परिचय
पेलाग्रा रोग (pellagra) क्या है?
शरीर में विटामिन बी-3 (नियासिन) की कमी के कारण पेलाग्रा रोग (pellagra) होता है। पेलाग्रा रोग में दस्त, त्वचा रोग और भ्रम होने की स्थिति होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर सही समय पर इसका उपचार नहीं कराया जाए, तो यह जीवन के लिए जोखिम भरा हो सकता है। इसके अलावा अगर शरीर सही तरीके से नियासिन भोजन को अवशोषित नहीं कर पाता है, तो भी पेलाग्राzs रोग का खतरा हो सकता है।
कितना सामान्य है पेलाग्रा रोग होना?
पेलाग्रा रोग का खतरा पहले के मुकबाले आज के समय में बहुत कम देखा जाता है। आमतौर पर कुपोषण के कारण ही पेलाग्रा रोग होता है। इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
यह भी पढ़ेंः विटामिन-बी की कमी होने पर खाएं ये चीजें
लक्षण
पेलाग्रा रोग होने के लक्षण क्या है?
पेलाग्रा रोग होने के सामान्य लक्षण हैंः
- सूरज की रोशनी के संपर्क में आने पर त्वचा मोटी होना या पपड़ीदार बनना
- मुंह में सूजन और जीभ का लाल होना
- उल्टी और दस्त लगना
- सिरदर्द
- त्वचा रोग
- दाद
- डिप्रेशन
- मेमोरी लॉस
- मन अस्थिर होना
इसके सभी लक्षण ऊपर नहीं बताएं गए हैं। अगर इससे जुड़े किसी भी संभावित लक्षणों के बारे में आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अगर ऊपर बताए गए किसी भी तरह के लक्षण आपमें या आपके किसी करीबी में दिखाई देते हैं या इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें। हर किसी का शरीर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया करता है।
यह भी पढ़ेंः गजनी फिल्म की तरह हो गई है इस लड़की की जिंदगी
कारण
पेलाग्रा रोग के क्या कारण हैं?
पोलाग्रा नियासिन (विटामिन बी-3) की कमी के कारण होने वाला रोग है। जो दो तरह से हो सकता है:
- आहार में अपर्याप्त नियासिन या ट्रिप्टोफैन की कमी यह प्राथमिक पेलाग्रा के परिणाम हो सकते हैं (मुख्य रूप से विकासशील देशों या गरीबी से प्रभावित क्षेत्रों में)।
- सेकेंडरी पेलाग्रा तब होता है जब आहार में पर्याप्त नियासिन होता है लेकिन शरीर इसका अवशोषण सही ढंग से नहीं कर पाता है। सेकेंडरी पेलाग्रा के कारणों में शामिल हैं:
- लंबे समय से शराब का सेवन
- लंबे समय से दस्त की समस्या
- अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोग
- लिवर सिरोसिस
- कार्सिनॉइड ट्यूमर
- हार्टनप रोग (ट्रिप्टोफैन मेटाबोलिज्म डिसऑर्डर)
- अत्यधिक दवाओं का सेवन।
यह भी पढ़ेंः हमेशा भूख लगी रहना, हो सकती है खतरे की घंटी
जोखिम
कैसी स्थितियां पेलाग्रा रोग को बढ़ा सकती हैं?
गरीबी, दैनिक आहार में मुख्य आहार शामिल नहीं करना जो नियासिन की मात्रा को बढ़ाते हैं, जैसे- मक्का, बाजरा या ज्वार। खराब या बासी भोजन करना,हयूमन /इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस (एचआईवी), शराब का दुरुपयोग, कुछ दवाओं का सेवन, जैसे- आइसोनियाजिड, पाइराजिडामाइड, कार्बामाजेपिन, कार्बिडोपा, क्लोरैमफेनिकॉल, फेनिओट्रोबिन, फेनोबार्बिटल। कुछ तरह के रोग, जैसे- गैस्ट्रेक्टमी, कार्सिनॉइड सिंड्रोम, क्रोहन रोग, हार्टनअप रोग और हाइपोथायरॉइड।
उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
पेलाग्रा रोग का निदान कैसे किया जाता है?
नियासिन की मात्रा को चेक करने के लिए यूरिन टेस्ट किया जा सकता है। मूत्र में पाए जाने वाले उत्पादों में निकोटिनिक एसिड, नियासिन ऑक्साइड और मेटाबोलाइट्स की मात्रा शामिल होती हैं जिनमें 2-पाइरिडोन और 2-मिथाइल निकोटिनमाइड होता है।
निकोटिनामाइड एडेनिन डाईन्यूक्लियोटाइड (NAD) या निकोटिनामाइड एडेनिन डायन्यूक्लियोटाइड फॉस्फेट (NADP) में रेड ब्लड सेल्स (RBC) के लेवल की भी जांच की जा सकती है।
पेलाग्रा रोग का इलाज कैसे होता है?
पेलाग्रा का इलाज करने के लिए नसों के जरिए या खाने वाली गोलियों के जरिए नियासिन या निकोटीनैमाइड की खुराक दी जाती है।
उपचार शुरू होने के दो दिनों बाद ही प्राथमिक पेलाग्रा की स्थिति में बदलाव देखा जा सकता है। साथ ही, विटामिन बी-3 से और हाई प्रोटीन से भरपूर आहारों का भी सेवन करना होता है। अगर इसके बाद भी पेलाग्रा की स्थिति बनी रहती है, तो यह सेकेंडरी पेलाग्रा हो सकती है जिसके उपचार की अलग प्रक्रिया हो सकती है।
त्वचा पर हुए घावों का उपचार करने के लिए इमोलिएंट का इस्तेमाल किया जा सकता है। रिकवरी के दौरान आपको धूप में जाने से बचाव करना होगा। नियमित तौर पर अपनी त्वचा पर डॉक्टर द्वारा निर्देशित सनस्क्रीन या लोशन का इस्तेमाल करना होगा।
यह भी पढ़ेंः चमकदार त्वचा चाहते हैं तो जरूर करें ये योग
घरेलू उपाय
जीवनशैली में हाेने बदलाव क्या हैं, जो मुझे पेलाग्रा रोग को प्रबंधित रोकने में मदद कर सकते हैं?
लाइफ स्टाइल में बदलाव और घरेलू उपाय निम्न प्रकार से हैं जो आपको पेलाग्रा को प्रबंधित करने में मददगार हो सकते हैं:
- शरीर में नियासिन की उचित मात्रा बनाए रखने के लिए पुरुषों को प्रति दिन 16 मिलीग्राम और महिलाओं को प्रतिदिन 14 मिलीग्राम विटामिन बी-3 से युक्त आहारों का सेवन करना चाहिए। नियासिन के अच्छे स्रोतों में रेड मीट, मछली, मुर्गी, ब्रेड, अनाज और मूंगफली शामिल कर सकते हैं।
- अगर आप किसी स्वास्थ्य स्थिति या अन्य कारणों से नियासिन की उच्च मात्रा युक्त आहार नहीं खा सकते हैं, तो इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। नियासिन की मात्रा पूरी करने के लिए आप अपने डॉक्टर की सलाह पर नियासिन की खुराक का सेवन कर सकते हैं।
- नियासिन की खुराक जैसे कि निकोटिनिक एसिड या निकोटिनामाइड को नियासिन की कमी के इलाज और रोकथाम के लिए एफडीए द्वारा अनुमोदित किया जाता है। आप अपने डॉक्टर की देखरेख में, उच्च ट्राइग्लिसराइड्स सहित उच्च कोलेस्ट्रॉल के इलाज के लिए ओवर-द-काउंटर या प्रिस्क्रिप्शन के आधार पर नियासिन या निकोटिनिक एसिड की उच्च खुराक का उपयोग कर सकते हैं।
नियासिन सप्लीमेंट्स के कारण होने वाले आम दुष्प्रभाव भी हैंः
- फ्लशिंग
- मतली
- उल्टी
- प्रुरिटस
- पित्ती
- असामान्य रूप से हाई लिवर एंजाइम
- कब्ज
हालांकि, बहुत अधिक निकोटिनिक एसिड या नियासिन लेना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है। इसकी उतनी ही मात्रा का सेवन करें जितना आपके डॉक्टर ने निर्धारित किया हो। अगर आप प्रति दिन 100 मिलीग्राम से अधिक की खुराक ले रहे हैं, डॉक्टर आपको समय-समय पर लिवर की जांच करवाने को कहेंगे।
यदि आपके पास गाउट का इतिहास है, तो आपको सावधान रहना चाहिए। क्योंकि यह सीरम यूरिक एसिड की मात्रा को भी बढ़ा सकता है।
अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो उसकी बेहतर समझ के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
।
यह भी पढ़ें-
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन से बचने के 8 घरेलू उपाय
विटामिन-बी की कमी होने पर खाएं ये चीजें
वैक्सिंग के बाद हो जाते हैं स्किन पर दानें? अपनाएं ये घरेलू उपाय
[embed-health-tool-bmi]