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अल्सरेटिव कोलाइटिस रोगी के डाइट प्लान में क्या बदलाव करने चाहिए?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Anu sharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 10/07/2020

    अल्सरेटिव कोलाइटिस रोगी के डाइट प्लान में क्या बदलाव करने चाहिए?

    अल्सरेटिव कोलाइटिस एक इंफ्लामेटरी बाउल डिजीज है। इस अवस्था में बड़ी आंत और मलाशय में सूजन आ जाती है। यह रोग क्रोहन’स डिजीज के समान है। अल्सरेटिव कोलाइटिस का उपचार ऑटोइम्यून बीमारी के रूप में किया जाता है। अल्सरेटिव कोलाइटिस के 60% रोगी भोजन ग्रहण करना बंद कर देते हैं ताकि इसके लक्षणों को कम किया जा सके। लेकिन, इस समस्या को पूरी तरह से सर्जरी से ही दूर किया जा सकता है। हालांकि, अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षणों और इसके प्रभाव को दूर करने के लिए आहार भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमारे खाने -पीने का इस रोग पर बहुत प्रभाव पड़ता है। अगर किसी को अल्सरेटिव कोलाइटिस रोग है, तो उसके डाइट प्लान में कुछ बदलाव आवश्यक है। जानिए अल्सरेटिव कोलाइटिस डाइट प्लान कैसा होना चाहिए। 

    अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण

    अल्सरेटिव कोलाइटिस डाइट प्लान के बारे में जानने से पहले जानिए क्या हैं इसके लक्षण। अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण हर रोगी में अलग हो सकते हैं। कुछ में यह अधिक गंभीर तो किसी में कम गंभीर होते हैं। अधिकतर लोगों में इसके हल्के लक्षण ही दिखने को मिलते हैं। इसके लक्षण कुछ इस प्रकार हैं-

  • पेट में दर्द और ऐंठन
  • आंत के ऊपर तेज आवाज आना।
  • मल में रक्त और  मवाद।
  • डायरिया
  • बुखार
  • आपका पेट पहले से ही खाली है, फिर भी आपको ऐसा लगे जैसे आपको मल त्याग करना है। इसके साथ ही पेट में दर्द, ऐंठन और दबाव होना।
  • वजन का कम होना 
  • बच्चों का विकास धीमे हो जाना
  • और पढ़ें : Ulcerative Colitis: अल्सरेटिव कोलाइटिस क्या है?

    अन्य लक्षण 

    • जोड़ों में दर्द और सूजन 
    • मुंह के छाले (अल्सर)
    • मतली और उल्टी
    • त्वचा में गांठे या अल्सर

    अल्सरेटिव कोलाइटिस के कारण 

    अल्सरेटिव कोलाइटिस डाइट प्लान से पहले आपके लिए इसके कारण जानना भी आवश्यक है। शोधकर्ताओं के अनुसार अल्सरेटिव कोलाइटिस होने के कई कारण हो सकते हैं। ओवरएक्टिव इम्यून सिस्टम के कारण यह समस्या हो सकती है। इम्यून सिस्टम का काम है शरीर को कीटाणुओं और अन्य हानिकारक चीज़ों से बचाना। लेकिन कई बार यही इम्मून सिस्टम हमारे शरीर में गड़बड़ करता है, जिससे सूजन और टिश्यू को नुकसान हो सकता है।

    निम्नलिखित लोगों में अल्सरेटिव कोलाइटिस होने की संभावना अधिक होती है

    • 15 से 30 साल या 60 साल से अधिक की उम्र के लोगों में ।
    • जो लोग उच्च वसा युक्त आहार खाते हैं।
    • जो लोग नोस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाईयां जैसे इबूप्रोफेन का सेवन करते हैं।
    • जो बर्थ कंट्रोल पिल्स का प्रयोग करते हैं।
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    अल्सरेटिव कोलाइटिस में क्या खाएं 

    अल्सरेटिव कोलाइटिस डाइट प्लान में आपके लिए यह जानना आवश्यक है, कि इस स्थिति में आपको क्या खाना चाहिए। जानिए आप इस रोग में क्या-क्या खा सकते हैं।

    और पढ़ें : ब्लड प्रेशर की समस्या है तो अपनाएं डैश डायट (DASH Diet), जानें इसके चमत्कारी फायदे

    कम फाइबर वाले खाद्य पदार्थ

    अल्सरेटिव कोलाइटिस में कम फाइबर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इन्हें वो मरीज भी खा सकते हैं जिनकी हाल ही में सर्जरी हुई हो। कम फाइबर डाइट में रोजाना केवल 10 से 15 ग्राम फाइबर का ही सेवन करने की सलाह दी जाती है।

    कम फाइबर वाले फल :  कम फायबर वाले फल जैसे  केले, खरबूजा, मीठा तरबूज, सेब ,  चेरी, खुबानी,आम, आड़ू, बेर, अनानास, स्ट्रॉबेरी, कीनू, चकोतरा आदि हैं।

    कम फाइबर अनाज: जैसे दलिया, कॉर्नफ्लैक्स, चावल, चोकर सहित आटा, मल्टीग्रेन आटा आदि।

    कम फाइबर वाली सब्जियां: जैसे बीन स्प्राउट्स,  गोभी, फूलगोभी, ककड़ी,मशरूम, प्याज, आलू, हरी मिर्च, मूली, टमाटर। इन्हें तब खाएं जब बीज और छिलके निकले हों।

    प्रोटीन युक्त आहार

    मछली, सोया, अंडे और टोफू आदि को अल्सरेटिव कोलाइटिस रोगी खा सकते हैं।

    घर के बने शेक

    आप घर पर बने शेक भी पी सकते हैं। अपने डॉक्टर या डाइटिशन से पूछें कि कौन से शेक आपके नुट्रिशन की जरूरतों को पूरा करते हैं।

    स्वस्थ जीवन के लिए आहार में सात्विक भोजन क्यों करें शामिल, जानिए इस वीडियो से:

    क्या न खाएं 

    • ऐसे अघुलनशील फाइबर युक्त आहार: जिन्हें पचाना मुश्किल है, जैसे कच्ची सब्जियां  ब्रोकली गोभी, साबुत मेवे और साबुत अनाज।
    • दूध और दूध से बनी चीजें: जिनमें शुगर की मात्रा होती है। दूध से बने पदार्थों को खाने से बचे कुछ चीजें खाने से आपकी इस रोग की समस्या बढ़ सकती है। इसलिए दूध , दही , पनीर, आइस क्रीम खाने से बचे। इससे आपको डायरिया ,पेट दर्द और गैस से छुटकारा मिलेगा।
    • नॉन अब्सॉर्बड शुगर:  जिन चीज़ों में अधिक मात्रा में चीनी होती है जैसे कैंडी ,आइस क्रीम या कुछ फल या जूस जैसे  नाशपाती, आड़ू । पेस्ट्रीज , कैंडी, और जूस जिसमें बहुत अधिक चीनी होती है।
    • अधिक वसा और चिकनाई वाले खाद्य पदार्थ: जैसे मक्खन नारियल क्रीम आदि। 
    • अल्कोहल और कैफीन युक्त पेय पदार्थ: जैसी बियर, वाइन ,सोडा या कॉफी। 
    •  मिर्च मसाले वाला आहार या जंक फ़ूड।

    और पढ़ें :Keto Diet: क्या है कीटो डायट प्लान और इसे कैसे करें फॉलो?

    अल्सरेटिव कोलाइटिस डाइट प्लान

    सबसे पहले सुबह उठ कर एक या दो गिलास पानी अवश्य पीएं

    नाश्ता (8 :30 AM) : नाश्ते में आप दलिया / पोहा/ 2 रोटी + उबली सब्जी/ स्प्राउट्स आदि ले सकते हैं

    ध्यान रहे, रोटी या तो चोकर सहित आटे से या मल्टीग्रेन आटे से बनी हों

     दिन का भोजन (12:30-01:30 PM) :  2 रोटियां + हरी सब्जी + दाल+ सलाद + लस्सी +चावल या खिचड़ी  

    सांयकालीन भोजन  (03:30 pm) : जूस / सूप/ छाछ/ कटे हुए फल/ नारियल पानी 

    रात्रि का भोजन(7: 00 – 8:00 Pm):  2 रोटियां + सब्जी + दाल

    इन चीज़ों का रखें ध्यान

    अल्सरेटिव कोलाइटिस डाइट प्लान में ऐसा आवश्यक नहीं है कि आपको दिन में तीन बार ही खाना खाना है। आप 6 बार भी खा सकते हैं। बस ध्यान रखें कि आपका आहार संतुलित, सेहतमंद और कम मात्रा में हो। 

    अधिक पानी पीएं

    दिन में जितना अधिक हो सके उतना पानी पीएं। अन्य सेहतमंद पेय पदार्थों का भी सेवन करें जैसे ताजा जूस, सूप, नारियल पानी, छाछ आदि।  लेकिन, अल्कोहलिक पेय पीने से आपके डायरिया की समस्या बढ़ सकती है। इसके साथ ही कार्बोनेटेड पेय पदार्थ से लगातार गैस बनती है। ऐसे में इन चीज़ों से भी दूर रहें। सुबह के समय में 1 गिलास नारियल पानी पीने से भी  अच्छे परिणाम मिलते हैं।

    तनाव से बचे 

    हालांकि तनाव अल्सरेटिव कोलाइटिस का कारण नहीं है। लेकिन अगर रोगी को तनाव है तो इस रोग के लक्षण बदतर हो सकते हैं। इसलिए अल्सरेटिव कोलाइटिस डाइट प्लान का पालन करें और तनाव से दूर रहने की कोशिश करें। 

    और पढ़ें: लो कैलोरी डाइट प्लान (Low Calorie Diet Plan) क्या होता है? 

    व्यायाम

    तनाव से बचने और इस रोग के लक्षणों को कम करने में व्यायाम आवश्यक है। इसके साथ ही इससे आपका पेट भी सही रहेगा। बाइकिंग, योग, स्विमिंग आदि से भी आपको लाभ होगा। जितनी हो सके उतनी शारीरिक गतिविधियां करें।  इससे पसीना आएगा और आपकी पाचन क्रिया में सुधार होगा। 

    अन्य उपाय

    • खाना बनाने के लिए उबलने, भाप से पकने और ग्रिल करने के तरीके का प्रयोग करें। तला-भुना भोजन न खाएं।
    • बिना लापरवाही किये उचित दवाईयां लें।
    • जो भी आप खाते हैं या आपको क्या लक्षण दिखाई देते हैं, इसका रिकॉर्ड रखें। अधिक समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह लें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

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    Anu sharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 10/07/2020

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