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प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट से गर्भ में ही मिल जाती है शिशु के बीमारी की जानकारी


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/09/2021

    प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट से गर्भ में ही मिल जाती है शिशु के बीमारी की जानकारी

    प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट (Prenatal screening test) प्रक्रियाओं का एक सेट है जो गर्भवती महिलाओं पर गर्भावस्था के दौरान किया जाता है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि बच्चे को बर्थ डिफेक्ट होने की संभावना है या नहीं। इन टेस्ट में से अधिकांश नान-इनवेसिव हैं। वे आमतौर पर पहली और दूसरी ट्राइमेस्टर के दौरान किए जाते हैं हालांकि कुछ तीसरे टाइमेस्टर के दौरान भी किए जाते हैं। प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट (Prenatal screening test) या गर्भावस्था के दौरान टेस्ट केवल आपके जोखिम या संभावना बता सकता है कि होने वाले बच्चे में एक विशेष स्थिति मौजूद है या नहीं। जब एक प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट के परिणाम सकारात्मक होते हैं तो डायग्नोसिस टेस्ट एक निश्चित जवाब दे सकते हैं।

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    कुछ प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट (Prenatal screening test) या गर्भावस्था के दौरान टेस्ट नियमित प्रक्रियाएं हैं। जैसे कि ग्लूकोज इनटॉलरेंस टेस्ट जो प्रेग्नेंसी के दौरान मधुमेह की जांच करते हैं। जिन महिलाओं को कुछ शर्तों के साथ बच्चा होने का अधिक जोखिम होता है उन्हें आमतौर पर अतिरिक्त प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट (Prenatal screening test) की पेशकश की जाती है। उदाहरण के लिए गर्भवती महिलाएं जो उन क्षेत्रों में रहती हैं जहां ट्यूबरकुलोसिस होना आम बात है उनका ट्यूबरक्यूलिन त्वचा परीक्षण होना चाहिए।

    प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट (Prenatal screening test) कब किया जाता है?

    फर्स्ट ट्राइमेस्टर स्क्रीनिंग टेस्ट 10 वें सप्ताह के रूप में शुरू हो सकते हैं। इनमें आमतौर पर ब्लड टेस्ट और एक अल्ट्रासाउंड शामिल होता है। वे आपके बच्चे के समग्र विकास का परीक्षण करते हैं और यह देखने के लिए जांचते हैं कि क्या आपके बच्चे को डाउन सिंड्रोम जैसे आनुवांशिक स्थितियों का खतरा है। वे हृदय दोष, सिस्टिक फाइब्रोसिस और अन्य विकास संबंधी समस्याओं के लिए आपके बच्चे की भी जांच करते हैं।

    14 से 18 सप्ताह के बीच दूसरी तिमाही स्क्रीनिंग जांच होती है। वे एक रक्त परीक्षण शामिल कर सकते हैं, जो परीक्षण करता है कि मां डाउन सिंड्रोम या न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट वाले बच्चे के लिए खतरा है, साथ ही साथ एक अल्ट्रासाउंड भी है।

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    प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट्स (Prenatal screening test) के अंतर्गत आने वाले टेस्ट कौन से हैं ?

    दूसरी तिमाही में प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट या गर्भावस्था के दौरान टेस्ट में शामिल है –

    1. ब्लड टेस्ट्स (Blood Tests)

    2. ग्लूकोस स्क्रीनिंग (Glucose Screening)

    3. एम्नियोसेंटेसिस (Amniocentesis)

    1. ब्लड टेस्ट्स

    क्वाड स्क्रीन टेस्ट एक ब्लड टेस्ट है, जो दूसरी तिमाही में 15-20 वीक के दौरान किया जाता है। यह डाउन सिंड्रोम (Down syndrome) जैसे जन्म दोषों के संकेत जानने के लिए किया जाता है। इससे चार महत्वपूर्ण फीटल प्रोटीन्स – एल्फा फीटो प्रोटीन, ह्यूमन कोरयॉनिक गोनाडोट्रॉपिन, एस्ट्रीऑल, और इन्हिबिन ए की जांच की जाती है। इससे डाउन सिंड्रोम के साथ-साथ न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स, बच्चे के ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड के विकसित होने में परेशानी की भी जानकारी मिल सकती है। आपके रक्त प्रकार और आरएच कारणों को निर्धारित करने के लिए एक ब्लड टेस्ट भी किया जाएगा, जो आपके बढ़ते भ्रूण के साथ आपके आरएच संगतता को निर्धारित करता है। आप आरएच-पॉजिटिव या आरएच-निगेटिव हो सकते हैं। अधिकांश लोग आरएच-पॉजिटिव होते हैं, लेकिन अगर मां को आरएच-नेगेटिव पाया जाता है, तो उसका शरीर एंटीबॉडी का उत्पादन करेगा जो बाद के किसी भी गर्भधारण को प्रभावित करेगा।

    2. ग्लूकोस स्क्रीनिंग

    ग्लूकोस स्क्रीनिंग टेस्ट जेस्टेशनल डायबिटीज (मधुमेह) का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह उन महिलाओं में खास तौर से किया जाता है, जिनमें डायबिटीज होने की संभावना ज्यादा होती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार गर्भावस्था में शुगर लेवल बढ़ने की संभावना ज्यादा होती है। हालांकि डिलिवरी के बाद जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या ठीक भी हो जाती है।

    यह प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट (Prenatal screening test) या गर्भावस्था के दौरान टेस्ट आमतौर पर दूसरी तिमाही के दौरान किया जाता है। इसमें एक शुगरी सॉल्यूशन पीना, आपका रक्त खींचना और फिर आपके रक्त शर्करा के स्तर की जांच करना शामिल है। अगर आप प्रेग्नेंसी डायबिटीज के लिए सकारात्मक परीक्षण करते हैं, तो आपको अगले 10 वर्षों के अंदर मधुमेह विकसित होने का अधिक खतरा है, और आपको गर्भावस्था के बाद फिर से परीक्षण करवाना चाहिए।

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    3. एम्नियोसेंटेसिस (Amniocentesis)

    प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट (Prenatal screening test) एम्नियोसेंटेसिस के दौरान यूट्रस में मौजूद एमनीऑटिक फ्लूइड की जांच की जाती है। गर्भावस्था में शिशु एमनीऑटिक फ्लूइड से घिरा हुआ होता है। एमनीऑटिक फ्लूइड से गर्भ में पल रहे बच्चे को सुरक्षा मिलती है। यह ठीक वैसे ही काम करता है जैसे प्लसेंटा की मदद से बच्चे को संपूर्ण पोषण मिलता है। एम्नियोसेंटेसिस से बच्चे में अगर कोई जेनेटिक प्रॉब्लम है तो उसकी जानकारी मिल जाती है। प्रेग्नेंसी के 15 सप्ताह पूरा होने के बाद एम्नियोसेंटेसिस की जाती है।

    तीसरे ट्राइमेस्टर के दौरान बाद में यह निर्धारित करने के लिए कि आपके बच्चे के फेफड़े जन्म के लिए तैयार हैं या नहीं, अमैच्योरिटी एमनियोसेंटेसिस किया जाता है। यह डायग्नोस्टिक परीक्षण केवल तभी किया जाता है जब डिलीवरी के इंडक्शन या सिजेरियन डिलीवरी के माध्यम से नियोजित प्रारंभिक प्रसव को चिकित्सकीय कारणों से माना जाता है। यह आमतौर पर 32 और 39 सप्ताह के बीच किया जाता है। प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट (Prenatal screening test) के जरिए मां के साथ बच्चे के स्वास्थ का पता भी लगाया जा सकता है। कई बार प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट से आने वाले बच्चे में होने वाली परेशानी का पता भी चल सकता है।

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    प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट (Prenatal screening test) (Prenatal screening test) सभी गर्भवती महिलाओं के लिए जरूरी है लेकिन अगर परिवार में कोई जेनेटिक प्रॉब्लम या पिछले बच्चे में कोई जेनेटिक समस्या, माता-पिता में कोई जेनेटिक परेशानी, अल्ट्रासाउंड ठीक से क्लियर न होना या अन्य स्क्रीनिंग टेस्ट्स में रिपोर्ट ठीक नहीं आने की स्थिति में करवाने की सलाह देते हैं। पहली और तीसरी तिमाही में भी प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट (Prenatal screening test) किए जाते हैं।

    प्रेग्नेंसी के दौरान की गई प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट (Prenatal screening test) महत्वपूर्ण होती हैं। इससे न केवल गर्भ में पल रहे बच्चे की जानकारी मिल सकती है बल्कि इससे गर्भवती महिला की सेहत की भी जानकारी मिलते रहती है। जिससे समय रहते परेशानी का समाधान किया जा सकता है। प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट (Prenatal screening test) को समय-समय पर कराना जरूरी होता है। ऐसा इसलिए ताकि प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली किसी भी समस्या के लिए प्रेग्नेंट महिला के साथ-साथ डॉक्टर भी तैयार रहें।

    इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान समय-समय पर डॉक्टर द्वारा बताए गए टेस्ट जरूर करवाएं और डॉक्टर से जरूर मिलें। हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता है। इस आर्टिकल में हमने आपको प्रीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट (Prenatal screening test) या गर्भावस्था के दौरान टेस्ट के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

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    Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/09/2021

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