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क्या स्किन लाइटनिंग क्रीम के उपयोग से व्यक्ति जा सकता है कोमा में?

क्या स्किन लाइटनिंग क्रीम के उपयोग से व्यक्ति जा सकता है कोमा में?

वो अपने दोस्त के साथ क्रीम खरीदने गई थी लेकिन उसे क्या पता था कि ये स्किन लाइटनिंग क्रीम उस पर भारी पड़ जाएगी। मैक्सिको में ऐसा वाकया सामने आया है। मैक्सिकन स्टेट जलिस्को में स्किन लाइटनिंग क्रीम में टॉक्सिक कंपाउड पाया गया जिससे 47 वर्षीय महिला कोमा में जा चुकी है। सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि वो अभी आपातकालीन कक्ष में है। चलने में असमर्थता के साथ ही उसे हाथ और पैर हिलाने में दिक्कत महसूस हो रही है। अधिकारियों ने महिला का नाम नहीं बताया है लेकिन यू.एस. में कॉस्मेटिक में मेथिलमरकरी के कारण ऐसा पहला मामला सामने आया है। मेथिलमरकरी एक धातु है जिसका उपयोग थर्मामीटर, बैटरी या मिरर जैसी चीजों में किया जाता है। शरीर के साथ लंबे समय तक संपर्क से किडनी डैमेज, पेरीफेरल विजन का लॉस और कॉर्डिनेशन में कमी हो सकती है।

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स्किन लाइटनिंग क्रीम का इस्तेमाल करना जोखिम भरा हो सकता है

स्किन लाइटनिंग क्रीम में पाए गए मेथिलमरकरी रसायन कम गुणकारी होने के साथ ही जहरीला होता है। मेथिलमरकरी को केलोमेल के नाम से भी जाना जाता है। स्किन लाइटनिंग क्रीम में इसे यूज किया जाता है। ऐसा कहा जा रहा है कि महिला ने जिस क्रीम का यूज किया था, उसके साथ छेड़छाड़ की गई थी। लॉस एंजिल्स में ऑक्सिडेंटल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर, भावना शमसुंदर ने कहा कि पारा स्किन की रंजकता (Pigmentation) को दूर करता है और जहरीला प्रभाव छोड़ता है।

बता दें कि पिछले 9 सालों से कैलीफोर्निया में 60 अधिक ब्रांड बिना किसी लेबल के बेचे जा रहे हैं। हालांकि अमेरिका में 1 पार्ट पर मिलियन (ppm) पारा का यूज सौंदर्य प्रसाधनों में किया जा रहा है। लोग इन्हें आसानी से खरीद रहे हैं। एफडीए ने इस बारे में बात करने से इंकार कर दिया है कि वह सौंदर्य प्रसाधनों की निगरानी खराब तरह से कर रहा है। इसका असर ये है कि उपभोक्ता बीमार पड़ रहा है। मार्केट रिसर्च ग्लोबल इंडस्ट्री एनालिस्ट्स के मुताबिक, ‘2024 तक स्किन लाइटिंग क्रीम और प्रोडक्ट्स दुनिया भर में लोकप्रिय हो जाएंगे और मार्केट के 20.2 बिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। स्किन लाइटनिंग क्रीम या प्रोडेक्ट को ब्लेमिशेज (blemishes) और स्किन टोन को निखारने के लिए विज्ञापित किया जाता है।

सील बंद क्रीम खरीदें

गार्सिया का कहना है कि वो खुद स्किन लाइटनिंग क्रीम का यूज करती हैं। वो इस खबर को सुनकर खेद महसूस कर रही हैं। उसका कहना है कि उपभोक्ता को सील बंद सामान का यूज करना चाहिए। जब हम कोई भी सामान खरीदते हैं तो हमे नहीं पता होता है कि आखिर अंदर क्या है?

एक डॉक्टर और डर्मेटोलॉजिस्ट आपकी जरूरत के हिसाब से स्किन लाइटनिंग और ब्लीचिंग प्रोडक्ट्स को रिकमंड कर सकता है। ओवर द काउंटर लेने वाले प्रोडक्ट्स के साथ ये परेशानी भी है कि इनके लेबल पर जिन इंग्रीडेंट का दावा किया जाता है उनके होने की गारंटी नहीं होती। डॉक्टर के द्वारा प्रिस्क्राइब होने पर आप इन पर विश्वास कर सकते हैं।

कैसे काम करते हैं स्किन लाइटिंग प्रोडक्ट्स?

ये प्रोडक्ट्स स्किन में मेलानिन के प्रोडक्शन और उसकी सांद्रता को कम कर देते हैं। मेलानिन एक पिगमेंट है जिसे कोशिकाओं द्वारा प्रोड्यूस किया जाता है। जिसे मेलेनोसाइट्स कहते हैं। आपकी त्वचा में कितना मेलेनिन होगा यह जेनेटिक कारणों पर निर्भर करता है। जिन लोगों की स्किन टोन डार्क होती है उनमें ज्यादा मेलानिन होता है। हॉर्मोन्स, सनलाइट और कुछ निश्चित प्रकार के कैमिकल भी मेलानिन के प्रोडक्शन पर असर डालते हैं।

जब आप स्किन व्हाइटनिंग क्रीम को चेहरे पर उपयोग करते हैं तो इससे मेलेनोसाइट्स की संख्या कम होती है। जिसकी वजह से स्किन टोन लाइट हो जाती है।

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स्किन लाइटनिंग क्रीम के नुकसान क्या हैं?

स्किन लाइटनिंग क्रीम का इस्तेमाल चेहरे की त्वचा को कम समय और कम खर्च में गोरा दिखाने के लिए किया जाता है। आम भाषा में उन्हें गोरा बनाने वाली क्रीम भी कह सकते हैं। इससे चेहरे पर नजर आने वाले दाग-धब्बे हल्के हो जाते हैं और त्वचा में निखार भी आ जाता है। आजकल मार्केट में ये बहुत महंगी और सस्ती कीमतों पर भी उपलब्ध हैं। जिनके कई अलग-अलग ब्रांड भी हैं। इस स्किन लाइटनिंग क्रीम का इस्तेमाल न सिर्फ महिलाएं बल्कि, पुरुष भी करते हैं। दोनों के लिए ही अलग-अलग ब्रांड और विभिन्न विकल्प बाजार में मौजूद हैं, लेकिन स्किन लाइटनिंग क्रीम त्वचा और स्वास्थ्य से जुड़ी कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकती हैं, इसलिए थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है। आइए जानते हैं उनके बारे में।

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स्किन डिजीज का कारण बन सकती है स्किन लाइटनिंग क्रीम

स्किन लाइटनिंग क्रीम या कहें गोरा बनाने वाली क्रीम विभिन्न स्किन डिजीज का कारण बन सकती है। इस मामले पर शोधकर्ताओं ने एक शोध किया, जिसमें 406 लोगों को शामिल किया गया, जो स्किन लाइटनिंग क्रीम का इस्तेमाल करते थे। इनमें से अधिकतर लोग डर्मेटोलॉजी क्लीनिक में इलाज करा रहे थे। जिन्होंने बताया कि उनके चेहरे के इलाज के दौरान गोरा बनाने क्रीम का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल किया गया जाता है।

अध्ययन में शामिल सभी लोगों के स्किन टाइप की जांच की गई और यह भी पता लगाया गया कि स्किन लाइटनिंग क्रीम के इस्तेमाल के कारण उन्हें किस तरह के त्वचा रोगों का खतरा बढ़ सकता है और उनकी यह बीमारी कितनी गंभीर हो सकती है। स्किन लाइटनिंग क्रीम के इस्तेमाल से ज्यादातर मरीजों में मेलास्मा (इस स्थिति में चेहरे की त्वचा पर कत्थई से लेकर भूरे रंग के कई पैच नजर आते हैं) और पोस्ट इन्फ्लेमेटरी हाइपरपिगमेंटेशन का जोखिम पाया गया। वहीं, अध्ययन में शामिल आधे से कम मरीजों का यह भी कहना था कि स्किन लाइटनिंग क्रीम के इस्तेमाल के कारण उन्हें अपनी रंगत में काफी सुधार नजर आया है। जिनमें से लगभग 27 फीसदी इसके नतीजों से काफी संतुष्ट भी थे।

किडनी के लिए जोखिम भरी है स्किन लाइटनिंग क्रीम

स्किन लाइटनिंग यानी गोरा बनाने की क्रीम और अन्य उत्पादों में मरकरी  का इस्तेमाल किया जाता है। स्किन लाइटनिंग क्रीम के अलावा आई मेकअप प्रॉडक्ट्स में भी मरकरी का इस्तेमाल किया जाता है। जो सबसे ज्यादा नुकसान किडनी को पहुंचा सकती हैं। मरकरी युक्त मेकअप प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल करने से कई तरह के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जिनसे किडनी डैमेज होने का खतरा भी अधिक बढ़ जाता है। साथ ही, मर्क्युरी के अधिक  इस्तेमाल करने से नर्वस सिस्टम, पाचन तंत्र और फेफड़ों को भी नुकसान होता है। साथ ही साथ यह एंग्जाइटी, डिप्रेशन, ड्राईनेस और स्किन रैशेज का भी कारण बन सकती है।

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स्किन डिअसॉर्डर का कारण बन सकती हैं स्किन लाइटनिंग क्रीम

स्किन लाइटनिंग क्रीम के उपयोग से एक प्रकार का स्किन डिसऑर्डर हो सकता है। जिसकी वजह से ब्लू और ब्लैक पिगमेंटेशन हो सकता है। लंबे समय तक स्किन लाइटनिंग और स्किन ब्लीचिंग क्रीम का उपयोग करने से यह परेशानी हो सकती है। जो लोग शरीर के अधिक हिस्से पर स्किन लाइटनिंग क्रीम का उपयोग करते हैं उनमें ये डिसऑर्डर डेवलप हो जाता है। जिसे इक्सोजीनस ओक्रोनोसिस (Exogenous ochronosis) कहते हैं।

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स्टेरॉयड एक्ने भी हो सकते हैं स्किन लाइटनिंग क्रीम से

स्किन ब्लीचिंग और स्किन लाइटिंग क्रीम में कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स होता है। जो स्टेरॉइड एक्ने का कारण बन सकता है। ज्यादातर स्टेरॉइड एक्ने सीने पर होते हैं, लेकिन ये पीठ, बाहों और बॉडी के दूसरे हिस्सों में भी हो सकते हैं। लंबे समय तक स्किन लाइटनिंग क्रीम का उपयोग करने से ऐसा होता है। इसके लक्षण निम्न हैं।

  • व्हाइटहेड्स और ब्लैकहेड्स
  • छोटे लाल दाने
  • बड़े और दर्द देने वाले लम्पस

खुजली की समस्या

यह स्किन लाइटनिंग क्रीम से होने वाला सबसे सामान्य साइड इफेक्ट है। कई बार यह क्रीम का उपयोग करने के तुरंत बाद ही दिखाई देने लगता है। ऐसा होने पर आपको अपना चेहरा तुरंत ठंडे पानी से धोना चाहिए। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप क्रीम का उपयोग लंबे समय तक करेंगे तो यह आपकी स्किन की संवेदनशीलता को डैमेज कर देगी।

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फोटोसेंसिटिवटी

अधिक मात्रा में और लंबे समय तक स्किन लाइटनिंग क्रीम का उपयोग आपकी स्किन को पतला बना सकता है। जिससे स्किन के डैमेज होने का खतरा अधिक रहता है। इसकी वजह से स्किन सनलाइट के प्रति अधिक सेंसटिव हो जाती है खासकर अल्ट्रावायलेट किरणों के लिए। फोटोसेंसिविटी के चलते कम समय के लिए धूप में निकले पर भी सनबर्न और रैशेज जैसी समस्याएं होने लगती हैं।

मरकरी पॉइजनिंग

कुछ स्किन व्हाइटनिंग क्रीम में मरकरी का उपयोग किया जाता है जो कि मरकरी पॉइजनिंग का कारण बनता है। बता दें कि अमेरिका में स्किन लाइटनिंग प्रोडक्ट्स में मरकरी का उपयोग बैन है, लेकिन कुछ देशों में ऐसा नहीं है। 2014 में 549 स्किन लाइटनिंग क्रीम पर की गई एक स्टडी में 12 प्रतिशत मरकरी पाई गई थी।

मरकरी पॉइजनिंग के लक्षण निम्न हैं।

  • चेहरे या जहां पर क्रीम लगाई है उस जगह का सुन्न पड़ जाना
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • थकान
  • प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता
  • न्यूरोलॉजिकल लक्षण जैसे कि, याद्दाश्त में कमी, कंपन आदि
  • किडनी फेलियर

स्किन लाइटनिंग क्रीम के अन्य साइड इफेक्ट्स क्या हैं?

हाल ही में सेंटर फौर साइंस एंड एनवार्नमेंट नामक संस्था द्वारा कराए अध्ययन में इसका दावा किया गया है कि, भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली स्किन लाइटनिंग क्रीम में 44 फीसदी मरकरी यानि पारा की मात्रा होती है। जिनका जिक्र गोरा बनाने वाली क्रीम के उत्पादों या पैक के लेबल पर नहीं किया जाता है। जिसके कारण निम्न तरह के साइड इफेक्ट्स का जोखिम भी बना रहता हैः

क्या कहता है एफडीए (Food and drug administration)?

एफडीए ओटीसी (ओवर द काउंटर) मिलने वाले स्किन लाइटनिंग प्रोडक्ट्स को सुरक्षित और प्रभावकारी नहीं मानता। ऐसे प्रोडक्ट्स जिन्हें नैचुरल स्किन ब्लीचिंग और स्किन लाइटनिंग के तौर पर प्रचारित किया जाता है वे एफडीए के द्वारा रेगुलेट नहीं होते हैं। ज्यादातर स्किन लाइटनिंग प्रोडक्ट्स ज्यादा डार्क स्किन वाले लोगों को रिकमंड नहीं किए गए हैं क्योंकि ये हाइपरपिगमेंटेशन का कारण बन सकता है। इसके साथ ही स्किन लाइटनिंग ट्रीटमेंट बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को उपयोग करने की सिफारिश नहीं की जाती।

स्किन लाइटनिंग क्रीम में पाए जाने वाले हानिकारक कैमिकल्स जो स्किन डैमेज का कारण बनते हैं।

1. स्टेरॉयड

स्किन लाइटनिंग क्रीम में स्टेरॉयड होते हैं जिनका उपयोग त्वचा पर तेजी से और बेहतर परिणाम देने के लिए किया जा है। आपकी त्वचा को गोरा बनाने के लिए यूज किए जाने वाले इन स्टेरॉयड के कारण स्थायी निशान, पिंपल्स, एलर्जी और त्वचा का स्थायी कालापन हो सकता है। यह आपकी त्वचा को पतला बनाते हैं जिससे चेहरे पर बालों की मात्रा बढ़ती है। हम यही कहेंगे कि इन स्किन लाइटनिंग क्रीम से बचें और अपनी त्वचा की रंगत का सम्मान करें।

2. हाइड्रोक्विनोन

अधिकांश फेयरनेस क्रीम उत्पादों में हाइड्रोक्विनोन होता है जो ब्लीचिंग एजेंट के रूप में काम करता है। आप उत्पाद को गोरा करने के लिए खरीद सकते हैं, लेकिन हाइड्रोक्विनोन त्वचा को काला कर देता है। इस रसायन को जापान, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में प्रतिबंधित कर दिया गया है। इन उत्पादों के निरंतर उपयोग से आपकी त्वचा हल्की, पतली और अधिक संवेदनशील हो जाती है। यह त्वचा पर तुरंत रिएक्शन करके घातक परिणाम दे सकता है।

3.पैराबीन्स

सभी फेयरनेस क्रीम्स में प्रिजर्वेटिव्स का उपयोग किया जाता है जिसमें एक हानिकारक इंडीग्रेट होता है जिसे पैराबीन्स कहा जाता है। यह कैमिकल सस्ता होता है और ज्यादा कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में उपयोग होता है। आप ऐसी किसी क्रीम का उपयोग न करें जिसमें पैराबीन्स हो। इसकी जगह आप पैराबीन फ्री क्रीम का यूज कर सकते हैं।

4. लेड और मरकरी

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट इन इंडिया (CSE) की रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा प्रसिद्ध स्किन व्हाइटनिंग क्रीम में लेड और मरकरी पाया जाता है। स्किन लाइटनिंग क्रीम में पाए जाने वाले तत्व खतरनाक होते हैं और आपकी त्वचा को सूरज की रोशनी के प्रति संवेदनशील बनाते हैं, या यहां तक कि त्वचा के काले पड़ने का कारण भी बनते हैं। अधिक बार उपयोग करने पर यह आपके चेहरे पर निशान छोड़ सकते हैं जो स्थायी हो सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्किन लाइटनिंग क्रीम आपकी त्वचा की सहनशीलता को कम कर देती है जिससे वह अपनी सेल्फ रिपेयर की क्षमता खो देती है।

ऊपर दी गई स्किन लाइटनिंग क्रीम से जुड़ी सलाह किसी भी चिकित्सा को प्रदान नहीं करती हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और स्किन लाइटनिंग क्रीम और इसके उपयोग से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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https://www.aad.org/public/cosmetic/age-spots-marks/skin-lightener-containing-mercury-cause-health-problems/Accessed on 5th October 2020

How to Stay Safe and Cancer-free When Whitening Your Skin/http://cancercode.org/stay-safe-cancer-free-whitening-skin/Accessed on 5th October 2020

 

Current Version

12/05/2021

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nikhil deore


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

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Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/05/2021

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