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हर्निया से बचाव का क्या है विकल्प?

हर्निया से बचाव का क्या है विकल्प?

हर्निया क्या है?

शरीर के किसी हिस्से का जरुरत से ज्यादा विकास होने पर हर्निया की बीमारी होती है। ऐसा शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। हालांकि हर्निया सबसे ज्यादा शरीर के अन्य हिस्सों के मुकाबले पेट पर होता है। जब पेट की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं हर्निया की बीमारी धीरे-धीरे शुरू हो जाती है। यह महिला और पुरुषों दोनों में होने वाली समस्या है। हर्निया से बचाव संभव है लेकिन, जीवनशैली में कुछ बदलावों से आप इससे बचाव कर सकते हैं। यदि आपका हर्निया कॉनजेनाइटल है तो भी इसे नियंत्रित करने के लिए आप इन तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं। हर्निया ऐसी समस्या है जो किसी को भी हो सकती है इसका सटीक कारण बता पाना जरा मुश्किल है। चोट लगने या फिर सर्जरी के बाद घाव के न भर पाने की स्थिति में मांसपेशियों में से कुछ टिशू अपनी जगह से बाहर आ जाते हैं। ये टिशू उभार के रूप में एब्डोमेन में दिखाई देते हैं और इस स्थिति को ही हर्निया कहते हैं। 

और पढ़ें : हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? जानिए दवा और प्रभाव

हर्निया से बचाव के पहले यह कितने तरह का होता है ये जानते हैं।

इंग्वाइनल हर्निया

इंग्वाइनल हर्निया ज्यादातर थाई (जांघ) पर होता है। इंग्वाइनल हर्निया कारण अंडकोष में बदलाव होता है। हाइड्रोसिल की समस्या का कारण यही है।

अम्बिलिकल हर्निया

अम्बिलाइकल हर्निया ज्यादातर कमजोर मासपेशियां और अत्यधिक वजन वाले व्यक्तियों को होता है।

फीमोरल हर्निया

फीमोरल हर्निया की समस्या महिलाओं में ज्यादा होती है। फीमोरल हर्निया की स्थिति में पैरों में खून की कमी हो जाती है।

एपीगैस्ट्रिक हर्निया

एपीगैस्ट्रिक हर्निया सर्जरी वाले हिस्सों पर ज्यादा होता है। सर्जरी वाली स्किन ठीक होने के बाद भी हर्निया की समस्या हो सकती है।

और पढ़ें : Umbilical Hernia Surgery: अम्बिलिकल हर्निया सर्जरी क्या है?

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हर्निया से बचाव करने का तरीका क्या है?

अगर आपके पेट में दर्द है या फिर शरीर के किसी अंग में ( मूल रूप से शरीर के निचले भाग में ) असमान सूजन महसूस कर रहें है तो ये हर्निया हो सकता है। हर्निया से बचाव या इसे नियंत्रित करने के लिए हर्निया इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है। 

हर्निया को नियंत्रित रखने के बहुत से तरीके हो सकते हैं जिनमें से कुछ तरीके नीचे दिए गए हैं। 

  • धूम्रपान न करें। 
  • बहुत तेजी से कफ करने से या फिर छींकने से बचें। इससे समस्याएं बढ़ सकती हैं। 
  • अपने वजन को नियंत्रित रखें। 
  • भारी सामान न उठाएं इससे टिशूज के अपनी जगह से बाहर आने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। 
  • हल्की समस्या दिखने पर भी नजरअंदाज न करें अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। 
  • अपनी डायट में ज्यादा से ज्यादा फलों और सब्ज़ियों को डालें। इससे भी हर्निया को नियंत्रित रखने में सहायता मिलेगी। 
  • अगर आपको लगता है की आपको हर्निया की समस्या हो सकती है तो ज्यादा तनाव देने वाला वर्कआउट न करें। ज्यादा तनाव डालने से समस्या बढ़ सकती है। 
  • फाइबर पूर्ण खाना खाएं इससे पाचन से होने वाली समस्याओं में आराम मिलेगा। 
  • बढ़ती उम्र में अपना विशेष ख्याल रखें इससे सेहत सही रहेगी और मांसपेशियां मजबूत रहेंगी। 
  • हर्निया में या हर्निया की समस्या से बचने के लिए योग भी लाभकारी है

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हर्निया से बचाव के क्या हैं दूसरे विकल्प?

हर्निया से बचाव के लिए निम्नलिखित खाद्य पदार्थों से दूरी बनाये रखें। जैसे-

  • तला और भुना हुआ खाना न खाएं।
  • वसा (फैट) बढ़ाने वाला भोजन भी नहीं खाना चाहिए।
  • लाल मांस (रेड मीट) का सेवन न करें।
  • कैफीन जैसे चाय, कॉफी या हर्बल टी का सेवन ज्यादा न करें।
  • शराब से अन्य बीमारियों के साथ-साथ हर्निया की भी समस्या हो सकती है। इसलिए न पीएं।
  • चॉकलेट वैसे तो कुछ लोगों को बहुत पसंद है लेकिन, हर्निया के पेशेंट को चॉकलेट नहीं खाना चाहिए।
  • हर्निया से बचाव के लिए टमाटर का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन न करें।
  • टॉफी नहीं खाना चाहिए।
  • खीरा और ककड़ी वैसे तो शरीर के लिए फायदेमंद होता है लेकिन, हर्निया से बचाव करना चाहते हैं तो खीरा और ककड़ी नहीं खाएं।
  • बहुत अधिक नमक वाला खाना खाने से बचें। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ने के साथ-साथ हर्निया की भी परेशानी हो सकती है।
  • फास्ट फूड या जंक फूड न खाएं

इन ऊपर बताये गये टिप्स को फॉलो कर हर्निया से बचाव किया जा सकता है।

हर्निया से बचाव के लिए निम्नलिखित बातें ध्यान रखें। जैसे –

  • ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं  (एक दिन में 2 से 3 लीटर पानी पीना चाहिए)
  • एक बार में ज्यादा खाना न खाएं। अपनी पूरी डायट को छोटे हिस्सों में बाट दें।
  • अत्याधिक फाइबर युक्त खाना खाएं।
  • किसी भी तरह के व्यायाम से पहले खाना न खाएं।
  • प्रोबायोटिक्स लें।
  • धूम्रपान न करें।

और पढ़ें : डायबिटीज की दवा दिला सकती है स्मोकिंग से छुटकारा

क्या कहती है हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट?

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार जब तक हर्निया आपके रोजमर्रा के कामों में बाधा नहीं डाल रहा है तब तक सर्जरी नहीं करवाएं। आप योग या फिर दवाओं की मदद से इस पर नियंत्रण पा सकते हैं या फिर हर्निया बेल्ट का भी उपयोग कर सकते हैं। यदि स्थिति बहुत अधिक गंभीर है तो डॉक्टर से मिलें और सर्जरी करवाएं। अगर आपकी सर्जरी हो चुकी हैं, तो ऐसी स्थिति में अपना विशेष ध्यान रखें।

सर्जरी के बाद कब डॉक्टर से जल्दी मिलना चाहिए?

  • घाव की जगह से खून आने पर या परेशानी महसूस होने पर
  • पेशाब करने में परेशानी होने की स्थिति में इसकी जानकारी डॉक्टर को दें
  • ऑपरेटेड जगह पर अत्याधिक दर्द होना और सर्जरी के 6 से 7 दिनों के बाद भी राहत नहीं मिल पाने पर
  • सर्जरी के बहुत ज्यादा या बार-बार बुखार आने पर डॉक्टर को संपर्क करें
  • ऑपरेटेड जगह से पस आने पर
  • सर्जरी के बाद ज्यादा कमजोरी महसूस होना
  • उल्टियां होना और जी मचलाना भी परेशानी को बढ़ा सकता है

ऊपर बताई गई परिस्थति में जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

इसके अलावा इन बातों का भी खास ख्याल रखें। जैसे-

  • ज्यादा तेजी से न खांसें।
  • झटके या तेजी से कोई भी काम न करें।
  • दवाएं समय पर लेते रहें और अपनी मर्जी से दवा बंद न करें।
  • अपनी दवाओं का टाइम टेबल सही तरीके से मानें।
  • समय -समय पर डॉक्टर से मिलकर जांच करवाते रहें।

अगर आप हर्निया के बचाव से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Inguinal Hernia/https://healthywa.wa.gov.au/Articles/F_I/Inguinal-Hernia/Accessed on 26/12/2019

Current Version

18/09/2020

Suniti Tripathy द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar

Updated by: Ankita mishra


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Dr Sharayu Maknikar


Suniti Tripathy द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/09/2020

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