जैसा कि आप जानते हैं प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज (Pregnancy and menopause) एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, इसलिए पोस्ट मेनोपॉज के बाद आईवीएफ तकनीक से प्रेग्नेंट हुआ जा सकता है। पोस्ट मेनोपॉज के बाद जो हमारा शरीर जो एग्स प्रोड्यूस करता है, वह प्रेग्नेंट होने के लिए इस्तेमाल नहीं किए जा सकते। इसलिए आईवीएफ तकनीक के जरिए प्रेगनेंसी मुमकिन मानी जाती है। यदि कोई महिला अपने एग्स फ्रीज करवा चुकी है, तो इन्ही एग्स का इस्तेमाल आईवीएफ तकनीक में किया जा सकता है।
इसके लिए महिला को हॉर्मोन थेरेपी लेने की जरूरत पड़ती है, जिससे इंप्लांटेशन और बच्चे को कैरी करने के लिए महिला का शरीर तैयार हो सके। पेरिमेनोपॉज की स्थिति में भले ही महिलाओं को कंसीव करने में कम कॉम्प्लिकेशन का सामना करना पड़े, लेकिन पोस्ट मेनोपॉज में महिलाओं को आईवीएफ के जरिए कंसीव करने के बाद बड़े कॉम्प्लिकेशन झेलने पड़ सकते हैं। स्थिति को टालने के लिए मेनोपॉज के बाद कंसीव करना एक अच्छा ऑप्शन नहीं माना जाता, इसलिए समय रहते अपने डॉक्टर से सलाह करके बर्थ प्लानिंग करने की सलाह दी जाती है।
और पढ़ें : क्लाइमेट चेंज के दौरान प्रेग्नेंसी प्लानिंग : इन पहलुओं पर है विचार करने की जरूरत!
क्या मेनोपॉज रिवर्स हो सकता है?
अब आप समझ गए होंगे कि कैसे प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज (Pregnancy and menopause) एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। कई लोगों के मन में अब यह सवाल आ रहा होगा कि क्या मेनोपॉज रिवर्स हो सकता है? जिसका जवाब है – नहीं। मेनोपॉज को रिवर्स नहीं किया जा सकता है, लेकिन सिर्फ कंसीव करने के लिए शरीर की स्थिति में बदलाव लाया जा सकता है। जिसके लिए आपको आईवीएफ तकनीक का सहारा लेना पड़ता है। प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज (Pregnancy and menopause) दोनों ही स्थितियां समय के साथ आती है, लेकिन इन स्थितियों के दौरान ज्यादा ध्यान देने की जरूरत पड़ सकती है।
यदि आप बड़ी उम्र में कंसीव करते हैं, तो आपको कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ज्यादा उम्र में प्रेग्नेंट होने के बाद आपको कई तरह के हेल्थ रिस्क का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा बढ़ती उम्र के साथ यदि आपको दूसरी तरह की कॉम्प्लिकेशंस है, तो यह प्रेग्नेंसी में तकलीफ पैदा कर सकती हैं।
हालांकि प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज (Pregnancy and menopause) समय के साथ होने वाली स्थितियां है, लेकिन फिर भी मेनोपॉज के बाद आप हॉर्मोन थेरेपी और आईवीएफ के जरिए कंसीव कर सकते हैं। लेकिन यह स्थिति रिस्क फ्री नहीं है, इसलिए आपको समय रहते फर्टिलिटी काउंसलिंग लेकर चाइल्ड प्लानिंग करनी चाहिए।