पूरे शरीर को ब्लड सप्लाई का काम दिल ने संभाल रखा है, लेकिन अगर दिल अपना काम किसी भी कारण से ठीक तरह से ना कर पाए तो जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। देखा जाए तो कभी-कभी दिल का ध्यान रखने के बावजूद भी दिल की बीमारी दस्तक दे देती है। ऐसे में दवाओं की खास भूमिका होती है हृदय (Heart) को ठीक रखने में। इसलिए आज इस आर्टिकल में हार्ट अटैक की दवा (Heart Attack Medications) हार्ट को ठीक तरह से काम करने में मददगार मानी गई है।
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार साल 1990 से साल 2020 तक 2.26 मिलियन से 4.77 मिलियन लोगों की मौत कार्डियोवैस्कुलर डिजीज की वजह से हुई। इस रिपोर्ट में भारत के ग्रामीण इलाकों में कोरोनरी हार्ट डिजीज (Coronary heart disease) के पेशेंट्स की संख्या 1.6 प्रतिशत से 7.4 प्रतिशत तक बढ़ी है वहीं शहरी क्षेत्र की बात की बात करें तो 1 प्रतिशत से 13.2 प्रतिशत तक बढ़ी है। इन बढ़ते आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए दिल की बीमारी से खुद बचाना जरूरी है और अगर आप हार्ट पेशेंट हैं, तो हार्ट अटैक की दवा (Heart Attack Medications) और हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करना बेहद जरूरी है।
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हार्ट अटैक की दवा (Heart Attack Medications): किन-किन दवाओं का किया जा सकता है सेवन?
हार्ट अटैक को मेडिकल टर्म में म्योकार्डियल इन्फ्रक्शन (Myocardial infarction) भी कहा जाता है और हार्ट अटैक का दवाओं (Heart Attack Medications) से इलाज बेहतर विकल्प माना गया है, जो भविष्य में हार्ट अटैक की संभावनाओं को कम करने में मददगार हो सकती है।
1. हार्ट अटैक की दवा: बीटा-ब्लॉकर्स (Beta-blockers)
हार्ट अटैक की समस्या को दूर करने के लिए बीटा-ब्लॉकर्स प्रिस्क्राइब की जाती है। हार्ट अटैक की दवा की लिस्ट में शामिल बीटा-ब्लॉकर्स हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure), चेस्ट पेन (Chest pain) एवं एब्नॉर्मल हार्ट रिदम (Abnormal heart rhythm) के लिए भी सेवन की सलाह दी जाती है। बीटा ब्लॉकर्स दवा को मेडिकल टर्म में बीटा एड्रेनेरजिक (Beta-adrenergic) ब्लॉकिंग एजेंट्स भी कहा जाता है। हार्ट अटैक (Heart Attack) के बाद बीटा-ब्लॉकर्स चेस्ट पेन (Chest pain) और ब्लड फ्लो (Blood Flow) को बेहतर बनाने का काम करता है।
हार्ट अटैक की दवा बीटा-ब्लॉकर्स मेडिकेशन के नाम इस प्रकार हैं-
- एटेनोलोल (Atenolol)
- कार्वेडिलोल (Carvedilol)
- मेटोप्रोलोल (Metoprolol)
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2. हार्ट अटैक की दवा: ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors)
ACE जिसे एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम (Angiotensin Converting Enzyme) इन्हिबिटर्स भी कहा जाता है। ACE इन्हिबिटर्स ब्लड वेसल्स को रिलेक्स और ओपन करके बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को कम करने में सहायक हो सकती है। ACE इन्हिबिटर्स को हायपरटेंशन (Hypertension) के इलाज के लिए सेवन की सलाह दी जाती है। वहीं निम्नलिखित स्थितियों में भी ACE इन्हिबिटर्स प्रिस्क्राइब की जा सकती है।
हार्ट फेलियर (Heart failure) : ACE इन्हिबिटर्स से दिल को कमजोर होने से बचाने में मदद मिलती है, जिससे हार्ट फेलियर की संभावना कम हो सकती है।
हार्ट अटैक (Heart attack) : ACE इन्हिबिटर्स के सेवन से हार्ट अटैक (Heart attack) के खतरे को टाला जा सकता है।
ACE इन्हिबिटर्स के अंतर्ग निम्नलिखित दवाएं आती हैं-
- एनेलाप्रिल (Enalapril)
- बेनाजैप्रिल (Benazepril)
- कैप्टोप्रिल (Captopril)
- इनैलाप्रिल (Enalapril)
- फॉसिनोप्रिल (Fosinopril)
- लिसिनोप्रिल (Lisinopril)
- मोएक्सिप्रिल (Moexipril)
- पेरिनडॉप्रिल (Perindopril)
- क्वीनाप्रिल (Quinapril)
- रामिप्रिल (Ramipril)
- ट्रैंडोलाप्रिल (Trandolapril)
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3. हार्ट अटैक की दवा: एंटीप्लेटलेट एजेंट्स (Antiplatelet agents)
एंटीप्लेटलेट एजेंट दवाओं की मदद से प्लेटलेट्स शरीर में एक जगह जमा नहीं हो सकते हैं, जिससे ब्लड क्लॉटिंग की समस्या से राहत मिलने के साथ ही और हार्ट से जुड़ी समस्याओं में भी फायदा मिलता है। हार्ट अटैक की दवा की लिस्ट में शामिल एंटीप्लेटलेट एजेंट्स को ड्युअल एंटीप्लेटलेट थेरिपी (Dual Antiplatelet Therapy) भी कहा जाता है। इस ड्रग (Drugs) को डॉक्टर द्वारा कुछ खास शारीरिक स्थितियों में दी जाती है जैसे हार्ट अटैक या कोरोनरी आर्टरी डिजीज। इस ड्रग की सहायता आर्टरी बायपास ग्राफ्ट सर्जरी के दौरान भी ली जा सकती है।
एंटीप्लेटलेट एजेंट्स के अंतर्गत आने वाली दवाएं इस प्रकार हैं-
- क्लोपिडोग्रेल(Clopidogrel)
- प्रसुग्रेल (Prasugrel)
- टिकाग्रेलर (Ticagrelor)
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4. हार्ट अटैक की दवा: एंटीकोआगुलंट्स (Anticoagulants)
हार्ट अटैक की दवा में शामिल एंटीकोगुलेंट्स हार्ट अटैक की वजह से हुई क्लॉटिंग की तकलीफ को दूर करने के लिए प्रिस्क्राइब की जाती है। एंटीकोगुलेंट्स के अंतर्गत आने वाली दवाओं के नाम इस प्रकार हैं।
- हेपारिन (Heparin)
- वॉरफेरिन (Warfarin)
5. हार्ट अटैक की दवा: थ्रोम्बोलाइटिक (Thrombolytic)
हार्ट अटैक की दवा थ्रांबोलिटिक को क्लॉट बस्टर (Clot busters) भी कहा जाता है। हार्ट अटैक के तुरंत बाद डॉक्टर थ्रांबोलिटिक (Thrombolytic) ड्रग्स को प्रिस्क्राइब कर सकते हैं। वहीं एंजियोप्लास्टी (Angioplasty) के दौरान इस दवा के सेवन की सलाह नहीं दी जाती है। हार्ट अटैक की दवा थ्रांबोलिटिक के अंतर्गत आने वाली दवाएं इस प्रकार हैं-
- अल्टेप्लेस (Alteplase)
- स्ट्रेप्टो कैनीस(Streptokinase)
नोट : इनमें से किसी भी दवा का सेवन अपनी मर्जी से ना करें और डॉक्टर द्वारा बताये डोज को ही फॉलो करें, क्योंकि जरूरत से ज्यादा दवाओं का सेवन आपको नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए हार्ट अटैक से जुड़ी बातों को ध्यानपूर्वक समझें और सेहत के प्रति लापरवाही न बरतें।
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हार्ट अटैक की दवाओं का मुख्य काम क्या है? (Function of Heart Attack Medication)
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार हार्ट अटैक की मेडिकेशन का निम्नलिखित है। जैसे:
- बढ़े हुए ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) को कम करना।
- ब्लड वेसल्स (Blood Vessels) को क्लॉटिंग (Clotting) से बचाना।
हार्ट अटैक की मेडिकेशन (Heart Attack Medications) की जानकारी के साथ-सख्त हार्ट अटैक के लक्षण को भी समझना चाहिए, जिससे वक्त रहते इलाज शुरू हो जाए।
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हार्ट अटैक के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Heart Attack)
हार्ट अटैक के लक्षण निम्नलिखित हैं। जैसे:
- शरीर से अत्यधिक पसीना (Sweating) आना।
- बिना कारण थकान (Tiredness) महसूस होना।
- सांस (Breathing) लेने में परेशानी होना।
- चक्कर (Faint) आना।
- बाएं हाथ में दर्द (Pain) होना।
- उल्टी (Vomiting) होना।
- खाना ठीक तरह से डायजेस्ट (Indigestion) नहीं होना।
- सीने में जलन (Chest burning) महसूस होना।
ये लक्षण हार्ट अटैक के लक्षण की ओर इशारा करते हैं। ऐसे में डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करें और डॉक्टर द्वारा बताई गई हार्ट अटैक मेडिकेशन (Heart Attack Medications) फॉलो करें।
हार्ट अटैक मेडिकेशन को फॉलो करें और इनसे जुड़ी जानकारी रखना भी जरूरी है। हार्ट अटैक मेडिकेशन (Heart Attack Medications) के साथ-साथ आपको अपनी डायट और अन्य चीजों का भी ध्यान रखना चाहिए। जैसे नियमित व्यायाम (Regular workout) करना, तनाव (Stress) से दूर रहना, पर्याप्त आराम (Relax) करना और डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करना। इसके साथ ही नियमित बॉडी चेकअप (Body Checkup) भी जरूरी है। एक हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाने से आपको जल्दी रिकवर होने और अपने जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में मदद मिलेगी।
स्वस्थ रहने के लिए हेल्दी डायट (Healthy diet) फॉलो करना बेहद जरूरी है। इसलिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक कर जानिए हेल्दी रहने के लिए कब और क्या खाना जरूरी है।
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