स्ट्रोक मेडिकल भाषा का एक ऐसा शब्द है जिसके बारे में आपने बहुत सुना होगा। हालांकि, इसी से मिलती-जुलती कड़ी है फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया (Fibromuscular Dysplasia), जिसके बारे में आपने शायद पहले कभी नहीं सुना होगा। लेकिन आपको बता दें कि यह बीमारी स्ट्रोक का कारण बनती है और आश्चर्यजनक रूप से स्ट्रोक से जुड़ी हुई है। स्ट्रोक का खतरा सर्दियों के मौसम में अधिक बढ़ जाता है। स्ट्रोक की समस्या का कारण केवल सर्दी का मौसम ही नहीं, बल्कि और भी कई कारण हो सकते हैं, जिसमें से एक कारण फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया (Fibromuscular Dysplasia) की समस्या भी है। यह लेख आपको इन दोनों बीमारियों के बीच संबंध और खतरे के बारे में बताएगा।
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फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया आमतौर पर मध्यम आकार की धमनियों को प्रभावित करता है जो कि निम्न अंगों तक रक्त पहुंचाती हैं –
- किडनी
- मस्तिष्क
- पेट और आंतों
- पैर और टांगों
इन अंगों तक रक्त न पहुंचने पर वह पूरी तरह से डैमेज हो सकते हैं। यह एक बेहद दुर्लभ बीमारी है जो भारत में हर साल केवल 10 लाख लोगों को ही होती है।
फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया क्या है (What is fibromuscular dysplasia)?
फाइब्रोमस्कुलर डिसप्लेसिया एक नॉन-इंफ्लेमेटरी बीमारी है, जिसमें पूरे शरीर में रक्त ले जाने वाली कुछ छोटी और मध्यम धमनियों की दीवार सामान्य रूप से विकसित नहीं होती है। असामान्य कोशिका विकास धमनियों का सकुंचन या उन्हें बड़ा कर सकता है। इसलिए, इन धमनियों से बहने वाला रक्त कम हो जाता है और सीधे तौर पर स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। यह शरीर में अंगों के कार्य को प्रभावित कर सकता है।
- फाइब्रोमस्कुलर डिसप्लेसिया आमतौर पर गर्दन और मस्तिष्क और गुर्दे के भीतर से गुजरने वाली धमनियों में दिखाई देता है। यह हाथ, पैर, हृदय या पेट में धमनियों को भी प्रभावित कर सकता है। सबसे प्रभावित धमनियां गुर्दे और कैरोटिड धमनियां हैं।
- ये एक दुर्लभ बीमारी नहीं है और 25 से 50 वर्ष की आयु के लोगों में हो सकती है। इस बीमारी से पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक प्रभावित होती हैं।
हालांकि, इस बीमारी का कारण अभी भी अज्ञात है, आनुवंशिक, टेक्निकल, या हाॅर्मोनल हो सकती है।
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फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया के लक्षण और संकेत (Signs and symptoms of fibromuscular dysplasia)
फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया हर बार कोई लक्षण नहीं दिखाता है। जब ऐसा होता है तो लक्षण प्रभावित अंग पर निर्भर करते हैं।
किडनी में कम रक्त प्रवाह होने के लक्षणों में निम्न शामिल हैं –
- किडनी का सिकुड़ना
- साइड में दर्द होना
- ब्लड टेस्ट में किडनी के अज्ञात कार्यों का पता चलना
- हाई बीपी
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मस्तिष्क के प्रभावित होने पर लक्षण
- स्ट्रोक और मिनी-स्ट्रोक
- गर्दन में दर्द
- सिरदर्द
- चक्कर आना
- कान बजना
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पेट में खून की कमी होने पर
- खाना खाने के बाद पेट में दर्द
- अचानक वजन कम होना
हाथों और पैरों में फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया के लक्षण
- चलते या दौड़ते समय प्रभावित जोड़ में दर्द होना
- कमजोरी या सुन्न पड़ना
- प्रभावित अंग के तापमान या रंग में बदलाव आना
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फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया स्ट्रोक से कैसे संबंधित है (How is fibromuscular dysplasia related to stroke?)?
फाइब्रोमस्कुलर डिसप्लेसिया आमतौर पर कैरोटिड धमनियों को प्रभावित करता है। ये धमनियां गर्दन से मस्तिष्क तक जाती हैं। इस बीमारी के कारण कैरोटिड धमनियों की सिकुड़न और बढ़ाव मस्तिष्क को रक्त की बहाव करने से रोकता है या कम कर सकता है, जिससे स्ट्रोक हो सकता है। कुछ लोगों को कोई भी लक्षण नजर नहीं आता। लेकिन कुछ अन्य लोगों को उच्च रक्तचाप, चक्कर आना, पुराना सिरदर्द, कमजोरी, चेहरे में सुन्नता, कानों का बजना या दृष्टि की समस्या हो सकती है।
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यह बीमारी भी मस्तिष्क में रक्तस्राव का कारण बन सकती है और इस कारण स्ट्रोक (एक स्ट्रोक जो धमनी दीवार में ब्रेक आने कारण होता है स्ट्रोक तब होता है जब एक रक्त वाहिका जो मस्तिष्क तक ऑक्सिजन और पोषक तत्व नहीं पहुंचाती है, या तो एक थक्का द्वारा अवरुद्ध हो जाती है या फट जाती है, हो सकता है।
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फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया के कारण (Due to fibromuscular dysplasia)
डॉक्टर फिलहाल फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया के कारणों के बारे में पता नहीं लगा सके हैं। हालांकि कुछ अध्ययनों के मुताबिक निम्न तीन सिद्धांतों का पता लगाया गया है।
जींस – फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया के 10 प्रतिशत मामलों में फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया की फॅमिली हिस्ट्री जरूर होती हैं। हालांकि, अगर आपके माता-पिता या भाई-बहन को यह स्थिति है तो इसका मतलब यह नहीं की आपको भी फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया जरूर हो सकता है।
हॉर्मोन – पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया होने का जोखिम 3 से 4 गुना होता है। यानी कि फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया होने में फीमेल हॉर्मोन मुख्य कारण हो सकते हैं। हालांकि, फिलहाल अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।
असामान्य धमनियां – धमनियों के विकास के दौरान आक्सिजन की कमी होने पर वह असामान्य रूप से विकसित हो सकती हैं। इसके कारण रक्त प्रवाह कम होने की आशंका रहती है।
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स्ट्रोक को रोकने के लिए इस बीमारी का कैसे इलाज करें (How to treat this disease to prevent stroke) ?
- आमतौर पर, इस बीमारी को रोका नहीं जा सकता है और इस बीमारी के लिए कोई एक उपचार नहीं है। डॉक्टर्स उपचार प्रभावित हुई धमनियों, लक्षणों, गंभीरता और प्रगति के आधार पर करते हैं। अगर किसी व्यक्ति को यह बीमारी हुई हैं, तो उसकी कैरोटिड धमनियों की टेस्ट की जानी चाहिए।
- उपचार में एंजियोप्लास्टी शामिल हो सकती है (एक छोटा गुब्बारा प्रभावित धमनी को खोलने के लिए कैथेटर के द्वारा डाला जाता है)। इस बीमारी के लिए कैरोटिड धमनियों का विकल्प अच्छी तरह से काम करता है। परक्यूटेनियस बलून एंजियोप्लास्टी का उपयोग केवल उन रोगियों के लिए किया जाना चाहिए जिनमे इस बीमारी के लक्षण दिखते हैं।
- जिन मरीजों में कम से कम संकुचन होता है, वे ब्लड क्लॉट के जोखिम को कम करने के लिए रोज एस्पिरिन ले सकते हैं। एस्पिरिन का उपयोगइस बीमारी के लक्षणों के लिए किया जा सकता है, जैसे सिरदर्द, गर्दन के दर्द। अगर रोगी धूम्रपान कर रहे हैं, तो उन्हें छोड़ देना चाहिए क्योंकि धूम्रपान बीमारी को और हानि पहुंचा सकता है।
- कभी-कभी एन्यूरिज्म जैसे परेशानी के लिए सर्जरी की सिफारिश की जाती है, जिससे मस्तिष्क में रक्तस्राव हो सकता है।
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यह रक्त वाहिकाओं की एक दुर्लभ बीमारी है। दुर्भाग्य से, यह एक आपातकालीन स्थिति पैदा कर सकता है। फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया एक जीवन भर चलने वाली बीमारी है। हालांकि, अध्ययनों में अभी तक इस बात के पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं कि फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया से जीवन प्रत्याशा दर पर कोई प्रभाव पड़ता है या नहीं।
फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया से ग्रस्त व्यक्ति आमतौर पर 80 से 90 वर्ष की उम्र में आराम से जीते हैं।
स्ट्रोक के अलावा कई और ऐसे लक्षण हैं जिन्हें फाइब्रोमस्क्युलर डिसप्लेसिया अधिक प्रभावित कर सकता है। अगर आपको निम्न प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें –
- दृष्टि में बदलाव
- बोलने में बदलाव
- हाथों और पैरों में अचानक बदलाव आना
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