फॉस्फेट टेस्ट
परिभाषा
फॉस्फेट टेस्ट (Phosphate Test) क्या है?
फॉस्फेट टेस्ट आपके रक्त में फॉस्फेट की मात्रा को मापता है।
खनिज फॉस्फोरस को ऑक्सीजन से मिलाने पे फॉस्फेट बनता है । खाने पीने की कुछ चीजें – जैसे, बीन्स, नट्स, अनाज, दूध, अंडे, बीफ़, चिकन, और मछली से फॉस्फोरस आपकी आंतों में प्रवेश करता है। जब यह ऑक्सीजन के साथ मिलता है, तो यह फॉस्फेट बन जाता है।
अधिकांश फॉस्फेट कैल्शियम के साथ मिलकर आपकी हड्डियों और दांतों के निर्माण और मरम्मत के काम करते हैं। कुछ आपकी मांसपेशियों और नर्व्स/तंत्रिकाओं का सपोर्ट करते हैं।
टेस्ट के दौरान फॉस्फोरस को फॉस्फेट या ऐसा ही कुछ बोला या सुना जाता है । ऐसे शब्दों से भृमित ना हो।
मुझे टेस्ट फॉस्फेट टेस्ट (Phosphate Test) की आवश्यकता क्यों है?
हालांकि, फॉस्फेट हमारे आंतो के द्वारा सोख लिया जाता है और किडनी से फ़िल्टर होकर बाहर निकल जाता है । आमतौर पर यह टेस्ट किडनी और बोन डिसऑर्डर को डायग्नोज और मोनिटर करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा डॉक्टर पैराथॉयराइड डिसऑर्डर को डायग्नोज करने के लिए भी यह टेस्ट रिकमेंड कर सकते हैं।
एब्नॉर्मल फॉस्फेट का लेवल जैसे, हड्डी की समस्या, थकान और कमजोरी जैसे लक्षण दिखने पे किडनी विकार/डिसऑर्डर होने के संकेत देता है।
आपका डॉक्टर फॉस्फेट टेस्ट कराने के निर्देश दे सकता है अगर उसे लगता है कि:
- डाइबिटीज की समस्या है
- हार्मोन इमबैलेंस (Hormone Imbalance), जैसे कि विटामिन डी या पीटीएच/PTH, एक हार्मोन है जो आपके शरीर में कैल्शियम और फॉस्फोरस को संतुलित करने में मदद करता है।
- कुपोषण (Malnourishment)
चूंकि फॉस्फेट कैल्शियम के साथ मिलकर काम करता है, इसलिए डॉक्टर यह निर्धारित करने के लिए भी फॉस्फेट टेस्ट की मदद ले सकता है कि आपके शरीर में कैल्शियम की कमी तो नहीं और वह सही ढंग से काम कर रहा है या नहीं । कैल्शियम से संबंधित समस्याएं कम विटामिन डी का संकेत हो सकती हैं, या दूसरी समस्याए हो सकती है जैसे :
- हड्डी की समस्या (Bone Problem)
- अत्यधिक थकान (Feeling Tired)
- मांसपेशियों में कमजोरी (Muscle Weakness)
- ऐंठन (Cramping)
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प्रक्रिया
मुझे इसकी तैयारी कैसे करनी चाहिए?
- आपका डॉक्टर आपको उचित दिशानिर्देश देगा, कृपया उन्हें ध्यान से पालन करें।
- डॉक्टर आपको टेस्ट होने से पहले आधी रात से लेकर टेस्ट होने के बाद तक उपवास या फास्टिंग के निर्देश दे सकता है ।
- जनरल मेडिसिन, विटामिन,हर्बल सप्लीमेंट या वो दवाएं जो आप बिना प्रिस्क्रिप्शन के भी सेवन कर रहे है, टेस्ट से पहले इन सभी दवाओं के बारे में अपने डॉक्टर को सूचित करें।
टेस्ट के दौरान क्या होता है?
इंजेक्ट साइड को साफ करने के बाद डॉक्टर आपकी बाह पे एक रबर बैंड लगा देगा ताकि आपकी नसों से खून आसानी से निकाला जा सके । इसके बाद डॉक्टर आपकी नसों में सुई इंजेक्ट करेगा और ब्लड को एक ट्यूब में कलेक्ट कर लेगा । जरूरत के हिसाब से सैंपल लेने के बाद डॉक्टर इंजेक्ट साइड पे रुई या बैंडेज लगा देगा और रबर बैंड को हाथ से निकाल देगा। अंत में डॉक्टर ट्यूब में लेबल लगाकर उसे जांच के लिए लैब भेज देगा ।
साइड इफेक्ट
- ब्लड टेस्ट के दौरान आप महसूस कर सकते है:
- हल्का दर्द, जब इंजेक्शन इंजेक्ट किया जाएगा
- सिर चकराना
- ब्लीडिंग
मेरे परीक्षा परिणाम को क्या प्रभावित कर सकता है?
यदि आपका कुछ दिनो पहले ही डायलिसिस हुआ है तो निश्चित तौर यह आपके फॉस्फेट के स्तर को प्रभावित कर सकता है, साथ ही ऐसा कुछ दवाएं भी कर सकती है । जो कुछ भी आप खाते और पीते हैं, उनके द्वारा भी आपके टेस्ट रिजल्ट पे असर पड़ सकता है । जांच से पहले कौन कौन सी चीजों से आपको परहेज करना है इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करे, जैसे,
- बीन्स (कई अलग-अलग प्रकार)
- बीयर
- पनीर
- चॉकलेट
- कोला मछली
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परिणामो को समझे
मेरे परीक्षा परिणाम को क्या प्रभावित कर सकता है?
यदि आपका कुछ दिनो पहले ही डायलिसिस हुआ है तो निश्चित तौर यह आपके फॉस्फेट के स्तर को प्रभावित कर सकता है, साथ ही ऐसा कुछ दवाएं भी कर सकती है । जो कुछ भी आप खाते और पीते हैं, उनके द्वारा भी आपके टेस्ट रिजल्ट पे असर पड़ सकता है । जांच से पहले कौन कौन सी चीजों से आपको परहेज करना है इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करे, जैसे,
यह भी पढ़ें : Primary lateral sclerosis : प्राइमरी लेटरल स्क्लेरॉसिस क्या है?
मेरे परीक्षा परिणाम का क्या मतलब है?
जब टेस्ट रिजल्ट बहुत हाई या बहुत लो होते है तो वो इस बात का इशारा करते है कि शारिरिक स्थिति में कुछ गड़बड़ है ।
यदि आपके फॉस्फेट का लेवल लो है तो वह इस स्थिति की तरफ इशारा करता है :
- शराब की लत (Alcoholism)
- अत्यधिक जलन (Severe Burns)
- डाइबिटीज केटोएसिडोसिस (रक्त में बहुत अधिक एसिड) (Diabetes Ketoacidosis)
- मूत्रवर्धक दवाओं का ज्यादा सेवन (एक दवा जो आपके शरीर से अतिरिक्त फ्लूइड को बाहर निकाल ता है ) (Overuse of Diretics)
- बहुत अधिक एंटासिड का उपयोग करना (Using too much Antacids)
- हाइपरलकसेमिया (आपके रक्त में बहुत अधिक कैल्शियम) (Hypercalcemia)
- कुपोषण (Malnutrition)
- विटामिन डी की कमी , जैसे रिकेट्स (Vitamin D deficiency conditions such as rickets)
हाई फॉस्फेट लेवल संकेत कर सकते हैं:
- पैराथायराइड हार्मोन के लो लेवल (Parathyroid Harmone)
- हृदय रोग (रक्त वाहिकाओं या हृदय के विकार)
- लिवर की समस्या (Liver Problem)
- किडनी फेलियर (Kidney Failure)
- ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियां कमजोर और आसानी से टूटने लगती है) (Osteoporosis)
फॉस्फेट टेस्ट के साथ डॉक्टर आपको निम्नलिखित टेस्ट कराने के लिए भी रिकमेंड कर सकता है:
- कैल्शियम (Calcium)
- विटामिन-डी (Vitamin D)
- पीटीएच- यह एक हॉरमोन है जिसे पाराथॉराइड ग्लैंड बनाता है PTH (hormone produced by the parathyroid gland)
हेलो हेल्थ ग्रुप किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।
हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में फॉस्फेट टेस्ट से जुड़ी ज्यादातर जानकारियां देने की कोशिश की है, जो आपके काफी काम आ सकती हैं। अगर आपमें ऊपर बताए गए लक्षण नजर आते हैं तो डॉक्टर आपको यह टेस्ट लिख सकता है। फॉस्फेट टेस्ट से जुड़ी यदि आप अन्य जानकारी चाहते हैं तो आप हमसे कमेंट कर पूछ सकते हैं। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह भी आप हमें कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं।
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