वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक लोग यौन संक्रमण के शिकार तेजी से हो रहें हैं। गोनोरिया, क्लैमाइडिया, सिफलिस और ट्राइकोमोनिएसिस जैसे यौन संक्रमण लोगों के लिए गंभीर परेशानी बनते जा रही है। ऐसे में सेक्शुअल हेल्थ का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। आज इस आर्टिकल में क्लैमाइडिया (Chlamydia) और क्लैमाइडिया वैक्सीन (Chlamydia Vaccine) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी आपसे शेयर करेंगे।
क्लैमाइडिया क्या है? (What is Chlamydia?)
क्लैमाइडिया एक सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (Sexually Transmitted Infection (STI)) है, जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस (Chlamydia Trachomatis) बैक्टीरिया की वजह से होता है। क्लैमाइडिया होने पर यूरिनेशन (पेशाब करने दौरान) के वक्त दर्द महसूस होता है, सेक्शुअल इंटरकोर्स के दौरान दर्द होना, पीरियड्स के दौरान सामान्य से ज्यादा दर्द होना और पीला डिस्चार्ज होता है। यह बीमारी धीरे-धीरे पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज, क्रॉनिक पैल्विक पेन, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी या बांझपन का कारण बन सकती है। हालांकि महिलाएं ज्यादातर इसके लक्षण को समझ नहीं पाती हैं, जिससे उनकी परेशानी ज्यादा बढ़ने की संभावना बनी रहती है। इसी कारण इसे साइलेंट इंफेक्शन भी कहा जाता है। इस आर्टिकल में क्लैमाइडिया के लक्षण और कारणों को समझेंगे, लेकिन क्लैमाइडिया वैक्सीन से जुड़ी क्या है महत्वपूर्ण जानकारी समझ लेते हैं।
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क्लैमाइडिया वैक्सीन (Chlamydia Vaccine) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
क्लैमाइडिया वैक्सीन (Chlamydia Vaccine) की जरूरत क्या है?
रिसर्च के अनुसार 86 प्रतिशत पॉजिटिव ट्रायल रिपोर्ट भी आ चुके हैं, क्लैमाइडिया वैक्सीन (Chlamydia Vaccine) सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज से पीड़ित पेशेंट्स के लिए बेहद लाभकारी माने जा रहें हैं। हालांकि क्लैमाइडिया वैक्सीन के बाद महिलाओं में कुछ साइड इफेक्ट्स भी देखे गयें जैसे इंजेक्शन वाले एरिया पर और उसके आस पास दर्द होना त्वचा का कड़ा होना महसूस किया गया। दरसल वैक्सीन की वजह से शरीर में एंटीबॉडीज (antibodies) एवं टी-सेल्स (T-cells) बनाते हैं, जो क्लैमाइडिया से बचाये रखने में सहायक होता है। हालांकि अभी भी इसे आम लोगों तक पहुंचने में वक्त लग सकता है, क्योंकि अभी भी और इससे जुड़े और भी ट्रायल की जा रही है।
वैक्सीन से क्लैमाइडिया के इलाज के लिए रिसर्च जारी है, लेकिन इस तकलीफ से बचने के लिए या इसके लक्षणों को समझना बेहद जरूरी है। इस आर्टिकल में आगे समझेंगे क्लैमाइडिया के लक्षणों को।
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क्लैमाइडिया के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Chlamydia)
इसके लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- पीरियड्स के दौरान सामान्य से ज्यादा दर्द या ब्लीडिंग होना
- पेशाब करने के दौरान जलन महसूस होना
- शरीर का तापमान बढ़ना या बुखार आना
- लोअर बैक में दर्द होना
- पेट के निचले हिस्से में दर्द
- जी मिचलाना
- इंटरकोर्स के दौरान पेन होना
- वजायना से पीला डिस्चार्ज आना
इन लक्षणों के अलावा और भी लक्षण हो सकते हैं। जो इस प्रकार हैं:
- आंखों में जलन महसूस होना
- आंखों की रोशनी कम होना (देखने में कठिनाई होना)
- आंखें लाल होना
अगर आप ऊपर बताये लक्षणों को महसूस करती हैं, तो इसे इग्नोर ना करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करें।
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क्लैमाइडिया के क्या हैं कारण? (Cause of Chlamydia)
इस सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं। जैसे:
- क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस बैक्टीरिया के कारण इस इंफेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है।
- वैसे लोग जो जरूरत से ज्यादा यौन संबंध बनाते हैं।
- वजायनल, ओरल और एनल सेक्स करने वालों को यह समस्या ज्यादा होती है।
- रिसर्च के अनुसार अगर कोई महिला गर्भवती है और क्लैमाइडिया से पीड़ित हैं, तो जन्म लेने वाले नवजात में भी इस इंफेक्शन के होने की संभावना ज्यादा बनी रहती है।
- पहले कभी क्लैमाइडिया हुआ हो, तो दुबारा होने की संभावना ज्यादा रहती है।
प्रायः क्लैमाइडिया होने की संभावना ऊपर बताये कारणों पर ही निर्भर करती है। लेकिन कभी-कभी इसके कारण अलग भी हो सकते हैं।
क्लैमाइडिया के लक्षण, कारणों एवं क्लैमाइडिया वैक्सीन से जुड़ी जानकारी के अलावा मौजूदा वक्त में इसका इलाज कैसे किया जाता है? जिससे इस इंफेक्शन से बचा जा सके।
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क्लैमाइडिया का इलाज (Treatment of Chlamydia)
- क्लैमाइडिया के बैक्टीरिया को नष्ट करने के डॉक्टर सबसे पहले एंटीबायोटिक्स दवाएं प्रिस्क्राइब करते हैं।
- अजिथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन एंटीबायोटिक्स विशेष रूप से क्लैमाइडिया संक्रमण के इलाज के लिए उपयोग किए जाते हैं। साथ ही अन्य एंटीबायोटिक दवाओं का भी सफलतापूर्वक उपयोग किया जा सकता है। यह आपके हेल्थ एक्सपर्ट पर निर्भर करता है, क्योंकि पेशेंट की स्थिति को देखते हुए दवा लेने की सलाह दी जाती है।
- कुछ वक्त के लिए शारीरिक संबंध नहीं बनाने की सलाह दी जाती है।
- क्लैमाइडिया के इलाज के बाद और इलाज से 3 महीने के बाद फिर से टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है।
इन ऊपर बताये तरीकों से क्लैमाइडिया का इलाज किया जाता है। इसके अलावा पेशेंट्स की हेल्थ को देखते हुए डॉक्टर इलाज के लिए अन्य सलाह दे सकते हैं।
क्लैमाइडिया (Chlamydia) के पेशेंट्स को किन-किन चीजों से परहेज करना चाहिए?
इस तकलीफ को कम करने के लिए या इससे बचने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे:
- एल्कोहॉल का सेवन ना करें। अगर आप एंटीबायोटिक मेडिसिन ले रहें हैं, तो एल्कोहॉल से दूरी बनाये रहें।
- रेड मीट ना खाएं।
- मक्खन से परहेज करें।
- जंक फूड ना खाएं।
- प्रोसेस्ड फूड या पैक्ड ड्रिंकिंग प्रोडक्ट्स का सेवन ना करें
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क्लैमाइडिया के पेशेंट्स को किन-किन खाने-पीने की चीजों को रोजाना शामिल करना चाहिए?
क्लैमाइडिया (Chlamydia) की परेशानी को कम करने के लिए निम्नलिखित खाने-पीने की चीजों को रोजाना डायट में शामिल करें। जैसे:
- विटामिन-सी से भरपूर फल जैसे संतरा, स्ट्रॉबेरी, ताजी सब्जियां एवं अन्य खाद्य पदार्थ।
- क्लैमाइडिया के पेशेंट्स के लिए दही अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। दही के सेवन से इम्यून पवार भी स्ट्रॉन्ग होता है।
- हल्दी में मौजूद एंटीसेप्टिक और एंटीऑक्सिडेंट गुण इंफेक्शन से लड़ने में सहायक माना जाता है । इसलिए हल्दी वाली दूध का सेवन किया जा सकता है।
- लहसुन एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीप्रोटोजोल गुणों से भरपूर होता है। बैक्टीरियल इंफेक्शन को दूर करने के लिए लहसुन का सेवन किया जा सकता है। क्लैमाइडिया के पेशेंट को रोजाना 1 से 2 कच्चे लहसुन का सेवन करना चाहिए।
इन ऊपर बताये घरेलू उपायों को अपनाकर क्लैमाइडिया की परेशानी को कम किया जा सकता है।
अगर आप क्लैमाइडिया वैक्सीन (Chlamydia Vaccine) या इस इंफेक्शन से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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