backup og meta

ओसीडी का प्रभाव दिमाग को कैसे करता है अफेक्ट?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Smrit Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 08/11/2020

    ओसीडी का प्रभाव दिमाग को कैसे करता है अफेक्ट?

    ओसीडी रोग अक्सर 20 वर्ष से कम उम्र में होता है। खासकर उन लोगों में, जो काफी मानसिक तनाव में रहे हों। ऐसे लक्षण कभी-कभी कुछ हद तक ठीक हो जाते हैं लेकिन, यह कभी पूरी तरह खत्म नहीं होते। ऐसे में ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि दिमाग पर ओसीडी का प्रभाव कैसा होता है?

    ओसीडी का प्रभाव दिमाग पर कैसे होता है?

    ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) की विशेषता है, यह बेकाबू ऑब्सेसिव और कंपल्सिव विचारों के कारण होता है। ओसीडी वाले व्यक्तियों को चिंताजनक विचारों का अनुभव होता है। वे चिंता को दूर करने के लिए कुछ कार्यों को दोहराने की आवश्यकता महसूस करते हैं। ओसीडी का प्रभाव दिमाग पर ऐसा होता है कि आप वही करते हैं जो आपका दिमाग उस वक्त आपको करने को कहता है। जैसे यदि आपके मन में एक बार इस बात का भय बैठ जाए कि आपके हाथ में जर्म्स हैं, तो आपका दिमाग आपको हर काम के बाद हाथ धोने के लिए मजबूर करता है और आप ऐसा करते हैं।

    हर व्यक्ति को चिंता या बुरे खयाल आते हैं पर ऑब्सेसिव विचार आपके दिमाग को एक जगह रोक देते हैं मतलब आपका दिमाग उस विचार से आगे नहीं बढ़ पाता। इससे होती है एंजायटी, स्ट्रेस और फिर वही खयाल आपके दिमाग में बार- बार आने लगते हैं। ऐसे विचारों को आप जितना दबाने की कोशिश करते हैं यह उतने ही बलवान होते जाते हैं और फिर यह आपको और परेशान करने लगते हैं।

    ऐसे विचारों को दूर करने के लिए आपको अपने मन को स्ट्रॉन्ग बनाना होता है। आपको बार-बार उस काम को करने से खुद को रोकना होता है जिससे आपका दिमाग दूसरी ओर जाने लगता है और आप धीरे-धीरे इससे बाहर निकल सकते हैं। ओसीडी के प्रभाव से आपको अपने विचारों से एंजायटी और स्ट्रेस होने लगता है जो आपके दिमाग पर दुष्प्रभाव डालते हैं। व्यक्ति हताश और निराश भी महसूस करने लगता है। व्यक्ति इतनी बार एक ही काम को सोचता और करता है कि वो खुद पर से अपना नियंत्रण खो देता है।

    यह भी पढ़ें : ‘होमोफोबिया’ जिसमें पीड़ित को होमोसेक्शुअल्स को देखकर लगता है डर

    ओसीडी का प्रभाव

    रिसर्च में पाया गया है कि ओसीडी के प्रभाव से दिमाग का अगला हिस्सा और उसके अंदर के हिस्से के बीच संदेशों का आदान-प्रदान ठीक से नहीं हो पाता है। मस्तिष्क के ये हिस्से अपना संदेश एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए सेरोटोनिन (Serotonin) नामक एक रसायन (chemical) का इस्तेमाल करते हैं। ओसीडी से ग्रस्त कुछ लोगों के मस्तिष्क के स्कैन में ये साफ दिखाई देता है कि सेरोटोनिन की दवाओं या कॉग्निटिव बिहैवियर थेरिपी (cognitive behavior therapy) (CBT) से ब्रेन सर्किट्स फिर से सामान्य होने लगते हैं।

    यह भी पढ़ें : सोशल मीडिया से डिप्रेशन शिकार हो रहे हैं बच्चे, ऐसे करें उनकी मदद

    ओसीडी का प्रभाव बन सकता है दिमाग में सूजन की वजह 

    एक जर्नल में प्रकाशित शोध में ओसीडी का प्रभाव दिमाग पर क्या होता है। इसके बारे में बताया गया। ओसीडी में मस्तिष्क की सूजन के बारे में कहा गया कि सूजन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। यह इम्यून रिस्पांस का एक सामान्य कंपोनेंट है। हालांकि, अगर सूजन का स्तर अनुचित है या बहुत लंबे समय तक जारी रहता है, तो इसके नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। उदाहरण के लिए रुमेटॉयड अर्थराइटिस और एथेरोस्क्लेरोसिस।

    शोध बताते हैं कि कुछ मनोरोग स्थितियों में न्यूरोइंफ्लमेशन भी हो सकता है। जिसकी वजह से कुछ प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार, सिजोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) भी रोगी को हो सकता है। 40 लोगों पर दिमाग पर ओसीडी के प्रभाव से संबंधित की गई रिसर्च से पता चला कि बिना विकार वाले इंसानों की तुलना में ओसीडी से जुड़े मस्तिष्क क्षेत्रों में 32 प्रतिशत अधिक सूजन थी। इस सर्वे में 20 विकार ग्रस्त और 20 बिना विकार वाले लोगों पर किया गया था।

    यह भी पढ़ें : बच्चों की इन बातों को न करें नजरअंदाज, उन्हें भी हो सकता है डिप्रेशन

    ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive Compulsive Disorder) का निदान और उपचार क्या है?

    डॉक्टर अक्सर आपके बताए गए लक्षणों के मुताबिक ओसीडी रोग का निदान करते हैं। डॉक्टर इसके लिए कुछ क्लीनिकल जांच भी कर सकते हैं। इसके अलावा, आपकी मानसिक स्थिति जांचने के लिए साइकोलॉजिकल इवैल्युएशन भी कर सकते हैं। साइकोलॉजिकल इवैल्यूएशन से मानसिक मरीजों का स्टेट्स जैसे कि मूड, मानसिकता आदि जैसी चीजों का टेस्ट करते हैं।

    यह भी पढ़ें : छुट्टियों पर भी हो सकते हैं डिप्रेशन का शिकार, जानें हॉलिडे डिप्रेशन के बारे में

    ओसीडी से खुद को कैसे बचाए?

    यह आपके लिए बहुत ही निराशाजनक और थकावट भरा हो सकता है। आपको खुद पर गुस्सा भी आता है। आपको अपना धैर्य नहीं खोना है। यदि आप इस डिसऑर्डर से खुद को मुक्त करना चाहते है, तो सबसे पहले आपको अपने दिमाग और मन दोनों को यह विश्वास दिलाना होगा कि यह कोई न ठीक होने वाली बीमारी नहीं है। यह एक आम बीमारी है जिसके बारे में बात करने से आपकी निंदा नहीं होगी। तभी आप इसके बारे में खुल के बात कर पाएंगे।

    जब आप इस डिसऑर्डर से खुद को बाहर निकाल लें तो आप अपनी इस जानकारी को दूसरों के साथ शेयर करें ताकि दूसरे व्यक्तियों को आपके एक्सपीरियंस से लाभ मिल सके और जो लोग इस डिसऑर्डर को गंभीरता से नहीं लेते वे इसके बारे में जान और समझ सकें।

    हमारे द्वारा दी गई जानकारी को ध्यान से पढें और समझे क्योंकि कई बार हम अपनी परेशानियों को नजरंदाज कर देते हैं या उन्हें छुपाने की कोशिश करते हैं। पर आपको यह समझना होगा कि जो भी परेशानी आपको दिमागी या शारीरिक रूप से परेशान कर रही हो उससे दूर ना भागे बल्कि उसका सामना करें।

    इस आर्टिकल में हमने दिमाग पर ओसीडी का प्रभाव संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको यह आर्टिकल और इसमें दी गई जानकारियां उपयोगी लगी होंगी।  ओसीडी का प्रभाव या इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। अगर आपको इस बीमारी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों का जवाब मेडिकल एक्सपर्ट द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे। अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए।

    [mc4wp_form id=’183492″]

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सक

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

    डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


    Smrit Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 08/11/2020

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement