जब हार्ट की आर्टरीज की वाल्स में कैल्शियम जमा हो जाता है, तो इसे एथेरोस्क्लोरोटिक कैल्सीफिकेशन (Atherosclerotic calcifications) कहा जाता है। इसकी वजह से ब्लड फ्लो बाधित होता है। बॉडी में प्रवेश करने वाला 99 प्रतिशत कैल्शियम हड्डियों या दांतों में जमा होता है, लेकिन यह बॉडी के दूसरे हिस्सों में भी जमा हो सकता है। जिसमें आर्टरीज (Arteries), किडनी (Kidney) और ब्रेन (Brain) शामिल है। कैल्सीफिकेशन इन अंगों और ब्लड वेसल्स के काम करने के तरीकों को प्रभावित कर सकता है। कैल्शियम डिपोजिट का सामान्य उदाहरण एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) है। ये कैल्सीफिकेशन रेनल फेलियर (Renal failure) के साथ ही मेटाबॉलिक डिसऑर्डर (Metabolic disorder) का कारण भी बनता है। यह वैस्कुलर कैल्सिफिकेशन (Vascular calcification) का एक प्रकार है। अक्सर एथेरोस्क्लेरोसिस की एडवांस्ड स्टेज पर एथेरोस्क्लोरोटिक कैल्सीफिकेशन (Atherosclerotic calcifications) होता है।
एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) क्या है?
एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) यानी फैट्स (Fats), कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) या किसी अन्य सब्सटेंस का आर्टरी वाल्स पर जमा होना। इस बिल्डअप को प्लाक (Plaque) कहा जाता है। यह प्लाक (Plaque) आर्टरीज के नेरो और ब्लॉक होने का कारण बन सकता है। यह प्लाक फट भी सकता है जो ब्लड क्लॉट का कारण बन सकता है।
हालांकि, एथेरोक्सलेरोसिस (Atherosclerosis) को हार्ट प्रॉब्लम्स से रिलेटेड माना जाता है, लेकिन यह बॉडी में मौजूद किसी भी आर्टरी को प्रभावित कर सकता है। एथेरोस्क्लेरोसिस का इलाज हो सकता है। हेल्दी लाइफस्टाइल एथेरोस्क्लेरोसिसको रोकने में मददगार है। माइल्ड एथेरोस्क्लेरोसिस के लक्षण दिखाई नहीं देते है। जब तक आर्टरीज ब्लॉक नहीं हो जाती हैं या ब्लड फ्लो प्रभावित नहीं होता तब तक इसके लक्षण सामने नहीं आते हैं। ब्रेन, हार्ट या बॉडी के किसी अंग को प्रभावित करने पर इसके लक्षण अलग होते हैं।
एथेरोस्क्लोरोटिक कैल्सीफिकेशन (Atherosclerotic calcifications)
कैल्शियम फॉस्फेट (Calcium phosphate) का वैस्कुलर वॉल (Vascular wall) पर प्रभाव पड़ता है। इसका इंट्रासेल्युलर और एक्सट्रासेल्युलर (Intracellular and extra cellular) मैक्नेजिम पर भी प्रभाव पड़ता है। कई बार देखा गया है कि कई प्रकार की कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का कारण कैल्सीफिकेशन बनता है। जिसमें क्रोनिक रेनल फेलियर शामिल है। जिसका कारण कैल्शियम फॉस्फेट के लेवल में वृद्धि था। एथेरोस्क्लोरोटिक कैल्सीफिकेशन (Atherosclerotic calcifications) आर्टियल स्टिफनेस और स्टेनोसिस के कारण होता है। ये कैल्सीफिकेशन अपरिवर्तनीय होते हैं। आर्टरीज की स्टिफनेस वैस्कुलर कंपलाइंस को खत्म कर देती है। जिसकी वजह से लेफ्ट वेंट्रिकुलर हायपरट्रोफी (Left ventricular hypertrophy) होती है। जो कोरोनरी पैसेज को बाधित करती है। इसलिए एथेरोस्क्लोरोटिक कैल्सीफिकेशन (Atherosclerotic calcifications) हृदय मृत्यू दर से जुड़ा हुआ है।
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एथेरोस्क्लोरोटिक कैल्सीफिकेशन के कारण क्या हैं? (Atherosclerotic calcifications Causes)
एथेरोस्क्लोरोटिक कैल्सीफिकेशन (Atherosclerotic calcifications) के कारण निम्न हो सकते हैं।
- एथेरोस्क्लेरोसिस की एंडवास स्टेज (Atherosclerosis advance stage)
- मेटाबॉलिक डिसऑर्डर के कॉम्प्लिकेशन (Complications of Metabolic Disorders)
- हायपरथायरॉइडिज्म (Hyperparathyroidism)
- हायपरकोलेस्ट्रेमिया (Hypercholesterolemia)
- डायबिटीज मेलिटस (Diabetes mellitus)
- हायपरटेंशन (Hypertension) एब्डोमिनल एओटा (Abdominal aorta) में कैल्सिफिकेशन का कारण
- स्मोकिंग, मेल जेंडर और अधिक उम्र भी इसका कारण बनती है
- हाल की स्टडी में सामने आया है कि स्टेटिन्स के उपयोग से भी एथेरोस्क्लोरोटिक कैल्सीफिकेशन हो सकता है।
एथेरोस्क्लोरोटिक कैल्सीफिकेशन के बारे में पता कैसे लगता है? (Atherosclerotic calcifications Diagnosis)
वैसे तो एक्सरे की मदद से एथेरोस्क्लोरोटिक कैल्सीफिकेशन (Atherosclerotic calcifications) के बारे में पता लगाया जा सकता है, लेकिन कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी (सीटी) (Computerized tomography (CT) इसके लिए उचित मानी जाती है। 400 μm कैल्सिफिकेशन को 2D और 3D में सीटी की मदद से देखा जा सकता है। कई बार इसका पता लगाने के लिए एमआरआई भी की जाती है। लिपिड का जमाव, फ्राइब्रोटिक टिशू और कैल्सिफिकेशन का पता करने में एमआरआई बेहतर है। माइक्रोकैल्सीफिकेशन का पता लगाने के लिए पीईटी Positron emission tomography (PET) का उपयोग भी किया जा सकता है। डॉक्टर रिजल्ट और स्थिति की गंभीरता के आधार पर ट्रीटमेंट रिकमंड करते हैं।
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एथेरोस्क्लोरोटिक कैल्सीफिकेशन का इलाज कैसे किया जाता है? (Atherosclerotic calcifications treatment)
ट्रीटमेंट का उद्देश्य एथेरोस्क्लोरोटिक कैल्सीफिकेशन (Atherosclerotic calcifications) के कारण होने वाले हार्ट अटैक और स्ट्रोक को रोकना होता है। रिस्क फैक्टर्स को कम करके एथेरोस्क्लोरोटिक कैल्सीफिकेशन को कम किया जा सकता है और जानलेवा बीमारियों से बचा जा सकता है।
लाइफस्टाइल में बदलाव (Lifestyle changes)
लाइफस्टाइल में बदलाव एथेरोस्क्लोरोटिक कैल्सीफिकेशन को रोकने के साथ ही उसे धीमा कर सकता है। इसमें हेल्दी डायट, एक्सरसाइज और एल्कोहॉल और स्मोकिंग का उपयोग बंद करने की सलाह दी जाती है। साथ ही वजन संतुलित रखना भी जरूरी है। डायट में फैट, कोलेस्ट्रॉल और सोडियम के इंटेक को कम करें। ऐसा माना जाता है कि कैल्शियम रिच फूड कैल्सीफिकेशन का कारण बनता है, लेकिन हावर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) की स्टडी में इस बात को गलत साबित किया गया है। एरोबिक एक्सरसाइज हार्ट हेल्थ के लिए अच्छी रहती हैं। जिसमें वॉक, साइकलिंग, जॉगिंग और रनिंग को शामिल किया जा सकता है। इन सबको फॉलो करके वजन को भी कम किया जा सकता है।
मेडिकेशन (Medication)
एथेरोस्क्लोरोटिक कैल्सीफिकेशन (Atherosclerotic calcifications) का रिस्क होने पर डॉक्टर कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवाओं के साथ ही ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) को कम करने वाली दवाएं जैसे कि बीटा ब्लॉकर्स दे सकते हैं। इसके साथ ही एंटीडायबिटिक मेडिसिन भी प्रिस्काइब की जा सकती हैं। इसके साथ ही ब्लड क्लॉट को रोकने या पहले से बने हुए क्लॉट को डिसॉल्व करने के लिए भी दवाएं दी जा सकती हैं। किसी भी प्रकार की दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें।
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सर्जरी (Surgery)
सीवियर कंडिशन में डॉक्टर सर्जरी का ऑप्शन चुनते हैं। जिसमें निम्न शामिल हैं।
कोरोनरी स्टेंटिंग (Coronary stenting)
कोरोनरी स्टेंटिंग (Coronary Stenting) एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है जो एक कैथेटर (एक पतली, लचीली ट्यूब) का उपयोग करती है जिसे अवरुद्ध धमनी में निर्देशित किया जाता है और प्लाक को खोलने और रक्त प्रवाह को बहाल करने के लिए एक छोटा गुब्बारा फुलाया जाता है। धमनी को चौड़ा रखने के लिए एक स्टेंट (छोटा ट्यूब) डाला जाता है।
बायपास सर्जरी (Bypass surgery)
बायपास सर्जरी (Bypass surgery) एक सामान्य अप्रोच है जिसका उपयोग सर्जन नए मार्ग बनाने के लिए करते हैं जिसके माध्यम से अवरुद्ध या संकुचित धमनियों के आसपास रक्त प्रवाहित हो सकता है। ये “बायपास” छाती, हाथ या पैर से हेल्दी वेसल्स का उपयोग करके बनाए जाते हैं।
यदि आप अक्सर कैल्शियम कार्बोनेट के सप्लिमेंट्स लेते हैं, तो आप अपने कैल्शियम को उच्च स्तर तक बढ़ाने का जोखिम उठाते हैं। किडनी या पैराथायरॉइड की समस्याएं भी आपके रक्त में कैल्शियम के स्तर को बढ़ा सकती हैं। आपको प्रति दिन कैल्शियम की कितनी मात्रा की आवश्यकता है यह आपकी उम्र पर आधारित है। आपकी उम्र, लिंग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के आधार पर आपके लिए कैल्शियम की कौन सी खुराक सही है, इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। एथेरोस्क्लोरोटिक कैल्सीफिकेशन (Atherosclerotic calcifications) जानलेवा स्थिति नहीं है। इस कंडिशन को समय पर ध्यान देकर मैनेज किया जा सकता है।
उम्मीद करते हैं कि आपको एथेरोस्क्लोरोटिक कैल्सीफिकेशन (Atherosclerotic calcifications) संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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