मोटापा यानी ओबेसिटी एक क्रोनिक मेडिकल डिजीज है, जो पिछले कुछ समय से बहुत ही सामान्य समस्या बनती जा रही है। आज केवल वयस्क ही नहीं बल्कि बड़ी संख्या में बच्चे भी इसका शिकार हैं। इसका मुख्य कारण खराब जीवनशैली को माना जाता है। लेकिन दुख की बात तो यह है कि यह गंभीर मेडिकल डिजीज डायबिटीज (Diabetes), हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure), हार्ट डिजीज (Heart Disease), गालस्टोन (Gallstone) जैसी गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकती है। अब यह भी साबित हो चुका है कि ओबेसिटी फेफड़ों यानी लंग्स के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव ड़ाल सकती है। अगर आप भी हैं मोटापे के शिकार तो अभी से सावधान हो जाएं, क्योंकि यह समस्या आपके लंग्स को भी नुकसान पहुंचा सकती है। तो आइए जानते हैं ओबेसिटी और लंग्स हेल्थ (Obesity and Lungs Health) में क्या लिंक है। जानिए, इससे कौन सी फेफड़ों की परेशानियां हो सकती हैं।
क्या है ओबेसिटी? (What is Obesity)
ओबेसिटी और लंग्स हेल्थ (Obesity and Lungs Health) के बारे में जानने से पहले मोटापे के बारे में थोड़ा जान लेते हैं। ओबेसिटी एक कॉम्प्लेक्स डिजीज है। किसी व्यक्ति को तब इसका शिकार माना जाता है जब उसका वजन या बॉडी फैट इतना अधिक बढ़ जाता है, कि वो उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करने लगता है। इसके लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
यह भी पढ़ें : मोटापा क्या है? जानिए इससे जुड़ी सभी छोटी-बड़ी बातें!
- अत्यधित बॉडी फैट (Excess Body Fat)
- सांस लेने में समस्या (Shortness of Breath)
- पसीना आना (Sweating)
- खर्राटे लेना (Snoring)
- सोने में समस्या (Trouble in Sleeping)
- त्वचा सम्बन्धी समस्याएं (Skin Problems)
- सामान्य फिजिकल एक्टिविटी में समस्या (Inability to Perform Simple Physical Activity)
- थकावट (Fatigue)
- पीठ या जोड़ों में दर्द (Pain Commonly in the Back and Joints)
- साइकोलॉजिकल प्रभाव जैसे आत्मविश्वास में कमी, डिप्रेशन, शर्म महसूस होना आदि ( Psychological Effects like Loss of Confidence, Depression, Feeling Shy etc.)
ओबेसिटी के कारण (Causes of Obesity)
हालांकि, शरीर के वजन पर आनुवंशिक (Genetic), व्यावहारिक (Behavioral), मेटाबोलिक (Metabolic) और हार्मोनल (Hormonal) प्रभाव होते हैं। मोटापा तब होता है जब हम कैलोरीज तो अधिक ग्रहण करते हैं, लेकिन कम कैलोरीज एक्सरसाइज और नार्मल डेली एक्टिविटीज के माध्यम से बर्न करते हैं। हमारा शरीर इस अतिरिक्त कैलोरी को वसा के रूप में संग्रहित कर लेता है। इसके कारण इस प्रकार हो सकते हैं:
- अनहेल्दी डायट (Unhealthy Diet)
- लिक्विड कैलोरीज (Liquid Calories)
- इनएक्टिविटी (Inactivity)
- कुछ डिजीज और मेडिकशंस (Certain Diseases and Medications)
- सोशल और इकनोमिक इश्यूज (Social and Economic Issues)
- स्ट्रेस (Stress)
यह भी पढ़ें : वर्ल्ड लंग्स डे: इस तरह कर सकते हैं फेफड़ों की सफाई, बेहद आसान हैं तरीके
ओबेसिटी और लंग्स हेल्थ में क्या लिंक है? (Link Between Obesity and Lungs Health)
एक शोध के मुताबिक जो लोग मोटापे की समस्या से पीड़ित हैं या जिनका वजन अधिक है, उन्हें अस्थमा या व्हीजिंग (Wheezing) की अधिक समस्या होती है। एक अन्य स्टडी के मुताबिक शरीर में जमी वसा फेफड़े की एयरवे वाल (Airway Wall) पर भी नजर आ सकती है। यही नहीं, यह फैट एयरवेज के स्ट्रक्चर को भी बदल सकती है। यही कारण है कि इससे पीड़ित व्यक्ति को अस्थमा, व्हीजिंग या दोनों समस्याएं हो सकती हैं। अधिक वजन वाले या ओबेसिटी से पीड़ित व्यक्ति अस्थमा या व्हीजिंग (Wheezing) दोनों का अनुभव कर सकते हैं। लेकिन, वैज्ञानिक अभी यह पता नहीं लगा पाएं हैं कि ऐसा क्यों होता है। वसा के इस जमाव का आर्टरी प्लेक (Artery Plaque) के समान प्रभाव हो सकता है।
जो ब्लड वेसल्स को गंदा कर सकता है और कार्डियक इवेंट का कारण बन सकता है। यानी, फैट जमा होने से एयरवे वाल को हानि हो सकती है खासतौर पर, अधिक वजन वाले या मोटापे का शिकार व्यक्ति को। इसलिए ओबेसिटी से शिकार व्यक्ति को अस्थमा का जोखिम अधिक रहता है। जानिए, इसके बारे में और अधिक:
Quiz: हफ्ते में कितना वजन करना चाहिए कम? क्विज में जानें
क्या मोटापा बन सकता है अस्थमा का कारण? (Obesity and asthma)
ओबेसिटी और लंग्स हेल्थ (Obesity and Lungs Health) के बीच में गहरा संबंध है, यह तो आप जान ही गए होंगे। लेकिन, शोध से यह बात भी साबित हो चुकी है कि अधिक वजन और अस्थमा में भी कनेक्शन है। वजन के बढ़ने पर लंग्स पर अधिक वजन के कारण दबाव पड़ सकता है, जो अस्थमा का कारण बन सकता है या ऐसा सूजन के बढ़ने के कारण भी हो सकता है। जैसा की पहले ही बताया गया है कि वसा बढ़ने के कारण एयरवेज वाल्स में अतिरिक्त चर्बी जमा हो जाती है। जिससे फेफड़ों के भीतर सूजन बढ़ सकती है। इसके साथ ही एयरवेज के सूजन के कारण मोटा होने की वजह से फेफड़ों के अंदर और बाहर हवा का प्रवाह सीमित हो जाता है।
जिन लोगों को अस्थमा है या जो अधिक वजन के हैं, उनमें एयरवेज से जुड़ा फैट इस बीमारी को गंभीरता को बढ़ा सकता है। हालांकि, अभी पर्याप्त स्टडी नहीं हुई है जिससे पता चले कि कैसे वसा फेफड़ों में कैसे जाती है। क्योंकि, यह इतना भी सिंपल नहीं है, दरअसल जो लोग ओवरवेट नहीं होते या जो मोटापे का शिकार नहीं होते, उनके भी अंगों के आसपास फैट हो सकता है। अब जानते हैं ओबेसिटी और लंग्स हेल्थ (Obesity and Lungs Health) के मुख्य हिस्से के बारे में कि ओबेसिटी के कारण लंग में समस्या कैसे होती है।
यह भी पढ़ें : फेफड़ों को स्वस्थ्य बनाये रखने के लिए करें ये लंग्स एक्सरसाइज
ओबेसिटी के कारण लंग्स में समस्या कैसे होती है? (Respiratory Problems Occur with Obesity)
ओबेसिटी और लंग्स हेल्थ (Obesity and Lungs Health) के बारे में तो आप समझ ही गए होंगे। ओबेसिटी के कारण लंग और रेस्पायरेटरी प्रॉब्लमस (Respiratory Problems) होती हैं। वजन और बॉडी मास इंडेक्स (Body mass index) के बढ़ने पर लंग वॉल्यूमस कम होता है। जिससे हवा को शरीर में प्रवेश करने और बाहर निकलने में मुश्किल होती है। इसका प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है और यह सब पैरामीटर्स भी कम होते हैं:
- फोर्स्ड एक्सपायरटोरी वॉल्यूम इन 1 सेकंड (Forced Expiratory Volume in 1 Second or FEV1)
- फोर्स्ड वायटल कैपेसिटी (Forced Vital Capacity or FVC)
- फंक्शनल रेसिडुयल कैपेसिटी (Functional Residual Capacity or FRC)
- एक्सपायरटोरी रिज़र्व वॉल्यूम (Expiratory Reserve Volume (ERV)
- रेसिडुयल वॉल्यूम (Residual Volume or RV)
- टोटल लंग कैपेसिटी (Total Lung Capacity or TLC)
इन सब पैरामीटर्स के कम होने के कारण ओबेसिटी के कारण लंग्स में कई समस्याएं हो सकती हैं। जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं।
ओबेसिटी और रेस्पायरेटरी सिस्टम डिजीज कौन सी हैं? (Obesity and the Respiratory System Diseases)
ओबेसिटी का प्रभाव लंग्स हेल्थ के साथ ही पूरे रेस्पायरेटरी सिस्टम पर पड़ता है। ओबेसिटी के रेस्पायरेटरी सिस्टम पर पड़ने वाले कुछ हेल्थ इफेक्ट और डिजीज इस प्रकार हैं :
- एक्सर्शनल डिस्प्निया (Exertional Dyspnea) : यह माइनर एक्सर्शनस के कारण होने वाली एक तरह की गंभीर सांस न आने वाली बीमारी है। मोटे व्यक्तियों में ऐसा होना सामान्य है।
- ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया सिंड्रोम (Obstructive Sleep Apnea Syndrome) –इस कंडीशन एक कारण सोते हुए एयरवेज तंग या बंद हो जाते हैं। जिससे खर्राटे लेना, अच्छी और गुणवत्ता वाली नींद न आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (Chronic obstructive pulmonary disease)
- अस्थमा (Asthma) –ओबेसिटी और लंग्स हेल्थ (Obesity and Lungs Health) में सबसे बड़ी समस्या है अस्थमा। ओबेसिटी से पीड़ित लोगों को अस्थमा का खतरा अधिक होता है। यही नहीं, मोटे व्यक्ति को होने वाले अस्थमा अटैक अधिक तीब्र होते हैं, अधिक अस्थमा की दवाईयों की जरूरत होती है और अधिक बार अस्पताल जाने की आवश्यकता पड़ सकती है।
- ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम (Obesity Hypoventilation Syndrome) – ओबेसिटी से पीड़ित व्यक्ति को शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचाने में मुश्किल होती है। जिससे इससे शरीर का हाइपोक्सिया (Hypoxia) या लौ ऑक्सीजिनेशन (Low Oxygenation) हो सकता है।
- पल्मोनरी एम्बोलिस्म (Pulmonary Embolism) – यह एक गंभीर स्थिति है। यह तब होती है जब ब्लड क्लॉट ब्लड वेसल्स में जम जाते है। यह एक आपातकालीन स्थिति है, जिसमें जान जाने का जोखिम रहता सकता है।
- एस्पिरेशन निमोनिया (Aspiration Pneumonia) – छोटी और तंग एयरवेज के कारण यह समस्या हो सकती है। छोटी और तंग एयरवेज के कारण पेट या मुंह के मिनरल्स फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं। इन हार्मफुल पेट के एसिड्स के कारण गंभीर एस्पिरेशन निमोनिया हो सकता है।
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ (National Institute of Health) के अनुसार ओबेसिटी से अस्थमा (Asthma), ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया (Obstructive Sleep Apnea),ओबेसिटी हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम (Obesity Hypoventilation Syndrome) और पल्मोनरी हाइपरटेंशन (Pulmonary Hypertension) का जोखिम बढ़ सकता है। लेकिन, मोटापे को अस्थमा का मुख्य कारण माना जाता है। अधिकतर मामलों में ओबेसिटी और अस्थमा के बीच कनेक्शन पाया गया है। ऐसा भी माना गया है किअस्थमा का जोखिम बॉडी मास इंडेक्स (Body mass index) के अधिक होने के कारण बढ़ता है।
ओबेसिटी से कैसे करें बचाव (Prevention from Obesity)
ओबेसिटी और लंग्स हेल्थ (Obesity and Lungs Health) एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। अगर आपको ओबेसिटी का जोखिम है या आप ओवरवेट हैं या अभी आपका वजन सामान्य है, लेकिन आप भविष्य में ओबेसिटी का शिकार नहीं होना चाहते हैं तो सबसे जरूरी है इससे बचना। अनहेल्दी वेट गेन और इससे जुडी हेल्थ समस्याओं से बचने के लिए आपको कुछ आसान चीजों का पालन करना होगा। इससे बचने के तरीके इस प्रकार हैं:
रोजाना व्यायाम करें (Exercise Regularly)
अगर आप चाहते हैं कि आपका वजन न बढ़े, तो आपको रोजाना कुछ समय व्यायाम के लिए निकालना होगा। इस फिजिकल एक्टिविटी में सैर या स्विमिंग भी शामिल है।
सही और संतुलित खाएं (Eat Right)
आजकल लोग फ़ास्ट फूड खाना अधिक पसंद करते हैं। उनके बढ़ते वजन का यह सबसे मुख्य कारण है। इसलिए अपने आहार का खास ध्यान रखें। लौ कैलोरी, न्यूट्रिएंट्स युक्त आहार का सेवन करें जैसे फल, सब्जियां, साबुत अनाज आदि। सैचुरेटेड फैट और मीठी चीजों या शराब आदि का सेवन करना छोड़ दें। रोजाना तीन टाइम भोजन करें। ऐसे खाद्य पदार्थों को चुनें जिनसे आपका वजन संतुलित और स्वास्थ्य सही रहे।
रिकॉर्ड रखें
उन चीजों के बारे में जानें जो आपके शरीर में फैट का कारण बन सकती हैं। ऐसी स्थितियों को भी नोटिस करें, जिनमें आप अधिक खाते हैं। अपनी खाने संबंधी आदतों को नोट करें। देखें कि आप कितनी अधिक कैलोरीज ले रहे हैं। उसके बाद अपने आहार से कैलोरीज की मात्रा कम करें और उन स्थितियों से भी बचें जिनमें आप अधिक खाते हैं।
अपने वजन को मॉनिटर करें (Monitor your Weight)
हमेशा अपने वजन को चेक करते रहें। इससे आपको वजन के बारे में पता तो चलेगा ही साथ ही अगर आपका वजन बढ़ रहा है। आप यह भी आप जान पाएंगे कि आप कहां गलत जा रहे हैं जिससे आप अधिक मेहनत कर के वजन कम कर सकते हैं।
कंसिस्टेंट रहें (Be Consistent)
अगर आप हर समय अपने हेल्दी वेट प्लान को फॉलो करने पर स्थिर रहेंगे फिर वो चाहे कोई भी स्थिति हो जैसे हॉलिडे, कोई वीकेंड या अन्य कुछ। इससे आपका वजन कभी नहीं बढ़ेगा और आपको कई स्वास्थ्य समस्याओं से दूर रहें में भी मदद मिलेगी
यह भी पढ़ें : फेफड़ों की बीमारी के बारे में वाे सारी बातें जो आपको जानना बेहद जरूरी है
ओबेसिटी और लंग्स हेल्थ (Obesity and Lungs Health) के बीच में क्या कनेक्शन है, यह तो आप जान ही गए होंगे। इसके साथ ही आपको यह भी पता चल गया होगा कि ओबेसिटी से बचाव कितना जरूरी है। इसलिए इस समस्या को कभी भी नजरअंदाज न करें। बल्कि, अगर आप इस समस्या से पीड़ित भी हैं तो भी इसका उपचार संभव है। इसके लिए अपने डॉक्टर से पूछें। केवल ओबेसिटी ही नहीं, बल्कि एक हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से किसी भी हेल्थ कंडीशन से बचा जा सकता है।
[embed-health-tool-bmi]