backup og meta

स्टडी: जानिए टाइप 2 डायबिटीज में HDL फंक्शन और थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल पर क्या रिसर्च रिपोर्ट!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/02/2022

    स्टडी: जानिए टाइप 2 डायबिटीज में HDL फंक्शन और थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल पर क्या रिसर्च रिपोर्ट!

     HDL फंक्शन और थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल (HDL Function and Therapeutic Lifestyle) … आज इस आर्टिकल में टाइप 2 डायबिटीज मरीजों के लिए HDL फंक्शन और थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां शेयर करेंगे, जिसकी सहायता से हेल्दी लाइफस्टाइल और ब्लड शुगर लेवल को बैलेंस रखने में मदद मिल सकती है। आर्टिकल की शुरुआत करेंगे HDL फंक्शन और थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल (HDL Function and Therapeutic Lifestyle) से जुड़े रिसर्च रिपोर्ट्स से। 

    चलिए आर्टिकल की शुरुआत करते हैं HDL फंक्शन और थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल से। 

    HDL फंक्शन और थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल (HDL Function and Therapeutic Lifestyle) क्या है?   

    HDL फंक्शन और थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल को यहां एक-एक कर समझते हैं-

    HDL फंक्शन (HDL Function)-

    मेटाबोलिक सिंड्रोम की समस्या से पीड़ित लोगों में एचडीएल का लेवल प्रायः कम होता है। इस सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में मोटापा, हाय ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी तकलीफें देखी जाती हैं। ऐसे में खानपान में बदलाव और व्यायाम से हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL) यानी गुड कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ाने में मदद मिल सकती है। रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार शरीर में टोटल कोलेस्ट्रॉल लेवल 200 mg/dl से कम होना बेहतर माना जाता है। एलडीएल यानी बैड कोलेस्ट्रॉल 100 mg/dl से कम होना चाहिए और एचडीएल यानी गुड कोलेस्ट्रॉल 60 mg/dl से ज्यादा और ट्राइग्लिसराइड 150 mg/dl से कम होना बेहतर बताया गया है।

    थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल (Therapeutic Lifestyle)-

    थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल को शॉर्ट टर्म में TLC कहा जाता है और इसे अगर सामान्य शब्दों में समझें तो इसका अर्थ है एक्सरसाइज, न्यूट्रिशन और डायट, रिलेशनशिप, रीलैक्सेशन, स्ट्रेस मैनेजमेंट, प्राकृतिक में समय बिताना या ऐसे ही अन्य काम। इतने सारे काम को फॉलो करना ही थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल (Therapeutic Lifestyle) कहलाता है, जिससे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है।

    अब HDL फंक्शन और थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल से जुड़े शोध क्या हैं इस बारे में समझने की कोशिश करते हैं।

    और पढ़ें : डायबिटीज और नाइट विजन प्रॉब्लम: डायबिटीज कैसे आंखों पर नेगेटिव प्रभाव डालता है?

    टाइप 2 डायबिटीज मरीजों के लिए HDL फंक्शन और थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल पर क्या है रिसर्च रिपोर्ट्स? (HDL Function and Therapeutic Lifestyle)

    HDL फंक्शन और थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल (HDL Function and Therapeutic Lifestyle)

    नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information), सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Center for Disease Control and Prevention), सेमेंटिक स्कॉलर (Semantic Scholar) जैसे अन्य पब्लिश्ड रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज मरीजों के लिए  HDL फंक्शन और थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल (HDL Function and Therapeutic Lifestyle) दोनों के फायदे मिलते हैं। इस रिसर्च के दौरान यह उदेशय रखा गया कि डायबिटीज के मरीजों में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा ज्यादा होता है, लेकिन अगर  HDL फंक्शन और थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल (HDL Function and Therapeutic Lifestyle) पर ध्यान दिया जाए, तो दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम हो सकता है। इसलिए  HDL फंक्शन और थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल के पीछे के साइंस को समझकर इस विषय पर रिसर्च की गई। इस रिसर्च के दौरान 25 ऐसे लोगों को लिया गया जिन्हें मेटाबॉलिक सिंड्रोम की समस्या थी। इन लोगों को 12 हफ्ते तक थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल चेंजेस जैसे मेडिटरेनीयन डायट (Mediterranean diet) यानी प्लांट बेस्ड डायट और 12 हफ्ते तक नियमित व्यायाम करवाया गया। ऐसा करने से कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (Cardiovascular disease) के खतरे को कम करने में मदद मिली। हालांकि रिसर्च रिपोर्ट्स में  HDL फंक्शन और थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल (HDL Function and Therapeutic Lifestyle) के फायदों के बारे में जानकारी साझा की गई, लेकिन टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में मेडिएटेड ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस (Mediated oxidative stress) होना अभी भी क्लियर नहीं है। ये है  HDL फंक्शन और थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल (HDL Function and Therapeutic Lifestyle) से जुड़े रिसर्च रिपोर्ट्स। 

    और पढ़ें : स्टडी: जानिए T2DM पेशेंट्स में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के खतरे को कम करने के लिए वजन कम करने के फायदे!

    टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट्स में HDL फंक्शन बेहतर तरीके से हो इसलिए क्या करना चाहिए?

    नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार हाय डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL) कोलेस्ट्रॉल को गुड कोलेस्ट्रॉल (Good Cholesterol) कहते हैं। गुड कोलेस्ट्रॉल ही कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के खतरे को कम करने में सहायक माना जाता है। इसलिए पांच बातों को ध्यान में रखकर गुड कोलेस्ट्रॉल लेवल को बैलेंस बनाने में मदद मिल सकती है। जैसे:

    1. शरीर का वजन नियंत्रित रखें।
    2. चीनी का सेवन कम से कम करें।
    3. प्रोसेस्ड फूड का सेवन ना करें।
    4. स्मोकिंग ना करें
    5. नियमित एक्सरसाइज या योग करें।

    और पढ़ें : जानिए टाइप 1 डायबिटीज के रोगियों में ACE इनहिबिटर्स और एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स के साथ उपचार कैसे किया जाता है

    ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने के लिए क्या करें? (Tips to control Blood Sugar Level)

    ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रखने के लिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो करें-

  • इंसुलिन (Insulin) का सेवन डॉक्टर द्वारा बताए अनुसार ही लें ।
  • एक्सरसाइज, योगासन या वॉकिंग शरीर को स्वस्थ्य रखने के साथ-साथ डायबिटीज कंट्रोल करने में भी सहायक है। इसलिए रोजाना एक्सरसाइज (Workout), योगासन (Yoga) या वॉकिंग (Walking) करें।
  • शरीर में पानी की कमी भी ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को इमबैलेंस करने का काम कर सकती है। इसलिए सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार डायबिटीज मरीजों को जूस या डायट सोडा का सेवन ना कर ताजे पानी का सेवन करना चाहिए।
  • ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रखने के लिए हाई प्रोटीन फूड (High Protein Food) का सेवन करना चाहिए।
  • डायबिटीज मरीजों को डायबिटिक मील (Diabetes meal) नियमित फॉलो करना चाहिए।
  • इन ऊपर बताये पांच टिप्स डायबिटीज पेशेंट्स को जरूर फॉलो करना चाहिए। ऐसा करने से ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) इमबैलेंस होने का खतरा कम हो सकता है और आप हेल्दी रह सकते हैं।

    सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज की संभावना हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) की समस्या, बढ़ा हुआ बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL [bad] cholesterol) लेवल और बढ़ा हुआ ट्रायग्लिसराइड लेवल (High triglycerides) मुख्य कारण है। इसलिए इन बीमारियों को इग्नोर करना गंभीर बीमारियों को दावत देने से कम नहीं है।

    और पढ़ें : Prediabetic neuropathy: आसानी से दूर हो सकती है प्री-डायबिटिक न्यूरोपैथी की समस्या!

    टाइप 2 डायबिटीज मरीज कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के खतरे को कम करने के लिए क्या करें?

    टाइप 2 डायबिटीज मरीज कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के खतरे को कम करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे:

    • नियमित रूप से पौष्टिक आहार (Healthy diet) का सेवन करें।
    • बार-बार खाने (Frequent eating) की आदत से बचें।
    • मौसमी फल (Fruits) एवं सब्जियों (Vegetables) का सेवन करें।
    • पैक्ड जूस (Juice) एवं खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें।
    • नियमित एक्सरसाइज (Workout), योग (Yoga) या वॉक (Walk) करें।
    • एल्कोहॉल (Alkohol) का सेवन कम से कम करें।
    • स्मोकिंग (Smoking) ना करें।
    • तनाव (Stress) से बचें।
    • 7 से 9 घंटे की नींद (Sleep) अवश्य लें।

    इन बातों को ध्यान में रखकर शरीर के बढ़ते वजन को रोकने में मदद मिल सकती है, लेकिन कभी-कभी जेनेटिकल कारणों से शरीर का वजन बढ़ते चला जाता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक होता है। टाइप 2 डायबिटीज में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के खतरे को कम करने के लिए वजन कम करने के फायदे से जुड़ी अन्य जानकारी या और भी टिप्स शेयर कर सकते हैं।

    टाइप 2 डायबिटीज में HDL फंक्शन या थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल से जुड़े सवालों का जवाब तलाश कर रहें थें, तो उम्मीद करते हैं कि टाइप 2 डायबिटीज में HDL फंक्शन या थेराप्यूटिक लाइफस्टाइल के बारे में समझने में सुविधा हुई होगी। वैसे अगर आप या आपके कोई भी करीबी डायबिटिक हैं, तो उन्हें ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को बैलेंस बनाये रखने की सलाह दें, जिससे अन्य बीमारियों से दूर रहने में मदद मिल सकती है।

    स्वस्थ रहने के लिए अपने डेली रूटीन में योगासन शामिल करें। योग से जुड़े कई महत्वपूर्ण सवालों का जवाब है नीचे दिए इस वीडियो लिंक में। वीडियो लिंक पर क्लिक कर योगासन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी को समझें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/02/2022

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement