भ्रूण के लिए जगह बनाने के लिए शरीर के अंगों में बदलाव (Changes in body organs to make room for the fetus) होते हैं। ताकि कम से कम 2.5kg के बेबी और प्लेसेंटा के लिए जगह बन सकें। क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा कैसे होता होता है? दरअसल नैचुरली इलास्टिक बेली नए जीव के लिए स्पेस बनाती है, लेकिन भ्रूण के लिए सही जगह शरीर के दूसरे अंगों के शिफ्ट होने और एक साथ सिकुड़ने से मिलती है क्योंकि इस दौरान गर्भाशय बढ़ता है। जिससे प्रेग्नेंसी के लक्षण जैसे कि सीने में जलन और अपच महसूस किए जाते हैं।
प्रेग्नेंसी में भ्रूण के लिए जगह बनाने के लिए शरीर के अंगों में बदलाव भले ही दिखाई ना दें, लेकिन ये बदलाव भी शरीर के बाहर दिखाई देने वाले बदलावों की तरह ही आश्चर्यचकित कर देने वाले होते हैं। इस आर्टिकल में उन बदलावों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
प्रेग्नेंसी में भ्रूण के लिए जगह बनाने के लिए शरीर के अंगों में बदलाव कैसे होते हैं? (How Your Organs Move During Pregnancy to Make Room for Your Baby)
यहां हम सप्ताह के अनुसार प्रेग्नेंसी में भ्रूण के लिए जगह बनाने के लिए शरीर के अंगों में बदलाव (Changes in body organs to make room for the fetus) होने के बारे में बता रहे हैं। चलिए शुरू करते हैं प्रेग्नेंसी के शुरुआती सप्ताहों से।
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5-8वें सप्ताह के दौरान प्रेग्नेंसी में भ्रूण के लिए जगह बनाने के लिए शरीर के अंगों में बदलाव (Changes in body organs to make room for the fetus during 5-8 weeks)
इस समय के दौरान अक्सर गर्भवती महिलाएं अपने गर्भावस्था के बारे में किसी को नहीं बताती क्योंकि ये एकदम शुरुआत का समय होता है, लेकिन आपके शरीर के अंग प्रेग्नेंसी की जानकारी देने लगते हैं। कंसेप्शन के समय से ही ब्लैडर सिकुड़ने लगता है। जिससे आपको हर 5 मिनिट में टॉयलेट जाने की आवश्यकता हो सकती है।
9-12वें सप्ताह के दौरान: प्रेग्नेंसी में भ्रूण के लिए जगह बनाने के लिए शरीर के अंगों में बदलाव (Changes in body organs to make room for the fetus during 9-12 weeks)
इस वीक तक आते-आते शरीर के अंगों में बदलाव बढ़ने लगते हैं। इस दौरान अगर बेबी बंप होता है तो वह काफी छोटा होता है क्योंकि इस वक्त आपका यूटरस जगह बनाने के लिए इंटेस्टाइन्स को स्मेश कर रहा होता है। 40 वीक तक आते-आते ये इंटेस्टाइन्स गायब हो चुकी होती हैं इसलिए इस दौरान थोड़ा सा भी खाना मुश्किल लगता है।
25-28 सप्ताह के दौरान: प्रेग्नेंसी में भ्रूण के लिए जगह बनाने के लिए शरीर के अंगों में बदलाव (Changes in body organs to make room for the fetus during 25-28 weeks)
अविश्वसनीय रूप से गर्भावस्था के मध्य तक गर्भवती महिला का स्टमक लगभग 45 डिग्री ऊपर की ओर आ गया होता है ताकि वह इंटेंस्टाइन की तरह हैंग हो सके। इस दौरान हार्टबर्न की परेशानी होती है। इसके साथ ही धीरे-धीरे प्लेसेंटा का महत्व भी बढ़ता जाता है। सबसे पहले शरीर बेबी को सस्टेन करने के लिए एक संपूर्ण अंग (प्लेसेंटा) बनाता है। जो पहले ट्राइमेस्टर में बेबी को ग्रो करने में मदद करता है और जम्न तक उसके विकास को प्रतिबिंबित करता है।
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33-36 सप्ताह के दौरान: प्रेग्नेंसी में भ्रूण के लिए जगह बनाने के लिए शरीर के अंगों में बदलाव
तीसरे ट्राइमेस्टर के आते-आते लिवर और फेफड़े पेट और इंटेस्टाइन के द्वारा सिकोड़ दिए जाते हैं। जो कई इंच नीचे हुआ करते थे। यह प्रक्रिया 36 वे हफ्ते तक जारी रहती है।
पोस्टपार्टम (Postpartum)
प्रेग्नेंसी में भ्रूण के लिए जगह बनाने के लिए शरीर के अंगों में बदलाव (Changes in body organs to make room for the fetus) के बाद आपको जानकर आश्चर्य हो सकता है कि कैसे पोस्टपार्टम पीरियड में ऑर्गन पुराने, शेप, पॉजिशन और साइज में वापस आ जाते हैं। साथ ही यूटरस भी सिकुड़ कर प्री प्रेग्नेंसी साइज में वापस आ जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान दिखाई देने वाले लक्षण बच्चे को जगह देने के लिए शरीर में होने वाले बदलावों के कारण होते हैं। शायद ही हमने कभी सोचा हो कि हमारा शरीर में इस प्रकार के बदलाव भी हो सकते हैं।
प्रेग्नेंसी में भ्रूण के विकास के लिए जरूरी है हेल्दी डायट (Healthy diet is necessary for the development of the fetus during pregnancy)
प्रेग्नेंसी के दौरान हेल्दी डायट की महत्वता और भी बढ़ जाती है। इस दौरान खाने में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स को शामिल करें ताकि डेवलपिंग फीटस को जरूरी पोषक तत्व मिल सकें। इसके साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी पीना भी जरूरी है। साथ ही कच्ची मछली, अथपका मीट और पाश्चुरीकृत नहीं की गई चीज का सेवन ना करें। साथ ही कैफीन का इंटेक सीमित रखें। इस बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity) जारी रखने के बारे में डॉक्टर से राय लें
प्रेग्नेंसी के पहले आप जो फिजिकल एक्टिविटीज करती हैं थी वे प्रेग्नेंसी के समय तो जारी नहीं रह सकती है, लेकिन कुछ आसान एक्सरसाइज, स्ट्रेचिंग, वॉकिंग की जा सकती है। इसके बारे में डॉक्टर से जरूर पूछ लें। हर महिला की स्थिति के अनुसार इनमें अंतर हो सकता है। कई प्रेग्नेंसी कॉम्प्लिकेशन के चलते कई बार एक्सरसाइज करने को मना भी कर सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर से सलाह देना सही होगा। फिजिकल एक्टिविटीज आपकी बॉडी को प्रेग्नेंसी के लिए और इसके बाद के लिए भी तैयार करने में मदद करती हैं।
वेट को मेंटेन रखें (Maintain healthy weight)
प्रेग्नेंसी के दौरान बहुत कम या बहुत ज्यादा वजन का होना बच्चे और मां दोनों के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। हेल्दी डायट और फिजिकल एक्टिविटीज के जरिए आप इसे मैनेज कर सकते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान आपको कितना वजन बढ़ाना चाहिए यह प्री प्रेग्नेंसी वेट और बॉडी मास इंडेक्स पर निर्भर करता है।
प्रीनेटल सप्लिमेंट्स (Prenatal supplements) के बारे में डॉक्टर से सलाह लें
आयरन डेफिसिएंशी एनीमिया जिसमें बॉडी में पर्याप्त मात्रा में आयरन नहीं होता है प्रेग्नेंसी में होना काफी आम है। जिसकी वजह से प्रीटर्म बर्थ या लो बर्थ वेट जैसी परेशानियां होती है। डॉक्टर इसका पता लगाने के लिए कुछ टेस्ट करवा सकते हैं साथ ही कुछ सप्लिमेंट्स रिकमंड कर सकते हैं। अगर आप वीगन हैं तो वे आपको विटामिन बी12 सप्लिमेंट्स भी दे सकते हैं।
डेंटल चेकअप (Dental checkup) है जरूरी
प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले हॉर्मोनल चेंजेस और बड़े हुए ब्लड फ्लो की वजह से मसूड़ों में सूजन या इंफेक्शन हो सकता है। अपनी प्रेग्नेंसी के बारे में डेंटिस्ट को जानकारी अवश्य दें, लेकिन रेगुलर चेकअप जारी रखें। कई महिलाओं को लगता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान डेंटल वर्क नहीं कराना चाहिए जो कि सही नहीं है।
उम्मीद करते हैं कि आपको प्रेग्नेंसी में भ्रूण के लिए जगह बनाने के लिए शरीर के अंगों में बदलाव (Changes in body organs to make room for the fetus) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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