टेट्रालॉजी ऑफ फलो (Tetralogy of Fallot) एक दुर्लभ स्थिति है। यह तब होती हैं जब शिशु का हार्ट गर्भावस्था के दौरान गर्भ में सही तरह से नहीं बना होता। यह कंडीशन चार हार्ट डिफेक्ट्स के कॉम्बिनेशन से होती है, जो जन्म के समय मौजूद होते हैं। यह डिफेक्ट हार्ट के स्ट्रक्चर को प्रभावित करते हैं, जिसके कारण हार्ट और शरीर के अन्य अंगों से बिना ऑक्सीजन वाला ब्लड निकलता है। यह एक जन्मजात हार्ट डिफेक्ट है। इस समस्या के साथ जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं और बच्चों की त्वचा नीले रंग की होती है क्योंकि उनके खून में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं होती। टेट्रालॉजी ऑफ फलो (Tetralogy of Fallot) का निदान बचपन के दौरान या इसके तुरंत बाद संभव है। हालांकि, कई मामलों में इसका निदान युवावस्था के बाद भी नहीं होता है। अगर इसका जल्दी निदान हो जाता है, तो इस समस्या का उपचार सही सर्जिकल ट्रीटमेंट के साथ हो जाता है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चे और वयस्क सामान्य जीवन जी सकते हैं, लेकिन उन्हें उम्र भर मेडिकल केयर की आवश्यकता होती है। जानिए क्या हैं इस समस्या के लक्षण?
टेट्रालॉजी ऑफ फलो के लक्षण (Symptoms of Tetralogy of Fallot)
टेट्रालॉजी ऑफ फलो (Tetralogy of Fallot) के लक्षण हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करती है कि प्रभावित व्यक्ति के दाएं वेंट्रिकल से और फेफड़ों में ब्लड फ्लो में कितनी रुकावट आई है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:
- त्वचा के रंग का नीला होना जो खून में ऑक्सीजन की कमी के कारण होता है (Bluish Coloration of Skin)
- सांस लेने में समस्या या सांस का तेज होना खासतौर पर व्यायाम करते हुए या फीड करते हुए (Shortness of Breath and Rapid Breathing)
- बेहोशी (Loss of Consciousness)
- वजन न बढ़ना (Poor weight gain)
- खेलते या व्यायाम करते हुए जल्दी थक जाना (Tiring easily)
- चिड़चिड़ापन (Irritability)
- बच्चे का लंबे समय तक रोना (Prolonged crying)
- हार्ट मर्मर (Heart Murmur)
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कई बार इस समस्या से पीड़ित बच्चों की त्वचा, नाखून, होंठ, रोने और फीड करने के बाद बहुत गहरे नीले हो जाते हैं। इन एपिसोड्स को टेट स्पेल्स (Tet Spells) कहा जाता है और यह आमतौर पर खून में ऑक्सीजन की मात्रा के बहुत अधिक कम होने से होते हैं। टेट स्पेल्स दो से चार महीने के बच्चों में बहुत सामान्य हैं। आप अगर अपने बच्चे में यह लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है :
- सांस लेने में समस्या (Difficulty in breathing)
- सिजर्स (Seizures)
- कमजोरी (Weakness)
- असामान्य चिड़चिड़ापन (Unusual irritability)
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Center for Disease Control and Prevention) के अनुसार टेट्रालॉजी ऑफ फलो (Tetralogy of Fallot) , एक ऐसा बर्थ डिफेक्ट है। जो हार्ट के माध्यम से सामान्य रक्त प्रवाह को प्रभावित करता है। यह तब होता है जब गर्भावस्था के दौरान बच्चा मां के गर्भ में विकसित हो रहा होता है और उसका हार्ट सही तरीके से नहीं बन पाता। इसके बाद अब जान लेते हैं कि इस जन्मजात हार्ट डिफेक्ट के कारण क्या हैं?
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टेट्रालॉजी ऑफ फलो के कारण (Causes of Tetralogy of Fallot)
टेट्रालॉजी ऑफ फलो के कारणों के बारे में जानकारी नहीं है। कई बच्चों में हार्ट डिफेक्ट्स जीन्स के बदलाव के कारण होते हैं। टेट्रालॉजी ऑफ फलो (Tetralogy of Fallot) जैसे हार्ट डिफेक्ट्स का कारण भी जीन्स को माना जा सकता है। इससे जुड़े अन्य रिस्क फैक्टर्स भी हो सकते हैं, जैसे गर्भवती महिला का किसी हानिकारक स्थिति, केमिकल या अन्य हार्मफुल चीजों के सम्पर्क में आना। टेट्रालॉजी ऑफ फलो (Tetralogy of Fallot) का कारण बनने वाली अब्नोर्मिलिटी इस प्रकार हैं:
- पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary valve stenosis)
- वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट (Ventricular septal defect )
- ओवरराइडिंग एओर्टा (Overriding aorta)
- राइट वेंट्रिकुलर हाइपरट्रॉफी (Right ventricular Hypertrophy.)
इस समस्या से पीड़ित कई बच्चों या वयस्कों को कई अन्य हार्ट डिफेक्ट्स भी हो सकते हैं। ऐसे में सही समय पर निदान बेहद जरूर है। इस तरह से हो सकता है इस बीमारी है निदान।
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टेट्रालॉजी ऑफ फलो का निदान (Diagnosis of Tetralogy of Fallot)
टेट्रालॉजी ऑफ फलो (Tetralogy of Fallot) का निदान इसके लक्षणों से किया जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति या बच्चे की त्वचा का रंग नीला है या हार्ट मर्मर की समस्या है, तो डॉक्टर को इस समस्या का संदेह हो सकता है। इस समस्या या इनके कारणों के बारे में जानने के लिए निम्नलिखित टेस्ट्स कराने की सलाह दी जा सकती है:
एकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography)
इस टेस्ट में एक हाय पिच साउंड वेव का प्रयोग किया जाता है, ताकि हार्ट की इमेज बनाई जा सके। यह साउंड वेव्स हार्ट से बाउंस करती हैं और इनसे मूविंग इमेज बनती हैं, जिन्हें वीडियो स्क्रीन पर देखा जा सकता है। एकोकार्डियोग्राफी का प्रयोग टेट्रालॉजी ऑफ फलो (Tetralogy of Fallot) के निदान के लिए किया जा सकता है। यही नहीं, इस टेस्ट से अन्य हार्ट डिफेक्ट्स का निदान भी हो सकता है। इस टेस्ट से डॉक्टर को स्थिति के उपचार के बारे में प्लान करने में भी मदद मिलती है।
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम जब भी दिल धड़कता है तो उसकी इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी (Electrical Activity) को रिकॉर्ड करता है। इस प्रक्रिया के दौरान प्रभावित व्यक्ति की छाती, कलाई आदि पर वायर के साथ पैचेज लगाए जाते हैं। जिन्हें इलेक्ट्रोड्स (Electrodes) कहा जाता है। इलेक्ट्रोड्स इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को मापते हैं।
चेस्ट एक्स -रे (Chest X-ray)
चेस्ट एक्स रे से हार्ट और लंग्स के स्ट्रक्चर का पता चलता है। एक्स-रे पर टेट्रालॉजी ऑफ फलो (Tetralogy of Fallot) का सामान्य लक्षण है बूट शेप का हार्ट क्योंकि राइट वेंट्रिकल्स एंलार्जड हो गए होते हैं।
पल्स ऑक्सीमीट्री (Pulse Oximetry)
इस टेस्ट में एक छोटे से सेंसर को मरीज की उंगली में लगाया जाता है, ताकि खून में ऑक्सीजन (Oxygen) की मात्रा को मापा जा सके।
कार्डियक कैथेटेराइजेशन (Cardiac Catheterization)
डॉक्टर इस टेस्ट का प्रयोग हार्ट के स्ट्रक्चर को एवल्यूएट करने और सर्जिकल ट्रीटमेंट (Surgical Treatment) का प्लान करने के लिए करते हैं। कैथेटेर के माध्यम से डॉक्टर डाई भी इंजेक्ट कर सकते हैं, ताकि एक्स-रे पिक्चर में हार्ट स्ट्रक्चर अच्छे से विज़िबल हो सके। कार्डियक कैथेटेराइजेशन हार्ट के चैम्बर्स और ब्लड वेसल्स (Blood Vessels) में ऑक्सीजन लेवल (Oxygen Level) और प्रेशर को भी मापता है। अब जानिए टेट्रालॉजी ऑफ फलो के उपचार के बारे में।
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टेट्रालॉजी ऑफ फलो का उपचार कैसे किया जा सकता है? (Treatment of Tetralogy of Fallot)
इस समस्या के उपचार का सबसे बेहतरीन विकल्प है सर्जरी। इस सर्जरी को शिशु के जन्म के कुछ समय बाद ही किया जाता है। अगर सही समय पर टेट्रालॉजी ऑफ फलो (Tetralogy of Fallot) का उपचार नहीं किया जाता है, तो यह रोग कई अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है। जो हार्ट रिदम्स से जुड़ी हुई हो सकती हैं या बच्चे के डेवलपमेंट में देरी हो सकती है या उन्हें सिजर्स भी हो सकते हैं। ऐसा होना दुर्लभ है लेकिन अगर इन स्थितियों को सही समय पर मैनेज न किया जाए, तो यह जानलेवा हो सकती है। ऐसे में, अगर डॉक्टर इस समस्या का निदान जल्दी कर लेते हैं, तो इस समस्या को दूर करने के लिए सर्जरी की जाती है। लेकिन, इस सर्जरी के बाद रोगी को पूरी जिंदगी कार्डियोलॉजिस्ट की जरूरत पड़ती है।
इस समस्या की सर्जरी के विकल्प में इंट्राकार्डियक रिपेयर (Intracardiac Repair) या टेम्पररी प्रोसीजर (Temporary Procedure) शामिल है। जिसमें शंट (Shunt) की जरूरत होती है। हालांकि, अधिकतर शिशुओं में इंट्राकार्डियक रिपेयर (Intracardiac Repair) का प्रयोग किया जाता है। लेकिन, बच्चे के लिए सही सर्जरी और सर्जरी का समय उसकी स्थिति पर निर्भर करते हैं। कुछ मामलों में बच्चों को दवाइयों की जरूरत भी हो सकती है। ताकि दिल के दो बड़े ब्लड वेसल्स के बीच की ओपनिंग को खुला रखा जा सके। सर्जरी के बाद भी कई लोगों को हार्ट समस्याएं हो सकती हैं इसलिए नियमित और सही देखभाल और चेकअप जरूरी है। जानिए सर्जरी के बाद कैसे मैनेज करें रोगी की स्थिति को?
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सर्जरी के बाद स्थिति को कैसे मैनेज करें?
उपचार के बाद माता-पिता इस बात को लेकर अवश्य चिंतित होंगे कि वो अपने बच्चे की स्थिति को कैसे मैनेज करें। इसके कुछ तरीके इस प्रकार हैं:
- सर्जरी के बाद इंफेक्शन से बचना जरूरी है। ऐसे में अपने बच्चों को भी इंफेक्शन से बचाएं। जिन बच्चों या बड़ों को गंभीर हार्ट डिफेक्ट हैं। उन्हें किसी भी डेंटल या सर्जिकल प्रोसीजर से पहले प्रिवेंटिव एंटीबायोटिक्स लेने की जरूरत होती है। इंफेक्शन से बचने के लिए रोगी के लिए सही ओरल हाइजीन मेंटेन रखना भी आवश्यक है।
- डॉक्टर के बताये अनुसार व्यायाम करने से मरीज सामान्य जीवन जी पाएंगे। यही नहीं इससे रोगी के जीवन की गुणवत्ता भी सुधरेगी। इसके साथ ही रोगी के लिए सही आहार का सेवन, पर्याप्त आराम करना या तनाव से बचना आदि भी जरूरी है।
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टेट्रालॉजी ऑफ फलो (Tetralogy of Fallot) से पीड़ित लोगों को कई बार सीमित व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। अगर ऐसा है, तो अपने डॉक्टर से बात करें। अगर आप फिजीकली एक्टिव रहना चाहते हैं, तो अपने डॉक्टर से पूछें कि आपके लिए क्या सही है? डॉक्टर जिन दवाइयों की सलाह देते हैं उन्हें समय पर लें। इस समस्या और इसके उपचार के बाद भी रोगी सामान्य जीवन जी सकते हैं। लेकिन नियमित जांच बेहद जरूरी है। इसके साथ ही अगर आपको कोई भी समस्या होती है तो तुरंत मेडिकल हेल्प लेने में देरी न करें।
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