के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
टर्नर सिंड्रोम जेनेटिक डिसऑर्डर की वजह से होने वाली बीमारी है, जिसका असर हमारे क्रोमोजोम पर पड़ता है। क्रोमोजोम में जीन शामिल होते हैं, जिससे डीएनए बनता है। क्रोमोजोम की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। इसके साथ ही यह हर व्यक्ति का शरीर अलग-अलग ढंग से काम करते हैं। क्रोमोजोम में किसी प्रकार का दोष कई तरह की समस्याओंं को जन्म देना है। यह समस्या गंभीर भी हो सकती है। इंसानी शरीर में क्रोमोजोम के 23 ग्रुप होते हैं, जिसमें से 23 वां क्रोमोजोम सेक्स (लिंग) का निर्धारण करता है (पुरुषों में XY और महिलाओं में XX)। टर्नर सिंड्रोम में एक X क्रोमोजोम में दोष होता है।
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टर्नर सिंड्रोम सिर्फ महिलओं में होने वाली बीमारी है और इस कारण X क्रोमोजोम की कमी हो जाती है।
क्यों होते हैं आनुवंशिक विकार?
हालांकि, यह जानना जरूरी है कि कुछ जन्मदोष विकास में देरी या पिता के दवाइयों के संपर्क में आने से और एल्कोहॉल के सेवन के चलते होते हैं।
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टर्नर सिंड्रोम वाले शिशु अक्सर धीरे-धीरे बड़े होते हैं और उनमें पाचन की समस्या होती है। ऐसे बच्चों को शारीरिक बनावट की समस्या उत्पन्न हो सकती है, जैसे-
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निम्नलिखित लक्षण होने पर डॉक्टर से संपर्क करें:
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भ्रूण की प्रत्येक कोशिका 46 गुणसूत्रों से बनती है, जो 23 गुणसूत्र के दो अलग-अलग जोड़े होते हैं। एक भ्रूण को बनाने के लिए 23 गुणसूत्रीय दो कोशिकाएं एक साथ आकर मिलती हैं और 46 जोड़ी जायगोट बनता है। इसके बाद ही यह भ्रूण का रूप लेता है। कुछ मामलों में कोशिकाओं के विभाजन के दौरान गुणसूत्रों का एक अतिरिक्त जोड़ा दोनों गुणसूत्र के जोड़ो में से किसी एक में मिल जाता है। यहां गुणसूत्र के दो जोड़े होने के बजाय तीन जोड़े हो जाते हैं। इस प्रकार की अनियमितता के चलते बच्चे में सामान्य शारीरिक और जन्मजात बदलाव पैदा होते हैं। इसे ही जेनेटिक डिसऑर्डर कहा जाता है।
यह अनुवांशिक विकार सिर्फ महिलाओं में ही देखा जाता है। ऐसे मामले भी 4,000 बच्चों में से किसी एक में सामने आते हैं। इसमें दो X गुणसूत्र प्राप्त करने के बजाय टर्नर सिंड्रोम वाले बच्चे के पास सिर्फ एक X गुणसूत्र (45X) होता है।
टर्नर सिंड्रोम शिशु की बौद्धिकत्ता को प्रभावित नहीं करता है। यह उसकी लंबाई और फर्टिलिटी को प्रभावित करता है। इस सिंड्रोम से ग्रसित बच्चे को हार्ट डिफेक्ट्स, असामान्य गर्दन जैसी स्वास्थ्य से संबंधित कुछ समस्याएं हो सकती हैं लेकिन, निगरानी और उपचार के साथ टर्नर सिंड्रोम वाली महिला लंबा और स्वास्थ्य जीवन व्यतीत कर सकती है।
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क्रोमोजोम में कमी या परिवर्तन अनियमित रूप से होते हैं। कभी-कभी यह स्पर्म या ओवम के एक साथ आने की समस्याओं के कारण होता है। कभी-कभी ऐसा भ्रूण के विकास के प्रारंभिक चरण में होती है। इसे ब्लड रिलेशन के कारण नहीं माना जा सकता है।
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यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से संपर्क करें और सलाह लें।
छोटी उम्र से ही टर्नर सिंड्रोम की परेशानी का पता लगाया जा सकता है। ब्लड टेस्ट से बीमारी की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। क्रोमोजोम की व्यवस्था को ह्यूमन फेनोटाइप कहा जाता है। लिवर या किडनी की बीमारी जैसे टर्नर सिंड्रोम के कारण होने वाली अन्य बीमारियों की जानकारी या वो ठीक तरह से काम कर रहें हैं या नहीं इसकी भी जांच की जाती है।
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टर्नर सिंड्रोम होने पर हार्मोनल थेरेपी दी जाती है। कई बार महिलाओं की लंबाई कम होती है, जिसे बढ़ाने के लिए इंजेक्शन भी सकती है। अन्य किडनी या हृदय से जुड़ी बीमारियों को ध्यान में रख कर भी दवाएं दी जाती हैं।
निम्नलिखित टिप्स अपना कर टर्नर सिंड्रोम से बचा जा सकता है:
इस आर्टिकल में हमने आपको टर्नर सिंड्रोम से संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस बीमारी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे। अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए।
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