आमतौर पर मनोविकृति से पीड़ित इंसान की बातचीत, रहन-सहन और उसकी सोच में धीरे-धीरे गैर समाजिक और गैर व्यवहारिक बदलाव होने लगते हैं। शुरुआती समय में ये बदलाव पकड़ में नहीं आते। परिवार के लोग अक्सर मनोविकृति के लक्षण देखने वाले होते हैं। इस दौरान भ्रम, भय और अस्थिर महसूस करने की जटिल स्थिति पैदा होती है। इस आर्टिकल में हम आपको इस समस्या के लक्षणों के बारे में बताएंगे।
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मनोविकृति के लक्षण व संकेत जानने से पहले इस रोग के कारणों के बारे में जानना बेहद आवश्यक होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि साइकोसिस का हर मामला अलग होता है और उसके लक्षण कई बार साफ नहीं होते हैं।
साइकोसिस के मुख्य कारण कुछ विशेष प्रकार की बिमारियों होती हैं। हालांकि, यह किसी ड्रग रिएक्शन, नींद की कमी या आसपास के माहौल जैसे कारको से भी प्रभावित हो सकता है।
मस्तिष्क रोग जैसे –
- पार्किंसन डिजीज
- ब्रेन ट्यूमर या सिस्ट
- हंटिंग्टन डिजीज
- क्रोमोसोमल डिसऑर्डर
- अल्जाइमर रोग
- स्ट्रोक
- एपिलेप्सी
इनके कारण भी साइकोसिस होने की आशंका बढ़ जाती है।
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ग्रेड या नौकरी के प्रदर्शन में गिरावट
यदि कोई व्यक्ति अपने काम या अपनी पुजिशन से खुश नहीं है। लगातार प्रेशर का सामना कर रहा हो लेकिन, उसके बाद भी उसके कार्य क्षमता पर सवाल उठ रहा हो, तो इसे एक मनोविकृति चेतावनी के रूप में लिया जा सकता है।
सोचने या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
यदि किसी व्यक्ति को सोचने या ध्यान लगाने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उसके दिमाग में किसी प्रकार की बैचैनी है, तो ये मनोविकृति का एक संकेत हो सकता है।
दूसरों के साथ संदेह या बेचैनी
जब कोई इंसान हर समय हर किसी पर शक करने लगे। उसे हर समय किसी खतरे या डर में जैसा लगे और उसे लगे कि हर कोई उसका बुरा ही चाहता है, तो ये एक मनोविकृति की स्थिति हो सकती है।
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देखभाल या व्यक्तिगत स्वच्छता में गिरावट
जब कोई इंसान अपने साफ सफाई का ध्यान न रखे, हाइजीन की तरफ उसका बिल्कुल ध्यान न हो, ये भी एक कारण हो सकता है मनोविकृति का।
सामान्य से बहुत अधिक समय अकेले बिताना
जब कोई इंसान अकेले रहने लगे, दूसरों से कटे कटे रहने की उसकी आदत हो जाए, तो इस स्थिति को भी आप एक मनोविकृति का लक्षण मान सकते हैं।
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मजबूत, अनुचित भावनाएं या बिल्कुल भी भावनाओं का न होना
जब इंसान अपनी ही बात पर डटा रहे या ऐसी किसी बात पर बल दे, जिसका वास्तविकता से कोई सीधा वास्ता न हो या वो बिल्कुल भावना शून्य रहने लगे, तो ये मनोविकृति के लक्षण हो सकते हैं।
मनोविकृति के स्पष्ट कारण बता पान बहुत मुश्किल है क्योंकि इसका हर मामला अलग होता है और साथ ही मनोविकृति के लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ बीमारियां भी है, जो साइकोसिस का कारण बन सकती हैं।
ऐसे में मनोविकृति के लक्षण पहचानना और मुश्किल हो सकता है। नींद पूरी न होना, नशे की लत और पर्यावरण भी इस बीमारी के कारण बन सकते हैं। कुछ अन्य परिस्थितियों में भी मनोविकृति के लक्षण विकसित हो सकते हैं।
हालांकि, स्पष्ट रूप से यह कह पाना मुश्किल है कि मनोविकृति के क्या कारण हैं। वहीं कुछ शोधों में यह भी सामने आया है कि माता-पिता से मिले जींस भी मनोविकृति के प्रमुख कारण हो सकते हैं। अगर परिवार में किसी सदस्य को मानसिक विकार या इससे जुड़ी कोई समस्या है, तो परिवार के अन्य सदस्यों में भी मनोविकृति का शिकार होने की आशंका बढ़ जाती है।
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ये बीमारियां बन सकती हैं मनोविकृति का कारण
कई बीमारियां भी साइकोसिस का कारण बन सकती हैं और साथ ही ऐसे में मनोविकृति के लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं। ऐसी ही बीमारियां हैं:
- दिमाग से जुड़ी बीमारियां जैसे कि पार्किंसंस, हंटिंगटन और क्रोमोजोम डिसऑर्डर मनोविकृति का कराण बन सकते हैं।
- ब्रेन ट्यूमर के कारण भी मनोविकृति के लक्षण के लक्षण दिख सकते हैं।
- अल्जाइमर , एचआईवी, सिफलिस या कोई भी दिमाग पर हमला करने वायरस मनोविकृति का कारण बन सकते हैं।
- मनोविकृति के लक्षण मिर्गी या किसी शॉक के कारण भी दिख सकते हैं।
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मनोविकृति के कारण लोग हो सकते हैं सुसाइडल टेंडेंसी के शिकार
मनोविकृति या साइकोसिसस के कारण लोग सुसाइडल टेंडेंसी के शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे में पीड़ित को लगातार आत्महत्या के ख्याल आते हैं। वहीं अगर आपको लगता है कि आपके खुद के अंदर या आपके आस-पास किसी में मनोविकृति के लक्षण दिखते हैं और आपको लगता है कि ऐसे में वह खुद को किसी और को नुकसान पहुंचा सकता है, तो आप अपने स्थानीय इमरजेंसी नंबर को कॉल करें। इसके अलावा जब भी आपको ऐसा कुछ लगे, तो मदद आने तक पीड़ित के साथ रहें। साथ ही चाकू, बंदूक या इस तरह की किसी भी चीज को ऐसे व्यकित की पहुंच से दूर कर दें।
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जानिए मनोविकृति के शुरुआती लक्षण
साइकोसिस के पहले एपिसोड को समझना कठिन हो सकता है लेकिन, ये संकेत और लक्षण मनोविकृति के एक एपिसोड का संकेत देते हैं:
- उन चीजों को सुनना, देखना, चखना या उन पर विश्वास करना, जो दूसरों के लिए नहीं हैं।
- लगातार, असामान्य विचार या विश्वास, जो दूसरों के विश्वास से मेल नहीं खाता।
- मजबूत और अनुचित भावनाएं या कोई भी भावनाएं न होना।
- परिवार या दोस्तों से कटा हुआ रहना।
- खुद की देखभाल में अचानक गिरावट।
- स्पष्ट रूप से सोचने या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी।
हम ये कह सकते हैं कि मनोविकृति के लक्षण समझना शुरुआती समय में थोड़ा मुश्किल है लेकिन, ऊपर बताए गए कुछ लक्षणों को देखकर आप इसका आभास जरूर कर सकते हैं कि व्यक्ति को यह मस्या हो सकती है। ऐसे में, उस इंसान की बेहतर देखभाल और डॉक्टरी सलाह से समय रहते इसका निदान किया जा सकता है। मनोविकृति को सार्थक प्रयास, बेहतर माहौल और सही उपचार से हमेशा के लिए दूर किया जा सकता है।
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मनोविकृति का इलाज
मनोविकृति के इलाज के लिए दवाओं और थेरिपी दोनों का ही इस्तेमाल किया जाता है। मनोविकृति से जूझ रहे लोग दूसरों के साथ-साथ खुद को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में उस व्यक्ति को शांत करने के लिए रैपिड ट्रैक्युलाइजेशन नाम की प्रक्रिया का सहारा लिया जाता है। वहीं एंटीसाइकोटिक मेडिकेशन्स से भी मनोविकृति के लक्षणों को कम किया जा सकता है। साथ ही इस मोडिकेशन से मनोविकृति के कारण आने वाले बुरे सपनों और भ्रम को भी कंट्रोल करने में सहायता मिल सकती है। इसके आलावा कोग्नीटिव थेरिपी भी मनोविकृति के लक्षणों को कम करने में काफी मददगार साबित होती है। साथ ही मनोविकृति में पीड़ित को नियमित तौर पर मेंटल हेल्थ काउंसलर की मदद की जरूरत होती है। मनोविकृति से पीड़ित व्यक्ति का इलाज काफी मामलों में संभव है। बस आपको स्थिति को समझते हुए रोगी की सही देखभाल और सही उपचार कराने की जरूरत है।
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मनोविकृति होने के जोखिम कारक
फिलहाल इस बात का पता नहीं लगाया जा सकता है कि किन लोगों में साइकोसिस होने का खतरा अधिक होता है। हालांकि, रिसर्च करे अनुसार अनुवांशिकता का इसमें बहुत अहम रोल होता है।
जिन लोगों के परिवार के सदस्यों जैसे माता-पिता या भाई-बहन को साइकोटिक डिसऑर्डर होता है उन व्यक्तियों में इसके होने की आशंका सबसे अधिक होती है।
जेनेटिक म्यूटेशन के साथ पैदा हुए बच्चों में इस रोग को 22q11.2 डिलीशन सिंड्रोम कहा जाता है। इन बच्चों मनोविकृति विकार होना का खतरा सबसे अधिक रहता है खासतौर से सिजोफ्रेनिया का।