पिछले कुछ सालों में डायबिटीज पूरी दुनिया में एक बड़ी समस्या बन कर उभरी है। दुनिया की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा इस बीमारी से पीड़ित हैं। जब हमारे शरीर का ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है, तो ऐसे में इस स्थिति को डायबिटीज या मधुमेह कहा जाता है। हमारे शरीर में इंसुलिन नाम का एक हार्मोन होता है। इंसुलिन हमारे शरीर में ब्लड शुगर लेवल को संतुलित बनाए रखने में भी मददगार है। डायबिटीज या मधुमेह इंसुलिन की कमी के कारण होने वाली समस्या है। डायबिटीज का उपचार संभव नहीं है। लेकिन, इसके लक्षणों को कम करके न केवल इसका प्रभाव कम होता है। बल्कि, इसे संतुलित रखने में भी मदद मिलती है। आज हम डायबिटीज के लिए होम्योपैथी (Homeopathy for diabetes) के बारे में बात करने वाले हैं। डायबिटीज को संतुलित रखने में रोगी का आहार, शारीरिक गतिवधियां और दवाईयां आदि सभी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
डायबिटीज के लिए होम्योपैथिक उपचार (Homeopathic treatment for diabetes) से अच्छे परिणाम मिलते हैं। जानिए डायबिटीज के लिए होम्योपैथी (Homeopathy for diabetes) के बारे में विस्तार से।
क्या है होम्योपैथी? (Homeopathy)
डायबिटीज के लिए होम्योपैथी (Homeopathy for diabetes) के बारे में जानने से पहले जानते हैं कि होम्योपैथी है क्या। होम्योपैथी एक चिकित्सा प्रणाली है, जो इस विश्वास पर आधारित है कि हमारा शरीर स्वयं खुद को ठीक कर सकता है। जो लोग इसका अभ्यास करते हैं, वे पौधों और खनिजों जैसे प्राकृतिक पदार्थों का कम मात्रा में उपयोग करते हैं। उनका मानना है कि ये उपचार प्रक्रिया को उत्तेजित करते हैं। होम्योपैथी को 1700s में जर्मनी में विकसित किया गया था और इसका प्रयोग यूरोपियन देशों में अधिक किया जाता है। चिकित्सा की इस पद्धति का प्रयोग कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के उपचार में किया जाता है। जिनमें कुछ गंभीर बीमारियां भी शामिल हैं जैसे एलर्जी, माइग्रेन, तनाव, आर्थराइटिस, पेट की समस्याएं आदि। जानिए कौन हैं डायबिटीज के लिए होम्योपैथिक उपचार (Homeopathic treatment for diabetes)।
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डायबिटीज के लिए होम्योपैथिक उपचार (Homeopathic treatment for diabetes)
डायबिटीज के लिए होम्योपैथिक उपचार (Homeopathic treatment for diabetes) का मुख्य उद्देश्य होता है, ब्लड शुगर लेवल को सामान्य रेंज में रखना। मधुमेह को हमारी लाइफस्टाइल से जुड़ा विकार भी माना जाता है। अपना लाइफस्टाइल बदल कर भी इसके लक्षणों को ठीक किया जा सकता है। जैसे संतुलित आहार, रोजाना व्यायाम करना और नियमित अंतराल पर भोजन लेना आदि। लेकिन, इस सब उपायों के बाद भी दवाईयां लेना आवश्यक है। पारंपरिक उपचार के तहत, टाइप- I डायबिटीज मेलिटस के लिए इंसुलिन इंजेक्शन की सलाह दी जाती है, जबकि टाइप -2 डायबिटीज मेलिटस के लिए मरीज को दवाएं खाने को दी जाती हैं।
डायबिटीज के लिए होम्योपैथिक दवाईयां (Homeopathy medicine for diabetes in hindi)
होम्योपैथी में डायबिटीज के उपचार के लिए कई दवाईयां दी जाती हैं। यह उपचार के प्राकृतिक नियम ‘सिमिलिया सिमिलिबस क्यूरान्टूर’ पर आधारित है। सिमिलिया के नियम के अनुसार, इनका उपचार लक्षणों और रोगी की प्रभाव शक्ति के आधार पर चुना जाता है। डायबिटीज के लिए होम्योपैथिक उपचार (Homeopathic treatment for diabetes) के लिए आपको हमेशा एक पंजीकृत होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। क्योंकि, आपकी दवाओं के चयन के लिए कई कारकों पर विचार किया जाता है जैसे कि खुराक, प्रभावशीलता आदि। डायबिटीज के लिए होम्योपैथिक दवाईयों (Homeopathy medicine for diabetes in hindi)की सूची निम्नलिखित है जो आमतौर पर इस स्थिति में उपयोग की जाती हैं:
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एसिटिकम एसिडम (ACETICUM ACIDUM)
डायबिटीज के लिए होम्योपैथी(homeopathy for diabetes) में पहली दवाई है एसिटिकम एसिडम। एसिटिकम एसिडम विशेष रूप से दुबली या कमजोर मांसपेशियों वाले लोगों के लिए दी जाती है। जिनमें मधुमेह के लक्षण भी नजर आते हैं। यह दवाई ऐसे व्यक्ति को दी जाती हैं, जिनमें डायबिटीज के साथ ही दुर्बलता की समस्या भी है। इसके साथ ही उसे अन्य लक्षण भी हों जैसे अधिक मात्रा में हलके पीले रंग का मूत्र त्याग के साथ अधिक प्यास लगना और पसीना आना। इसके साथ ही ऐसे व्यक्ति को पेट के ऊपरी भाग में कोमलता का अनुभव और अधिक ठंडे पेय पदार्थों से परेशानी भी हो सकती है।
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आर्सेनिकम एल्बम (ARSENICUM ALBUM)
डायबिटीज के लिए होम्योपैथिक उपचार (Homeopathic treatment for diabetes) में इस दवाई को आर्सेनिकम एल्बम कहा जाता है। आर्सेनिकम एल्बम ऐसे व्यक्ति के लिए सही रहती है, जो अपनी सेहत को लेकर अधिक चिंता या तनाव में रहते हैं। इसके साथ ही जिन्हें मृत्यु का भय रहता है व बेचैनी होती है। ऐसा व्यक्ति जिसे अधिक प्यास लगती है और वो पेय पदार्थों का बार-बार लेकिन कम मात्रा में सेवन करता है। उसे यह दवाई लेने की सलाह दी जाती है। ऐसे व्यक्ति को कॉफ़ी या अन्य पेय पदार्थों की इच्छा अधिक रहती है।
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जिमनेमा सिल्वेस्ट्रे (GYMNEMA SYLVESTRE)
डायबिटीज के लिए होम्योपैथी (Homeopathy for diabetes) में अगली दवाई है जिमनेमा सिल्वेस्ट्रे। यह दवाई तब दी जाती है जब डायबिटीज के अन्य लक्षणों के साथ ही मरीज के पूरे शरीर में जलन होती है। उसे अधिक मात्रा में मूत्र त्याग के बाद कमजोरी महसूस होती है। इसके साथ ही वो संभोग के बाद मूत्र के प्रवाह और शुगर के स्तर में वृद्धि महसूस करता है। यह उन लोगों को भी दी जा सकती है, जिन्हें डायबिटिक कार्बोनिल्स और फोड़े होते हैं और उनमें जलन होती है। इसके अलावा, सभी मांसपेशियों को आराम पहुंचाने में भी इस दवाई का प्रयोग होता है।।
इंसुलिनम (INSULINUM)
डायबिटीज के लिए होम्योपैथी (Homeopathy for diabetes) में इंसुलिनम भी मरीज को दी जा सकती है। यह दवाई शरीर में कार्बोहाइड्रेट और लिवर में ग्लाइकोजन के स्टोरेज को नष्ट करने की खोई हुई क्षमता को बहाल करने में मदद करती है। इसे तब भी दिया जा सकता है जब ग्लाइकोसुरिया के साथ फोड़े या वैरिकाज अल्सर की वजह से लगातार दर्द होती है और पेशाब की आवृत्ति बढ़ जाती है।
लैक्टिकम एसिडम (LACTICUM ACIDUM)
लैक्टिकम एसिडम तब दी जाती है जब मरीज को डायबिटीज के लक्षणों के साथ ही गठिया की शिकायत भी हो। इस स्थिति में अत्यधिक प्यास और भूख लगती है और साथ में जीभ रूखी और उसके जलन हो सकती है।
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सीज़ियम जंबोलनम (SYZYGIUM JAMBOLANUM)
सीज़ियम जंबोलनम डायबिटीज के लिए होम्योपैथी (Homeopathy for diabetes) में सबसे अधिक प्रयोग होने वाली दवा है। यह उन मरीजों को दी जाती है जिनका ब्लड शुगर लेवल बहुत अधिक हो और इसे संतुलित करना हो। इसके साथ ही मूत्र में ग्लूकोज की कमी और खत्म हो जाने की समस्या हो। बहुमूत्रता(Polyuria) के साथ क्रोनिक डायबिटिक अल्सर में भी इसे दिया जा सकता है।
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डायबिटीज के लिए होम्योपैथी (Homeopathy for diabetes) उपचार में कितनी जल्दी परिणाम देखने को मिलते हैं?
होम्योपैथी में रोगी की स्थिति पर प्रभाव के लिए कुछ समय चाहिए होता है। हालांकि, मधुमेह की स्थिति में वैसे भी इसके लक्षणों के कम होने में लंबा समय ले सकता है। लेकिन डायबिटीज के लिए होम्योपैथी (Homeopathy for diabetes) मधुमेह की गंभीर जटिलताओं को दूर के लिए फायदेमंद है। जैसे कि यह छाले और नपुंसकता आदि। आप कुछ महीनों में इसके अच्छे परिणाम देखने की उम्मीद कर सकते हैं। लेकिन, प्रत्येक व्यक्ति अलग होता है। ऐसे में हो सकता है कि कुछ लोगों को इसके परिणाम जल्दी देखने को मिलें तो कुछ को कुछ देर में।
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डायबिटीज के लिए होम्योपैथिक उपचार(Homeopathic treatment for diabetes) के साइड इफेक्ट क्या हैं?
आमतौर पर होम्योपैथी दवाओं का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता, लेकिन हर व्यक्ति अलग होता है। इसलिए, अगर आपको इसकी किसी खास दवाई का साइड इफेक्ट देखने को मिले जैसे एसिडिटी, एलर्जी, दर्द, सेक्शुअल उत्तेजना या अन्य। तो इस दवाई को लेना बंद कर दें और अपने होमियोपैथ डॉक्टर से बात करें। इसके साइड इफेक्ट इसकी खुराक की प्रभावशीलता की वजह से भी हो सकते हैं। किसी औषधि की कम मात्रा या प्रभावशीलता आपके लिए अधिक असरदार हो सकता है। कुछ खास स्थितियों में पहले डॉक्टर की सलाह के बिना इनका सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। जैसे गर्भावस्था में डायबिटीज के लिए होम्योपैथी का प्रयोग (Homeopathy for diabetes in pregnancy)।
जीवनशैली में बदलाव है जरूरी
ध्यान रहे दवाईयां या उपचार के तरीके जैसे डायबिटीज के लिए होम्योपैथी (Homeopathy for diabetes) इलाज का केवल हिस्सा हैं। लेकिन, अगर आप अच्छे परिणाम चाहते हैं। तो आपको अपने जीवन में भी बदलाव लाने चाहिए। जैसे:
- सही और पौष्टिक आहार लें जिनमें उच्च मात्रा में फाइबर, कम मात्रा में वसा, अधिक फल और सब्जियां और कम चीनी व नमक। अपने डॉक्टर से अपने डाइट चार्ट को बना लें। सही समय और सही मात्रा में आहार का सेवन भी डायबिटीज के उपचार में आपकी मदद कर सकता है।
- दिन में कम से कम तीस मिनट तक व्यायाम करना जरूरी है। व्यायाम करने से ग्लूकोज लेवल कम होता है।
- सिगरेट या शराब के सेवन से बचें। तंबाकू दिल संबंधी बीमारियों का जोखिम बढ़ाता है। जैसे हार्ट अटैक या स्ट्रोक आदि। शराब से भी ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है।
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- अपने पैरों का ध्यान रखें। डायबिटीज से पैरों को कई परेशानियां हो सकती हैं जैसे इंफेक्शन या फुट अलसर आदि। किसी कट, छाले या अन्य चोट के लिए रोजाना अपने पैरों की जांच करें।
- मधुमेह रेटिनोपैथी की जांच वर्ष में कम से कम दो बार अवश्य कराएं। क्योंकि, डायबिटीज से ब्लाइंडनेस हो सकती है।
आपको समय-समय पर अपने डॉक्टर की सलाह भी लेनी चाहिए और जांच करानी चाहिए। क्योंकि डायबिटीज कोई सामान्य रोग नहीं है। इसे हलके में न लें और अपना ध्यान रखें। डायबिटीज के लिए होम्योपैथी (Homeopathy for diabetes) के तरीके से उपचार कराने से पहले भी इसके बारे में अच्छे से जानकारी ले लें और किसी प्रशिक्षित होम्योपैथ से अपना इलाज कराएं।
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