[mc4wp_form id=”183492″]
लक्षण
सोरायसिस (Psoriasis) के लक्षण क्या है?
सोरायसिस के लक्षण निम्न हो सकते हैं :
कारण
सोरायसिस होने का कारण क्या है?
सोरायसिस होने के पीछे का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। जैसा कि सोरायसिस एक ऑटोइम्यून डिजीज है, इसलिए ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि सोरायसिस के लिए इम्यून सिस्टम और जेनेटिक दोनों कारण जिम्मेदार हैं। सोरायसिस में इम्यून सिस्टम में बनने वाली ब्लड सेल्स, जिसे टी-सेल्स भी कहा जाता है। किन्हीं कारणों से स्वस्थ त्वचा की कोशिकाओं पर हमला करने लगती है। जिस कारण यह सोरायसिस हो सकता है। वहीं, माता-पिता में भी अगर सोरायसिस की समस्या है, तो बच्चे में जीन्स के द्वारा जाने की संभावना ज्यादा होती है।
और पढ़ें: घुटनों में दर्द का आयुर्वेदिक इलाज कैसे किया जाता है?
इलाज
सोरायसिस का आयुर्वेदिक इलाज या उपचार क्या है?
सोरायसिस का आयुर्वेदिक इलाज के लिए पहले आयुर्वेदिक थेरेपी का सहारा लिया जा सकता है। इसके साथ ही जड़ी-बूटियों और औषधियों के द्वारा भी सोरायसिस का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है :
सोरायसिस का आयुर्वेदिक इलाज थेरेपी या कर्म के द्वारा
सोरायसिस का आयुर्वेदिक इलाज निम्न कर्म या थेरेपी के द्वारा किया जाता है :
1- शोधन विधि या शुद्धिकरण कर्म
शोधन विधि के अंतर्गत कई तरह के कर्म किए जाते हैं। जैसे- वमन कर्म, विरेजन कर्म, रक्तमोक्षण कर्म :
वमन कर्म
वमन कर्म में उल्टी कराई जाती है। वमन कर्म औषधियों के द्वारा उल्टी करवाई जाती है। ये पंचकर्म थेरेपी के अंतर्गत किया जाने वाला कर्म है। इससे शरीर के अंदर से टॉक्सीन निकालने का काम किया जाता है। वमन से निकाले जाने वाले टॉक्सीन से स्किन प्रॉब्लम को ठीक किया जा सकता है। जैसे- एग्जिमा, सोरायसिस और सफेद दाग का इलाज वमन के द्वारा किया जा सकता है। लेकिन किसी भी गर्भवती महिला, पेट संबंधी समस्याओं से परेशान व्यक्ति को वमन कर्म नहीं कराना चाहिए। वमन के लिए नमक का पानी और मुलेठी का सेवन करा के उल्टी कराई जाती है। इसके अलावा नीम, पिप्पली जैसी कड़वी जड़ी-बूटियों का सेवन करा के भी उल्टी कराई जाती है।
रक्तमोक्षण
रक्तमोक्षण कर्म के द्वारा शरीर के अशुद्ध रक्त को स्रावित कराया जाता है। जिससे शरीर से टॉक्सिक ब्लड निकल जाता है, जिससे त्वचा संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है। लेकिन पीरियड्स में या गर्भवती महिला को रक्तमोक्षण कर्म नहीं कराना चाहिए।
विरेचन कर्म
विरेचन कर्म का मतलब है कि मल के द्वारा शरीर से टॉक्सिन को निकालना। इसे त्वचा पर रैशेज को ठीक करने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही त्वचा के चकत्ते भी ठीक किए जाते हैं। विरेचन कर्म में कड़वी जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें एलोवेरा, शहद आदि का इस्तेमाल किया जाता है।
2- तेल लगाना
तेल लगाने के कर्म को स्नेहन कर्म कहते हैं। इस थेरेपी में त्वचा को मुलायम बनाने के लिए तेल से शरीर पर मालिश की जाती है। इस प्रक्रिया में तेल और घी का प्रयोग किया जाता है, जिसे गर्म कर के शरीर की मालिश की जाती है।
3- रक्त शोधन
रक्त शोधन को आप ब्लड प्यूरिफाई से समझ सकते हैं। रक्त शोधन विधि के द्वारा शरीर को पूरी तरह से साफ किया जाता है। क्योंकि आयुर्वेद में सोरायसिस को रक्त की अशुद्धि के कारण होना भी माना गया है। ऐसे में ब्लड को प्यूरिफाई करने से ही सोरायसिस में राहत मिलती है।
4- लेपन विधि
सोरायसिस के इलाज लिए लेपन विधि का उपयोग भी करते हैं। इसके लिए औषधि और घी व तेल के साथ पेस्ट बना कर सोरायसिस से प्रभावित स्थान पर लगाने से आराम मिलता है।
और पढ़ें: बुखार का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?
सोरायसिस का आयुर्वेदिक इलाज जड़ी-बूटियों के द्वारा
सोरायसिस का आयुर्वेदिक इलाज निम्न जड़ी-बूटियों के द्वारा किया जाता है :