एचआईवी और एड्स में अंतर क्या है? इसके बारे में शायद ही अधिकतर लोगों को पता हो। अकसर HIV (एचआईवी) और AIDS (एड्स) का नाम सुनते ही लोगों की भावना बदल जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लोगों में HIV और AIDS के बारे में जानकारी कम होती है। HIV जिसे ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस कहते हैं। इसी वायरस की वजह से एक्वायर्ड इम्यूनो-डिफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS) की बीमारी होती है। या आप यह भी कह सकते हैं की HIV एक वायरस है जिससे AIDS जैसी गंभीर बीमारी होती है। HIV और AIDS में अंतर होता है।
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समझें एचआईवी और एड्स में अंतर
किसी भी बीमारियों से लड़ने में इम्यून सिस्टम (Immune system) मददगार साबित होता है। लेकिन, एचआईवी (HIV) एक ऐसा वायरस है, जो सीधे मनुष्य के इम्यून सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। अगर कोई व्यक्ति एचआईवी (HIV) से संक्रमित होता है, तो मनुष्य बीमारियों से लड़ने में असमर्थ हो जाता है। अगर वक्त रहते एचआईवी (HIV) का इलाज नहीं किया जाता है, तो ऐसी स्थिति में AIDS का होना तय माना जाता है और यही एचआईवी और एड्स में अंतर को बताता है। यानि अगर समय रहते हैं एचआईवी का सही उपचार न कराया जाए, तो एड्स होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। दअरसल, HIV वायरस T सेल्स (T सेल्स लिम्फोसाइट का एक प्रकार है, जो थाइम्स ग्लैंड में हो सकता है) को नुकसान पहुंचाता है। यदि वक्त रहते HIV वायरस का इलाज नहीं किया गया शरीर में इंफेक्शन बढ़ने लगता है और AIDS का कारण बन सकता है।
एचआईवी और एड्स में अंतर पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
एक्सपर्ट्स का मानना है कि HIV और AIDS का कोई ऐसा इलाज नहीं है की पीड़ित व्यक्ति पूरी तरह निरोग हो जाए। लेकिन, इस बीमारी के होने के बावजूद भी पेशेंट स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
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एचआईवी और एड्स में अंतर क्या है?
ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (HIV)
- HIV एक वायरस है।
- HIV वायरस का असर इम्यून सिस्टम पर पड़ता है।
- HIV एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हो सकता है।
- जरूरी नहीं की HIV पीड़ित को AIDS हो।
एक्वायर्ड इम्यूनो-डिफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS)
- AIDS एक सिंड्रोम है।
- HIV वायरस के अत्यधिक बढ़े हुए स्टेज के बाद यह होता है।
- HIV इंफेक्टेड व्यक्ति को AIDS होने की संभावना ज्यादा होती है।
HIV (ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस) किन कारणों से होता है?
- HIV का सबसे मुख्य कारण असुरक्षित यौन संबंध की वजह से होता है।
- HIV इंफेक्टेड मां से बच्चों में इंफेक्शन हो सकता है।
- ब्रेस्ट फीडिंग की वजह से भी बच्चे में संक्रमण का खतरा हो सकता है। लेकिन, ऐसी स्थिति में डॉक्टर HIV पीड़ित महिला को कुछ दवाइयों की सलाह दे सकते हैं।
- एनल सेक्स (Anal sex) की वजह से HIV का खतरा बढ़ सकता है।
- हेट्रोसेक्शुअल, गे और बाइसेक्शुअल लोगों में HIV का खतरा होता है।
इनसभी कारणों की वजह से HIV होने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन, वक्त पर इलाज शुरू किया गया तो इससे बचा जा सकता है।
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HIV के लक्षण क्या हैं?
एचआईवी के निम्न लक्षण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हो सकते हैंः
थकावट महसूस होना
HIV पॉजिटिव होने पर शुरुआती लक्षणों में थकावट का एहसाह ज्यादा होने लगता है। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune power) कम होने की वजह से ऐसा होता है।
सिरदर्द होना
लगातार सिर में तेज दर्द होना भी शुरुआती HIV पॉजिटिव लक्षणों में एक हो सकता है।
बुखार होना
शरीर के तापमान का बढ़ना या फिर बार-बार बुखार होना। बुखार की वजह से सोते वक्त पसीना भी आता है।
चेहरे पर निशान आने
थकावट और लगातार सिर दर्द की वजह से नींद नहीं आना और ऐसे में चेहरे पर निशान आने लगते हैं। ये निशान ठीक भी नहीं होते हैं।
अचानक से वजन कम होना
शरीर में होने वाली अलग-अलग तरह की परेशानी की वजह से शरीर का वजन भी लगातार कम होते जाता है।
काम पर फोकस न कर पाना
लगातार शरीर में हो रही कमजोरी की वजह से किसी भी काम में ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है।
जोड़ों में दर्द की समस्या होना
ऐसा माना जाता है कि जोड़ों में दर्द सिर्फ वृद्धावस्था में ही शुरू होती है लेकिन, HIV पॉजिटिव के मरीजों में भी ये लक्षण देखने को मिलते हैं।
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HIV से बचाव कैसे किया जा सकता है?
एचआईवी से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि असुरक्षित तरीके से शारीरिक संबंध न बनाएं। सेक्स के दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें, जैसे:
- सेक्स करते समय हमेशा कंडोम का इस्तेमाल करें।
- सिर्फ एक ही व्यक्ति के साथ यौन संबंध (Sex relationship) रखें। यह भी ध्यान रखें की वह व्यक्ति HIV संक्रमित न हो।
- एल्कोहॉल और ड्रग्स का सेवन न करें। इससे आप सही निर्णय ले सकते हैं।
- HIV पॉजिटिव व्यक्ति के ब्लड के संपर्क में न आएं।
- अगर पहली बार शारीरिक संबंध बनाने जा रहे हैं, तो दोनों साथी को सबसे पहले अपना शारीरिक परीक्षण करवाना चाहिए और एचआईवी टेस्ट की भी जांच करवानी चाहिए।
- शुरुआती लक्षणों पर गौर करना समझदारी है। HIV या AIDS जैसी बीमारी होने पर या इसके लक्षण नजर आने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। कोई भी बीमारी होने पर डरने या शर्माने की बजाए डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करें।
एचआईवी और एड्स में अंतर से जुड़े मिथक
सामाजिक स्तर पर देखा जाए, तो अभी भी एचआईवी और एड्स में अंतर से जुड़े कई तरह के मिथक लोगों के बीच फैले हुए हैं। खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में। ग्रामीण स्तर में एचआईवी और एड्स (HIV and AIDS) को एक छुआछूत की बीमारी मानी जाती है। इसी कारण पीड़ित व्यक्ति को समय रहते उचित उपचार भी नहीं मिल पाता है। यही वजह भी है कि, उचित, आसान और सस्ते उपचार के विकल्पों के बाद भी ग्रामीम स्तरों में एचआईवी और एड्स से होने वाली मौतों का आंकड़ा अभी भी अधिक बना हुआ है।
हर किसी को एड्स होने का कारण एचआईवी नहीं हो सकता है
एक बात का ध्यान रखिए कि अगर कोई व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित है, तो यह जरूरी नहीं कि उसे एड्स हो। हालांकि, अगर उसे समय रहते उचित उपचार न मिले तो एचआईवी एड्स का कारण बन सकती है। हालांकि, इसके अलावा कई लोगों को एचआईवी का संक्रमण न होने पर भी एड्स हो सकता है। ऐसा तभी होता है, जब कोई स्वस्थ्य व्यक्ति एचआईवी संक्रमित से असुरक्षित सेक्स करे।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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