टिनिया वेर्सिकोलोर क्या है?
टिनिया वर्सिकोलर फंगस मलेसेजिया की वजह से होता है, इसकी वजह से त्वचा पर यीस्ट इंफेक्शन होता है। सामान्य भाषा में अगर इसे समझा जाए तो यह एक तरह का स्किन पर होने वाला फंगस है। वास्तव में मलेसेजिया जैसे यीस्ट और कई माइक्रोबायोटा (या सूक्ष्म जीव) आपको संक्रमण और अन्य बीमारियों से बचाने में भूमिका निभाते हैं।
कभी-कभी यीस्ट के जरूरत से ज्यादा बढ़ जाने की वजह से त्वचा की प्राकृतिक रंगों पर असर करती है। अगर ऐसा होता है तो त्वचा पर अंतर साफ समझा जा सकता है। इस बदलाव को टिरिआसिस वर्सिकोलर भी कहा जाता है।
ऐसी स्थिति तब होती है जब मलेसेजिया फैमली से किसी एक प्रकार का यीस्ट इंफेक्शन का कारण बनता है, ऐसे में व्यक्ति का इम्यून सिस्टम पर सबसे पहले असर पड़ता है।
कितना सामान्य है टिनिया वेर्सिकोलोर की समस्या?
टीनिया वेर्सिकोलोर किसी को भी हो सकता है। यह सबसे ज्यादा किशोरों और वयस्कों में होता है। वयस्कों में यह तब होने की संभावना ज्यादा होती है जब वह सबट्रॉपिकल क्लाइमेट जैसे एरिया के संपर्क में ज्यादा होता है। वैसे कारण जो भी हो डॉक्टर से सलाह लेकर इससे निजात पाया जा सकता है।
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टिनिया वेर्सिकोलोर के लक्षण क्या हैं?
टिनिया वेर्सिकोलोर की समस्या होने पर इसे आसानी देखा जा सकता है और समझा जा सकता है। टिनिया वेर्सिकोलोर की वजह से स्किन पर खासकर सीने पर, गर्दन पर, पीठ और हाथों पर पैच नजर आते हैं। यह पैच ज्यादातर-
- त्वचा के रंग की तुलना में हल्के या गहरे होंगे।
- गुलाबी, लाल या भूरे रंग का होना।
- स्किन सूखने लगती है और खुजली भी होती है।
टिनिया वेर्सिकोलोर की समस्या अगर सावले रंग की त्वचा पर हो तो त्वचा का रंग हल्का पड़ने लगता है, जिसे हायपोपिगमेंटेशन कहा जाता है। लेकिन, कुछ लोगों में स्किन का कलर हल्का पड़ने की बजाए गहरे भी हो जाते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हो सकते हैं, जिनके त्वचा पर कोई बदलाव न आए।
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डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?
अगर आपको निम्नलिखित परेशानियों में से कोई भी है, तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:
- त्वचा की देखरेख करने के बाद भी फंगस इंफेक्शन का बार-बार होना।
- त्वचा पर हुए पैच का बढ़ना।
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किन कारणों से होता है टिनिया वेर्सिकोलोर?
टिनिया वर्सीकोलर का कारण तब होता है जब मलसेजिया त्वचा की सतह पर तेजी से और तेजी से बढ़ने लगता है। हालांकि ऐसा क्यों होता है, इसे डॉक्टर्स भी समझ नहीं पाते हैं। कुछ कारण हो सकते हैं, जिनकी वजह से टिनिया वेर्सिकोलोर की समस्या हो सकती है, उनमें शामिल है:
- मौसम गर्म या नम होना।
- त्वचा का ऑयली होना।
- इम्यून सिस्टम का कमजोर होना।
- हॉर्मोनल बदलाव।
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किन कारणों से बढ़ सकती है टिनिया वेर्सिकोलोर की समस्या?
कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
- अत्यधिक पसीना आना।
- अत्यधिक नमी या गर्म मौसम होना।
- ऐसी दवाओं का सेवन करना जिसका असर इम्यून सिस्टम पर पड़ता हो।
- इम्यून सिस्टम का कमजोर होना।
- कैंसर।
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निदान और उपचार
दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
टिनिया वेर्सिकोलोर का निदान कैसे किया जाता है?
अगर डॉक्टर को संदेह है कि आप इस स्थिति का अनुभव कर रहें हैं, तो एक बॉडी चेकप की जाएगीन और कुछ प्रक्रिया अपना कर टिनिया वेर्सिकोलोर का पता लगा सकते हैं। माइक्रोस्कोप की मदद से सेल्स की जांच की जाती है और यीस्ट का पता लगाया जा सकता है। बीओप्सी या टिसू की जांच की जा सकती है। इससे स्थिति को समझना आसान हो जाता है। वुड्स लैंप की मदद से भी स्किन की जांच की जा सकती है। इसमें अल्ट्रावायोलेट किरणे होती हैं, जो यीस्ट होने पर स्किन का कलर पीला या हरा दिखाता है।
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टिनिया वेर्सिकोलोर का इलाज कैसे किया जाता है?
आपकी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर इलाज शुरू करेंगे।
वैसे समस्या कम होने पर डॉक्टर आपको घर पर ही इसे कैसे ठीक किया जाए यह बता सकते हैं। इंफेक्शन से बचने के लिए ओटीसी एंटीफंगल क्रीम, शैम्पू या इंफेक्शन से बचने के लिए कोई और सुझाव आपको दी जा सकती है।
अगर परेशानी ज्यादा है तो डॉक्टर आपको क्रीम लगाने की सलाह दे सकते हैं, जिसका इस्तेमाल स्किन पर किया जाता है। डॉक्टर आपको दवा भी दे सकते हैं।
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टिनिया वेर्सिकोलोर होने पर जीवनशैली में क्या बदलाव करें और घरेलू नुस्खे क्या हैं जिससे इस परेशानी से बचा जा सकता है?
निम्नलिखित जीवनशैली और घरेलू उपचार आपको टिनिया वेर्सिकोलोर से निपटने में मदद कर सकते हैं:
- अत्यधिक गर्मी से बचें।
- तेज धूप में न जाएं।
- शरीर को पसीने से बचाएं।
- ढीले कपड़े पहनें।
- ऐसे क्रीम या कॉस्मेटिक का इस्तेमाल न करें जिनमें ऑइल ज्यादा हो।
- डॉक्टर द्वारा बताए गए क्रीम का इस्तेमाल करना बेहतर होगा।
- टी ट्री ऑयल टिनिया वेर्सिकोलोर में आराम पहुंचाता है। एक टेबलस्पून नारियल के तेल में आप सात बूंद टी ट्री ऑयल को मिलाएं और उसे टिनिया वेर्सिकोलोर से प्रभावित स्थान पर लगा कर मसाज करें। इसके एक घंटे बाद गुनगुने पानी से साफ कर लें। ऐसा दिन में कम से कम दो से तीन बार करें।
- टिनिया वेर्सिकोलोर में लहसुन का प्रयोग करें। लहसुन में बैक्टीरियल, वायरल और फंगल इंफेक्शन से निपटने की क्षमता होती है। एक अध्ययन के अनुसार स्ट्रेप्टोकॉकस स्ट्रेन पर लहसुन को बहुत प्रभावशाली पाया गया है। लहसुन को काट कर सीधे टिनिया वेर्सिकोलोर से प्रभावित वाले स्थान पर लगाएं। आप चाहे तो इसे मसल कर टिनिया वेर्सिकोलोर वाले स्थान पर लगा सकते हैं। साथ ही लहसुन को अपने डायट का हिस्सा बनाने से आपको जल्द फायदा होगा।
- नीम में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जिससे यह सभी तरह के इंफेक्शन में फायदेमंद होता है। भारतीय आयुर्वेद में नीम सबसे अव्वल औषधि है। नीम की छाल को किसी पत्थर पर रगड़ने से जो पेस्ट निकलता है उसे टिनिया वेर्सिकोलोर वाले स्थान पर लगाएं। इसके अलावा आप चाहें तो नीम के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
इस आर्टिकल में हमने आपको टिनिया वेर्सिकोलोर से संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस बीमारी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे। अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए।