सोरायसिस का आयुर्वेदिक इलाज जड़ी-बूटियों के द्वारा
सोरायसिस का आयुर्वेदिक इलाज निम्न जड़ी-बूटियों के द्वारा किया जाता है :
गिलोय
आयुर्वेद में गिलोय एक इम्यून बूस्टर के रूप में जाना जाता है। ये रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करता है, जिससे स्किन संबंधी समस्याओं में भी निजात मिलती है। गिलोय अर्क, पाउडर, टैबलेट आदि के रूप में भी पाया जाता है। इसे आप शहद या गुनगुने पानी के साथ खा सकते हैं। इससे सोरायसिस में आराम मिलता है।
हल्दी
हल्दी एक एंटी-बैक्टीरियल जड़ी-बूटी है। हल्दी प्राकृतिक एंटीबायोटिक भी है। हल्दी को त्वचा के लिए एक बेहतरीन दवा मानी जाती है। घाव से लेकर किसी भी तरह की चोट के इलाज के लिए हल्दी का उपयोग होता है। हल्दी पाउडर को दो से तीन हफ्ते तक रोजाना तीन बार पीने से सोरायसिस में राहत मिलती है। इसके लिए आप अने डॉक्टर से परामर्श जरूर ले लें।
मंजिष्ठा
मंजिष्ठा को नैचुरल ब्लड प्यूरिफायर के रूप में जाना जाता है। मंजिष्ठा ब्लड फ्लो को ठीक करने के साथ ही स्किन डिजीज में भी राहत पहुंचाता है। स्कार या चोट के निशानों को मिटाने के लिए मंजिष्ठा का प्रयोग किया जाता है। वहीं, त्वचा को निखारने के लिए भी मंजिष्ठा का इस्तेमाल किया जाता है। मंजिष्ठा का काढ़ा, पाउडर के रूप में मौजूद होता है। इसे शहद या गुनगुने पानी के साथ पीया जा सकता है। इसका काढ़ा बना कर भी सेवन करने से आराम मिलता है।
सोरायसिस का आयुर्वेदिक इलाज औषधियों के द्वारा
सोरायसिस का आयुर्वेदिक इलाज निम्न औषधियों के द्वारा किया जाता है :
कैशोर गुग्गुल
कैशोर गुग्गुल त्वचा पर मौजूद स्कार और घावों को भरने में मददगार होते हैं। कैशोर गुग्गुल पित्त दोषों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली औषधि है। ये टैबलेट के रूप में पाया जाता है, जिसका सेवन गुनगुने पानी के साथ दो से तीन हफ्ते तक दिन में दो बार करने से सोरायसिस में आराम मिलता है। लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह के इसका सेवन न करें।
आरोग्यवर्धिनी वटी
आरोग्यवर्धिनी वटी बाजार में इसी नाम से पाई जाती है। ये कफ, वात और पित्त सभी तरह के दोषों को ठीक करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। ये त्रिफला, गुग्गुल, तांबे का भस्म, शिलाजीत, लोहे का भस्म आदि से मिल कर बनी होती है। इससे त्वचा संबंधी रोगों में राहत मिलती है।
मंजिष्ठा क्वाथ
मंजिष्ठा की जड़ के काढ़े को मंजिष्ठा क्वाथ कहते हैं। ये सोरायसिस और कई तरह के इंफेक्शन को दूर करने के काम आती है। ये ब्लड प्यूरिफाई भी करता है। मंजिष्ठा क्वाथ को दो से तीन हफ्ते तक दिन में दो से तीन बार डॉक्टर के परामर्श पर लें।
खदिरारिष्ट
खदिरारिष्ट में माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं। ये त्वचा संबंधी रोगों को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है। डॉक्टर के परामर्श के आधार पर खदिरारिष्ट का सेवन करें।
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साइड इफेक्ट
सोरायसिस का आयुर्वेदिक इलाज में प्रयोग होने वाली औषधियों से कोई नुकसान हो सकता है?
- अगर आपको पीलिया या हेपेटाइटिस की समस्या है, तो हल्दी का प्रयोग करने से नुकसान हो सकता है।
- अगर आप गर्भवती हैं या बच्चे को स्तनपान करा रही हैं, तो भी सोरायसिस का आयुर्वेदिक इलाज में प्रयुक्त की जाने वाली कोई भी दवा या जड़ी-बूटी का सेवन बिना डॉक्टर के परामर्श के ना करें। इससे मां और बच्चे दोनों को नुकसान हो सकता है।