जहां प्रेग्नेंसी परिवार में कई तरह की खुशियां लेकर आती है तो वहीं इस अवस्था में कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। इन्हीं समस्याओं में से एक है पॉलिहाइड्रेमनियोस यानी प्रेग्नेंसी में एमनियोटिक फ्लूइड ज्यादा होना। इस समस्या के कारण गर्भ में एमनियोटिक द्रव की मात्रा अधिक हो जाती है। इससे भ्रूण की जन्म के पहले ही मृत्यु हो सकती है। हैलो स्वास्थ्य के इस आर्टिकल में हम पॉलिहाइड्रेमनियोस की समस्या के बारे में बात करेंगे। जानते हैं गर्भ में एमनियोटिक फ्लूइड ज्यादा होना कितना सामान्य है और इसका उपचार कैसे किया जाए?
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पॉलिहाइड्रेमनियोस (प्रेग्नेंसी में एमनियोटिक फ्लूइड ज्यादा होना) क्या है?
गर्भ में पल रहा शिशु एक तरल पदार्थ जिसे एमनियोटिक फ्लूइड कहते हैं उसमें रहता है। गर्भवती महिला जैसे ही गर्भ धारण करती है तो यूट्रस में फीटस का निर्माण हो जाता है। फीटस युट्रस के अंदर रहता है, जिसे एमनियोटिक फ्लूइड पूरी तरह से कवर करता है। एमनियोटिक फ्लूइड से ही गर्भ में पल रहा शिशु सुरक्षित रहता है और इसी से ही शिशु को संपूर्ण पोषण मिलता है। एमनियॉटिक फ्लूइड गर्भवती महिला के शरीर से बनता है और फिर यह शिशु तक पहुंचता है लेकिन, एमनियोटिक फ्लूइड की मात्रा जब जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है तो इसे पॉलिहाइड्रेमनियोस कहते हैं। पॉलिहाइड्रेमनियोस के कारण समय से पहले ही शिशु का जन्म हो सकता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के अनुसार 30 प्रतिशत तक गर्भ में पल रहे शिशु की मौत पॉलिहाइड्रेमनियोस के कारण हो जाती है।
एमनियोटिक फ्लूइड का अधिक होना कितना आम है?
वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, एमनियोटिक फ्लूइड ज्यादा होना की समस्या 0.2 से लेकर 1.6 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को हो सकती है।
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पॉलिहाइड्रेमनियोस (एमनियोटिक फ्लूइड ज्यादा होना) के लक्षण क्या हैं?
गर्भवती महिला में पॉलिहाइड्रेमनियोस के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं
- सांस लेने में परेशानी महसूस होना
- पेट के निचले हिस्से में सूजन होना
- गर्भाशय में परेशानी महसूस होना
- भ्रूण का ठीक तरह से विकसित न होना या भ्रूण में खराबी होना
- गर्भ में पल रहे शिशु को महसूस न कर पाना
- वल्वा में स्वेलिंग
- यूरिन प्रोडक्शन कम होना
- सीने में जलन
- कब्ज
- पेट का टाइट होना या बहुत भारीपन महसूस होना
पॉलिहाइड्रेमनियोस होने पर गर्भधारण कर चुकी महिलाओं को ऊपर बताई गई परेशानियों के साथ-साथ अन्य परेशानियां भी हो सकती हैं।
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पॉलिहाइड्रेमनियोस किन कारणों से होता है?
गर्भ में एमनियोटिक फ्लूइड ज्यादा होना शिशु में निम्निलिखित परेशानी हो सकती है।
- गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक (Gastrointestinal tract) या सेंट्रल नर्वस सिस्टम से जुड़ी परेशानी
- जेस्टेशनल डायबिटीज (मेटरनल डायबिटीज)
- ट्विन्स बच्चों को ठीक तरह से पोषण नहीं मिलना
- शिशु में रेड ब्लड सेल्स की कमी होना (फीटल एनेमिया)
- मां और शिशु का आरएच फैक्टर
- गर्भाशय में इंफेक्शन होना
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पॉलिहाइड्रेमनियोस के कारण क्या परेशानी हो सकती है?
एमनियोटिक फ्लूइड ज्यादा होना, भ्रूण में कुछ समस्याएं पैदा कर सकता है जैसे-
- समय से पहले शिशु का जन्म
- समय से पहले वॉटर ब्रेक होना
- डिलिवरी के दौरान शिशु के पहले वजायना में अम्बिलिकल कॉर्ड आ जाना
- सिजेरियन डिलिवरी
- स्टिलबर्थ
- डिलिवरी के बाद यूटराइन मसल टोन न होने के कारण नॉर्मल से ज्यादा ब्लीडिंग होना
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एमनियोटिक द्रव ज्यादा होने की जटिलताएं
एमनियोटिक फ्लूइड ज्यादा होना गर्भवती महिला के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है इसकी वजह से होने वाली कुछ जटिलताएं-
- गर्भवती महिला को सांस लेने में तकलीफ होना (Maternal Dyspnea)
- डिलिवरी से पहले ही एमनियोटिक थैली (जिसमें भ्रूण रहता है) का फटना और एमनियोटिक द्रव का रिसाव होना ( Premature Rupture of Membranes)
- डिलिवरी से पहले योनि से रक्तस्राव होना (Postpartum Hemorrhage)।
जटिलताओं के बाद जानते हैं पॉलिहाइड्रेमनियोस का परीक्षण कैसे किया जा सकता है?
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पॉलिहाइड्रेमनियोस का डाइग्नोसिस (निदान) कैसे किया जाता है?
पॉलिहाइड्रेमनियोस का निदान दो तरह से हेल्थ एक्सपर्ट्स करते हैं। इनमें शामिल है।
1. अल्ट्रासाउंड
2. लेब टेस्ट
1. अल्ट्रासाउंड
प्रेग्नेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड की मदद से शिशु की स्थिति समझने के साथ-साथ अगर कोई परेशानी जैसे पॉलिहाइड्रेमनियोस (एमनियोटिक फ्लूइड ज्यादा होना) की स्थिति नजर आती है तो डॉक्टर इसकी जानकारी गर्भवती महिला या उनके परिवार वालों को देते हैं। इसके जरिए आपके गर्भ की जांच की जाती है और होने वाली समस्याओं का निदान किया जाता है। अगर पॉलिहाइड्रेमनियोस की स्थिति बनती है, तो डॉक्टर इसका उपचार की सलाह देते हैं।
2. लेब टेस्ट
गर्भवती महिला के ब्लड टेस्ट में बढ़ी हुई प्रोटीन की मात्रा से भी गर्भाशय में बढ़े हुए एमनियॉटिक फ्लूइड की जानकारी मिल सकती है।
पॉलिहाइड्रेमनियोस (एमनियोटिक फ्लूइड ज्यादा होना) का इलाज कैसे किया जाता है?
प्रेग्नेंसी के 36वें हफ्ते में इस फ्लूइड की मात्रा सबसे ज्यादा होती है और जैसे-जैसे डिलिवरी का वक्त नजदीक आता है एमनियॉटिक फ्लूइड की मात्रा कम होने लगती है। प्रेग्नेंट महिला अगर पॉलिहाइड्रेमनियोस या बढ़े हुए एमनियॉटिक फ्लूइड की जरूरत से ज्यादा बढ़ी हुई मात्रा से पीड़ित हैं तो डॉक्टर्स निम्नलिखित तरह से इसका इलाज करते हैं। हेल्दी गर्भवती महिला के गर्भाशय में 600 mL से 800 mL एमनियॉटिक फ्लूइड की मात्रा सही मानी जाती है।
- बेड रेस्ट
- बड़े निडिल की मदद से एमनियॉटिक फ्लूइड की मात्रा को कम किया जाता है।
- ओरल दवाओं की मदद से भी एमनियोटिक फ्लूइड बैलेंस्ड किया जाता है।
- गर्भवती महिला अगर पॉलिहाइड्रेमनियोस (एमनियोटिक फ्लूइड ज्यादा होना) से पीड़ित हैं तो उन्हें या उनके परिवार के सदस्यों को कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए। जैसे-परेशान न हों और हमेशा अपने आपको शांत रखने की कोशिश करें।
- ज्यादा से ज्यादा वक्त आराम करें।
- अपनी परेशानी के बारे में डॉक्टर से छुपाएं नहीं।
- गर्भवती महिला या मां बन चुकी महिलाओं से ज्यादा बात करें।
आप पॉलिहाइड्रेमनियोस (एमनियोटिक फ्लूइड ज्यादा होना) को कैसे रोक सकती हैं?
डॉक्टर नियमित जांच के जरिए इस स्थिति का पहले ही अंदाजा लगा सकते हैं। इस स्थिति में थोड़ा-सा भी संदेह होने पर डॉक्टर उपचार के जरिए इसकी रोकथाम कर सकते हैं।
इस आर्टिकल में आपने जाना कि प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियोटिक फ्लूइड का ज्यादा होना एक गंभीर समस्या हो सकती है। अगर इसका इलाज समय रहते न किया जाए, तो गर्भ में पल रहे शिशु और गर्भवती दोनों के लिए हानिकारक स्थिति पैदा हो सकती है। इसका पता चलते ही अपने डॉक्टर से उचित इलाज कराएं और हेल्दी और पौष्टिक आहार का सेवन करें। अगर आप पॉलिहाइड्रेमनियोस से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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