विपरीत करनी आसन को इनवर्टेड पोज या लेग्स अप दी वाल पोज (Legs Up the Wall pose) भी कहा जाता है। इस पोज में विपरीत का अर्थ है ‘उल्टा’ और करनी का अर्थ है ‘करना’। यानी इस पोज को करते हुए आपको पैरों को ऊपर करना होता है। ऐसा माना जाता है कि यह आसन उम्र के बढ़ती निशानियों को दूर कर सकता है और शरीर, मन व रूह को लाभ पहुंचाता है। यह वास्तव में एक बेहतरीन और आराम पहुंचाने वाला आसन (मुद्रा) है। इस पोज को करने से एक नहीं बल्कि कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। इसके साथ ही दिमाग को शांत करने में भी यह आसन फायदेमंद है। जानिए क्या हैं विपरीत करनी मुद्रा और जानिए इसे करने के तरीके और फायदों के बारे में।
विपरीत करनी आसन करने का तरीका क्या है?
विपरीत (Legs Up the Wall pose) करनी आसन एक पुनर्स्थापना (restorative) मुद्रा का एक रूप है। इस मुद्रा को करने के लिए बहुत सारे लोग तकिए या मुड़े हुए कंबल आदि का उपयोग करके इसे करते हैं। शुरुआत में इस आसन को करने के लिए इन चीजों का सहारा लिया जा सकता है। इस आसन को करने का तरीका इस प्रकार है:
- विपरीत करनी आसन को करने के लिए सबसे पहले एक शांत जगह का चुनाव करें, जो दीवार के पास हो। अब इस जगह पर इस तरह से बैठ जाएं कि आपकी टांगे जमीन पर सामने की तरफ फैली हुई हों। इसके साथ ही आपके शरीर का बायां हिस्सा भी दीवार को छू रहा हो। जब आप निपुण हो जाएं तो आप इसे बिना दिवार के सहारे के भी कर सकते हैं।
- अब एक बार गहरी सांस लेकर सांस बाहर छोड़े और अपनी पीठ के सहारे लेट जाएं। पैरों के तलवे को ऊपर की ओर मोड़ते हुए पैरों के पिछले हिस्से को दीवार से सटाकर रखें। आपको इस तरह की स्थिति में आरामदायक होने के लिए बॉडी मूवमेंट की आवश्यकता हो सकती है।
- अब अपने धड़ के निचले हिस्से को ऊपर उठाएं। हाथों को कूल्हों के नीचे दबाएं और कोहनियों को आधार के रूप में उपयोग करें।
- अपने धड़ के निचले हिस्से को तिरछी स्थिति में रखें। ध्यान रहे इस दौरान आपके पैर सीधे और पीठ व गर्दन जमीन पर अच्छी तरह से टिके हुए हों।
- अपनी पीठ को आराम देने के लिए कुछ लोग तकिये या फोल्ड किये हुए कंबल का प्रयोग भी करते हैं। अगर आप चाहें तो इनका प्रयोग भी कर सकते हैं।
- जब आप इस स्थिति में आराम महसूस करें तो अपने हाथों को अपनी कमर के नीचे शिफ्ट कर दें और अपने दोनों पैरों को 90 डिग्री कोण तक ऊपर उठाएं।
- इस दौरान गहरी सांस लेते रहें और अपनी सहूलियत के अनुसार इस स्थिति में बने रहें। शुरुआत में 30-60 सेकंड के लिए इसी पुजिशन में रहें।
- बार-बार अभ्यास करने से आप इसे अधिक समय तक कर सकते हैं। स्वास्थ्य लाभ के लिए हर दिन 3 – 5 मिनट इस आसन को करना काफी है। हालांकि आध्यात्मिक या बेहतर लाभ के लिए लोग इसे 15 मिनट तक भी करते हैं।
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विपरीत करनी (Legs Up the Wall pose) योग को करने के फायदे क्या-क्या हैं?
विपरीत करनी आसन के लाभ कुछ इस तरह से हैं:
हायपोथायरॉइडिज्म में राहत
यह आसन गर्दन क्षेत्र के साथ-साथ थायरॉयड ग्रंथियों के आसपास रक्त के प्रवाह को बढ़ा सकता है। थायरॉयड ग्रंथियों को उत्तेजित करके, विपरीत करनी आसन हायपोथायरॉइडिज्म की स्थिति को दूर करने में प्रभावी है। चूंकि थायरॉयड ग्रंथि अन्य हॉर्मोन की प्रभावशीलता को नियंत्रित करती है। इसलिए यह आसन अन्य अंतःस्रावी ग्रंथियों (endocrine glands) को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है।
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पैरों और टांगों के लिए लाभदायक
यह आसन पैरों और टांगों को आराम पहुंचाता है। इसके साथ ही इस योगासन को करने से धड़ का अगला हिस्सा, टांगों और गर्दन का पिछले हिस्सा में अच्छे से खिंचाव आता है। जिससे शरीर के इन अंगों को लाभ होता है। पीठ में अगर हल्का दर्द हो, तो भी इस आसन से दर्द को दूर करने में मदद मिल सकती है।
दिमाग के लिए लाभदायक
विपरीत करनी आसन हमारे दिमाग को शांत करता है। जिससे चिंता और डिप्रेशन की शुरुआती स्थिति को दूर किया जा सकता है। यानी मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी यह आसन लाभदायक है।
जैसा की बताया गया है कि यह योगासन दिमाग को शांत करता है, इसलिए अनिद्रा जैसे रोग को दूर करने में भी यह प्रभावी है।
उम्र के प्रभाव को कम करे
ऐसा माना जाता है कि इस आसन को 6 महीने तक करने से बालों का सफेद होना और झुर्रियां आदि परेशानियां को दूर किया जा सकता है। उम्र के प्रभावों को दूर करने में भी यह आसन लाभदायक है।
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विपरीत करनी आसन के (Legs Up the Wall pose) अन्य लाभ
- यह योगासन आर्थराइटिस की समस्या से राहत पहुंचाने में लाभदायक है।
- पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में भी यह आसन उपयोगी है।
- सिरदर्द जैसे परेशानी और माइग्रेन की परेशानी को इस योगासन की मदद से दूर किया जा सकता है।
- ब्लड प्रेशर को दूर करने में विपरीत करनी आसन फायदेमंद है।
- सांस संबंधी रोगों को रोकने में भी यह आसन उपयोगी हो सकता है।
- मूत्र संबंधी विकार (यूरिनरी डिसऑर्डर) में यह आसन करने से लाभ होता है।
- मासिक धर्म के दौरान ऐंठन और रजोनिवृत्ति की समस्याओं को दूर करने के लिए यह योगासन किया जा सकता है।
- विपरीत करनी आसन इम्यून सिस्टम को सुधारने में प्रभावी है।
- बॉडी में ब्लड फ्लो बेहतर होता है।
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किन स्थितियों में विपरीत करनी आसन नहीं करना चाहिए?
इन स्थितियों में विपरीत करनी आसन को न करे:
- मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान विपरीत करनी आसन करने से बचना चाहिए।
- अगर आपको आंख का रोग (मोतियाबिंद) जैसी गंभीर समस्या है, तो भी इस आसन को करने से बचें।
- अगर आपको गंभीर पीठ दर्द या गर्दन से जुड़ी कोई परेशानी है, तो इस योगासन को योग विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही करें।
- उच्च रक्तचाप या चक्कर आने की स्थिति में विपरीत करनी आसन को करने से बचें।
- विपरीत करनी आसन को कूल्हे या घुटने में चोट लगने की स्थिति में भी नहीं करना चाहिए।
- ग्लूकोमा या हर्निया के रोगियों को भी इस योगासन को नहीं करना चाहिए।
- इस आसन का प्रभाव रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है। इसलिए इस आसन को धीरे-धीरे करने की सलाह दी जाती है।
विपरीत करनी आसन को अपनी मर्जी से न करें। बिना सीखे और डॉक्टर की सलाह के किसी भी योगासन को करने से इन आसनों के विपरीत प्रभाव भी हो सकते हैं। इसलिए किसी भी आसन को करने से पहले डॉक्टर या किसी विशेषज्ञ की सलाह लें। योग विशेषज्ञ के निर्देशन में ही इस आसन को करने की सलाह दी जाती है।
अगर आप पहली बार योगासन की शुरुआत कर रहें हैं, तो इस 👇 वीडियो से जानकारी लें।
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विपरीत करनी आसन (Legs Up the Wall pose) करने से पहले किन-किन योगासनों को किया जा सकता है?
विपरीत करनी आसन करने के पहले निम्न योगासनों को किया जा सकता है। जैसे:
1. बालासन (Balasana or Child’s Pose)
तनाव, चिंता और अवसाद की परेशानियों को दूर करने के लिए बालासन बेस्ट योगासन माना जाता है। इस योगासन को करने से कमर दर्द की शिकायत दूर होती है और शारीरिक के साथ-साथ मानसिक थकावट से भी छुटकारा मिल सकता है और विपरीत करनी आसन करने से पहले बालासन करें।
2. मार्जरी आसन (Marjariasana or Cat Pose)
मार्जरी आसन करने से रीढ़ और पीठ के मसल्स को फ्लैक्सिबल बनाने में सहायता मिलती है। इस आसान के दौरान बॉडी को आगे और पीछे की ओर बेंड किया जाता है, जिससे रीढ़ और पीठ लचीला बनाया जा सकता है।
3. भुजंगासन (Bhujangasana or Cobra Pose)
भुजंगासन से कंप्लीट बॉडी को फ्लैक्सिबिल बनाया जा सकता है। इस आसन से डायजेशन को स्ट्रॉन्ग बनाया जा सकता सकता। नियमित रूप से विपरीत करनी आसन के पहले भुजंगासन करें।
4. उत्तानासन (Uttanasana or Standing Forward Bend)
इस आसन से बॉडी फ्लैक्सिबल होती है, जिससे विपरीत करनी आसन करने के दौरान बॉडी को मूव करना आसान हो जाता है। कमर दर्द की परेशानी को दूर करने के लिए उत्तानासन रामबाण है। वहीं इस आसन से घुटने और जांघों को मजबूती मिलती है। इस आसन से तनाव और स्ट्रेस से भी काफी हद तक छुटकारा मिल सकता है।
इन चार आसनों को विपरीत करनी आसन के पहले करने से विपरीत करनी आसन का विशेष लाभ मिलता है।
अगर आप विपरीत करनी आसन (Legs Up the Wall pose) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो इससे जुड़े विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। अगर आप पहलीबार इस आसन को कर रहें हैं, तो इस आसन को करने से पहले अच्छी तरह समझें और फिर योगा एक्सपर्ट की देखरेख में इस आसन की शुरुआत करें।
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