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'होमोफोबिया' जिसमें पीड़ित को होमोसेक्शुअल्स को देखकर लगता है डर

'होमोफोबिया' जिसमें पीड़ित को होमोसेक्शुअल्स को देखकर लगता है डर

होमोफोबिया एक तरह का डर है, जो विशेषकर होमोसेक्शुअल या बायसेक्शुअल लोगों को देखकर डर पैदा होता है। इसका सबसे बेहतर उदाहरण है हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’। इस फिल्म में आयुष्मान खुराना गे की भूमिका में नजर आ रहें हैं, जिस वजह से उनके माता-पिता और परिवार के सदस्य बेहद परेशान रहते हैं। वैसे इस फिल्म के आखिर में गे कपल के माता-पिता उन्हें स्वीकार कर लेते हैं। हालांकि देखा जाए तो अभी भी होमोसेक्शुअल या बायसेक्शुअल को लेकर समाज में अलग-अलग तरह की चर्चाएं होती रहती हैं।

होमोसेक्शुअल (Homosexual) का क्या अर्थ है?

होमोसेक्शुअल एक ऐसी स्थिति है जब व्यक्ति ऑपोजिट सेक्स की ओर आकर्षित नहीं होता। जब पुरुष को पुरुष से या महिला को महिला की ओर ही आकर्षण बढ़ने लगे तो उसे होमोसेक्शुअल कहते हैं। दरअसल इस स्थिति में लोग सेम सेक्स की ओर आकषिर्त होते हैं।

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बायसेक्शुअल का (Bisexual) क्या अर्थ है?

कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो पुरुषों की ओर आकर्षित होने से साथ-साथ महिलाओं की ओर भी आकर्षित होते हैं। ऐसे लोग हेट्रोसेक्सुअल भी होते हैं और होमोसेक्शुअल भी होते हैं। इन्हें बायसेक्शुअल कहा जाता है।

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लोग होमोसेक्शुअल या बायसेक्शुअल क्यों होते हैं? (Why are people homosexual or bisexual?)

साइंस के अनुसार समलैंगिकता की स्थिति जन्म के साथ ही शुरू हो जाती है, जिसे परिवार के लोग धीरे-धीरे समझ पाते हैं। ऐसी स्थिति के लिए होमोसेक्शुअल या बायसेक्शुअल लोगों के साथ-साथ उनके माता-पिता के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करना ठीक नहीं होता है। क्योंकि इसमें किसी की गलती नहीं होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो ऐसे व्यक्ति जब भी सेक्स के बारे में सोचते हैं या बातें करते हैं तो उनके ख्याल में सेम सेक्स के लोग ही आते हैं। जैसे लड़के किसी अन्य लड़कों की कल्पना कर सकते हैं, तो वहीं लड़की किसी अन्य लड़की के बारे में सोच सकती हैं।

अगर जन्म से ही ऐसी कोई स्थिति है, तो व्यक्ति के ठीक होने की संभावना नहीं होती है। वहीं कुछ लोग अपनी मर्जी से सेम सेक्स में भरोसा करते हैं या किसी कारण उन्हें ऐसा करना पड़ता है, तो ऐसे लोग ठीक हो सकते हैं।

होमोफोबिया

अब बात करते हैं होमोफोबिया की। होमोफोबिया अलग-अलग कैटेगरी में डिवाइड है लेकिन, यहां एक बात समझना बेहद जरूरी है की फोबिया का अर्थ है डरना या किसी प्रकार का या किसी बात को लेकर डरना। दरअसल फोबिया के कारण इससे पीड़ित व्यक्ति में डर इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि इससे पीड़ित व्यक्ति किसी को शारीरिक नुकसान भी पहुंचा सकता है या खुद को भी नुकसान पहुंचा सकता है। फोबिया की वजह से सामाजिक जीवन, दफ्तर और यहां तक कि इसका नकारात्मक प्रभाव रिश्तों पर पड़ सकता है। अगर फोबिया की समस्या सामान्य से ज्यादा बढ़ जाती है, तो यह बेहद खतरनाक हो सकता है।

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होमोफोबिया (Homophobia) की 6 अलग-अलग कैटेगरीज हैं और इनमें शामिल हैं

मेडिकल होमोफोबिया (Medical homophobia): गे, लेस्बियन या बाइसेक्शुअल की वजह से परेशानी महसूस करना। होमोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति बच्चों के परवरिश या फिर सोसाइटी में लोग क्या सोचेंगे, ऐसी ही कई अलग-अलग तरह की बातों को ध्यान में रखकर परेशान रहते हैं। मेडिकल होमोफोबिया से पीड़ित लोगों का मानना है कि यह एक तरह की बीमारी है, जिससे बच्चों की परवरिश पर नकारात्मक असर पड़ेगा।

रिलिजियस होमोफोबिया (Religious Homophobia): गे, लेस्बियन या बाइसेक्शुअल के बारे में रिलिजियस होमोफोबिया से पीड़ित लोगों का मानना है की यह एक तरह का विकार है, जिसे पूजा-प्रार्थना से ठीक किया जा सकता है।

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क्रिमिनल होमोफोबिया (Criminal homophobia): क्रिमिनल होमोफोबिया से पीड़ित लोगों को गे, लेस्बियन या बाइसेक्शुअल एक्टिविटी एक तरह से क्रिमिनल एक्टिविटी लगती है और इन्हें ऐसा महसूस होता है की यह समाज को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

इसी तरह से होमोफोबिया की अन्य के कैटेगरीज भी होती हैं जैसे-

पोलिटिकल होमोफोबिया

सोशियोकल्चर होमोफोबिया

बॉयोलॉजिकल होमोफोबिया

होमोफोबिया से पीड़ित लोगों के लक्षण क्या हो सकते हैं? (Symptoms of homophobic)

इससे पीड़ित लोगों के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे-

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होमोफोबिया (homophobia) से पीड़ित व्यक्ति को क्या समझना है जरूरी?

होमोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति समलैंगिक रिश्तों को ही नहीं समझते हैं। समलैंगिक रिश्ते का अर्थ है दो लड़के या दो लड़की एक-दूसरे को ही अपने जीवन साथी के तौर पर चुनें और उनके साथ ही शादी करने का फैसला भी लें। जो लोग समलैंगिक रिश्तों के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं, तो हो सकता है कि उन्हें यह सुनकर हैरानी भी हो लेकिन, यह सच है।

अब पुरुष, पुरुष से प्यार कर सकता है और एक साथ पति-पत्नी की तरह रह सकता है, तो वहीं एक महिला दूसरी महिला के सामने आपने प्यार का इजहार भी कर सकती है और शादी के बंधन में बंध सकती हैं और इन्हें अब एक होने के लिए कानून से भी मंजूरी मिल चुकी है। हालांकि देखा जाए तो भले ही इस रिश्ते को पुरानी सोच वाले लोग आज भी विरोध की नजर से देखते हैं और अदालत के फैसले को सही नहीं मानते हैं, लेकिन अब लोगों को अपनी विचारधारा बदलने की जरूरत है। कई बार तो लोग यह भी सोच लेते हैं की ऐसे लोगों की फैमली आगे कैसे बढ़ेगी? यह ध्यान रखें की समलैंगिक रिश्ता पति-पत्नी के रिश्ते की तरह ही खास होता है। अगर आपको लगता है कि लेस्बियन कपल या गे कपल फैमिली प्लानिंग जैसे फैसले नहीं ले सकते हैं, तो आपका यह सोचना गलत साबित हो सकता है। क्योंकि ऐसे कई लोग हैं, जो बच्चे को एडॉप्ट कर लेते हैं या सरोगेसी की सहायता से अपनी फैमली को आगे बढ़ाते हैं।

इन सब के बीच होमोफोबिया से जुड़ी एक और बात की मुझे जानकारी मिली की हीमोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति खून देखकर भी डर जाता है। अगर यह परेशानी बढ़ जाती है, तो व्यक्ति को लाल रंग से डर लगने लगता है। इससे डर कर नहीं बल्कि सही इलाज और देखभाल से आप अपने अंदर बैठे इस डर को दूर कर सकते हैं।

इन लक्षणों से साथ-साथ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। इसलिए अपने आप में हो रहे बदलाव को समझने की कोशिश करना बेहद आवश्यक है। अगर आप होमोफोबिया से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।

उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और होमोफोबिया से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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https://www.un.org/africarenewal/web-features/homophobia-violence-intolerance/Accessed on18/03/2020

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https://www.huffpost.com/entry/what-is-homophobia-like-i_b_9519974//Accessed on 18/03/2020

 

 

 

Current Version

16/03/2021

Nidhi Sinha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Manjari Khare


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

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Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 16/03/2021

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