अक्सर आपने महसूस किया होगा कि लोग खाली बैठे कभी अपने होंठ की स्किन को हटाने का काम करते हैं या फिर नाखुन के बगल की स्किन को खींचते हैं। ये लोगों के लिए बहुत ही नॉर्मल सी बात होती है, पर मेडिकल भाषा में इसे स्किन पिकिंग डिसऑर्डर कहते हैं। पिंपल हो जाने पर बार-बार उसे छू कर देखना या फिर स्किन के ऊपर से पस हटाने की कोशिश करना या फिर बिना वजह ही बार-बार स्किन को छूकर देखना एक तरह का डिसऑर्डर होता है।
स्किन पिकिंग डिसऑर्डर (Skin picking disorder) को ऐसे समझें
आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि कुछ लोग अपने दिन का निश्चित समय स्किन पिकिंग में निकाल देते हैं। ऐसा करने से कई बार ब्लीडिंग भी होती है और साथ ही दर्द भी महसूस होता है। स्किन पिकिंग डिसऑर्डर के तहत लोगों में स्किन को नोंचने की आदत सी बन जाती है। ऐसे लोग खुद को स्किन पिकिंग के लिए नहीं रोक पाते हैं, चाहे कोई कितना भी टोक लें।
स्किन पिकिंग डिसऑर्डर, बॉडी फोकस्ड रिपिटीटिव बिहेवियर (BFRB)है, जिससे कई लोग प्रभावित होते हैं। जिन लोगों को स्किन पिकिंग डिसऑर्डर होता है, वो अक्सर त्वचा, पिंपल या फिर घाव में पड़ने वाली पपड़ी को बार-बार खींचने का काम करते हैं। पुरुषों की तुलना में ये डिसऑर्डर महिलाओं में अधिक पाया जाता है। साथ ही ये डिसऑर्डर किशोरावस्था या फिर वयस्कों में अधिक होने की संभावना होती है।
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स्किन पिकिंग डिसऑर्डर नहीं है आम
अगर आपने कभी-कभार ऐसा किया है तो इसे डिसऑर्डर की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा। लेकिन जो लोग अक्सर ऐसा करते हैं, उन्हें मेंटल हेल्थ कंडीशन से जोड़ा जा सकता है। इसे ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर के तहत रखा जा सकता है। ये जरूरी नहीं है कि जिसे ओसीडी की समस्या हो, उसे स्किन पिकिंग डिसऑर्डर भी हो। कई लोग जिन्हें स्किन पिकिंग डिसऑर्डर है, उन्हें ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर हो सकता है।
स्किन पिकिंग डिसऑर्डर के लक्षण क्या हैं ?
- मना करने या फिर रोकटोक के बावजूद स्किन को बार-बार छूना।
- हल्की सी खाल निकलने पर उसे तेजी से नोंचना और घाव बना देना।
- तनाव, आदत या फिर किसी भी काम से ऊबने के बाद स्किन पिकिंग स्टार्ट कर देना।
- त्वचा की खामियों को सही करने के लिए स्किन पिकिंग करना।
- हेयर पुलिंग या नेल पिकिंग की तरह ही स्किन पिकिंग को भी डिसऑर्डर की श्रेणी में रखेंगे।
- स्किन पिकिंग मिनट से लेकर घंटों, महीनों या सालों तक चल सकता है। यानी कोई भी व्यक्ति स्किन पिकिंग कुछ मिनट के लिए या फिर लंबी आदत के तौर पर भी अपना सकता है।
स्किन पिकिंग डिसऑर्डर के कारण
स्किन पिकिंग डिसऑर्डर के कई कारण हो सकते हैं।
इंफेक्शन, रैश या इंजरी के कारण
जब घाव में इंफेक्शन हो जाता है तो उसमे खुजली भी होती है। जब खुजली होती है तो लोग अक्सर उस स्थान पर खरोंच देते हैं। ऐसा करने से एक नया घाव बन जाता है। ये एक एक साइकल की तरह काम करता है, जिसके कारण कुछ लोग स्किन पिकिंग को आदत के तौर पर अपना लेते हैं। एक समय बाद ये डिसऑर्डर के रूप में सामने आता है। इनके अलावा भी स्किन पिकिंग डिसऑर्डर के कुछ लक्षण हो सकते हैं। जानते हैं इनके बारे में।
ओसीडी (OCD)
ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर एक मेंटल कंडीशन है जिसमें लोग गैरजरूरी कामों को बार-बार करते हैं या इनके बारे में सोचते रहते हैं। नेशनल एलियांस ऑफ मेंटल इलनेस के अनुसार अमेरिका में 2 प्रतिशत लोग ओसीडी का शिकार हैं। ओसीडी से ग्रसित लोगों में स्किन पिकिंग डिसऑर्डर देखा जाता है।
ट्रीकोटिलोमनिया (Trichotillomania)
ट्रीकोटिलोमनिया एक कंपल्सिव कंडीशन है जो कि ओसीडी से रिलेटेड है। इसमें पीड़ित व्यक्ति को बाल खींचने, नाखून चबाने और दांत पीसने की आदत होती है। 38 प्रतिशत लोग जो ट्रीकोटिलोमनिया से पीड़ित होते हैं उनमें स्किन पिकिंग डिसऑर्डर भी देखा गया है।
एडीएचडी (ADHD)
एडीएचडी एक न्यूरोडेवलपमेंटल कंडीशन है जिसकी वजह से इंसान फोकस नहीं कर पाता। उसका व्यवहार भी आवेशपूर्ण होता है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार यह बच्चों के बीच होने वाली सामान्य न्यूरोडेवलपमेंटल कंडीशन है। जो बच्चे एडीएचडी से पीड़ित होते हैं उनमें हायपरएक्टिविटी और आवेग पर कंट्रोल न होने के कारण स्किन पिकिंग डिसऑर्डर भी हो सकता है।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (Autism spectrum disorder)
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक न्यूरोडेवलपमेंटल कंडीशन है जो इंसान के बिहेवियर और कम्युनिकेशन को प्रभावित करती है। डॉक्टर आटिज्म को स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर इसलिए मानते हैं क्योंकि यह कई प्रकार के गंभीर लक्षणों का कारण बन सकता है। हालांकि, ऑटिज्म के लक्षण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। कॉमन लक्षण निम्न हैं।
- आई कॉन्टैक्ट न करना
- लोगों से इंटररैक्शन कम करना
- किसी गतिविधि में रूचि न दिखाना
- ध्वनि, लाइट और टेम्प्रेचर के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होना
- एक ही व्यवहार को दोहराना
- एएसडी के व्यवहार दोहराए जाने वाले लक्षण में स्किन पिकिंग डिसऑर्डर शामिल हो सकता है।
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स्ट्रेस और मेंटल हेल्थ कंडीशन के कारण
कई बार लोग स्ट्रेस के कारण नाखून के किनारे की स्किन निकालने लगते हैं। साथ ही स्किन में कोई हल्की पपड़ी हो तो उसे भी निकालना शुरू कर देते हैं। नाखून हटाना, बालों को नोंचना, घाव की पपड़ी को हटाना आदि क्रियाओं को करने से लोगों को सेटिस्फेक्शन फील होता है। कुछ लोग स्किन पिकिंग सिर्फ इसलिए भी करते हैं ताकि वो अच्छे दिखें। बायोलॉजिकल और इंवायरमेंटल फैक्टर स्किन पिकिंग के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। स्किन पिकिंग हमेशा किसी खास कारण से नहीं होती है।
स्किन पिकिंग डिसऑर्डर का निदान कैसे किया जाता है?
इस डिसऑर्डर के बारे में आप खुद से पता नहीं कर सकते। हालांकि आपको इस बात का संदेह हो सकता है कि आपको इस तरह का कोई विकार है। अगर आपमें इस डिसऑर्डर के कुछ लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर को डायग्नोस करने से पहले कुछ अन्य अंडरलाइंग कंडीशन के बारे में पता करना होगा।
फिजिकल एक्जामिन करने के बाद डॉक्टर आपसे इस आदत को दोहराते समय रहने वाली भावनाओं और व्यवहार के बारे में पूछेगा। वे यह भी निर्धारित करेंगे कि आप जो घाव या स्कैब को बार-बार खरोंच रहे हैं, वह त्वचा विकार या एक्जिमा या सोरायसिस जैसी स्थिति का परिणाम तो नहीं है?
अगर डॉक्टर को स्किन पिकिंग डिसऑर्डर का संदेह होता है तो वह आपको मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से मिलने की सलाह दे सकते हैं।
स्किन पिकिंग डिसऑर्डर का ट्रीटमेंट
स्किन पिकिंग डिसऑर्डर के ट्रीटमेंट के तौर पर मुख्य रूप से मेडिकेशन और थेरिपी का यूज किया जाता है। ट्रीटमेंट की हेल्प से इस आदत से काफी हद तक छुटकारा मिल सकता है।
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मेडिकेशन
मेंटल हेल्थ या फिर डेवलपमेंटल कंडीशन के कारण स्किन पिकिंग डिसऑर्डर है तो डॉक्टर कुछ सलेक्टिव मेडिसिन की सलाह दे सकता है।
- सलेक्टिव सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर ( serotonin reuptake inhibitors) या एंटीडिप्रेसेंट्स ( antidepressants)
- लैमोट्रिगिन (lamotrigine)
- एंटीसाइकोटिक्स(antipsychotics) जैसे कि रिसपेरीडोन ( risperidone)
थेरिपी
जिन लोगों को स्किन पिकिंग की समस्या है, वो कॉग्नेटिव बिहेवियरल थेरिपी को अपना सकते हैं। कॉग्नेटिव बिहेवियरल थेरिपी की हेल्प से बुरी आदतों को कंट्रोल किया जा सकता है। साथ ही थेरिपी के दौरान मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स या काउंसलर व्यक्ति को इमोशनल, फिजिकल, इंवायरमेंटल ट्रिगर के बारे में जानकारी देकर आदत को सुधारने की कोशिश करता है। ऐसा करने से व्यक्ति का नकारात्म रवैया बदलने लगता है। थेरिपी में लोगों को दूसरी सुरक्षित वैकल्पिक गतिविधियों का सुझाव दिया जा सकता है जो तनाव, चिंता और बोरियत को कम कर सके। विकल्प में शामिल हो सकते हैं:
- रबर बॉल को हाथ से दबाना
- ड्राइंग, पेंटिंग या बुनाई करना
- जो लोग लगातार अपनी स्किन को नोंचते रहते हैं वो ग्लव्स पहनने के साथ ही बैंडेज का यूज करने की सिफारिश भी की जा सकती है। इससे वे स्किन को डैमेज करने से बच सकेंगे।
- साथ ही स्ट्रेस मैनेजमेंट की प्रेक्टिस कर और कुछ तकनीकों को अपनाकर भी स्किन पिकिंग के ट्रिगर्स को कंट्रोल कर सकते हैं।
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इन बातों का रखें ध्यान
जब भी आप घर में हो और स्किन पिकिंग की इच्छा कर जाए तो खुद को कंट्रोल जरूर करें, साथ ही कुछ बातों का ध्यान भी रखें।
- स्किन केयर के लिए नारियल का तेल और एलोवेरा जेल एप्लाई करें।
- रेगुलर एक्सरसाइज करें।
- तनाव या स्ट्रेस को कम करने के लिए योगा करें। रोजाना गहरी सांस लेने का अभ्यास करें।
- हो सके तो घर के शीशों को कुछ समय के लिए कवर कर दें। शीशे कवर रहेंगे तो बार-बार स्किन को देखकर उसे पिक करने की आदत छूट जाएगी।
- ऐसे टूल्स को भी छिपा कर रख दें, जिनका यूज आप अक्सर स्किन पिकिंग के लिए करते हो, जैसे कि नेल क्लिपर्स, सीजर या चिमटी आदि।
अगर आपको स्किन पिकिंग की समस्या कुछ ही दिनों से महसूस हो रही है तो आपको ध्यान देने की जरूरत है। अगर आपने अपनी आदतों में सुधार नहीं किया तो स्किन को नुकसान भी पहुंच सकता है। साथ ही घाव होने की स्थिति भी पैदा हो सकती है। बेहतर होगा कि ऊपर बताई गई बातों पर ध्यान दें और आदतों में सुधार करें। अगर आपको काफी सालों से स्किन पिकिंग की समस्या है तो एक बार डॉक्टर से जरूर परामर्श करें। बेहतर होगा कि ट्रेंड मेडिकल प्रोफेशनल की हेल्प लें।
एक बात को जरूर हमेशा याद रखें कि किसी प्रकार की मानसिक बीमारी या डिसऑर्डर को ठीक किया जा सकता है, लेकिन उसके लिए आपको समय पर जांच करवाना और डॉक्टर की सलाह को मनाना जरूरी है। साथ ही हमेशा एक सकारात्मक सोच बनाए रखें। बीमारी को मन पर हावी न होने दें।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और स्किन पिकिंग डिसऑर्डर से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।