आज कि विमेन भले कितनी ही स्मार्ट हों, लेकिन कई बार, उन्हें एक साथ अपने कई रोल निभाने पड़ते हैं, जैसे कि बेटी, वाइफ, मदर और एक वर्किंग विमेन का भी। तो ऐसे में, कई बार खुद को मल्टी टास्किंग बनाने का तनाव, उन्हें सूपरविमेन सिंड्रोम का शिकार बना देता है। सन् 1984 में पहली बार सूपरविमेन सिंड्रोम का केस सामने आया था। हम यह भी कह सकते हैं कि जब एक महिला खुद की, खुद से ज्यादा अपेक्षा करने लगती है, और जब वह पूरा नहीं कर पाती है, तो उस स्थिति में वो सूपर सिंड्रोम की शिकार हो सकती है। इसके लक्षण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है। इसे जानने के लिए सबसे पहले जानें कि सपूरविमेन सिंड्रोम क्या है।
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क्या है सूपरविमेन सिंड्रोम (Superwomen Syndrome) क्या है?
सूपरविमेन सिंड्रोम, एक ऐसा सिंड्रोम है, जिसमें एक महिला घर और ऑफिस की सभी जिम्मेदारियों को निभाने में इतना बिजी हो जाती हैं, उनके पास खुद के लिए समय नहीं रहता है। यह मल्टी टास्किंग लाइफ उसे सूपरविमेन सिंड्रोम का शिकार बना देती है। ऐसी स्थिति में महिला जब किसी काम को पूरा नहीं कर पाती हैं, तो वह खुद को ही दोषी मानने लगती हैंं। इतना ही नहीं, यह स्थिति कभी-कभी इतनी घातक हो जाती है और वो एक गेहरे अवसाद में भी जा सकती हैं।
“हर समय काम की जिम्मेदारियों में खुद को खोते जाना, माल्टी टास्किंग का जनून कई बार महिलाओं को सपूरविमन सिंड्रोम का शिकार बना देता है। किशोरावस्था से लेकर 50 वर्ष की आयु वाली महिलाओं में, यह सिंड्रोम ज्यादा देखा गया है। कई बार महिलांए अपने ऊपर प्रेशर इतना प्रेशर इतना ज्यादा ले लेती हैं कि उन कामों के पूरे न होने पर, खुद को डिमोटिवेट महसूस करती हैं। इसके अलावा, महिलाओं में इस सिंड्रोम का कारण सेरोटोनिन की कमी भी हो सकती है। सेरोटोनिन, एक ब्रेन केमिकल है, जो व्यक्ति के मूड को अच्छा बनाए रखने में मद्द करता है। इसकी कमी भी महिलाओं को तनाव में डाल सकती है।’ –लखनऊ पीजीआई हॉस्पिलटल के साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर अनंत मल्होत्रा के अनुसार।
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जानें क्या कहती है रिसर्च
इस बारे में नेशनल स्लीप फाउंडेशन के अनुसार, “साधारण महिला की तुलना में, सूपरविमेन सिड्रोम की शिकार महिलाओं को रात में सोते समय दर्द का अनुभव और दिन के दौरान थकान का अनुभव होने की संभावना अधिक होती है। कुछ महिलाओं में यह सिंड्रोम और तनाव का कारण जेनेटिक भी हो सकता है।’
तो वहीं, इस बारे में माइग्रेन रिसर्च फाउंडेशन के अनुसार,’ 38 मिलियन से अधिक 28 मिलियन महिलाएं इस गंभीर स्वास्थ्य स्थिति से पीड़ित होती हैं। कई महिलाओं में माइग्रेन की समस्या का कारण भी तनाव और यह सिंड्रोम होता है।
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सूपरविमेन सिंड्रोम के कारण (Superwoman Syndrome Causes)
वैसे तो, इस सिंड्रोम के होने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन कुछ कारण इनमें से मुख्य होते हैं, जैसे कि ब्रेन में सेरोटोनिन की कमी। सेरोटोनिन, एक ब्रेन कैमिकल है, जो ब्रेन से ही रिलीज होता है। इसकी कमी के कारण व्यक्ति अवसाद और तनाव में जा सकता है। ऐसी स्थिति का लंबे समय तक बने रहना, महिलाओं में, तो वो सूपरविमेन सिंड्रोम का शिकार बना सकता है।
इसी के साथ कई अन्य कारण भी हो सकते हैं-
- ओवरलोड वर्किंग
- भरपूर नींद न लेना
- खुद को समय न देना
- टाइम बैलेसिंग प्रॉब्लम आदि
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सूपरविमेन सिंड्रोम के लक्षणों (Superwoman Syndrome Symptoms) को पहचानें
जैसा कि हमने जाना कि अधिकतर सूपरविमेन सिंड्रोम का सबसे बड़ा कारण महिलाओं पर ओवरलोड जिम्मेदारियां और तनाव में रहना। लंबे समय तक बने रहने वाला अवसाद उनके लिए एक गंभीर स्थिति बन सकती है। जानें सूपरविमेन सिंड्रोम के कुछ लक्षण:
- चिड़चिड़ापन महसूस करना
- नींद न आना
- मेमोरी लॉस होना या समान रखकर भूल जाना
- मांसपेशियों में तनाव महसूस करना
- चिंता
- शारीरिक रूप से सक्रिय न होने पर पसीना आना
- ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता
- सामान्य दर्द या लंबे समय तक अधिक दर्द महसूस करना
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सेल्फ डायगनोसिस(Self Diagnosis) है जरूरी
इस समस्या से महिलाओं को सबसे पहले खुद निकलने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए वो खुद के साथ कुछ पैरामीटर डिफाइन करे, उसे चैक कर सकती हैं, जैसे कि:
- पता करें कि आपको सबसे ज्यादा किस पॉइंट पर प्रॉब्लम आ रही है। उसे सॉल्व करें या छोड़ दें।
- आप खुद सोचें कि क्या आपका ही सभी जिम्मदेारियों को पूरा करना जरूरी है? अपनी कुछ जिम्मेदारियों को घर वालों के साथ बाटें।
- क्या आपको खुद के लिए समय मिल पा रहा है। शायद नहीं, तो इस प्वाइंट को ध्यान में रखते हुए, खुद के लिए सयम निकालें।
- क्या आपको निगेटिव ख्याल आते हैं। अगर हां, तो अपनी सोच को सकारात्मक रखूंगी। बस ये बात अपने दिमाग को समझाने की काेशिश करें।
- खुद कि फिटनेस और ब्यूटी से समझौता न करें।
- हर किसी को हर बात पर हां कहना जरूरी नहीं है। कभी-कभी न भी कहें।
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सूपरविमेन सिंड्रोम से बचाव के टिप्स
चाहें हाउस वाइफ हो या वर्किंग विमेन, सभी अपनी जगह मल्टी टास्किंग हैं। यह मल्टी टास्किंग लाइफ ही उन्हें इस सिंड्रोम का शिकार बना सकती है। तो क्यों न इस मल्टी टास्किंग काम के साथ, थोड़ा समय खुद को देकर, लाइफ को आसान और इंटरेस्टिंग बनाया जाए। इसलिए इससे बचाव के लिए जरूरी है कि महिलाएं खुद अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव लाएं और कुछ पॉइंट्स का ध्यान रखें, जैसे कि:
अपनी फिटनेस को समय जरूर दें
किसी भी प्रकार के तनाव को दूर करने में हेल्दी लाइफस्टाइल और फिटनेस की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए विमेंस को अपनी फिटनेस पर विशेष ध्यान देना चाहिए। हमेशा इस माइंडसेट के साथ अपने फिटनेस गोल को अचीव करना चाहिए कि आपको किसी दूसरे के लिए नहीं, बल्कि खुद के लिए फिट रहना है। इसलिए, आप यह वादा खुद से करें कि आप अपनी फिटनेस से समझौता नहीं करेंगी। इसके अलावा, इस बात का भी ध्यान रखें कि यह एक्सरसाइज आपको केवल नाम के लिए ही नहीं करनी है। बल्कि, अच्छे रिजल्ट के लिए करना है। कई महिलाओं के दिमाग में एक्सरसाइज के दौरान भी घर में अभी यह काम रह गया है, यही सब चलता रहता है। आप जिम जाएं, विमेंस फिटनेस क्लब जॉइन करें। जहां आप एरोबिक्स, जुंबा और हिप-हॉप आदि कर सकती हैं । तनाव को दूर करने के लिए स्विमिंग सबसे अच्छी एक्सरसाइज है।
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हेल्दी डायट लें
केवल इस सिंड्रोम से ही बचने के लिए नहीं, बल्कि फिजिकली रूप से भी हेल्दी रहने के लिए विमेंस को अच्छी डायट लेना बहुत जरूरी है। कई महिलाओं का काम काे पूरा करते-करने उनके खुद के खाने का कोई टाइमटेबल नहीं होता है। कभी भी खाना खाना, कई बार ऐसा हो जाता है। मानो कि जैसे आप अपनी खाने की कोई जिम्मेदारी पूरी कर रही हों। इसके अलावा, जब पोषण की बात आती है, तो इससे भी समझौता नहीं करना चाहिए। अपने डायट में उन्हें सभी पोषक तत्वों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे कि डायट में प्रोटीन शामिल हैं कि नहीं। इसके अलावा आपके डायट में सभी जरूरी विटामिंस हैं कि नहीं। यह भी इतना ही जरूरी है। इसलिए छोटी-छोटी बातों का पूरा ध्यान रखें। इसी के साथ अपनी फिटनेस का भी, जैसे कि कौन से फूड आपके वेट को बढ़ा सकते हैं, जरूरत न होने पर उन्हें न खाएं। कौन से फूड आपके वेट लॉस के लिए जरूरी हैं। कौन सी फ्रूट्स या सब्जियां खाने से आपके स्किन में ग्लो आएगा। इन सभी बातों पर फोक्स करें।
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सेल्फ टाइम भी है जरूरी
सब क्या चाहते हैं, जितना आप इन बातों का ध्यान रखती हैं, उतनी ही इस बात को भी अहमियत दें किआप क्या चाहती हैं। आप इस प्वाइंट को भी ध्यान दें। दिनभर में आप कुछ वैसे काम भी करें, जिसे करने से आपको खुशी मिलती है। फिर चाहें वो शॉपिंग हो, फ्रेंड्स से साथ बात करना, टीवी या सीरीज देखना आदि हो। कभी-कभी अपने डेली लाइफ से ब्रेक लें और खुद के लिए समय निकालकर, किसी सोलो ट्रिप या विमेंस क्लब के साथ ग्रुप ट्रिप पर जाएं। कुछ DIY करें। कहने का अर्थ है, आप कुछ वैसे भी काम करें, जिसे करने से आपको संतुष्टि मिलती हो।
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अपनी ब्यूटी पर ध्यान दें
सुंदर और ग्लोइंग स्किन, विमेंस में आत्मविश्वास का एहसास दिलाती है। भले काम जितना भी हो, किसी विमेंस को अपनी ब्यूटी से समझौता नहीं करना चाहिए। सैलून में जाएं और खुद को समय दें। घर पर कुछ समय निकालकर होम रेमिडीज अपनाएं, हेयर ऑयलिंग करें और फेस पैक लगाएं। इस तरह आपको अच्छा भी लगेगा और आप इस सिंड्रोम से ही बाहार आ जाएंगी।
दूसरों की हेल्प लें
आप स्वयं सब कुछ नहीं कर सकते, इसलिए कुछ कामों में दूसरो की भी हेल्प ले। किसी से मदद के लिए पूछने से कोई कमजोर नहीं होता है। तो इस प्रकार की धारणा न रखें। न ही किसी से हेल्प् मांगने में संकोच करें।
ना कहना भी सीखें
“नहीं’ कहना कोई गलत बात नहीं है। कभी-कभी इसका इस्तेमाल करना चाहिए। जरूरी नहीं है कि हर बार आप हर किसी काम के लिए “हां’ ही बोलें। कभी-कभी, जिन कामों को आपका करने का मन नहीं है। उन कामों के लिए हर बार, “हां’ नहीं बाेलना चाहिए। पर इसका, यह अर्थ भी बिल्कुल भी नहीं है कि आप हर चीज में “ना’ ही बोलना शुरु कर दें।
अगर आपको भी किसी प्रकार का तनाव है या आपको लगता है कि आप सूपरविमेन सिंड्रोम की शिकार हाे रही है, तो इन चीजों को अपनाकर आप इस समस्या से निकल सकती हैं। इसके अलावा अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें
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