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लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स : क्या डायबिटीज में इस डायट के बारे में जानते हैं आप?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/11/2021

    लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स : क्या डायबिटीज में इस डायट के बारे में जानते हैं आप?

    ग्लाइसेमिक इंडेक्स डायट एक ईटिंग प्लान है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि आपके ब्लड शुगर लेवल पर आहार किस तरह से प्रभाव डालता है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स कार्बोहाइड्रेट कंटेनिंग फूड्स को एक नंबर असाइन करने का एक सिस्टम है, जो यह बताता है कि प्रत्येक फूड ब्लड शुगर को कितना बढ़ाता है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स उन विभिन्न टूल्स में से एक है जैसे कैलोरी काउंटिंग या कार्बोहायड्रेट काउंटिंग। जो लोगों को सही आहार के बारे में गाइड करते हैं। आज हम बात करने वाले हैं लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) के बारे में। आइए जानें क्या हैं लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) और पाएं इसके बारे में पूरी जानकारी विस्तार से।

    लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स क्या हैं? (Low Glycemic Index Foods)

    लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) से पहले ग्लाइसेमिक इंडेक्स डायट के बारे में जान लेते हैं। ग्लाइसेमिक इंडेक्स डायट इस खास डायट प्लान को कहा जाता है। जिसमें मील प्लानिंग की गाइडेंस के लिए इंडेक्स का प्रयोग किया जाता है। अन्य प्लान्स की तरह इस प्लान में किसी खास पोरशन साइज या कैलोरीज के ऑप्टीमल नंबर, वेट लॉस के लिए फैट्स या काबोहायड्रेट्स की जरूरत नहीं होती है।

    मेडलायन प्लस (MedlinePlus) के अनुसार  ग्लाइसेमिक इंडेक्स इस चीज का माप है कि कितनी जल्दी एक आहार आपकी ब्लड शुगर को बढ़ा सकता है। जो खाद्य पदार्थ कार्बोहायड्रेट युक्त होते हैं, उनमें ही ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है। फूड्स जैसे तेल, फैट्स, मीट्स आदि में ग्लाइसेमिक इंडेक्स नहीं होता है लेकिन डायबिटीज से पीड़ित लोगों में यह सब चीजें ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकती हैं।

    लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) ग्लाइसेमिक इंडेक्स के कांसेप्ट पर निर्भर करते हैं। ऐसा माना जाता है कि लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) या डायट का पालन करने से वजन कम हो सकता है। इसके साथ ही इससे ब्लड शुगर लो हो सकता है और हार्ट डिजीज (Heart Disease) व टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) में भी इससे लाभ हो सकता है। आइए जानते हैं डायबिटीज और लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) के बारे में।

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    डायबिटीज और लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Diabetes and low glycemic index foods)

    लो ग्लाइसेमिक फूड डायबिटीज को कंट्रोल में रखने का सबसे बेहतरीन टूल है। यह इस बात को जानने में मदद करता है कि कार्बोहायड्रेट वाला भोजन कितनी जल्दी ब्लड शुगर बढ़ा सकता है। ऐसे में अगर आप डायबिटीज से पीड़ित हैं। तो आप उन खाद्य पदार्थों को खाने पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकते हैं जो ब्लड शुगर को धीरे-धीरे बढ़ाते हैं। जो आहार ब्लड शुगर को धीरे धीरे बढ़ाते हैं उनमें लो  ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है। इस प्लान के अनुसार अधिकतर कार्बोहायड्रेट रिच खाद्यपदार्थ जिनका सेवन आप करते हैं उनमें ग्लाइसेमिक फूड इंडेक्स लो या मध्यम होना चाहिए। लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) खाना डायबिटीज में बेहद लाभदायक है। डायबिटीज के लिए इसका फूड प्लान का पालन अन्य ईटिंग प्लान के साथ किया जा सकता है जैसे कार्बोहायड्रेट काउंटिंग या प्लेट फॉर्मेट।

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    कार्बोहायड्रेट काउंटिंग (Carbohydrate Counting)

    कार्बोहायड्रेट काउंटिंग से पता चलता है कि आप कितनी कार्बोहायड्रेट्स ले रहे हैं। ग्लाइसेमिक इंडेक्स में ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए आप कितनी कार्बोहायड्रेट्स की मात्रा ले रहे हैं, यह बहुत महत्वपूर्ण है।

    प्लेट फॉर्मेट(Plate Format)

    प्लेट फॉर्मेट से पोरशंस को कंट्रोल करने और विभिन्न तरह से आहार को चुनने में मदद मिलती है। फूड के ग्लाइसेमिक इंडेक्स को आहार की विभिन्नता, इसे कैसे बनाया गया है और कितनी देर इसे स्टोर किया गया है। इस सब चीजों के अनुसार बदला जा सकता है। आहार के ग्लाइसेमिक कंटेंट हर व्यक्ति के लिए अलग तरह से रिस्पॉन्ड करता है। इस इंडेक्स को कई चीजें प्रभावित करती हैं। यह सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका है कि कोई भोजन आपके रक्त शर्करा को कैसे प्रभावित करता है। हालांकि जब मील्स को प्लान किया जाता है, तो  रोगी को केवल ग्लाइसेमिक इंडेक्स नहीं बल्कि आहार में मौजूद सभी न्यूट्रिएंट्स पर ध्यान देना चाहिए।

    लेकिन कुछ चीजों का ध्यान रखना भी जरूरी है जैसे लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) जैसे आइस क्रीम में सैचुरेटेड फैट हाय होते हैं। इसलिए उनका सेवन कभी-कभी ही करने की सलाह दी जाती है। जबकी कुछ हाय ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (High Glycemic Index Foods) जैसे आलू में विटामिन सी, पोटेशियम और फायबर जैसे न्यूट्रिएंट्स होते हैं। लेकिन, इसे अधिक लेने की सलाह दी जा सकती है। लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) को हाय ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स के साथ लेने से आपको एकदम ब्लड शुगर के बढ़ने की समस्या में आपको मदद मिलेगी। अब जानते हैं लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) के अनुसार किन चीजों का सेवन किया जा सकता है?

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    लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स कौन से हैं? (Low glycemic index foods)

    लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स डायट में कैलोरीज को काउंट करने या प्रोटीन, फैट या कार्बोहायड्रेट्स को काउंट करने की जरूरत नहीं होती है। इसके बजाय, लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) में लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स विकल्पों के लिए हाय ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (High Glycemic Index Foods) की अदला-बदली शामिल है। आप इसमें कई हेल्दी और न्युट्रिशयस फूड्स को चुन सकते हैं। लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) के विकल्प इस प्रकार हैं’

    • ब्रेड (Bread) : साबुत अनाज, मल्टीग्रेन,राई
    • ब्रेकफास्ट सीरियल्स (Breakfast cereals:) ओट्स, ब्रान फ़्लेक्स
    • फल (Fruit) : सेब, आड़ू, स्ट्रॉबेरी, कीवी, प्लम, नाशपाती
    • सब्जियां (Vegetables): गाजर, ब्रोकली, गोभी, जुकीनी
    • स्टार्ची सब्जियां (Starchy vegetables) : चुकंदर, कॉर्न, विंटर स्क्वैश
    • दालें (Pulses) : चने, बटर बीन्स, राजमा, बेक्ड बीन्स
    • चावल (Rice) : बासमती, ब्राउन राइस
    • अनाज (Grains): क्विनोआ,जौ, सूजी
    • डेयरी और अन्य उत्पाद (Dairy and Other Products) : दूध, मक्खन, दही, कोकोनट मिल्क, बादाम मिल्क

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    कुछ अन्य चीजों को भी इस डायट में शामिल किया जा सकता है। इन चीजों में बहुत कम या कोई भी कार्बोहायड्रेट्स नहीं होते हैं और इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स  वैल्यू नहीं होती है।

    कुछ खाद्य पदार्थों को भी लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स डायट में शामिल किया जा सकता है:

    • फिश और सीफ़ूड (Fish and seafood) :  सालमोन, ट्राउट, टूना, प्रॉन्स
    • अन्य एनिमल प्रोडक्ट्स (Other animal products) : अंडे, बीफ, चिकन, पोर्क
    • मेवे (Nuts) :बादाम, काजू, पिस्ता, अखरोट आदि
    • फैट्स और ऑयल्स (Fats and oils) : ऑलिव ऑयल, बटर और एवोकाडो
    • हर्ब्स और मसाले (Herbs and spices): लहसुन, नमक

    बैलेंस्ड डायट के लिए हर ग्रुप में से लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स विकल्प का सेवन करें। यह तो थी लिस्ट की लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स डायट में किन चीजों का सेवन करना चाहिए। लेकिन, इसके साथ ही यह जानना भी जरुरी है कि इस दौरान किन चीजों को नहीं खाना चाहिए। जानिए इस बारे में।

    लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स

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    लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स डायट (low glycemic index diet) में क्या न खाएं?

    हालांकि, ग्लाइसेमिक इंडेक्स डायट में किसी भी चीज को न खाने की सलाह नहीं दी जाती है। हालांकि, हाय ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (High Glycemic Index Foods) को जितना अधिक हो सके, लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स विकल्पों के साथ रिप्लेस करने की कोशिश करें। जानिए इस दौरान आपको किन चीजों को न खाने की सलाह दी जाती है:

    • ब्रेड (Bread): व्हाइट ब्रेड, नान
    • ब्रेकफास्ट सीरियल्स (Breakfast cereals) : इंस्टेंट ओट्स, राइस क्रिस्पीज कॉर्न फलैक्स, फ्रूट लूप्स
    • डेयरी रिप्लेसमेंट (Dairy Replacement): राइस मिल्क और ओट मिल्क
    • फल (Fruit): तरबूज
    • अन्य स्नैक्स (Other Snacks): राइस क्रैकर्स, राइस केक्स,कॉर्न चिप्स
    • केक और अन्य स्वीट्स (Cake and other Sweets): डोनट, कपकेक, कूकी, केक

    डायबिटीज या किसी भी अन्य स्थिति में लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) का चुनाव करते हुए पहले इस बारे में सही जानकारी प्राप्त कर लें। पाएं चुनाव करने के कुछ टिप्स।

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    लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low glycemic index foods) के चुनाव के लिए टिप्स

    लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स डायट का उद्देश्य उस कार्बोहायड्रेट कंटेनिंग फूड्स का सेवन करना है, जो ब्लड शुगर लेवल के आधीक बढ़ने का कारण नहीं बनता है। यह आहार वजन कम करने और मोटापे से संबंधित पुरानी बीमारियों जैसे डायबिटीज और हृदय रोग को रोकने में भी लाभदायक साबित हो सकता है। लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) के चुनाव करने के लिए टिप्स इस प्रकार हैं:

    • जितना अधिक हो सके अनप्रोसेस्ड आहार का सेवन करें। अधिकतर अनप्रोसेस्ड आहार में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। जैसे व्होल वीट ब्रेड, व्हाइट ब्रेड की तुलना में अधिक प्रोसेस्ड होता है। ऐसे में इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करें।
    • चीजों को ओवरकुक न करें। चीजों को ओवरकुक करने से ग्लाइसेमिक इंडेक्स बढ़ता है। लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स के लिए चीजों को अधिक न पकाएं।
    • हाय फायबर फूड्स का चुनाव करें। जिन आहारों में फायबर की मात्रा अधिक होते हैं। उन्हें पचने में समय लगता है और इससे धीरे-धीरे ब्लड शुगर बढ़ता है।
    • हाय ग्लाइसेमिक फूड के मेजर्ड पोरशन का ही सेवन करें। आप उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला खाना खा सकते हैं। क्योंकि, इनमें से कई खाद्य पदार्थों में पोषक तत्व होते हैं, जिनकी आपको आवश्यकता होती है। लेकिन इसे स्मॉल पोरशन में खाने की कोशिश करें।
    • लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) को हाय ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड के साथ लें। लो ग्लाइसेमिक फूड हाय ग्लाइसेमिक फूड के प्रभाव का मुकाबला करने में मदद करेगा।  ब्लड शुगर को धीरे-धीरे बढ़ने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही हमेशा साबुत अनाज को चुने।

    जब भी बाहर कहीं रेस्टोरेंट में खाना खानें जाएं, तो हमेशा नॉन स्टार्ची वेजटेबल्स को ही चुनें। क्योंकि, अधिकतर नॉन स्टार्ची वेजटेबल्स में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। उम्मीद है कि आप लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) के लाभ के बारे में जान ही गए होंगे। डायबिटीज के अलावा भी अन्य कई शारीरिक समस्याओं में यह डायट लाभ पहुंचा सकती है। जानिए इस डायट के फायदों के बारे में।

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    लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स के फायदे (Benefits of Low Glycemic Index Foods)

    लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स डायट के और भी कई फायदे हैं। कई अन्य हेल्थ कंडिशंस में इसका पालन करने से आपको लाभ हो सकता है। जानिए क्या हैं इसके फायदे विस्तार से:

    • कोलेस्ट्रॉल लेवल में सुधार (Improved cholesterol levels) : ऐसा माना जाता है कि लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स डायट से कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होता है। कोलेस्ट्रॉल लेवल का सही रहना बेहद जरूरी है। क्योंकि बेड कोलेस्ट्रॉल को हार्ट डिजीज और स्ट्रोक के जोखिम के साथ जोड़ा जाता है।
    • वजन का कम होना (Maintain Right Weight) : कुछ एविडेंस यह बताते हैं कि लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स डायट से फैट लॉस होने में भी मदद मिलती है। हालांकि लॉन्ग टर्म वेट लॉस में यह डायट कितनी लाभदायक है इसके बारे में अभी अधिक शोध की जानी बाकी है।
    • कैंसर के जोखिम को करे कम (Low Cancer Risk) :एक स्टडी के अनुसार जो लोग हाय ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (High Glycemic Index Foods) का सेवन करते हैं, उन्हें कुछ खास तरह के कैंसर होने की संभावना अधिक होती है जैसे ब्रेस्ट कैंसर (Brest Cancer) , कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal Cancer) आदि। लेकिन लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) का सेवन करने वालों को इसका जोखिम कम रहता है।
    • हार्ट डिजीज का खतरा कम होता है (Low Heart Disease Risks) : कुछ शोध यह भी बताते हैं हाय ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (High Glycemic Index Foods) से हार्ट डिजीज का जोखिम अधिक होता है। जबकि लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) का सेवन करने वाले लोगों को इसका खतरा कम रहता है।

    लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) के कई लाभ हैं लेकिन इसके सेवन से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं जैसे इस डायट से व्यक्ति को सभी न्यूट्रिशन प्राप्त नहीं होते हैं। इसलिए इसे लेने से पहले अपने चिकित्सक और डायटिशन की मदद अवश्य लें लें।

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    क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज को रिवर्स कैसे कर सकते हैं? तो खेलिए यह क्विज!

    यह तो थी लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स (Low Glycemic Index Foods) के बारे में पूरी जानकारी। यह कई समस्याओं में लाभदायक सिद्ध हो सकती है जैसे वजन को कम करने में, शुगर लेवल को कम करने में, हार्ट डिजीज और टाइप 2 डायबिटीज को मैनेज करने में आदि। लेकिन, इसके कुछ नुकसान भी हो सकते है। अगर संक्षेप में कहा जाए तो एक हेल्दी और बैलेंस्ड डायट लेना बेहद जरूरी है और ऐसी डायट निर्भर करती हैं विभिन्न साबुत और अनप्रोसेस्ड फूड्स पर।आपको लो ग्लाइसेमिक डायट को अपने स्वस्थ ईटिंग प्लान का हिस्सा बनाना चाहिए. जिसमें जरूरी पोषक तत्व भी शामिल हों। इनके बारे में निर्धारित करने के लिए एक न्यूट्रिशन स्पेशलिस्ट आपको मदद कर सकता है।

    डिस्क्लेमर

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