वेट ट्रेनिंग की आवश्यकता हमें इसलिए पड़ती है, ताकि हम अपना वजन कम कर सकें, खुद को फिट रख सकें। वेट ट्रेनिंग लेने से एक और फायदा होता है। अगर मांसपेशियों में या जोड़ों में दर्द की शिकायत होती है, उसमें भी कमी आती है। हालांकि, जो लोग वर्क आउट करने में परफेक्ट हैं, उन्हें वेट ट्रेनिंग की आवश्यकता कम पड़ती है, लेकिन अच्छी ट्रेनिंग लेने के लिए उन्हें भी गाइड की आवश्यकता पड़ती ही है। यहां सबसे बड़ी चुनौती बिगिनर्स के लिए होती है। उन्हें काफी सावधानीपूर्वक स्टेप बढ़ाना चाहिए। जरा-सी नासमझी उनके लिए परेशानी का कारण बन सकती है। बिगिनर्स को कार्डियो एक्सरसाइज शुरू करने से पहले अच्छी तरह से जानकारी जुटा लेनी चाहिए।
बिगिनर्स अपना वजन कम करने के लिए वर्क आउट से शुरू कर सकते हैं। लेकिन उन्हें भी वर्कआउट करते समय बॉडी की पुजिशन का ध्यान करना चाहिए। पहले इस संबंध में पढ़ लेना चाहिए, क्योंकि बॉडी का बैलेंस वर्कआउट करते समय सही नहीं रहेगा। ऐसे में शरीर के किसी अंग में चोट लग सकती है। पुजिशन सही नहीं रहने के कारण बॉडी के हिस्से में दर्द भी शुरू हो सकता है। अगर आप जिम भी जाते हैं, तो वहां के मशीनरी के बारे में आपको अच्छे से जानकारी होनी चाहिए।
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बिगिनर्स के लिए बेस्ट ट्रेनिंग एक्सरसाइज
- ट्रेडमिल रनिंग : बिगिनर्स के लिए ट्रेडमिल पर रनिंग करना बेस्ट ऑप्शन है। ट्रेडमिल रनिंग सबसे ज्यादा कैलोरी बर्न करने में मदद करता है। ट्रेडमिल पर 10 मिनट तक रनिंग करने से काफी कैलोरी कम हो सकती है।
- लेग प्रेस : जो बिगिनर्स स्ट्रेंथ या वेट ट्रेनिंग एक्सरसाइज शुरू करना चाहते हैं, उनके लिए लेग प्रेस काफी अच्छा है। लेग प्रेस पर एक्सरसाइज करने से क्वाड्रीसेप्स, ग्लूटस, हैमस्ट्रिंग मसल्स मजबूत होते हैं। लेग प्रेस पर एक्सरसाइज करने से पैरों की मांसपेशियां काफी एक्टिव हो जाती हैं, इससे टोन करने में मदद मिलती है।
- बटरफ्लाई एक्सरसाइज : बिगिनर्स के लिए बटरफ्लाई एक्सरसाइज सबसे ज्यादा फायदेमंद है। बटरफ्लाई एक्सरसाइज से आपकी छाती मजबूत होती है। आपके कंधे, अपर आर्म्स, लोअर आर्म्स और पेट को भी टोन करने में मदद करती है। जब बटरफ्लाई एक्सरसाइज करते वक्त आर्म्स खुलती है और फिर रिटर्न पुजिशन पर आता है, तब इससे स्ट्रेच होता है। बटरफ्लाई एक्सरसाइज आप डंबल के जरिए भी कर सकते हैं।
- एब क्रंच : जो बिगिनर्स वेट ट्रेनिंग में पेट और एब्स को टोन करना चाहते हैं, वे एब्स क्रंच एक्सरसाइज कर सकते हैं। एब्स क्रंच एक्सरसाइज में आप हॉफ क्रंचेज और फुल क्रंचेज दोनों कर सकते हैं। इससे आपकी एब्डोमिनल एरिया टोन होगा। एब क्रंचेस एक्सरसाइज आप फर्श पर लेटकर या मशीन के जरिए भी कर सकते हैं।
- लेट पुलडाउन : लेट पुल डाउन एक्सरसाइज आपकी आर्म्स, पीठ, कंधे को पूरी तरह टोन करने में मदद करता है। आप लेट पुल डाउन मशीन पर इसके कई वेरिएशन को आजमा सकते हैं। नैरो लेट पुल डाउन, वाइड ग्रिप लेट पुल डाउन, पुल डाउन एट द बैक नेक, पुल डाउन एट द फ्रंट, वर्न आर्म पुल डाउन।
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वेट ट्रेनिंग (Weight training) के नियम क्या हैं?
- वेट ट्रेनिंग लेते समय ओवर लोड न लें।
- आपकी मसल्स जितनी क्षमता झेल सकती है उतनी ही तेजी से आप वर्कआउट करें।
- शुरू में आप ज्यादा वजन आप उठाएंगे तो मांसपेशियों में और हड्डियों में दर्द शुरू होने लगेगा।
- आप वर्कआउट में अपनी क्षमता अनुसार रिपिटेशन कर सकते हैं।
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रेस्ट और रिकवरी न भूलें
वर्कआउट के बाद एनर्जी रिकवरी करने के लिए रेस्ट बहुत जरूरी है। वर्कआउट करने के बाद रेस्ट लेते ही आपकी मांसपेशियां अपनी स्थिति बदलती है। इस बात का खासतौर पर ध्यान रखें कि चेस्ट, कमर, कंधे, बाइसेप्स, ट्राईसेप्स, कोर और शरीर के निचले हिस्से वाले एक्सरसाइज को ज्यादा न करें। आप इससे शुरू के दिनों में सप्ताह में दो बार कर सकते हैं। जब तक आपका शरीर को आदत न हो जाए।
ओवर ऑल वेट ट्रेनिंग में जो भी स्टेप के एक्सरसाइज आप कर रहे हैं उसमें से अपने मनपसंद का सेट बनाएं। आप उसका रिपिटिशन भी कर सकते हैं। आपको अगर फैट कम करने वाला सेट बनाना है, तो आप 10-12 रिपिटिशन कर सकते हैं। मांसपेशियों को बढ़ाने के लिए सेट बना रहे हैं, तो आप छह से आठ रिपिटिशन कर सकते हैं। वहीं, स्वस्थ रहने के लिए सेट तैयार कर रहे हैं, तो 12-16 रिपिटिशन कर सकते हैं।
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वेट ट्रेनिंग के अलावा अपनाएं ये टिप्स
वेट ट्रेनिंग में हल्के वेट का प्रयोग करें
वेट ट्रेनिंग टिप्स में पहले आता है वेट का इस्तेमाल। अगर आप बॉडी बनाना चाहते हैं तो हमेशा हल्के वजनों का प्रयोग करें। अगर आप शुरुआत में भारी वजनों का प्रयोग करते हैं, तो आपके शरीर और सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। डंबल और बारबेल मसल्स बनाने के लिए बेहतरीन व्यायाम है।
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जिम और ट्रेनर चुनें
अगर आप वेट ट्रेनिंग करना चाहते हैं तो इसके लिए किसी अच्छे जिम को ही चुनें। यही नहीं, जिम के ट्रेनर को भी सोच समझ कर ही चुनें। अपने वेट ट्रेनिंग के लक्ष्य को पूरा करने के लिए आपको अच्छे से मार्गदर्शन की जरूरत है। जिम का वातावरण, लोकेशन, वहां मौजूद मशीन और अन्य उपकरण आदि भी अच्छी बॉडी को बनाने के लिए जरूरी है। अगर सब कुछ अच्छा होगा तभी आप अच्छे से वर्कआउट कर पाएंगे और परिणाम भी बेहतर मिलेगा।
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अच्छे से खाएं
वेट ट्रेनिंग के लिए आपको एनर्जी की जरूरत है और एनर्जी के लिए आपको सही न्यूट्रिशन का होना जरूरी है। इसके लिए सही और संतुलित खाएं। आपके आहार में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स होने चाहिए। अपने व्यायाम से पहले और बाद के आहार को भी ध्यान में रखें। इस दौरान प्रोटीन का आपके आहार में होना आवश्यक है, जो आपको चिकन, मछली, दूध, हरी सब्जियों आदि से प्राप्त होती है। इसके साथ ही अधिक से अधिक तरल पदार्थ लें।
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जानें किसके लिए कौन सी एक्सरसाइज है बेस्ट
बेस्ट एक्सरसाइज इस पर निर्भर करता है कि आप एक्सरसाइज में कितना समय देते हैं। आप चाहें तो एक दिन में सिर्फ एक बॉडी पार्ट की एक्सरसाइज कर सकते हैं या फिर बॉडी के छह पार्ट की। हर बॉडी पार्ट की एक्सरसाइज में बैलेंस होना बहुत जरूरी है। आप एक अंग को लेकर उतना ज्यादा एक्सरसाइज न करें, जिससे आपके एक पार्ट के मसल्स ज्यादा बड़े दिखने लगें। ध्यान रखें कि एक्सरसाइज करने के लिए आप तय शेड्यूल बनाए। वहीं शरीर के तमाम अंगों की नियमित एक्सरसाइज करें ताकि आपका शरीर जिम के बाद अट्रैक्टिव दिखे।
तो आइए जानते हैं कौन-सी मसल्स शरीर के किस हिस्से में होते हैं-
- पेक्टोरल्स (Pectorals) मसल्स चेस्ट और बैक में होती है।
- एंटीरियर डेल्टॉयड्स (Anterior deltoids) मसल्स कंधों के आगे और पीछे की तरफ फैली होती है।
- ट्रैपेजियस (Trapezius) मसल्स अपर बैक और शोल्डर में होती है।
- एब्डोमिनस रेक्टस और स्पाइनल इरेक्टर्स (Abdominus rectus/spinal erectors) यह मसल्स एब्डॉमिन और लोअर बैक में होती हैं।
- लेफ्ट और राइट एक्सटर्नल ऑब्लिक्यूस (Left and right external obliques) मसल्स हमारे शरीर में एब्डॉमिन के बाएं और दाएं तरफ मौजूद होती हैं।
- हेमस्ट्रिंग्स (hamstrings) मसल्स हमारे घुटने के पीछे की ओर होती है।
- गेस्ट्रोस्निमियस (gastrocnemius) मसल्स शिन (पिंडली) में होती है।
- बाइसेप्स और ट्राईसेप्स (Biceps/triceps) मसल्स बाजुओं के ऊपरी हिस्से और बाजुओं के नीचे की तरफ होती हैं।
मिला-जुलाकर करें जिम में एक्ससाइज
अट्रैक्टिव शरीर पाने के लिए जरूरी है कि वार्म अप, स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, सिंपल लेग स्क्वैट, डंबल शोल्डर प्रेस, डंबल ओवरहेड ट्रायसेप्स एक्सटेंशन सहित अन्य एक्सरसाइज को नियमित करें। ऐसा छह से आठ सप्ताह तक लगातार करना चाहिए। इसके बाद धीरे-धीरे कर वजन को बढ़ाएं। जब आप स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के अच्छे रूटीन को अपनाएंगे तो आप कुछ महीनों में ही नतीजे साफ तौर पर देख पाएंगे। अच्छी मसल्स के साथ अच्छा बैलेंस और संपूर्ण विकास देख सकेंगे। इसलिए जरूरी है कि वेट ट्रेनिंग एक्सरसाइज को करने से पहले एक्सपर्ट की सलाह लें। बिना एक्सपर्ट की सलाह के इसे करना आपकी सेहत और बॉडी दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। बेहतर यही होगा कि जिम ट्रेनर की सलाह के अनुसार एक्सरसाइज करें और धीरे-धीरे उनके बताए अनुसार एक्सरसाइज को अपनाकर वेट ट्रेनिंग कर सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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