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दांत निकालने से बेहतर विकल्प है रूट कैनाल की प्रक्रिया

दांत निकालने से बेहतर विकल्प है रूट कैनाल की प्रक्रिया

दांतों में कीड़ा लग जाए या दांतों की जड़ों में संक्रमण हो जाए तो पहले दांत निकालना ही इसका एकमात्र विकल्प था लेकिन, आज यह जरूरी नहीं है। रूट कैनाल के जरिए आप अपने दांतों को बचा सकते हैं। दांत निकालने से खाना चबाने में दिक्कत आना तो एक नुकसान था ही इसके साथ ही दांतों के खिसकने के कारण दांतों की शेप बिगड़ना भी दूसरी बड़ी समस्या बनकर उभर सकती थी। रूट कैनाल उपचार के बाद अब दांत निकालने की जरूरत नहीं पड़ती और आप अन्य समस्याओं से भी नहीं जूझते।

रूट कैनाल की प्रक्रिया क्या है?

रूट कैनाल की प्रक्रिया दांत के संक्रमण के लिए सबसे सही उपचार है। बात करें दांत की बनावट की तो दांत के 3 भाग होते हैं। दांत के बाहरी हिस्से को इनेमल कहते हैं। डेंटीन की यदि बात की जाए तो यह दांत का मुख्य भाग होता है और तीसरा भाग है दांतों का गूदा जोकि नर्म होता है। नसें व ब्लड वैसल दांतों की जड़ (एपेक्स) के माध्यम से अंदर जाती हैं। यह जड़ के कैनाल से होकर पल्प चैंबर तक पहुंचती हैं। दांतों के क्राउन के अंदर पल्प चैंबर होता है। दांत के पल्प के सूज जाने या संक्रमित हो जाने पर ही रूट कैनाल किया जाता है। रूट कैनाल में इस संक्रमित हिस्से को निकाल दिया जाता है। रोग ग्रस्त पल्प को हटाने के बाद उस जगह को साफ किया जाता है और सही आकार देकर भर दिया जाता है।

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पल्प को नुकसान कैसे पहुंचता है?

दांतों के मसूड़ों को निम्न स्थितियों के कारण नुकसान पहुंत सकता है, जिसमें शामिल हो सकते हैंः

रूट कैनाल संक्रमण के लक्षण

रूट कैनाल की प्रक्रिया (Root Canal) कैसे किया जाता है?

रूट कैनाल उपचार करते समय आपके डेटिंस्ट निम्न प्रक्रिया अपना सकते हैं, जिसमें शामिल हैंः

सड़े हुए दांत के ऊपरी हिस्से यानी क्राउन से ड्रिल कर कैनाल को खोल दिया जाता है। इसके बाद सारे पल्प को निकाल दिया जाता है। पूरे कैनाल की हाइड्रोजन पैराक्साइड व सोडियम हायपोक्लोराइड से सफाई की जाती है। कैल्शियम फिलर से इसे पूरी तरह भर दिया जाता है। इसके बाद दांत को सिल्वर फिलिंग या टूथ कलर फिलिंग करके सील कर दिया जाता है। दांत को मजबूत करने के लिए रूट कैनाल ट्रीटमेंट के बाद कैप लगाना जरूरी हो जाता है। यदि कैप ना लगाई जाए तो दांत के टूटने का खतरा रहता है। यदि शुरुआती अवस्था है तो एक या दो सिटिंग से ही इलाज पूरा किया जा सकता है। पहली सिटिंग में करीब 30 से 40 मिनट का वक्त लगता है। वहीं लापरवाही के कारण यह 4 से 5 सिटिंग तक भी पहुंच सकता है।

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रूट कैनाल की प्रक्रिया में कितना समय लग सकता है?

रूट कैनाल की प्रक्रिया एक समय सिर्फ एक दांत या एक से अधिक दांतों के लिए भी अपनाई जा सकती है। सिर्फ एक दांत के रूट कैनाल की प्रक्रिया में लगभग 30 से 40 मिनट का समय लग सकता है। प्रारंभिक अवस्था में इलाज कराने पर एक या दो सिटिंग में ही इलाज पूरा किया जा सकता है। हालांकि, अगर पहली बार में यह असफल रहता है, तो इसे चार या पांच सिटिंग में भी पूरा किया जा सकता है। यह आपके डेटिंस्ट के अनुभव और मरीज के बुनयादी देखभाल दोनों पर ही निर्भर कर सकता है।

रूट कैनाल की प्रक्रिया के दौरान कितना दर्द हो सकता है?

दांतों के मसूड़े बहुत ही सेंसिटिव होते हैं। रूट कैनाल की प्रक्रिया में दांतों को उखाड़ने से लेकर मसूड़ों में छेद करने और मेंटल इंप्लांट तक करने की प्रक्रिया अपनाई जाती है, जो दर्दनाक हो सकती है। दर्द का अनुभव कम से कम हो इसके लिए मरीज को सबसे पहले डेटिंस्ट एंटीबायोटिक्स देते हैं। जिसे इंजेक्शन के जरिए सिर्फ मसूड़ों की नसों में दिया जा सकता है या व्यक्ति को एनेस्थीसिया की मदद से बेहोश भी किया जा सकता है। एंटीबायोटिक्स से मरीज को संक्रमण का जोखिम कम हो जाता है। वहीं, लोकल एनेस्थीसिया मरीज के रूट कैनाल हिस्से को सुन्न कर देता है जिसे उसे दर्द का अनुभव नहीं होता है। अगर इससे भी दर्द का अनुभव बना रहता है, तो डेंटिस्ट पल्प डिवाइटालाइजर का प्रयोग भी कर सकते हैं।

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आधुनिक उपकरणों की मदद से आसान हुआ इलाज

दंत चिकित्सा विज्ञान के आधुनिक उपकरणों ने मरीजों के दर्द को कम किया है। दूसरी तरफ यह दंत चिकित्सक के लिए भी बेहतर साबित हुए हैं। वायरलेस डिजिटल एक्स-रे के इस्तेमाल से रूट कैनाल ट्रीटमेंट कम समय में करना पोसिबल हुआ है। लैपटॉप पर ही आप अपने दांत का एक्स-रे देख सकते हैं।

रूट कैनाल की प्रक्रिया के बाद आपको खान-पान का भी ध्यान देना चाहिए। रूट कैनाल की प्रक्रिया करवाने के बाद सॉफ्ट खाने को ही डायट प्लान में शामिल करें। इसमें दही, अंडे, मछली व खिचड़ी आदि अच्छे विकल्प हैं। रूट कैनाल के बाद कुछ दिनों तक हार्ड या गर्म खाने से दूरी बनाकर रखें।

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रूट कैनाल ट्रीटमेंट के बाद होने वाले दर्द से कैसे राहत पाएं?

रूट कैनाल ट्रीटमेंट के दौरान इस्तेमाल की गई दवाओं का प्रभाव कुछ ही घंटों बाद खत्म हो सकता है। जिसके बाद व्यक्ति को असहनीय दर्द का अनुभव हो सकता है। जिससे राहत पाने के लिए आपको डेटिंस्ट आपको कुछ दवाओं का खुराक दे सकते हैं। जिसे आप दिन में एक बार से लेकर तीन बार खा सकते हैं। जिसमें शामिल हो सकते हैंः

एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं का सेवन

पेरिडोंटल फाइबर ऊतकों का एक समूह होता है जो दांतों को ऐल्वीअलर बोन से जोड़ता है। हालांकि, रूट कैनाल के ट्रीटमेंट के बाद इन ऊतकों के समूह से छेड़छाड़ हो जाती है जिससे ये बुरी तरह प्रभावित भी हो सकते हैं। जो असहनीय दर्द का कारण बन सकता है। ऐसी स्थिति से राहत पाने के लिए आपके डॉक्टर और डेंटिस्ट आपको एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं की तय खुराक दे सकते हैं। हालांकि, इनका अधिक सेवन करने से आपको बचना चाहिए। इनकी उतनी ही खुराक लें, जितना आपके डॉक्टर ने निर्धारित किया हो।

आइस पैक का इस्तेमाल करें

अगर दर्द निवारक दवा की खुराक लेने के बाद भी आपको दर्द का अनुभव हो रहा है, तो ओवरडोज खुराक न लें। इसके बजाय आप आइस पैक का प्रयोग कर सकते हैं। यह आपको दांत के दर्द से तुरंत राहत दिला सकता है।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

25/09/2020

Hema Dhoulakhandi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

Updated by: Ankita mishra


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Hema Dhoulakhandi द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/09/2020

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