ब्रेस्ट कैंसर क्या है?
ब्रेस्ट में गांठ, स्किन में बदलाव, निप्पल के आकार में बदलाव, स्तन का सख्त होना, स्तन के आस-पास (अंडर आर्म्स) गांठ होना, निप्पल से रक्त या तरल पदार्थ का आना या स्तन में दर्द महसूस होना ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है। ऐसा एल्कोहॉल या सिगरेट का सेवन करना, पहले गर्भ धारण में देरी होना, बच्चों को स्तनपान न करवाना, वजन अत्यधिक बढ़ना, बदलती लाइफस्टाइल, गर्भनिरोधक दवाईयों का सेवन करना या जेनेटिकल (परिवार में अगर किसी को ब्रेस्ट कैंसर हुआ हो) कारणों की वजह से भी कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
25 से 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को खुद से ब्रेस्ट की जांच (Breast Self Examination) जरूर करनी चाहिए। हालांकि, कई मामलों में लोग ब्रेस्ट संक्रमण को ब्रेस्ट इंफेक्शन समझने की गलती कर देते हैं।
ब्रेस्ट इंफेक्शन क्या हैं?
ब्रेस्ट संक्रमण को मैस्टाइटिस (Mastitis) भी कहते हैं। ब्रेस्ट इंफेक्शन (स्तन संक्रमण) स्तनपान करवाने वाली महिलाओं या स्तनपान नहीं करवाने वाली महिलाओं में भी होता है। ब्रेस्ट संक्रमण स्तनपान करवाने वाली महिलाओं में नवजात के मुंह में मौजूद बैक्टीरिया के कारण होता है या फिर नवजात ठीक से दूध नहीं पी पाता है, जिसे लैक्टेशन मैस्टाइटिस कहते हैं। वहीं वैसी महिलाएं जो स्तनपान नहीं करवाती हैं उनमें इंफेक्शन क्यों होता है, इसपर अभी भी रिसर्च की जा रही है।
अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार कभी-कभी निप्पल की त्वचा में दरार पड़ने की वजह से बैक्टीरिया स्टेफिलोकोकस ऑरियस (Staphylococcus aureus) ब्रेस्ट के अंदर चला जाता है जिससे मैस्टाइटिस हो जाता है।
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ब्रेस्ट संक्रमण के लक्षण क्या हैं ?
मैस्टाइटिस के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं। इन लक्षणों में शामिल हैं:
- स्तन (किसी-किसी जगह) का लाल होना और सूजन आना
- लाल और सूजन वाली जगह छूने पर दर्द होना
- तनाव और चिंतित रहना
- बॉडी का ट्रेम्प्रेचर बढ़ना
- थका हुआ महसूस करना
- शरीर में दर्द महसूस होना
- निप्पल से तरल पदार्थ का डिस्चार्ज होना
- ब्रेस्ट में खुजली होना
- मैस्टाइटिस एक साथ दोनों ब्रेस्ट में हो सकता है।
- पुरुषों में मैस्टाइटिस होने की संभावना होता है लेकिन, ऐसा कम होता है।
- मिल्क डक्ट के ब्लॉक होने के कारण मैस्टाइटिस होता है।
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ब्रेस्ट संक्रमण किन कारणों से हो सकता है?
- बच्चे का ठीक से दूध नहीं पी पाना
- फीड करवाने में देरी करना या जल्दी-जल्दी फीड करवाना
- मिल्क डक्ट का ब्लॉक होना
- बहुत ज्यादा दूध बनना
- जुड़वा बच्चे को स्तनपान करवाना
- निप्पल की त्वचा का क्रैक होना
- अत्यधिक टाइट कपड़े (ब्रा) पहनना और कपड़े की क्वालिटी ठीक नहीं होना
- इम्यून सिस्टम कमजोर होना
- एनीमिया होना
- आहार में अत्यधिक फैट और नमक का सेवन करना
- बच्चे की डिलिवरी के वक्त परेशानी होना
- महिला की उम्र 21 से 35 वर्ष होना
- पहले कभी ब्रेस्ट संक्रमण हुआ हो
- निप्पल पियर्सिंग करवाना
- स्मोकिंग करना
- स्वस्थ महिलाओं में ब्रेस्ट संक्रमण की संभावना कम होती है लेकिन, कभी-कभी पुरानी बीमारी, डायबिटीज या इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण ब्रेस्ट संक्रमण की संभावना बढ़ सकती है।
- मेनोपॉज के दौरान या बाद में भी ब्रेस्ट संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
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ब्रेस्ट संक्रमण का इलाज कैसे होता है ?
- एक्सपर्ट्स की मानें तो फीड करवाने वाली महिला को सही गैप पर बच्चे को फीड करवाना चाहिए। इसे मिल्क डक्ट कुछ वक्त के लिए खाली और ड्राय रहेगा।
- इंफेक्शन को कम करने के लिए एंटीबायोटिक्स दी जाती है।
- परेशानी कम नहीं होने पर डॉक्टर से फिर से संपर्क करना चाहिए।
ब्रेस्ट में हो रहे बदलाव को नजरअंदाज न करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
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अब जानें, स्तन कैंसर के लक्षण क्या हैं?
निम्नलिखत लक्षण स्तन कैंसर की ओर इशारा करते हैं:
- स्तन में गांठ होना।
- स्तन के स्किन में बदलाव होना।
- निप्पल के आकार में बदलाव होना।
- स्तन का सख्त होना।
- स्तन के आस-पास (अंडर आर्म्स) भी गांठ होना।
- निप्पल से रक्त या तरल पदार्थ का आना।
- स्तन में दर्द महसूस होना।
स्तन में गांठ की समस्या से भी महिलाएं परेशान रहती हैं और तनाव में आ जाती हैं। लेकिन, स्तन में होने वाले गांठ हमेशा कैंसर ही नहीं होता है।
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स्तन कैंसर के कारण क्या हैं ?
निम्नलिखित कारणों से स्तन कैंसर हो सकता है –
- एल्कोहॉल या सिगरेट का सेवन करना।
- पहले गर्भ धारण में देरी होना।
- बच्चों को स्तनपान न करवाना।
- शरीर का वजन अत्यधिक बढ़ना।
- बदलती लाइफस्टाइल।
- गर्भनिरोधक दवाईयों का सेवन करना।
- जेनेटिकल (परिवार में अगर किसी को ब्रेस्ट कैंसर हुआ हो) कारणों की वजह से भी कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
ब्रेस्ट कैंसर का इलाज कैसे होता है?
- सर्जरी- लम्पेक्टॉमी (Lumpectomy) और मस्टेक्टॉमी (Mastectomy) – ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करने के लिए कई प्रकार की सर्जरी के विकल्प उपलब्ध हैं। सर्जरी आपके कैंसर की स्टेज पर निर्भर करती हैं। इसके साथ ही ज्यादातर सर्जरी में ट्यूमर को बाहर निकाल लिया जाता है।
- रेडिएशन थेरिपी – हाई पावर बीम वाली लेजर से ब्रेस्ट कैंसर कोशिकाओं को खत्म कर दिया जाता है।
- कीमोथेरिपी – इसकी मदद से कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर दिया जाता है। कुछ मामलों में इसका इस्तेमाल रेडिएशन थेरेपी के साथ भी किया जा सकता है।
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डॉक्टर के पास कब जाएं?
- आपके निपल में से असामान्य डिस्चार्ज होता है।
- स्तन में दर्द के कारण रोजाना के कार्यों में समस्या आना।
- लंबे समय से बिना किसी कारण ब्रेस्ट में पेन होना।
- सूजन, जलन या लाल चकत्तों के कारण स्तनपान करवाने में दिक्कत आना। इस स्थिति में आपको स्तनपान करवाते समय स्तन पर गांठ महसूस हो सकती है जो कि बाद में अपने आप चली जाती है।
उम्मीद है कि ये आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा। अब आप ब्रेस्ट कैंसर और ब्रेस्ट इंफेक्शन में अंतर को समझ गए होंगे। दोनों ही बातों का ध्यान रखना जरूरी है। अगर आपको ब्रेस्ट में कोई डिसकंफर्ट महसूस होता है तो उसे कैंसर ही न समझ लें साथ ही डिसकंफर्ट के लक्षणों को नजरअंदाज भी न करें क्योंकि यह ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह लें।