल की जाती है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार लमाज ब्रीदिंग तकनीक शिशु के जन्म के दौरान फॉलो भी की जा रही है। इस ब्रीदिंग तकनीक (Breathing technique) की मदद से लेबर के दौरान होने वाली परेशानियों को कम करने में मदद मिल सकती है। लमाज ब्रीदिंग तकनीक (Lamaze breathing technique) के अलग-अलग सेशन होते हैं, जिसे गर्भवती महिला एवं बनने वाले पिता के लिए जानना आवश्यक होता है।
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लमाज ब्रीदिंग से जुड़ी खास बातें (Tips for Lamaze breathing)
लमाज ब्रीदिंग तकनीक में सांस लेने की प्रक्रिया बताई जाती है। जैसे:
- गहरी (Deep) और धीरे (Slow) सांस में।
- ब्रीदिंग के रिदम को एक जैसा बनाये रखें।
- मुंह और नाक से सांस लें।
- ब्रीदिंग तकनीक के दौरान आंखें बंद या खुली रखें।
- इस ब्रीदिंग तकनीक के दौरान एक जगह ध्यान केंद्रित रखें।
बेबी डिलिवरी के प्रोसेस को आसान और हेल्दी बनाये रखने के लिए लमाज ब्रीदिंग तकनीक (Lamaze breathing technique) बेहद प्रभावी मानी जाती है। हालांकि गर्भवती महिला की सेहत को ध्यान में रखकर लमाज ब्रीदिंग के दौरान कुछ बदलाव भी किये जा सकते हैं। जैसे:
- टहलते (Walk) हुए सांस लेना।
- अपने सुविधाजनक पॉश्चर में सांस लेना।
- धीरे-धीरे डांस (Dance) करना।
- गर्भवती महिला इस दौरान मसाज करवा सकती हैं।
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लमाज ब्रीदिंग: लेबर के दौरान क्या करें?
लमाज ब्रीदिंग तकनीक लेबर के अलग-अलग स्टेज में अलग-अलग तरह से करने की सलाह दी जाती है। इसलिए-
लेबर के फस्ट स्टेज के दौरान (During the first stage of labor)
स्टेप 1: धीरे-धीरे सांस लें और अपने फिजिकल टेंशन को सिर से नीचे की ओर ले जाएं।
स्टेप 2: नाक से धीरे-धीरे सांस लें और कुछ सेकेंड के लिए सांस को होल्ड करें और मुंह से सांस छोड़ें।
स्टेप 3: सांस छोड़े के दौरान शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर ध्यान केंद्रित करें।
यह 3 स्टेप लेबर के फस्ट स्टेज के दौरान फॉलो करें।
एक्टिव लेबर के दौरान (During active labor)
स्टेप 1: स्टेप रिलैक्स करते हुए सांस लें।
स्टेप 2: नाक से सांस लें और मुंह से छोड़ें।
स्टेप 3: कोशिश करें सांस धीरे-धीरे लें।
स्टेप 4: लेबर के दौरान कॉन्ट्रेक्शन बढ़ने पर ब्रीदिंग स्पीड थोड़ी बढ़ाई जा सकती है।
स्टेप 5: कंधे को रिलैक्स रखें।
नोट: एक्टिव लेबर के दौरान कॉन्ट्रेक्शन के अनुसार डॉक्टर गर्भवती महिला को फास्ट या स्लो ब्रीदिंग तकनीक (Slow or fast Breathing technique) अपनाने की सलाह दे सकते हैं। शिशु के जन्म के दौरान लमाज ब्रीदिंग तकनीक हॉस्पिटल में डॉक्टर की निगरानी में करें। क्योंकि लमाज ब्रीदिंग तकनीक के फायदे और नुकसान भी होते हैं।
लमाज ब्रीदिंग के फायदे क्या हैं? (Benefits of Lamaze breathing)
लमाज ब्रीदिंग तकनीक के निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं। जैसे:
- लेबर पेन कम हो सकता है।
- डिलिवरी के दौरान महसूस होने वाली तकलीफ कम हो सकती है।
- बेबी डिलिवरी डेट के एक हफ्ते पहले से गर्भवती महिला डॉक्टर के सलाह अनुसार अपने डेली रूटीन में लमाज ब्रीदिंग तकनीक (Lamaze breathing technique) अपना सकती हैं।
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लमाज ब्रीदिंग के नुकसान क्या हैं? (Side effects of Lamaze breathing)
शिशु के जन्म की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए लमाज ब्रीदिंग तकनीक के बारे में जितना जानना जरूरी है, उतना ही इसे लमाज ब्रीदिंग तकनीक एक्क्सपर्ट की निगरानी में प्रैक्टिकली सीखना जरूरी बताया गया है। इसलिए कपल को लमाज ब्रीदिंग तकनीक (Lamaze breathing technique) अपनाने से पहले और प्रेग्नेंसी के दूसरी तिमाही (Second trimester) से ही इस तकनीक को सीखना शुरू कर देना चाहिए।
कई बार प्रेग्नेंसी के दौरान फॉल्स लेबर पेन की भी समस्या हो सकती है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को फॉल्स प्रेग्नेंसी के बारे में भी जानना आवश्यक होता है।
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कैसे समझें फॉल्स लेबर पेन को? (Symptoms of False labor pain)
फॉल्स लेबर पेन को निम्नलिखित तरह से समझा जा सकता है। जैसे:
- कॉन्ट्रेक्शन यानी संकुचन के दौरान नहीं होना। इस दौरान गर्भवती महिला सिर्फ असहज महसूस कर सकती हैं।
- कॉन्ट्रेक्शन पीरियड्स कुछ वक्त तक ही रहना।
- लेबर पेन पेट के निचले हिस्से में होता है। कई बार कमर दर्द को गर्भवती महिला लेबर पेन समझने लगती हैं।
ये लक्षण फॉल्स लेबर के होते हैं। अगर ऐसी स्थिति में गर्भवती महिला ज्यादा असहज या परेशानी महसूस कर रहीं हैं, तो डॉक्टर से कंसल्ट करना जरूरी होता है।
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लेबर पेन के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of labor pain)
बेबी डिलिवरी डेट के दौरान अगर गर्भवती महिला निम्नलिखित लक्षणों को समझ रहीं हैं या महसूस कर रहीं हैं, तो यह ट्रू लेबर पेन है। जैसे:
- तेज संकुचन के साथ-साथ दर्द होना।
- शरीर के पॉश्चर को बदलने के बाद भी दर्द (Pain) कम नहीं होना।
- लेबर पेन पीठ के निचले हिस्से से शुरू होकर पेट के निचले हिस्से में होती है।
- पेट के निचले हिस्से में दर्द (Lower abdomen) के साथ-साथ दस्त होना।
नोट: इन ऊपर बताये लक्षणों के साथ-साथ अगर वॉटर ब्रेक हो जाए, तो जल्द से जल्द गर्भवती महिला को डॉक्टर के पास लेकर जाएं। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखें कि अलग-अलग गर्भवती महिला में लेबर पेन (Labour pain) के लक्षण अलग भी हो सकते हैं। इसलिए इनसभी बातों को ध्यान रखें और लमाज ब्रीदिंग तकनीक (Lamaze breathing) फॉलो करें।
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प्रेग्नेंसी के दौरान अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो बेबी डिलिवरी प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकता है। प्रेग्नेंसी के नौ महीने ये सोचने में न बिताये कि लेबर पेन को मैं कैसे बर्दाश्त करूंगी? आपको सोचने की बजाये शारीरिक क्रियाओं एवं डॉक्टर से सलाह अनुसार प्रेग्नेंसी के दौरान की जाने वाली एक्सरसाइज करनी चाहिए, जिससे डिलिवरी आसान हो सकेगी। बेबी बर्थ (Baby birth) के लिए बढ़ती टेक्नोलॉजी एवं लमाज ब्रीदिंग तकनीक (Lamaze breathing) जैसी अन्य तरीके भी शिशु के जन्म को आसान बनाने में मददगार साबित हो रहें हैं। वहीं लेबर पेन के दौरान अपने पार्टनर का सहारा जरूर लें या फिर पार्टनर को भी इस दौरान विशेष ध्यान रखना चाहिए।
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