बढ़ते मोटापे की दर को एनर्जी डेंस डायट (Energy dense diet) से जोड़ा गया है। डायबिटीज जर्नल में छपी स्टडी में डायट्री एनर्जी डेंसिटी और मोटापे, इंसुलिन रेजिस्टेंस और मेटाबॉलिक सिंड्रोम से संबंध को जांचा गया। स्टडी में पाया गया है कि अमेरिका में डायट्री एनर्जी डेंसिटी मोटापा, उच्च फास्टिंग इंसुलिन लेवल और मेटाबॉलिक सिंड्रोम का इंडिपेंडेंट प्रीडिक्टर (Independent predictor) है। डायट्री एनर्जी डेंसिटी को कम करने के लिए इंटरवेंशन स्टडीज जरूरी हैं। इस आर्टिकल में हम डायट्री एनर्जी का मोटापे और मेटाबॉलिक सिंड्रोम से संबंध (Dietary Energy Density Is Associated With Obesity and the Metabolic Syndrome) समझने की कोशिश करेंगे।
डायट्री एनर्जी का मोटापे और मेटाबॉलिक सिंड्रोम से संबंध (Dietary Energy Density Is Associated With Obesity and the Metabolic Syndrome)
टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) और मेटाबॉलिक सिंड्रोम आज के समय में होने वाली आम पेरशानी बन चुकी हैं। कई स्टडीज में ओबेसिटी रेट बढ़ने और एनर्जी डेंस डायट के बीच संबंध बताया गया है। एनर्जी डेंसिटी भोजन के दिए गए वजन (ग्राम में) प्रति ऊर्जा (किलोकैलोरी में) की मात्रा है। एनर्जी डेंस फूड्स अक्सर रिफाइंड ग्रेन्स, एडेड शुगर (Added sugar) और एडेड फैट्स (Added fats) के साथ आते हैं। ये सस्ते और सुविधाजनक होते हैं। एनर्जी इंटेक का बढ़ना और पुअर डायट क्वालिटी में संबंध देखा गया है। डायट्री एनर्जी का मोटापे और मेटाबॉलिक सिंड्रोम से संबंध (Dietary Energy Density Is Associated With Obesity and the Metabolic Syndrome) इस प्रकार स्थापित हो जाता है।
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डायट्री एनर्जी का मोटापे और मेटाबॉलिक सिंड्रोम से संबंध (Dietary Energy Density Is Associated With Obesity and the Metabolic Syndrome) के बारे में जान लें ये भी
डब्लयूएचओ, द नेशनल हार्ट लंग एंड ब्लड इंस्टिट्यूट और अमेरिका का हेल्थ और ह्यूमन सर्विसेस लो एनर्जी डेंस डायट को रिकमंड करते हैं। जो मोटापे को कम करने में मदद करती है। इसके अतिरिक्त एनर्जी डेंस डायट इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin resistance) को बढ़ाने में योगदान दे सकती है क्योंकि इसमें फैट अधिक मात्रा में पाया जाता है। इससे इंसुलिन सेंसटिविटी में कमी आ सकती है। डायट्री एनर्जी डेंसिटी को कम करना ना केवल मोटापा ब्लकि टाइप 2 डायबिटीज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) के लिए भी एक थेराप्यूटिक ऑप्शन (Therapeutic option) बन सकता है। डायट्री एनर्जी का मोटापे और मेटाबॉलिक सिंड्रोम से संबंध (Dietary Energy Density Is Associated With Obesity and the Metabolic Syndrome) को समझने के बाद डायट्री डेंस डायट और एनर्जी डेंस फूड्स को समझना जरूरी हो जाता है। चलिए इनके बारे में भी जान लेते हैं।
डायट्री एनर्जी का मोटापे और मेटाबॉलिक सिंड्रोम से संबंध: एनर्जी डेंसिटी (Energy density) क्या है?
आसान भाषा में समझें तो एनर्जी डेंसिटी से मतलब किसी फूड के वेट के अनुसार उसमें मौजूद एनर्जी और कैलोरी से है। जो सामान्य तौर पर किलोकैलोरी/ग्राम के अनुसार कैलकुलेट की जाती है। कम एनर्जी डेंसिटी वाले फूड्स हायर एनर्जी डेंसिटी फूड्स की तुलना में पर ग्राम कम कैलोरीज प्रदान करते हैं। ऐसे में व्यक्ति लोअर एनर्जी डेंसिटी वाले फूड्स का सेवन हायर एनर्जी डेंसिटी फूड्स की तुलना में लार्ज पोर्शन में कर सकता है। उदाहरण के लिए आइसक्रीम एक हाय एनर्जी डेंसिटी फूड है जिसकी स्माल सर्विंग में बहुत सारी कैलोरीज, शुगर और फैट होता है। वहीं पालक लो एनर्जी डेंसिटी फूड है। एक प्लेट पालक की पत्तियों में बहुत कम कैलोरीज होती हैं।
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एनर्जी डेंसिटी इन पर होती है निर्भर (High Energy Density Foods)
किसी फूड की एनर्जी डेंसिटी उसमें मौजूद मेक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे कि फैट, प्रोटीन और कार्बोहायड्रेट्स, फायबर और पानी इंटेक पर निर्भर करती है। फूड्स जिनमें अधिक मात्रा में फायबर और पानी पाया जाता है वे उनकी एनर्जी डेंसिटी कम होती है। फैट की मात्रा अधिक होने पर फूड्स में एनर्जी डेंसिटी बढ़ जाती है।
हाय एनर्जी डेंसिटी फूड्स (High Energy density foods) कौन से हैं?
डायट्री एनर्जी का मोटापे और मेटाबॉलिक सिंड्रोम से संबंध (Dietary Energy Density Is Associated With Obesity and the Metabolic Syndrome) समझने के बाद हमें अपनी डायट में हाय एनर्जी डेंसिटी फूड्स को शामिल कम से कम करना चाहिए। इसमें मिठाईयां, डीप फ्रायड फूड्स जैसे कि समोसा, कचोरी, फ्रेंच फ्राइज, पास्ता, चीज, नट्स, थिक सॉसेज, स्टार्ची वेजिटेबल, पेस्ट्री, केक, बटर, फास्ट फूड, आइसक्रीम, जूस, फिज्जी ड्रिंक, चॉकलेट मिल्क और फुल फैट मिल्क।
कुछ फूड्स और बेवरेजेस हाय और लो एनर्जी डेंसिटी हो सकते हैं। सब्जियों से बने सूप लो एनर्जी डेंसिटी होते हैं वही क्रीमी सूप हाय एनर्जी डेंस। नॉन फैट मिल्क रेगुलर मिल्क की तुलना में कम एनर्जी डेंस होता है। वहीं डायट सोड़ा शुगरी सॉफ्ट ड्रिंक की तुलना में लोअर एनर्जी डेंस है।
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लो एनर्जी डेंसिटी फूड्स (Low Energy Density Foods)
लो एनर्जी डेंसिटी फूड्स में हाय फायबर से युक्त हरी और कलरफुल सब्जियां आती हैं। वाटरी फ्रूट्स जैसे कि खट्टे फल और तरबूज और खरबूज कम डेंसिटी वाले फूड्स माने जाते हैं। लो कैलोरी डायट फूड्स में लो एनर्जी डेंसिटी होती है, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता। लो एनर्जी डेंसिटी फूड्स की सबसे अच्छी बात ये है कि इनमें सर्विंग साइज के अनुसार पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। कई प्रकार के फल, बेरीज और सब्जियों में कैलोरी कम होती है, फायबर अधिक होता है और इनमें विटामिन और मिनरल्स अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। लो एनर्जी डेंसिटी फू्ड्स के उदाहरण निम्न प्रकार हैं।
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डायट्री एनर्जी का मोटापे और मेटाबॉलिक सिंड्रोम से संबंध: लोअर एनर्जी डेंसिटी डायट (Lower energy density diet) को कैसे अपनाएं
निम्न टिप्स को आजमाकर आप लोअर डेंसिटी डायट को अपना सकते हैं और वजन कम कर सकते हैं।
- अपने मील के बड़े हिस्से में फलों और सब्जियों को शामिल करने का प्रयास करें। पालक, फूल गोभी, पत्ता गोभी, टमाटर, सब्जी बेस्ड सूप को डायट में जगह दें।
- डेजर्ट के रूप में बेरीज का चयन करें ताकि खाने के अंत में हाय कैलोरी डेजर्ट को खाने से बच सकें। अगर आप केक या आइसक्रीम खाना चाहते हैं तो सर्विंग साइज को देखें और कैलोरी इंटेक को चेक करें।
- खाने की शुरुआत सलाद या सब्जियों और दालों के सूप से करें। ऐसा करने से आपका पेट थोड़ा भर जाएगा और आप हाय एनर्जी डेंस फूड्स जैसे कि पास्ता, पिज्जा या दूसरे हाय कैलोरी फूड खाने से बच जाएंगे।
- अगर आपको किसी भी प्रकार का कॉम्प्लिकेशन है तो किसी भी प्रकार की डायट फॉलो करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
उम्मीद करते हैं कि आपको डायट्री एनर्जी का मोटापे और मेटाबॉलिक सिंड्रोम से संबंध (Dietary Energy Density Is Associated With Obesity and the Metabolic Syndrome) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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