भारत में 70 मिलियन से अधिक डायबिटीज पेशेंट्स होने की वजह से इसे कई बार दुनिया की डायबिटीज कैपिटल के रूप में डिफाइन किया जाता है। इस मेडिकल कंडिशन का कोई प्रॉपर ट्रीटमेंट नहीं होने के कारण, मरीजों को केवल डायबिटीज के लक्षणों (Diabetes symptoms) को कंट्रोल करने और हेल्थ को और खराब होने से बचाने के लिए महंगी दवाओं पर निर्भर रहना पड़ता है। इसलिए, डायबिटीज में गुडुची (Guduchi in diabetes) जैसे नैचुरल ट्रीटमेंट्स की काफी डिमांड रहती है। ये नैचुरल रेमेडीज उन दवाओं पर निर्भरता को कम कर सकती है जो साइड इफेक्ट्स के रिस्क से भरपूर होती हैं।
‘द कम्प्लीट बुक ऑफ आयुर्वेदिक होम रेमेडीज’ के अनुसार, डायबिटीज में गुडुची (Guduchi in diabetes) ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) को कंट्रोल करके डायबिटीज मैनेजमेंट (Diabetes management) में हेल्पफुल होती है। इस आर्टिकल में आज हम इसी बारे में विस्तार से बताएंगे कि डायबिटीज में गुडुची या गिलोय (Giloy in diabetes) किस तरह प्रभावी है, डायबिटीज में गुडुची के फायदे, इसकी कितनी मात्रा का सेवन डायबिटीज के मरीजों को करना चाहिए?
आयुर्वेदिक दृष्टि से गुडुची का महत्व (Guduchi in Ayurveda)
सदियों से, हर्ब्स ने डायबिटीज मेलेटस (diabetes mellitus) जैसी कई डिजीज की रोकथाम और ट्रीटमेंट में अपना कॉन्ट्रिब्यूशन हमेशा दिया है। आयुर्वेद में गुडुची यानी गिलोय को अत्यधिक शक्तिशाली प्रमेहरा (एंटी-डायबिटिक) के रूप में रिपोर्ट किया गया है। बौटैनिकली इसे टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया (Tinospora cordifolia) के नाम से जाना जाता है। जड़ी-बूटियों के अर्क में अन्य कार्बनिक यौगिकों के बीच फाइटोस्टेरॉल, एल्कलॉइड और ग्लाइकोसाइड का उच्च घनत्व पाया गया है।
गिलोय के अर्क में एंटी-डायबिटिक, एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटीऑक्सिडेंट, हेपाटो-प्रोटेक्टिव, इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (Immunomodulatory) और एंटीपायरेटिक इफेक्ट्स (Antipyretic effects) पाए जाते हैं।
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डायबिटीज में गुडुची (Guduchi in diabetes) के प्रभाव के बारे में क्या कहती है रिसर्च?
वर्तमान रिसर्च में, टी. कॉर्डिफोलिया के स्टेम से तैयार किए गए गुडुची सत्व का इवैल्यूएशन 18 घंटे की फास्टिंग वाले चूहों में हाइपोग्लाइसेमिक (Hypoglycemic) और एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक (Anti-hyperglycemic) एक्टिविटी के लिए किया गया था। गुडुची सत्व को डिस्टिल्ड वाटर में सस्पेंड कर दिया गया और जानवरों को 130 मिलीग्राम/किग्रा की डोज दी गई, जो कि नॉर्मोग्लाइसेमिक (Normoglycemic) चूहों में हर समय अंतराल पर ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) में मामूली कमी को दिखा रहा था। वहीं एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक एक्टिविटी (Anti-hyperglycemic activity) में, ग्लूकोज ओवर लोड से पहले गुडुची सत्व का एडमिनिस्ट्रेशन ग्लूकोज कंट्रोल ग्रुप की तुलना में ब्लड शुगर लेवल को हर समय अंतराल पर कम करने में फेल हुआ।
डायबिटीज में गुडुची (Guduchi in diabetes) किस तरह लाभकारी है?
इसमें मौजूद कुछ गुण डायबिटीज में गुडुची को बेनेफिशियल बनाते हैं। जो निम्न प्रकार हैं।
डायबिटीज में गुडुची के फायदे: एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक एक्टिविटी (Anti-hyperglycemic Activity)
डायबिटीज के इलाज या रोकथाम के लिए किसी भी आयुर्वेदिक दवा में गिलोय शायद सबसे महत्वपूर्ण हर्ब (Herb) है। इसे एक नैचुरल एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक एजेंट माना जाता है क्योंकि यह ब्लड शुगर या ग्लूकोज (Glucose) के लेवल को कम करता है। हालांकि, डायबिटीज में गुडुची (Guduchi in diabetes) के प्रभाव के बारे में ज्यादातर अध्ययन जानवरों पर किए गए हैं, लेकिन इस बात के पर्याप्त प्रमाण हैं कि गिलोय सप्लिमेंट्स डायबिटीज न्यूरोपैथी (Diabetes neuropathy) और गैस्ट्रोपैथी (Gastropathy) को दूर कर सकते हैं, जो मधुमेह के कॉमन कॉम्प्लिकेशन्स हैं। गिलोय ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म सुधारती है और ग्लूकोज टॉलरेंस को भी बढ़ाती है।
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हेपाटो-प्रोटेक्टिव एक्टिविटी (Hepato-protective activity)
गिलोय में हेपाटो-प्रोटेक्टिव गुण होते हैं। क्लीनिकल स्टडीज से पता चलता है कि गुडुची सप्लिमेंट्स लिवर फंक्शन (Liver function) को नॉर्मल करने में मदद कर सकता है और टॉक्सिसिटी और लिवर डैमेज से बचा सकता है। यह डायबिटीज रोगियों के लिए काफी बेनेफिशियल हो सकता है, क्योंकि लिवर ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मधुमेह रोगियों में नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (Non alcoholic fatty liver disease) होने का रिस्क ज्यादा होता है।
एंटीऑक्सिडेंट एक्टिविटी (Antioxidant activity)
गुडुची में एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant) भी होते हैं जिनमें स्ट्रॉन्ग फ्री रेडिकल-स्कैवेंजिंग गुण (Radical-scavenging properties) होते हैं। हर्ब-एक्सट्रैक्ट दिल और दिमाग को ऑक्सीडेटिव डैमेज और स्ट्रेस से बचाता है। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि सप्लिमेंटेशन ग्लूटाथियोन रिडक्टेस कॉन्सेंट्रेशन को कम कर सकता है और सुपरऑक्साइड डिसम्यूटेज (Superoxide dismutase) और ग्लूटाथियोन पेरोक्सीडेज (Glutathione peroxidase) की एक्टिविटी को सप्रेस कर सकता है। ऑर्गन फेलियर के हाय रिस्क के कारण (विशेष रूप से डायबिटीज रोगियों में हार्ट डिजीज), इस हर्ब के एंटीऑक्सीडेंट प्रोटेक्शन से एक बड़ा लाभ मिल सकता है।
कार्डियो-प्रोटेक्टिव एक्टिविटी (Cardio-protective activity)
हार्ट डिजीज की रोकथाम में गुडुची के लाभ इसके एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटीऑक्सीडेंट इफेक्ट्स के कारण पहले से ही क्लियर हैं। हालांकि, अध्ययनों से पता चलता है कि यह सीधे लिपिड लेवल को भी प्रभावित कर सकता है, जो हार्ट डिजीज (Heart disease) के डेवलपमेंट में भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है।
स्टडीज से पता चलता है कि गिलोय सप्लिमेंट्स कुछ हफ्तों के भीतर लिपिड लेवल को इम्प्रूव कर सकता है। चूंकि मधुमेह रोगियों में हृदय रोग की वजह से मृत्यु मुख्य कारण है, इसलिए इसके सेवन से इस रिस्क को कम किया जा सकता है।
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एंटी-इंफ्लामेटरी एक्टिविटी (Anti inflammatory activity )
प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों ने गुडुची को एंटी-इंफ्लामेटरी माना है। इसे गठिया या आर्थराइटिस में होने वाली सूजन के ट्रीटमेंट के लिए काफी प्रभावी माना जाता है। हालांकि, हार्ट डिजीज और डायबिटीज बॉडी में क्रोनिक लो ग्रेड इंफ्लामेशन से लिंक होते हैं। जैसा कि अध्ययनों से पता चला है कि गुडुची एक एंटी-इंफ्लामेटरी हर्ब है, यह डायबिटीज कंट्रोल (Diabetes control) या प्रिवेंशन में हेल्प कर सकती है।
इम्यूनोमॉड्यूलेटरी एक्टिविटी (Immunomodulatory activity)
जैसा कि हम जानते हैं कि डायबिटीज के मरीज़ों (Diabetics) में इंफेक्शन का खतरा अधिक होता है। गुडुची में मौजूद इम्यूनोमॉड्यूलेटरी इफेक्ट्स इन इंफेक्शन से बचाव कर सकते हैं। मधुमेह के रोगियों पर किए गए अध्ययनों से पता चला है कि गिलोय के सप्लिमेंट्स पैरों के अल्सर के ट्रीटमेंट के रिजल्ट में इम्प्रूवमेंट कर सकते हैं क्योंकि यह वूँड हीलिंग में प्रभावी होता है।
डायबिटीज में गुडुची का सेवन कैसे करें? (How to use Guduchi in Diabetes?)
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) द्वारा की गई एक स्टडी के अनुसार, गिलोय में महत्वपूर्ण एंटी-डायबिटिक प्रॉपर्टीज होती हैं और इंसुलिन की तुलना में यह 40 प्रतिशत से 80 प्रतिशत प्रभावी है। गिलोय के रस को सुबह खाली पेट ले सकते हैं। आपको बस इतना करना है कि पत्तियों और तने को एक साथ मिला लें, इसके रस के लिए थोड़ा पानी डालें और मिश्रण को एक गिलास में छान लें। स्वाद के लिए इसमें नींबू का रस भी डाल सकते हैं। आप मार्केट से भी गिलोय अर्क, पाउडर या टैबलेट्स खरीद सकते हैं। लेकिन, बिना किसी एक्सपर्ट या हर्बलिस्ट की सलाह से किसी भी हर्ब का सेवन नहीं किया जाना चाहिए।
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गिलोय का सेवन किसे नहीं करना चाहिए? (Who should not consume Giloy?)
- अगर आप लो ब्लड शुगर लेवल (Low blood sugar level) से ग्रस्त हैं, तो गिलोय से बचना सबसे अच्छा है। गिलोय में ग्लूकोज कम करने वाले गुण होते हैं जिससे ब्लड शुगर लेवल बेहद कम हो सकता है। इससे हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है जो हेल्थ के लिए हानिकारक है।
- यदि फ्यूचर में कोई सर्जरी होनी है, तो गुडुची का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में इंटरफेयर कर सकता है। किसी भी सर्जरी से दो से तीन हफ्ते पहले गिलोय का सेवन बंद कर देना चाहिए।
- यदि आप डाइजेस्टिव समस्याओं से पीड़ित हैं, तो आपको गिलोय के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि यह उस पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। यह हानिकारक हो सकता है और कब्ज भी पैदा कर सकता है।
- यदि आप मल्टीपल स्केलेरोसिस (Multiple sclerosis), रूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis) आदि बीमारियों से पीड़ित हैं, तो किसी भी रूप में गिलोय के सेवन से दूर रहना ही सबसे अच्छा है। यह मौजूदा स्थितियों को खराब कर सकता है और शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है।
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी गिलोय के सेवन से दूर ही रहना चाहिए।
हर अच्छी चीज की भी कुछ लिमिटेशन होती हैं। यही बात गुडुची पर भी लागू होती है। यह शरीर पर कुछ ऐसे प्रभाव डाल सकती है, जो कुछ लोगों के लिए हार्मफुल साबित होता है। डायबिटीज में गुडुची (Guduchi in diabetes) या अन्य हेल्थ कंडिशन्स के मैनेजमेंट के लिए गिलोय को अपने आहार में शामिल करने से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूर लें। अगर आपके मन में डायबिटीज में गुडुची के फायदे को लेकर अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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