6.पीरियड्स में सेक्स
सेक्स मनोवैज्ञानिक का कहना है कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं में सेक्स की इच्छा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है लेकिन, इस दौरान सेक्स करना कई तरह की परेशानियां खड़ी कर सकती है। इसके अलावा, कई महिलाओं को यह भी डर रहता है कि पीरियड में सेक्स नहीं करना चाहिए, इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
7.डिस्मॉर्फिया
डिस्मॉर्फिया, यानी एक ऐसी स्थिति जिसमें महिलाओं को अपने ही शरीर के बनावट और आकार से शर्म महसूस हो सकती है। इसके कारण वो सेक्स करने के लिए तैयार तो हो जाती है, लेकिन सेक्स के दौरान उनके मन में यह बात चलती रहती है कि वो बिना कपड़ों के कैसी दिख रही होंगी या निजी अंग कैसे हैं या उनके शरीर के आकार, बनावट या रंग को लेकर उनका साथी उनके बारे में कैसा महसूस कर रहा होगा। डिस्मॉर्फिया की स्थिति होने के कारण कई महिलाएं चिंता और डिप्रेशन में भी जा सकती है। इसके कारण वो न सिर्फ सेक्स से डर महसूस करती हैं, बल्कि जीवन में कभी भी सेक्स का अनुभव भी नहीं महसूस कर पाती हैं। साथ ही, इनमें सेक्स के लिए उत्साह भी नहीं होता है।
8.जेनोफोबिया
जेनोफोबिया (Genophobia) भी महिलाओं में सेक्स से डर लगने का एक बड़ा कारण हो सकता है। यह बिल्कुल ठीक उसी तरह का फोबिया होता है, जैसे किसी को ऊंचाई से डर, तो किसी को पानी से डर का फोबिया। जेनोफोबिया होने के कारण लोगों को यौन संबंधों, संभोग, सेक्स या यौन अंतरंगता का डर हमेशा सताता रहता है। यहां तक की न ही वो किसी के सामने सेक्स से जुड़ी बातें करते हैं और न ही कभी अकेले में भी इसके बारे में कोई विचार करते हैं। इसे कोइटोफोबिया (coitophobia) के रूप में भी जाना जाता है। हालांकि, जेनोफोबिया से पीड़िता महिला या पुरुष सिर्फ सेक्स से डर महसूस कर सकते हैं। इसके अलावा किस करना या हग करने जैसे किसी अन्य स्थिति में यह साधारण ही महसूस करते हैं।