backup og meta

विटामिन-ई की कमी को न करें नजरअंदाज, डायट में शामिल करें ये चीजें

विटामिन-ई की कमी को न करें नजरअंदाज, डायट में शामिल करें ये चीजें

हमारे शरीर में हर विटामिन की जरूरत होती है। इन्हीं में से एक विटामिन-ई भी है। विटामिन-ई की कमी होने पर कई तरह की शारीरिक समसम्या हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि विटामिन-ई की कमी शरीर में होने न दी जाए। विटामिन-ई एक विटामिन है, जो फैट में घुलनशील है। यह कई प्रकार के फूड्स जैसे वेजेटेबल ऑयल्स, सेरेल्स, मीट, पोल्ट्री, अंडा, फल, सब्जियों और गेहूं के तेल में पाया जाता है। बाजार में यह सप्लिमेंट के तौर पर खरीद के लिए उपलब्ध है।

हालांकि, अल्फा टोकोफेरोल (alpha-tocopherol), जो विटामिन-ई की एक फॉर्म है, उसका इस्तेमाल मानव शरीर में होता है। यह एंटी-ऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करता है। विटामिन-ई बॉडी में फ्री रेडिकल्स को रोकता है, जो कोशिकाओं को नष्ट करते हैं। विटामिन मानव प्रतिरक्षा तंत्र को बढ़ाता है और दिल की धमनियों में खून के थक्के बनने से रोकता है।

एंटी-ऑक्सिडेंट में विटामिन-ई को मिलाकर लोगों का ध्यान उस वक्त इसकी तरफ आया था, जब वैज्ञानिकों ने यह समझना शुरू किया कि फ्री रेडिकल्स आर्ट्री क्लोगिंग एथरोस्केलरोसिस (artery-clogging atherosclerosis) (धमनियों में ब्लड क्लॉटिंग होना) के शुरुआती चरण में कोशिकाओं को नष्ट करते हैं और यह कैंसर, दृष्टि हीनता और अन्य गंभीर समस्याओं का कारण बनते हैं।

विटामिन-ई में बॉडी को फ्री रेडिकल्स से सुरक्षित रखने की योग्यता होती है। साथ ही यह पूरी तरह से फ्री रेडिकल्स का प्रोडक्शन रोक सकता है। हालांकि, कुछ अध्ययनों में पुरानी बीमारियों को रोकने के लिए विटामिन-ई के हाई डोज को इस्तेमाल करने में इसकी क्षमता को कमतर आंका गया है।

विटामिन-ई का सामान्य लेवल क्या है?

  • आमतौर पर विटामिन-ई का सामान्य स्तर 5.5–17 मिलीग्राम प्रति लीटर (mg/L) होता है। हालांकि प्रीमेच्योर नवजात और 17 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए यह लेवल अलग हो सकता है। साथ ही विभिन्न प्रयोगशालाओं में विटामिन-ई का सामान्य लेवल भी अलग हो सकता है।
  • जब किसी वयस्क  के ब्लड में 4 mg/L से कम विटामिन-ई होता है तो तब उसे विटामिन-ई के सप्लिमेंटेशन की जरूरत पड़ती है।

विटामिन-ई की कमी के संकेत और लक्षण क्या हैं?

विटामिन-ई की कमी से निम्नलिखित स्थितियां या समस्याएं पैदा होती हैं:

  • मांसपेशियों में कमजोरी: हमारे केंद्रीय स्नायुतंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) के लिए विटामिन-ई जरूरी होता है। यह बॉडी के एंटी-ऑक्सिडेंट्स में से एक होता है, जिसकी कमी के परिणामस्वरूप ऑक्सिडेटिव तनाव पैदा होता है। इस तरह विटामिन-ई की कमी होने पर मांसपेशियों में कमजोरी आती है।
  • कॉर्डिनेशन और चलने में परेशानी: विटामिन-ई की कमी के चलते कुछ प्रकार के न्यूरॉन्स, जिन्हें पुरकिंजे न्यूरॉन्स (Purkinje neurons) का विघटन होता है। इससे इनकी संकेतों को भेज पाने की क्षमता को नुकसान पहुंचता है। परिणामस्वरूप चलने और कॉर्डिनेशन में समस्या पैदा होती है।
  • सुन्नता और कंपकंपी: नर्व फाइबर के नष्ट होने से नर्व से संकेत उचित तरीके से नहीं जाते हैं, जिससे कंपकंपी और सुन्नता पैदा होती है, जिसे पेरिफेरल न्यूरोपेथी (peripheral neuropathy) कहते हैं।
  • दृष्टि खराब होना या दृष्टि हीनता: विटामिन-ई की कमी से रेटिना और आंख की अन्य कोशिकाओं में लाइट रिसेप्टर्स कमजोर हो जाते हैं। इससे समय के हिसाब से दृष्टि चली जाती है।
  • इम्यून सिस्टम की समस्याएं: कुछ अध्ययनों में सुझाव दिया गया है कि विटामिन-ई की कमी से इम्यून कोशिकाएं रुक जाती हैं। इसमें अधिक उम्र के वयस्कों को अधिक खतरा रहता है।
  • नवजात और प्रीटर्म शिशु, जिनका वजन और बॉडी में कम फैट होता है, उनमें विटामिन-ई की कमी पाई जाती है।
  • प्रीटर्म शिशुओं को विटामिन-ई की कमी का खतरा होता है, क्योंकि उनका पाचन तंत्र परिपक्व नहीं होता है, जो विटामिन-ई और फैट को सोखने की प्रक्रिया में मुश्किल पैदा कर सकता है। इस प्रकार के शिशुओं को हेमोलिक्टिक एनीमिया का खतरा रहता है, जो उनकी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर देता है।
  • मांसपेशियों की कमजोरी और कॉर्डिनेशन के साथ समस्याएं न्यूरोलॉजिकल लक्षण हैं, जो सेंट्रल और पेरिफेरल नर्वस सिस्टम के नष्ट होने का संकेत देते हैं।
  • पेरिफेरल सिस्टम दिमाग और स्पाइनल कॉर्ड के बाहर स्थित नर्व्स का एक नेटवर्क है। इसमें मौजूद न्यूरॉन्स पूरी बॉडी में संकेतों को भेजने का कार्य करते हैं।
  • सेंट्रल नर्वस सिस्टम मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड के बीच में संचार करता है। न्यूरॉन्स के ज्यादातर कवर या शीत्स फैट्स से बने होते हैं। जब बॉडी में विटामिन-ई की कमी होती है, तब इनमें मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट भी कम हो जाते हैं। इन फैट्स को सुरक्षा प्रदान नहीं कर पाते हैं और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचता है।

और पढ़ें : Vitamin A : विटामिन ए क्या है? जानिए इसके उपयोग, साइड इफेक्ट्स और सावधानियां

विटामिन-ई की कमी के कारण क्या हैं?

जेनेटिक कारण

अक्सर कुछ परिवारों में विटामिन-ई की कमी होती है। पारिवारिक मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता चलने से कुछ दुर्लभ और जेनेटिक बीमारियों के इलाज में सहायता मिलती है। यह जन्मजात एबिटालिपोप्रोटीनेमिया (abetalipoproteinemia) और फेमिलिआल आइसोलेटेड विटामिन-ई की कमी होती हैं। यह दोनों ही स्थितियां पुरानी होती हैं। इनके नतीजतन बॉडी में विटामिन-ई का स्तर बेहद ही कम होता है।

मेडिकल कंडिशन

  • विटामिन-ई की कमी से कई प्रकार की बीमारियां होती हैं, जो बॉडी में फैट के सोखने की क्षमता को बुरी तरह प्रभावित करती हैं। बॉडी में फैट को सोखने की क्षमता पहले ही कम हो जाती है और इसे विटामिन-ई को उचित ढंग से सोखने के लिए फैट की जरूरत पड़ती है।
  • पेनक्रिया की पुरानी बीमारी (Chronic pancreatitis)।
  • सीलिएक रोग (Celiac disease) (एक ऐसी बीमारी जब छोटी आंत ग्लूटेन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाती है।)
  • कोलेस्टेटिक लिवर डिजीज (लिवर से पित्त के प्रवाह में कमी आना या प्रभावित होना)।
  • सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic fibrosis) (फेफड़ों और डाइजेस्टिव ट्रैक की एक घातक बीमारी।)

और पढ़ें : Calcium Pantothenate: कैल्शियम पैंटोथेनेट क्या है? जानिए इसके उपयोग, साइड इफेक्ट्स और सावधानियां

विटामिन-ई की कमी कैसे दूर करें?

बॉडी में विटामिन-ई के इलाज के पहले चरण में खान पान आता है। यह संभव है कि आपके खान पान में विटामिन-ई की मात्रा कम हो। इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। हालांकि, विटामिन ई के सप्लिमेंटशन का इस्तेमाल करने से आपको कुछ नुकसान भी पहुंच सकते हैं। ऐसे में बेहतर रहेगा कि आप हेल्दी डायट में विटामिन-ई से भरपूर फूड्स को शामिल करें।

विटामिन-ई की कमी न हो उसके लिए डायट में विटामिन-ई को ऐसे शामिल करें:

  • नट्स और शीड्स जैसे बादाम, सनफ्लॉवर सीड्स, मूंगफली और पीनट बटर
  • साबुत अनाज
  • सब्जियों का तेल विशेषकर ऑलिव और सनफ्लॉवर ऑयल
  • हरी पत्तेदार सब्जियां
  • अंडा
  • फोर्टिफाइड दलिया
  • कीवी
  • आम
  • सोयाबीन ऑयल
  • बीट ग्रीन्स
  • कॉलर्ड ग्रीन्स
  • पालक
  • कद्दू
  • रेड बेल पेपर
  • एवोकाडो

सप्लिमेंटेशन

  • सप्लिमेंटेशन डायट में विटामिन-ई और खनिजों का शामिल करने का सबसे लोकप्रिय तरीका है। हालांकि, विटामिन-ई के सप्लिमेंट्स का इस्तेमाल करते वक्त आपको एहतियात बरतना चाहिए।
  • विटामिन-ई के सप्लिमेंट्स को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने नियमित नहीं किया है। ऐसे में इनकी गुणवत्ता और इनग्रीडिएंट्स का आंकलन करना थोड़ा मुश्किल होगा।
  • यहां तक कि यदि आप  विटामिन-ई की कमी होने पर किसी प्रचलित ब्रांड का विटामिन-ई सप्लिमेंट लेते हैं तो वह आपकी मौजूदा दवाइयों के कार्य करने के तरीके में हस्तक्षेप कर सकता है।
  • विटामिन-ई के सप्लिमेंट्स कितने सुरक्षित हैं, इस सवाल का जवाब देने के लिए शोधकर्ताओं ने कई अध्ययनों के नतीजों का एक साथ विश्लेषण किया है। एक विश्लेषण में शोधकर्ता ने विटामिन-ई के 19 क्लीनिकल ट्रायल्स के आंकड़े एकत्रित करके उनका पुनः विश्लेषण किया। इसमें जीआईएसएसआई और होप शोध (GISSI, HOPE) का शामिल किया। शोधकर्ताओं ने अपने विश्लेषण में पाया कि जिन लोगों ने 400 UI से ज्यादा प्रतिदिन विटामिन-ई के सप्लिमेंट्स का सेवन किया, उनमें मृत्यु दर सबसे अधिक थी। इन अध्ययनों में विटामिन-ई और बीटा-केरोटीन को एक साथ मिलाकर सेवन किया गया, जो अधिक मृत्यु दर से जुड़ा पाया गया। हालांकि, अभी भी इस पर आम सहमति नहीं बन पाई है।

विटामिन-ई निम्नलिखित दवाइयों के कार्यों को प्रभावित कर सकता है:

  • ब्लड क्लॉटिंग को धीमा करने वाली दवाइयां (Anticoagulants)
  • एंटीप्लेटलेट्स दवाइयां
  • सिमवास्टेटिन (Simvastatin)
  • नायसिन (Niacin)
  • कीमोथेरिपी में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां
  • रेडियोथेरिपी में इस्तेमाल होने वासी दवाइयां

प्रतिदिन कितने विटामिन-ई की जरूरत होती है?

अडल्ट्स और 14 और इससे अधिक उम्र के लोगों को प्रतिदिन 15 मिलिग्राम (एमजी) विटामिन-ई की जरूरत होती है।

इस उम्र से कम उम्र के बच्चों को कम डोज की जरूरत होती है:

  • 1-3 वर्ष: 6 मिलीग्राम प्रतिदिन
  • 4-8 वर्ष: 6 मिलीग्राम प्रतिदिन
  • 9-13 वर्ष: 6 मिलीग्राम प्रतिदिन

ब्रेस्टफीडिंग: स्तनपान करा रहीं महिलाओं को प्रतिदिन 19 मिलीग्राम विटामिन-ई की जरूरत होती है।

रोजाना की डायट में कुछ फूड्स को मिलाकर आप विटामिन-ई की प्रतिदिन की खुराक ले सकते हैं। उदाहरण के लिए नीचे एक सूची दी गई है:

  • एक औंस सनफ्लॉवर सीड्स में 7.4 mg विटामिन-ई होता है।
  • दो चम्मच पीनट बटर में 2.9 mg विटामिन-ई होता है।
  • आधा कप पालक में 1.9 mg विटामिन-ई होता है।

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन एंटी-ऑक्सिडेंट्स को मिलाकर विटामिन-ई लेने का सुझाव देता है। संगठन संतुलित आहार जिसमें फल, सब्जियां और साबुत अनाज ज्यादा हों, इसकी सलाह देता है। अमेरिकी संगठन सप्लिमेंट्स के जगह नैचुरल तरीके से विटामिन-ई का सेवन करने की सलाह देता है। उसका तर्क है कि विटामिन-ई के सप्लिमेंट्स के फायदों और नुकसान के बारे में अधिक जानकारी मिलना बाकी है।

विटामिन-ई का इस्तेमाल किन बीमारियों के इलाज में होता है?

विटामिन-ई का इस्तेमाल निम्नलिखित बीमारियों के इलाज में होता है:

अल्जायमर की बीमारी: कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि विटामिन-ई की अधिक डोज लेने से उन लोगों में अल्जाइमर बीमारी के विकसित होने की रफ्तार कम होती है, जिनका हल्के अल्जाइमर का इलाज किया गया हो। हालांकि, अन्य शोध में इस फायदो को नहीं दिखाया गया है। विटामिन ई के सप्लिमेंट्स का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है भले ही जिन लोगों में हल्का अल्जायमर बढ़ रहा हो।

लिवर की बीमारी: अध्ययनों में पाया गया है कि विटामिन-ई नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवरी डिजीज के लक्षणों में सुधार कर सकता है। हालांकि, सुबूत यह बताते हैं कि मौखिक रूप से विटामिन-ई का इंसुलिन रेसिस्टेंट में दो साल के लिए सेवन किया जा सकता है।

प्रीक्लेमप्सिया (Preeclampsia): कुछ अध्ययनों में इस बीमारी में विटामिन-ई के फायदे बताए गए हैं। हालांकि, विटामिन-ई की डोज को बढ़ा देने से इस बीमारी में बचाव नहीं होता है। प्रीक्लेमप्सिया एक ऐसी स्थिति है, जब प्रेग्नेंसी के दौरान महिला का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और अन्य अंगों के नष्ट होने का खतरा बढ़ जाता है।

प्रोस्टेट कैंसर: प्रोस्टेट कैंसर में विटामिन-ई कितना असरदार है, इस पर अभी तक आम सहमति नहीं बनी है। हालांकि, कुछ अध्ययनों में पता चला है कि विटामिन-ई और सेलेनियम सप्लिमेंट्स का सेवन करने से प्रोस्टेट कैंसर का खतरा कम नहीं होता। कुछ ऐसी भी चिंताए हैं कि विटामिन-ई के सप्लिमेंट्स प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं।

और पढ़ें : Vitamin H : विटामिन एच क्या है? जानिए इसके उपयोग, साइड इफेक्ट्स और सावधानियां

विटामिन-ई के कुछ साइड इफेक्ट्स क्या हैं?

विटामिन-ई से आपको निम्नलिखित साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं:

उपरोक्त साइड इफेक्ट्स के अलावा भी विटामिन-ई के कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जिन्हें ऊपर सूचीबद्ध नहीं किया गया है। इसकी अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

अंत में हम यही कहेंगे कि बॉडी में किसी भी पोषक तत्व या खनिज की पूर्ति के लिए आपको सप्लिमेंटेशन के बजाय नैचुरल डायट को फॉलो करना चाहिए। यदि आप अपनी बॉडी में विटामिन-ई की कमी को महसूस करते हैं तो अपनी डायट को सुधारें। बिना डॉक्टर की सलाह के विटामि-ई के सप्लिमेंट का सेवन न करें।

हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार मुहैया नहीं कराता।

[embed-health-tool-bmr]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

https://www.webmd.com/vitamins/ai/ingredientmono-954/vitamin-e

https://www.medicalnewstoday.com/articles/318168.php

https://www.medicalnewstoday.com/articles/321800.php#causes

https://www.mayoclinic.org/drugs-supplements-vitamin-e/art-20364144

https://www.healthline.com/health/food-nutrition/vitamin-e-deficiency#recommended-levels

All Accessed on 26-12-2019

Current Version

29/10/2020

Sunil Kumar द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

Updated by: Nikhil deore


संबंधित पोस्ट

Vitamin K: कैसे पहचानें शरीर में विटामिन के की कमी के लक्षण?

Vitamin B-12: विटामिन बी-12 क्या है? जानिए इसके उपयोग, साइड इफेक्ट्स और सावधानियां


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Sunil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 29/10/2020

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement