परिचय
आइलिड सर्जरी क्या है?
आइलिड सर्जरी आंखों से संबंधित सर्जरी है। इसे ब्लेफेरोप्लास्टी (Blepharoplasty) भी कहते हैं। वक्त के साथ आंखों की पलकें झुकने लगती है। इसका कारण यह भी है कि हमारे आइलिड पर चर्बी जमा हो जाती है। जिससे आंखों के नीचे और ऊपर का हिस्सा फूल जाता है। जिस कारण आंखे झुकी रहती हैं, इसे ड्रूपी आई (Droopy Eye) कहते हैं। जिसे सर्जरी से ठीक किया जाता हैं। आइलिड सर्जरी का मुख्य उद्देश्य दृष्टि संबंधित समस्याओं को दूर करना और आंखों का आकार ठीक करना है।
आइलिड सर्जरी की जरूरत कब होती है?
आइलिड सर्जरी की जरूरत तब होती है जब पलकों में चर्बी जमा होने के कारण वह लटक जाती हैं। पलकें आधी आंखों को ढक लेती हैं। तब पलकों पर बढ़े हुए टिश्यू को हटा कर आंखों के देखने के कोण को ठीक किया जाता है। ब्लेफेरोप्लास्टी तब एक अच्छा विकल्प होता है जब :
- पलकें झुकी हो यानी कि ड्रूपी आइ हो
- पलकों की त्वचा आपके परिधीय दृष्टि यानी कि पेरिफेरल विजन (peripheral vision) का बाधित होना
- नीचे की आइलिड की त्वचा का बढ़ना
- आंखों के नीचे फूला होना
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जोखिम
आइलिड सर्जरी करवाने से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?
आइलिड सर्जरी के लिए आपका स्वास्थ्य बेहतर होना बहुत जरूरी है। साथ ही निम्न बातें भी इस सर्जरी को कराने वाले व्यक्ति के लिए जरूरी है :
- सर्जरी कराने वाला व्यक्ति किसी भी तरह की दवा न ले रहा हो
- स्मोकिंग न करता हो
- जीवन के लिए सकारात्मक नजरिया रखता हो
- सर्जरी कराने वाले व्यक्ति को आंखों की कोई गंभीर समस्या न हो
कुछ लोग ब्लेफेरोप्लास्टी नहीं करा सकते है, ऐसे लोगों की हेल्थ कंडिशन में कई तरह की समस्या होती है। जैसे- आंखों के नीचे त्वचा बढ़ जाती है और लटक जाती है। वहीं, पलकें इतनी भारी हो जाती है कि आंखें लगभग बंद सी ही लगती हैं। ऐसे में डॉक्टर को ब्लेफेरोप्लास्टी करने से पहले आइब्रो यानी कि भौंहों को उठाना पड़ता है फिर आइलिड सर्जरी होती है। ये एक कष्टदायक प्रक्रिया होती है। वहीं, आइलिड सर्जरी वे लोग भी नहीं करा सकते हैं जिन्हें ज्यादा ब्लीडिंग होती हो या घाव को भरने में समय लगता है। साथ ही जेरॉफ्थैल्मिया या ड्राई आइ कि समस्या होती है।
आइलिड सर्जरी के क्या साइड इफेक्ट्स और समस्याएं हो सकती हैं?
यूं तो सर्जरी के साइड इफेक्ट्स काफी ज्यादा नहीं हैं, लेकिन फिर भी उसके बाद कुछ समय के लिए थोड़ी समस्याएं होती हैं :
- आंखों से पानी बहना
- ल्यूब्रिकेटिंग मलहम के कारण धुंधला दिखाई देना
- रोशनी से सेंस्टिविटी होना
- दोहरा दिखाई देना
- फूली और सुन्न पलकें
- सूजन या घाव के निशान के साथ आंखों का काला होना
- दर्द होना
आइलिड सर्जरी में होने वाले रिस्क हैं :
- संक्रमण और ब्लीडिंग
- सूखी आंखें या आंखों में दिक्कत होना
- आंखों पर पपड़ी पड़ना
- आंखों की मांसपेशियों का चोटिल होना
- त्वचा की रंगत का बदलना
- आंखों की रोशनी का धुंधला होना या दृष्टि का चले जाना
- खून का जम जाना
जरूरी नहीं कि ये समस्याएं सभी में हो। लेकिन, फिर भी जानना जरूरी है कि आइलिड सर्जरी से क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए सर्जरी कराने से पहले अपने डॉक्टर से सभी तरह के जोखिमों के बारे में बात कर लें।
प्रक्रिया
आइलिड सर्जरी के लिए मुझे खुद को कैसे तैयार करना चाहिए?
आइलिड सर्जरी कराने के बाद आप अपने अकेले घर नहीं जा सकते हैं. इसलिए सर्जरी से पहले अपने परिजनों से बात कर लें। साथ ही उन्हें ये भी बताएं कि सर्जरी के एक दो दिन बाद तक हॉस्पिटल में ही रुकना होगा। सर्जरी कराने के बाद आंखों को ठीक होने में कुछ दिनों का समय लगता है। इसलिए सर्जरी कराने के दो हफ्ते बाद तक आप अपने डॉक्टर के संपर्क में बने रहें।
घर जाने के बाद आपके पास कुछ चीजें जरूर होनी चाहिए :
- आइस क्यूब्स
- आइस पैक
- गॉज पैड्स
- साफ कपड़े और तैलिया
वहीं, खून पतले करने की दवाएं और पेनकीलर न लें। जो पेनकीलर डॉक्टर आपको दे वही खाएं। साथ ही खून पतले करनी दवाएं इसलिए बंद की जाती है कि ब्लीडिंग का रिस्क न हो।
आइलिड सर्जरी में होने वाली प्रक्रिया क्या है?
आइलिड सर्जरी का वक्त उसके प्रक्रिया पर निर्भर करता है कि पलकों की मांसपेशियों को किस हद तक ठीक करना है। आइलिड सर्जरी में सबसे पहले आपकी आंखों को सुन्न किया जाता है। अगर आंखों के नीचे और ऊपर दोनों हिस्सों में सर्जरी करनी हो तो पहले सर्जन पलकों से सर्जरी शुरू करते हैं। जिसमें आंखों के फोल्ड पर चीरा लगा तक बढ़ी हुई त्वचा को सर्जन निकाल देते हैं। इसके बाद टांका लगा देते हैं।
वहीं, अगर सिर्फ आंखों के नीचे के हिस्से की सर्जरी करनी हो तो सर्जन निचली पलक के ठीक नीचे चीरा लगाते हैं। फिर वहां पर जमा चर्बी को निकाल देते हैं। इसके बाद टांका लगा देते हैं।
अगर आंखों की ऊपरी पलक की सर्जरी करनी होती है तो वह पलकों के साथ टोसिस सर्जरी (Ptosis Surgery) करते हैं। ताकि भौंहों की मांसपेशियों (Eyebrow Muscles) को ज्यादा सपोर्ट मिल सके। इसके बाद पलकें ऊपर उठ जाने से आंखों के झुकने की समस्या खत्म हो जाती है।
आइलिड सर्जरी के बाद क्या होता है?
सर्जरी के बाद आपको रिकवरी रूम में रुकना पड़ता है। ताकि, किसी तरह की समस्या होने पर डॉक्टर आपकी देखभाल कर सके। एक दिन के बाद आप घर जा सकते हैं। इसके अलावा अगर आपको किसी भी तरह की समस्या आती है तो अपने सर्जन और डॉक्टर से जरूर मिलें और परामर्श लें।
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रिकवरी
आइलिड सर्जरी के बाद मुझे खुद का ख्याल कैसे रखना चाहिए?
आइलिड सर्जरी के बाद रिकवरी के लिए डॉक्टर आपको ल्यूब्रिकेटिंग मलहम देते हैं। साथ ही बर्फ या ठंडे पानी से सेंकाइ करने की सलाह देते हैं। वहीं, आपको ध्यान देना होगा कि आंखों में किसी तरह का संक्रमण न होने पाए।
आइलिड सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको निम्न सलाह दे सकते हैं :
- जिस दिन आपने सर्जरी कराई है उस दिन आप हर घंटे पर बर्फ से सेंकाइ करें। अगले दिन से दिन भर में लगभग पांच बार बर्फ से सेंकाइ करें।
- आंखों को हल्के से साफ करें और उसमें आइड्रॉप या मलहम लगाएं।
- एक हफ्ते तक जॉगिंग और एक्सरसाइज न करें।
- स्मोकिंग न करें
- आंखों को न रगड़ें
- अगर आप कॉन्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल करते हैं तो सर्जरी के बाद दो हफ्तों तक न करें।
- काले रंग के पूरी आंखों को ढकने वाले चश्मे पहने ताकि आपकी पलकें धूप और हवा से बच सके।
- कुछ दिनों तक अपने सिर को सीने से ऊपर उठा कर सोएं।
- सूजन को कम करने के लिए बर्फ से सेंकाई करें।
सर्जरी के दो हफ्ते तक ऑफिस या काम पर न जाएं। इस दौरान खून पतला करने की दवाएं और पेनकीलर न लें। जो पेनकीलर डॉक्टर आपको दे वही खाएं।
वहीं, कुछ समस्याएं होने पर डॉक्टर को तुरंत दिखाएं :
- सांस लेने में परेशानी होना
- सीने में दर्द
- दिल की धड़कनों में अनियमितता
- आंखों में अलग तरह का दर्द होना
- ब्लीडिंग
- देखने में समस्या होना
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने सर्जन से जरूर पूछ लें।
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