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बाइसेक्शुअल और बाइसेक्शुअलिटी क्या है? जानें इससे जुड़े मिथ भी

बाइसेक्शुअल और बाइसेक्शुअलिटी क्या है? जानें इससे जुड़े मिथ भी

बाइसेक्शुअल शब्द भारतीय न्यायपालिका द्वारा धारा 377 हटाने के बाद ज्यादा प्रचलित हो गया। बाइसेक्शुअल होना समाज में बुरी बात नहीं है। ये व्यक्ति के लैंगिक रूचि का एक हिस्सा है। जैसे समाज में एक प्रचलन चला आया है कि प्यार या लैंगिक संबंध एक पुरुष और महिला के ही बीच में हो सकता है, तो ऐसा नहीं है। पुरुष महिला और पुरुष दोनों से प्यार कर सकता है, वहीं महिला भी पुरुष और महिला दोनों से प्यार कर सकती है। बाइसेक्शुअल होना एक व्यवहार ही नहीं, बल्कि एक पर्सनैलिटी भी है। आइए जानते हैं बाइसेक्शुअल से जुड़े सभी पहलुओं के बारे में। 

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बाइसेक्शुअलिटी क्या है?

बाइसेक्शुअलिटी एक व्यक्ति में तब पाई जाती है, जब उसे एक से ज्यादा लिंग के व्यक्तियों में रुचि होती है। उदाहरण के तौर पर अगर एक पुरुष है तो जरूरी नहीं कि उसे सिर्फ महिला में ही इंटरेस्ट हो। ऐसा भी हो सकता है कि उसे महिला और पुरुष दोनों में इंटरेस्ट हो। इसलिए बाइसेक्शुअल लोगों को शारीरिक, लैंगिक और भावनात्मक तौर पर महिला और पुरुष दोनों से आकर्षण होता है। कुछ अन्य मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि व्यक्ति का आकर्षण दोनों लिंग के व्यक्ति के लिए हो सकता है, लेकिन वह सेक्स सिर्फ एक के साथ करना पसंद करता है, लेकिन इससे इतर ऐसा भी होता है कि वे अपने आकर्षण, रूचि और लगाव के आधार पर समान या विपरीत लिंग के व्यक्ति के साथ जुड़ सकते हैं। 

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 बाइसेक्शुअल कौन होते हैं?

कौन व्यक्ति बाइसेक्शुअल है, ये जातीय, सामाजिक-आर्थिक समूहों और उम्र पर निर्भर नहीं करता है। बाइसेक्शुअल लोग भी हमारी आपकी तरह सामान्य जीवन जीते हैं, बस उनकी सेक्स रूचि हमारी रूचि से थोड़ी अलग रहती है। हालांकि बाइसेक्शुअल लोगों की संख्या कम है, लेकिन एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि लगभग 50 फीसदी लोग बाइसेक्शुअल होते हैं। बस वो खुद को समाज के सामने जाहिर करने से डरते हैं। आपको बता दें कि बाइसेक्शुअलिटी के लिए कोई उम्र नहीं कुछ लोगों को ये बात किशोरावस्था में पता चल जाती है, तो कुछ लोगों को वयस्क होने पर। 

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क्या एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी बाइसेक्शुअल हो सकता है?

हां, एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी बाइसेक्शुअल हो सकता है। क्योंकि सेक्शुअल ओरिएंटेशन ही व्यक्ति की कामुक इच्छा या रोमांटिक अट्रैक्शन और जेंडर आईडेंटिटी व्यक्ति की रूचि को बताता है। जिससे एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी गे, लेसबियन, स्ट्रेट या अन्य सेक्सुअल ओरिएंटेशन के साथ यौन संबंध स्थापित करने में रूचि रख सकता है।  

बाइसेक्शुअल लोगों को ज्यादा स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं

अक्सर देखा गया है कि सामान्य लोगों की तुलना में बाइसेक्शुअल लोगों को स्वास्थ्य समस्याएं ज्यादा होती हैं। 2019 में हुई एक स्टडी में अलग-अलग सेक्सुअल ओरिएंटेशन और बैकग्राउंड के लोगों को शामिल किया गया। जिन्हें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थी। उदाहरण के तौर पर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या, अर्थराइटिस और मोटापा ज्यादातर बाइसेक्शुअल महिला और पुरुष में था। इसके अलावा जो महिलाएं बाइसेक्शुअल होती है, उनका स्वास्थ्य खराब रहता है। वहीं, पुरुषों में कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और कार्डियोवैस्कुलर आदि परेशानियां हो सकती है। 

 उभयलिंगी महिलाओं और ट्रांसजेंडर लोगों में खराब स्वास्थ्य के साथ डिप्रेशन और सुसाइड जैसी समस्या भी देखी गई हैं। 

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बाइसेक्शुअल लोगों को ज्यादा स्वास्थ्य समस्याएं क्यों होती हैं?

बाइसेक्शुअल लोगों के स्वास्थ्य पर रिसर्च किया गया, जिसमें ये बात सामने आई कि समाज के कारण वे काफी तनाव से गुजरते हैं। जिसमें उन पर इस बात का तनाव रहता है कि समाज उन्हें स्वीकारेगा या नहीं। कुछ मामलों में ये बात भी सामने आई है कि वे परिवार या समाज के दबाव में खुद को एक्सपोज नहीं कर पाते हैं, जिस कारण वे अवसाद के शिकार होते हैं। समाज में एक स्टीरियोटाइप मान्यता है कि बाइसेक्शुअल महिलाएं स्वच्छंद होती हैं, तो पुरुष एचआईवी के वाहक होते है। इन कारणों से ऐसे लोगोंं पर सामाजिक दबाव बहुत अधिक होता है और वे खुद को समाज के सामने स्वीकार नहीं पाते हैं। ऐसे में जब मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है, तो शारीरिक स्वास्थ्य भी खुद बखुद प्रभावित होता है। 

बाइसेक्शुअल महिला अगर किसी महिला के साथ रिलेशनशिप में है, लेकिन किसी पुरुष के साथ भी सेक्स कर चुकी है और किसी भी तरह के गर्भ निरोध का इस्तेमाल नहीं किया है या उसे सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन की जानकारी नहीं है। ऐसे में महिला ये सोचती है कि वह एक लेस्बियन है और वह गर्भवती नहीं हो सकती है या उसे कोई सेक्सुअल डिजीज नहीं हो सकती है। इस धारणा के चलते ही महिला STI की शिकार हो सकती है। 

इसके अलावा मेंटल हेल्थ को समाज की सोच हानि पहुंचाती है। इस स्थिति में व्यक्ति को मजबूती के साथ खुद को समाज के सामने उभयलिंगी के रूप में एक्सपोज करना चाहिए। ना कि खुद को एकांतवास या समाज से अलग-थलग रखना चाहिए। इससे उभयलिगीं व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। 

बाइसेक्शुअल लोगों को क्या करना चाहिए?

अगर आप बाइसेक्शुएलिटी से संबंधित हैं तो आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर कर सकते हैं : 

  • आपको ऐसे लोगों या ग्रुप से जुड़ना चाहिए, जो बाइसेक्शुएलिटी को सपोर्ट करते हो। इसके अलावा आप ऐसे लोगों के साथ भी संपर्क कर सकते हैं, जो खुद बाइसेक्शुअल हो। इससे आप लोग मिल कर स्ट्रेस से निकलने का रास्ता निकाल सकते हैं। 
  • इसके अलावा अपना रेगुलर चेकअप कराते रहें। शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की जांचों में आप ईमानदारी से डॉक्टर को हर बात बताएं, ताकि वे आपकी केयर ज्यादा अच्छे से कर सके। 

अगर आप बाइसेक्शुअल नहीं हैं, तो आप बाइसेक्शुअल लोगों को सपोर्ट कर सकते हैं :

  • आप बाइसेक्शुअल लोगों को मानसिक और सामाजिक रूप से सपोर्ट कर सकते हैं। 
  • दूसरे लोगों को आप बाइसेक्शुएलिटी के लिए शिक्षित कर सकते हैं। लोगों के मन से पुरानी धारणाओं को खत्म करें और बताएं कि वे भी सभी तरह एक सामान्य इंसान हैं। 

बाइसेक्शुअलिटी से जुड़े मिथ्स

बाइसेक्शुअल लोग निर्णय नहीं ले पाते हैं

समाज में एक मान्यता है कि किसी भी व्यक्ति में विपरीत लिंग के लिए सेक्शुअल अट्रैक्शन होता है। बस यही कारण है कि सामाजिक प्रेशर के कारण बाइसेक्शुअल लोग खुद को समाज के सामने एक्सपोज नहीं कर पाते हैं। इसलिए लोग समझते हैं कि उभयलिंगी लोग जेंडर को लेकर कंफ्यूज रहते हैं। 

बाइसेक्शुअल लोग उभयलिंगी दिखते हैं

लोगों की मान्यता है कि बाइसेक्शुअल लोग अपने पहनावे, व्यवहार या लुक्स के आधार पर पहचाने जा सकते हैं। जबकि ऐसा नहीं है, ये व्यक्ति की एक व्यक्तिगत रूचि का हिस्सा है। अगर वो चाहे तो कुछ भी वेशभूषा अपना सकता है। 

बाइसेक्शुअलिटी से एड्स फैलता है

लोगों में एक मिथ है कि बाइसेक्शुअलिटी से एचआईवी फैलता है। जबकि हकीकत ये है कि बाइसेक्शुअलिटी से नहीं, बल्कि अनसेफ सेक्स करने से एचआईवी एड्स होता है। इसके अलावा असुरक्षित यौन संबंध स्थापित करने से सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज भी होती है। 

हमें उम्मीद है कि बाइसेक्शुअल और बाइसेक्शुअलिटी पर आधारित यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा। 

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Bisexuality https://www.betterhealth.vic.gov.au/health/healthyliving/bisexuality Accessed on 20/3/2020

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Bisexuality https://www.sciencedaily.com/terms/bisexuality.htm Accessed on 20/3/2020

Current Version

11/09/2020

Shayali Rekha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nidhi Sinha


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

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Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 11/09/2020

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