भारत दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। वहीं डायबिटीज पेशेंट्स की बढ़ती संख्या के कारण भी दस देशों में दूसरे नंबर पर है। डायबिटीज शब्द के आते ही हमसभी अपने आप ब्लड शुगर लेवल, वेट गेन और इन्सुलिन (Insulin) की कल्पना तेजी से कर लेते हैं। वैसे डायबिटीज (Diabetes) की वजह ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) बिगड़ने लगता है और इस बिगड़ते हुए ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने का राज छिपा होता है इन्सुलिन में। इसलिए आज इस आर्टिकल में इन्सुलिन क्या है और डायबिटीज के लिए इन्सुलिन के प्रकार (Types of Insulin) कौन-कौन से हैं, यह आप से साझा करेंगे। वैसे आर्टिकल को पूरा पढ़ना मत भूलियेगा क्योंकि डायबिटीज के लिए इन्सुलिन के प्रकार से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां हम आपके लिए लेकर आएं हैं।
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इन्सुलिन क्या है? (What is Insulin?)
इंसुलिन एक तरह का हॉर्मोन है, जो पैंक्रियाज (Pancreas) से सीक्रिट होता है। ये ग्लूकोज को एब्सॉर्ब कर कार्बोहाइड्रेट्स और फैट मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करने का कार्य करता है। टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) होने पर शरीर में इन्सुलिन बनाना बंद हो जाता है, जबकि टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) की परेशानी होने पर इन्सुलिन ठीक तरह से नहीं बनता है या शरीर इन्सुलिन का ठीक तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाता है। चलिए ये तो हुआ इन्सुलिन क्या है और अब जान लेते हैं डायबिटीज के लिए इन्सुलिन के प्रकार (Types of Insulin) कौन-कौन से हैं।
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डायबिटीज के लिए इन्सुलिन के प्रकार (Types of Insulin) कौन-कौन से हैं?
डायबिटीज के इलाज के लिए निम्नलिखित 4 अलग-अलग तरह के इन्सुलिन का इस्तेमाल किया जाता है, जो इस प्रकार हैं।
- रैपिड-एक्टिंग इन्सुलिन (Rapid-acting Insulin)
- शॉर्ट-एक्टिंग इन्सुलिन (Short-acting Insulin)
- इंटरमीडिएट-एक्टिंग इन्सुलिन (Intermediate-acting Insulin)
- लॉन्ग-एक्टिंग इन्सुलिन (Long-acting Insulin)
- मिक्स्ड इन्सुलिन (Mixed Insulin)
इन 5 अलग-अलग तरह के इन्सुलिन के बारे में एक-एक कर समझते हैं।
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1. रैपिड-एक्टिंग इन्सुलिन (Rapid-acting Insulin)- डायबिटीज के लिए इन्सुलिन के प्रकार (Types of Insulin) में सबसे पहले आता है रैपिड-एक्टिंग इन्सुलिन। खाना खाने के पहले रैपिड-एक्टिंग इन्सुलिन का इंजेक्शन डायबिटीज पेशेंट को दिया जाता है। इस इन्सुलिन का प्रभाव शरीर में तकरीबन 3 से 4 घंटे तक रहता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार इन्सुलिन इंजेक्शन लेने के 15 मिनट बाद इसका प्रभाव शरीर पर पड़ना शुरू होता है।
रैपिड-एक्टिंग इन्सुलिन में शामिल है-
- लिस्प्रो (Lispro (Humalog)
- एस्पार्ट Aspart (Novolog)
- ग्लोलिसिन Glulisine (Apidra)
2. शॉर्ट-एक्टिंग इन्सुलिन (Short-acting Insulin)- डायबिटीज के लिए इन्सुलिन के प्रकार (Types of Insulin) में दूसरे नंबर पर है शॉर्ट-एक्टिंग इन्सुलिन। शॉर्ट-एक्टिंग इन्सुलिन थोड़ा लंबे वक्त तक शरीर पर अपना प्रभाव रखता है। खाना खाने से पहले इंजेक्शन की मदद से इस इन्सुलिन का डोज दिया जाता है और 30 से 60 मिनट बाद यह शरीर को फायदा पहुंचाता है।
शॉर्ट-एक्टिंग इन्सुलिन में शामिल है-
- रेग्यूलर-आर Regular (R)
- वेलोसिन Velosulin
3. इंटरमीडिएट-एक्टिंग इन्सुलिन (Intermediate-acting Insulin)- डायबिटीज के लिए इन्सुलिन के प्रकार (Types of Insulin) या इंसुलिन टाइप में तीसरे नंबर पर है इंटरमीडिएट-एक्टिंग इन्सुलिन। इस इन्सुलिन का डोज लेने के बाद 14 से 16 घंटे तक अपना प्रभाव रखता है। हालांकि इंटरमीडिएट-एक्टिंग इन्सुलिन लेने के एक से दो घंटे के बाद अपना काम करना शुरू करता है।
इंटरमीडिएट-एक्टिंग इन्सुलिन में शामिल है-
- एनपीएच एन NPH (N)
4. लॉन्ग-एक्टिंग इन्सुलिन (Long-acting Insulin)- डायबिटीज के लिए इन्सुलिन के प्रकार (Types of Insulin) में चौथे नंबर पर है लॉन्ग-एक्टिंग इन्सुलिन। इन्सुलिन का यह डोज अपना प्रभाव 24 घंटे या उससे भी ज्यादा देर तक रखता है। डायबिटीज एक्सपर्ट्स के अनुसार लॉन्ग-एक्टिंग इन्सुलिन इंजेक्शन लेने के तकरीबन 2 घंटे बाद अपना काम करना शुरू करता है।
लॉन्ग-एक्टिंग इन्सुलिन में शामिल है-
- इन्सुलिन ग्लारजिन (Insulin glargine)
- इन्सुलिन डिटर्मिर (Insulin detemir)
- इन्सुलिन डेगलुडेक (Insulin degludec)
5. मिक्स्ड इन्सुलिन (mixed insulin)- डायबिटीज के लिए इन्सुलिन के प्रकार (Types of Insulin) या इंसुलिन टाइप में पांचवें नंबर पर है मिक्स्ड इन्सुलिन। ऑस्ट्रेलियन गवर्मेंट बेटर हेल्थ में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार मिक्स्ड इन्सुलिन का इस्तेमाल सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में किया जाता है।
ये पांच अलग-अलग तरह की इन्सुलिन की डोज डायबिटीज पेशेंट की हेल्थ कंडिशन को देखकर प्रिस्क्राइब की जाती है। हालांकि डायबिटीज पेशेंट को सबसे पहले डायबिटीज की दवा प्रिस्क्राइब की जाती है। अगर इन दवाओं से ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) कंट्रोल नहीं हो पाता है, तो डायबिटीज के लिए इन्सुलिन के प्रकार (Types of Insulin) या इंसुलिन टाइप में शामिल अलग-अलग डोज दी जाती है। ऐसी भी मान्यता है कि डायबिटीज पेशेंट्स को हमेशा इन्सुलिन लेने की जरूरत पड़ती है, जबकि यह गलत है। टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) या टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) के पेशेंट अगर हेल्दी लाइफ स्टाइल फॉलो करें, तो इन्सुलिन के डोज को कम किया जा सकता है और धीरे-धीरे इन्सुलिन लेने की जरूरत भी नहीं पड़ सकती है।
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इन्सुलिन डोज फंक्शन (Function of Insulin)
इंसुलिन डोज लेने के बाद शरीर में निम्नलिखित तरह के कार्यों को करता है। जैसे:
- जब डायजेस्टिव सिस्टम (Digestive System) आहार में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में बदल देता है, तब उत्पन्न हुआ ग्लूकोज छोटी आंत (Small Intestine) की मदद से ब्लड फ्लो में एब्सॉर्ब हो जाता है। वहीं जब सेल्स द्वारा ग्लूकोज एब्सॉर्ब करने लगता है, तो बॉडी को एनर्जी मिलने लगती है।
- इंसुलिन यकृत कोशिकाओं, मसल्स और फैट टिशू की मदद से ग्लूकोज को ग्रहण कर लेता है और ग्लाइकोजन में परिवर्तित हो जाता है। ग्लाइकोजन को यकृत एवं मांसपेशियों में ऊर्जा के रूप में इक्क्ठा रहती है।
- इंसुलिन, शरीर द्वारा फैट (वसा) का उपयोग ऊर्जा स्रोत के रूप में नहीं करने देता है। अगर बॉडी में इंसुलिन की कमी हो जाए या इन्सुलिन बनना बंद हो जाये तो, शरीर की कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज का अवशोषण नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति होने पर शरीर ऊर्जा स्रोत के रूप में वसा का उपयोग करना शुरू कर देता है, जो सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
- इन्सुलिन बॉडी में एमिनो एसिड (Amino Acid) के लेवल को भी कंट्रोल करने में सहायक होता है।
- इंसुलिन ब्लड शुगर लेवल को जरूरत से ज्यादा (हाइपरग्लाइसीमिया [Hyperglycemia]) या बहुत कम (हायपोग्लीसिमिया [Hypoglycemia]) होने से रोकता है।
- फूड डायजेशन में मदद करने के अलावा इन्सुलिन हड्डी और मांसपेशियों के विकास में मददगार होता है।
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इन्सुलिन लेने से पहले किन बातों का ध्यान रखें? (Tips for Insulin)
अगर आपको इन्सुलिन लेने की जरूरत पड़ती है, तो निनलिखित बातों का ध्यान अवश्य रखें। जैसे:
- इन्सुलिन पेन किसी और से शेयर ना करें। पेन शेयर करने से इंफेक्शन (Infection) का खतरा बढ़ जाता है और हेपेटाइटिस (Hepatitis) या HIV जैसी बीमारियों की संभावना ज्यादा रहती है।अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार इंसुलिन पेन का इस्तेमाल करने के दौरान ब्लड और स्किन सेल्स भी इंसुलिन कार्ट्रिज में शामिल हो सकते हैं। इसलिए इन्सुलिन पेन किसी अन्य लोगों से शेयर ना करें।
- इन्सुलिन को 2°C से 7 °C तापमान पर स्टोर करें।
- इन्सुलिन का इंजेक्शन नाभि से कुछ दूर पेट के आसपास, जांघों का बाहरी भाग, कूल्हों का बाहरी हिस्सा, बाजू का पिछला हिस्से पर लिया जाना चाहिए।
- इन्सुलिन लेने से पहले हाथों को अच्छी तरह साबुन से साफ करें।
- इन्सुलिन इंजेक्शन (Insulin Injection) लेने के दौरान ध्यान रखें कि पूरी दवा शरीर में चली गई हो।
- इन्सुलिन की डोज जितनी लेने की सलाह दी गई हो, उतनी ही लें।
- इंसुलिन की एक्सपायरी डेट का ध्यान रखें।
इन टिप्स को फॉलो कर आप ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रख सकते हैं। इसके साथ ही हमेशा ध्यान रखें की आपको कौन से इन्सुलिन की डोज लेनी है और कितनी लेनी है।
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इन्सुलिन से जुड़े मिथ और फैक्ट्स क्या हैं? (Insulin myths and facts)
इन्सुलिन से जुड़े मिथ और फैक्ट्स इस प्रकार हैं। जैसे:
मिथ- इन्सुलिन इंजेक्शन सिर्फ टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों को दिया जाता है।
फैक्ट- इन्सुलिन इंजेक्शन टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) और टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes), दोनों को दिया जाता है। यह उनके हेल्थ कंडिशन पर निर्भर करता है।
मिथ- इन्सुलिन इंजेक्शन लेते वक्त तेज दर्द होता है।
फैक्ट- यह धारणा गलत है। दरअसल कुछ साल पहले इन्सुलिन इंजेक्शन (Insulin Injection) की निडिल मोटी होती थी, लेकिन अब इस्तेमाल किये जाने वाले इन्सुलिन इंजेक्शन की निडिल काफी पतली होती है, जिससे दर्द (Pain) नहीं होता है।
मिथ- ट्रैवलिंग के दौरान इन्सुलिन इंजेक्शन (Insulin Injection) लेने में परेशानी होती है।
फैक्ट- ट्रैवलिंग के दौरान इन्सुलिन पेन का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसे फ्रीज में रखने की जरूरत भी नहीं पड़ती है और आप समय-समय पर इन्सुलिन इंजेक्शन बिना स्किप किये ले सकते हैं।
इन्सुलिन से जुड़े ये मिथ और फैक्ट्स से उम्मीद करते हैं आपके मन में इन्सुलिन को लेकर जो धारणा बनी हुई है, उसे अब अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
अगर आप डायबिटीज के लिए इन्सुलिन के प्रकार (Types of Insulin) या इंसुलिन टाइप से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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