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हॉर्मोन थेरिपीज का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर हो सकता है असर, जानिए क्या कहती है स्टडी?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

    हॉर्मोन थेरिपीज का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर हो सकता है असर, जानिए क्या कहती है स्टडी?

    ट्रांसजेंडर हॉर्मोन थेरिपी (Transgender hormone therapy) को जेंडर अफर्मिंग हॉर्मोन थेरिपी (Gender-affirming hormone therapy) भी कहा जाता है। यह हॉर्मोन थेरिपी का एक प्रकार जिसमें ट्रांसजेंडर्स को सेक्स हॉर्मोन्स और दूसरे हॉर्मोनल मेडिकेशन दिए जाते हैं। ताकि वे सेकेंड्री सेक्शुअल कैरेक्टरस्टिक्स के साथ अच्छी तरह अलाइन हो सकें, लेकिन इन हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर हो सकता है। कई स्टडीज में इसके बारे में बताया गया है। हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर (Effect of hormone therapy on the heart of transgenders) कैसे होता है इस बारे में इस आर्टिकल में जानकारी दी जा रही है।

    बता दें कि यह हॉर्मोन थेरिपी एक या दो प्रकार से दी जाती है। जो ट्रीटमेंट का गोल के आधार पर फेमिनाइजेशन (Feminization) है या मस्क्युलिनाइजेशन (Masculinization) के लिए उपयोग होती है। फेमिनाइजेशन हॉर्मोन थेरिपी का उपयोग ट्रांसजेंडर महिला या ट्रांसफेमिनाइन व्यक्ति किया जाता है। वहीं मैस्क्युलाइजिंग हॉर्मोन थेरिपी ट्रांसजेंडर मेन या ट्रासमैस्क्युलिन लोगों को दी जाती है।

    हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर (Effect of hormone therapy on the heart of transgenders)

    ट्रांसजेंडर लोगों में हृदय स्वास्थ्य के लिए देखभाल के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, एक नई रिपोर्ट के अनुसार हाॅर्मोन थेरिपी हृदय स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है, इसके कई मुद्दों पर ध्यान दिया गया है। अमेरिकन हार्ट ऑर्गनाइजेशन के अनुसार हम पहले से जानते हैं कि सेक्स हॉर्मोन्स कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ के लिए महत्वपूर्ण है। अब हमारे पास ऐसे लोग हैं जो हाय लेवल सेक्स हॉर्मोन्स के संपर्क में है जो कार्डियोवैस्कुलर जोखिम या लाभ से जुड़े हो सकते हैं।

    दर्जनों अध्ययनों की समीक्षा करने के बाद, शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि ट्रांसजेंडर महिलाओं द्वारा ईस्ट्रोजन का उपयोग दिल के दौरे (Heart attack) और इस्केमिक स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हो सकता है। दूसरी ओर, ट्रांसजेंडर पुरुषों द्वारा टेस्टोस्टेरोन के उपयोग से हृदय संबंधी जोखिम में वृद्धि नहीं हुई।

    अध्ययन के शोधकर्ताओं में से एक डॉ पॉल कोनेली ने कहा कि वे निष्कर्ष कुछ अप्रत्याशित थे, क्योंकि ईस्ट्रोजन को सूजन को कम करने और वैस्कुलर सिस्टम पर सुरक्षात्मक प्रभाव डालने के लिए माना जाता है, जबकि टेस्टोस्टेरोन को कुछ नकारात्मक प्रभाव के साथ कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ पर मिक्सड के साथ निगेटिव प्रभाव डालने वाला माना जाता है। हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर (Effect of hormone therapy on the heart of transgenders) के चलते ट्रांसजेंडर वयस्कों की हार्ट हेल्थ का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

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    हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स पर ये असर भी होता है (Hormone therapy effects on transgenders)

    हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर पर जो स्टडी की गई उसमें हॉर्मोन थेरिपी का हार्ट पर असर (Effect of hormone therapy on the heart of transgenders) पर ध्यान केन्द्रित किया गया, लेकिन यह भी निष्कर्ष निकाला कि हॉर्मोन थेरिपी बोन मेटाबॉलिज्म और कैंसर के रिस्क को प्रभावित करती है। इसलिए ट्रांसजेंडर लोगों की देखभाल प्रदान करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है। ट्रांसजेंडर रोगियों का इलाज करते समय यह आवश्यक है कि डॉक्टर अच्छी तरह से उन्हें पूरी जानकारी दें और खुले विचारों वाले रहें।

    सबसे महत्वपूर्ण बात ट्रांसजेंडर समुदाय को जागरूक करना है कि हम उपचार तक पहुंच को कम करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सुरक्षित रूप से हॉर्मोन का उपयोग करने और उनके हृदय स्वास्थ्य के लिए किसी भी संभावित जोखिम को कम करने का एक तरीका प्रदान कर रहे हैं। हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर क्यों होता है उसे कैसे कम किया जा सकता है? इस बारे में और अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है।

    हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर (Effect of hormone therapy on the heart of transgenders)

    फेमिनाइजिंग हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर (Effect of Feminizing Hormone Therapy on Transgender Hearts)

    कुछ ट्रांसजेंडर महिलाएं ईस्ट्रोजन लेती हैं जो उन शारीरिक परिवर्तन का कारण बन सकते हैं जो प्यूबर्टी के दौरान महिला सेक्स हार्मोन के कारण होते हैं, जिसमें स्तन विकास भी शामिल है। जो ट्रांसजेंडर महिलाएं मेल प्यूबर्टी शुरू होने से पहले ईस्ट्रोजन लेती हैं, वे पुरुष यौन विशेषताओं जैसे भारी आवाज और सीने के बालों के विकास को सीमित या टालने में सक्षम हो सकती हैं।

    ट्रांसजेंडर महिलाओं के लिए, ईस्ट्रोजन लेने से पुरुष सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन कम हो सकता है और महिला सेक्स विशेषताओं के विकास को बढ़ावा मिल सकता है। वे शरीर में टेस्टोस्टेरोन के कार्यों को अवरुद्ध करने के लिए दवा भी ले सकती हैं, जो पुरुष यौन विशेषताओं के विकास को रोकने में मदद करता है।

    इस हॉर्मोन थेरिपी के कई फायदे हैं जैसे मेंटल हेल्थ में सुधार, सोशल फंक्शनिंग और क्वालिटी ऑफ लाइफ, लेकिन ट्रांसजेंडर महिलाएं जो हॉर्मोन थेरिपी लेती हैं उनमें कई प्रकार की हार्ट से रिलेटेड कंडिशन्स का रिस्क बढ़ जाता है। जिसमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक, हाय ब्लड प्रेशर, हाय ग्लिसराइड्स, टाइप 2 डायबिटीज और वेन्स और लंग्स में क्लॉट्स शामिल हैं। इस प्रकार माना जा सकता है कि हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर (Effect of hormone therapy on the heart of transgenders) होता है।

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    फेमिनाइजिंग हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर को लेकर क्या कहती है स्टडी?

    यूरोपियन हार्ट जर्नल में नए पेपर के अनुसार, डॉक्टरों ने ईस्ट्रोजन के एक वर्जन – ओरल एथिनिलोएस्ट्राडियोल का उपयोग करना बंद कर दिया – क्योंकि 1990 के दशक के अंत में सामने आए अध्ययनों से पता चला है कि यह हॉर्मोन नसों या फेफड़ों में खतरनाक थक्कों के जोखिम में 20 गुना वृद्धि के साथ जुड़ा था। जिसे थ्रोम्बेम्बोलाइज्म (Thromboembolism) कहा जाता है।

    हाल के वर्षों में, ट्रांसजेंडर महिलाओं के लिए ईस्ट्रोजन का पसंदीदा रूप एस्ट्राडियोल रहा है, महिला सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजन का एक संस्करण जिसका उपयोग सिजेंडर (Cisgender) महिलाओं द्वारा कुछ रजोनिवृत्ति के लक्षणों (Menopause symptoms) के इलाज के लिए भी किया जाता है। ट्रांसजेंडर महिलाओं, जिनकी उम्र 40 से अधिक है, को इस हॉर्मोन के मौखिक रूपों से जुड़े थक्कों के ऊंचे जोखिम से बचने के लिए स्किन क्रीम और एस्ट्राडियोल के अन्य वजर्न का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।

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    मैस्क्युलिनिजिंग हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर (Effects of Masculinizing Hormone Therapy on Transgender Hearts)

    इस थेरिपी का उपयोग फैमिनाइन विशेषताओं को कम करने और मेल सेकेंड्री विशेषताओं को उभारने के लिए किया जाता है। ट्रांसजेंडर्स को इस थेरिपी में टेस्टेस्टेरॉन हॉर्मोन दिया जाता है। यह थेरिपी लंबे समय तक जारी रह सकती है। इसके जोखिम, परिणामों और सीमाओं के बारे में थेरिपी शुरू करने से पहले बताया जाना चाहिए। टेस्टेस्टोरॉन थेरिपी के साथ गर्भावस्था संभंव नहीं है। वही यह एरिथ्रोसाइटोसिस, स्लीप एपनिया और कंजेस्टिव हार्ट फेलियर को बढ़ा सकती है। मैस्क्युलिनिजिंग हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर डाल सकती है।

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    हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर (Hormone therapy effects in transgender's heart)

    हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के हार्ट पर असर :  क्या कहती है स्टडी?

    ट्रांसजेंडर पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन थेरेपी और कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के जोखिम के संबंध में वर्तमान साक्ष्य विवादास्पद हैं। कई अध्ययनों से पता चला है कि कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के सरोगेट जोखिम कारकों पर टेस्टोस्टेरोन थेरेपी के नकारात्मक प्रभावों के बावजूद, ये कार्डियोवैस्कुलर परिणामों पर महत्वपूर्ण प्रभाव में तब्दील नहीं होते हैं।

    औसतन 10 वर्षों के दौरान टेस्टोस्टेरोन थेरेपी पर 50 ट्रांसजेंडर पुरुषों का क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन, किसी ने भी मायोकार्डियल इंफ्रेक्शन (Myocardial infarction), स्ट्रोक या डीप वेनस थ्रॉम्बोसिस का अनुभव नहीं किया था। इसी तरह के केस-कंट्रोल अध्ययन में, औसतन 7.4 वर्षों के लिए टेस्टोस्टेरोन थेरेपी पर 138 ट्रांसजेंडर पुरुषों ने कम वैस्कुलर रोगो की संख्या दिखाई। ट्रांसजेंडर पुरुषों में, सिजेंडर महिलाओं की तुलना में हार्ट अटैक अधिक थे, लेकिन सिजेंडर पुरुषों की तुलना में कोई अंतर नहीं था। वहीं कुछ अध्ययनों में टेस्टेस्टेरॉन थेरिपी और हार्ट अटैक के मामलों में सबंध भी बताया गया है, लेकिन इस विषय पर अधिक अध्ययन करने की आवश्यकता है।

    हॉर्मोन थेरिपी का हार्ट पर असर हो सकता है, लेकिन कुछ बेसिक बातों को ध्यान रखकर हम हार्ट डिजीज के खतरों को कम कर सकते हैं। जिसमें वेट मैनेजमेंट, हेल्दी डायट को अपनाना और रूटीन में फिजिकल एक्टिविटीज को शामिल करना है जो ट्रांसजेंडर्स में कम देखी जाती हैं।

    उम्मीद करते हैं कि आपको हॉर्मोन थेरिपी का ट्रांसजेंडर्स के स्वास्थ्य पर असर (Hormone therapy effects in transgender’s Health) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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