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सिर्फ दिल की बातें न सुनें, दिल का ख्याल भी रखें!

सिर्फ दिल की बातें न सुनें, दिल का ख्याल भी रखें!

आप क्या अपने दिल (Heart) की बात सुनते हैं ? अगर हां, तो आपको इसका ख्याल भी रखना पड़ेगा। हम ये बात आपसे इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पूरी दुनिया में दिल की बीमारी (Heart problems) के कारण सबसे ज्यादा लोगों की मौत होती है। आप को जानकर हैरानी हो सकती है कि जिस बीमारी के कारण सबसे ज्यादा लोग मरते हैं, उस बीमारी से बचाव बहुत आसानी से किया जा सकता है। हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स की मदद से अगर आप अपनी लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव कर लें, तो आप हार्ट डिजीज से बच सकते हैं। अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण हार्ट डिजीज होती हैं। अगर इन्हें सुधार लिया जाए, तो हार्ट को हेल्दी (Healthy Heart) बनाया जा सकता है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको हेल्दी हार्ट के बारे में जानकारी (Healthy Heart Tips) देने जा रहे हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको ये आर्टिकल जरूर पसंद आएगा। आइए जानते हैं हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स के बारे में।

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हेल्दी हार्ट किसे कह सकते हैं? (What is healthy heart?)

हेल्दी हार्ट (Healthy Heart) से मतलब स्वस्थ्य दिल से है, जो अपना काम सुचारू रूप से कर सके। हृदय यानी हार्ट शरीर का महत्वपूर्ण ऑर्गन है। हार्ट चेस्ट के बीच (थोड़ा लेफ्ट की ओर) उपस्थित होता है। मनुष्य का दिल एक मिनट में करीब 60 से 90 बार धड़कता है। ये ब्लड को पंप करने का काम करता है। हार्ट शरीर में रक्त पहुंचाने का काम करता है। हार्ट में शरीर के विभिन्न भागों से ब्लड पहुंचता है और फिर ये वापस ब्लड को ऑर्गन तक पहुंचाता है। इस प्रक्रिया के दौरान हार्ट में सिस्टोल और डायस्टोल की प्रोसेस होती है। यानी हार्ट सिकुड़ता है और फिर शिथिल हो जाता है। हार्ट पेरिकार्डियम से घिरा होता है, जिसमे पेरीकार्डियल फ्लूइड भरा होता है। पेरीकार्डियम हार्ट को घेरे रखता है। ये हार्ट को सुरक्षित रखने का काम करता है।

जब तक हार्ट सही तरह से अपना काम करता है और किसी तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है, तो आप मान सकते हैं कि आपका हार्ट हेल्दी (Healthy Heart) है। दिल की बीमारियों (Heart Problems) को पहले अधिक उम्र में होने वाली बीमारियों के रूप में जाना जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। दिल की बीमारियां कम उम्र में भी हो सकती हैं। दिल के दौरे पड़ना (Heart attack),  हार्ट फेल (Heart failure) हो जाना जीवन को खत्म कर सकता है। अगर आपको दिल की बीमारी नहीं है, तो तुरंत सचेत हो जाएं। हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स की मदद से हेल्दी हार्ट के लिए आज से ही प्रयास करना शुरू कर दें ताकि आपको किसी बड़ी परेशानी का सामना न करना पड़े।

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कैसे शुरू होती है हार्ट प्रॉब्लम्स (Heart Problems)?

दिल से जुड़ी समस्याओं का पता अचानक से नहीं चलता है। शरीर में एक नहीं बल्कि बहुत-सी कंडीशन हार्ट डिजीज (Heart disease) का कारण बन सकती है। डिफरेंट कंडीशन हार्ट को हार्म पहुंचाती हैं और हार्ट डिजीज का कारण बनती हैं। अगर आपका खानपान सही नहीं है और आप लंबे समय से अनहेल्दी फूड खा रहे हैं, तो ये भी हार्ट डिजीज (Heart disease) का कारण बन सकता है। एक्सरसाइज न करना भी हार्ट डिजीज का कारण बन सकता है। बुरी आदतें जैसे कि स्मोकिंग, शराब का सेवन आदि भी हार्ट डिजीज का कारण बन सकता है। जब कोरोनरी आर्टरीज किन्हीं कारणों से ब्लॉक हो जाती है, तो हार्ट संबंधी समस्याएं शुरू हो जाती है। इस कारण से हार्ट अटैक भी हो सकता है। जब हार्ट में ठीक से ब्लड सप्लाई (Blood supply in heart) नहीं हो पाता है, तो एक साथ कई समस्याएं होने लगती हैं। किन्हीं कारणों से अगर बीपी हाय रहता है, तो ये भी हार्ट डिजीज का कारण बन सकता है। जानिए कौन-सी बीमारियां हार्ट प्रॉब्लम्स का कारण बनती हैं।

ये बीमारियां बनती हैं हार्ट प्रॉब्लम्स की वजह (Causes of Heart Problems)

हायपरटेंशन (Hypertension)

हायपरटेंशिव हार्ट डिजीज ( Hypertensive heart disease) हाई ब्लड प्रेशर के कारण होती है। जब अधिक प्रेशर में हार्ट काम करता है, तो कुछ डिफरेंट हार्ट डिसऑर्डर हो जाते हैं। इस कारण से हार्ट फेल होना, हार्ट मसल्स का थिक होना (thickening of the heart muscle), कोरोनरी आर्टरी डिजीज (coronary artery disease) आदि समस्या हो सकती है। ऐसे में हार्ट बीट एब्नॉर्मल (arrhythmia) हो जाती हैं और हार्ट फेल होने का खतरा भी बढ़ जाता है। वहीं सडन कार्डिअक अरेस्ट ( sudden cardiac arrest) का खतरा भी बढ़ जाता है। हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स की मदद से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल कर सकते हैं।

हार्ट डिजीज (Heart disease)

हार्ट डिजीज में उन कंडीशन को शामिल किया जाता है, जो हार्ट को प्रभावित करती हैं। इसमे ब्लड वैसल्स डिजीज (vessel diseases) जैसे कि कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हार्ट रिदम प्रॉब्लम (arrhythmias), जन्म के साथ होने वाली हार्ट डिजीज (congenital heart defects) शामिल है। वहीं कॉर्डियोवस्कुल डिजीज ब्लॉक वैसल्स से जुड़ी डिजीज है, जिसके कारण हार्ट अटैक, चेस्ट पेन या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। कुछ हार्ट कंडीशन के कारण हार्ट मसल्स, वाल्व और हार्ट रिदम प्रभावित होते हैं, जो हार्ट डिजीज का कारण बनते हैं। हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स हार्ट डिजीज को कम कर सकती हैं।

हार्ट इंफेक्शन (Heart infection)

हार्ट इन्फेक्शन (Heart infection) होने के कई कारण हो सकते हैं। हार्ट के बाहरी भाग में दो लेयर वाली एक थैली होती है, जिसमे फ्लूड भरा होता है। इसे पेरिकार्डियम (Pericardium) कहते हैं। ये हार्ट को इन्फेक्शन से बचाने का काम करती है। जब इन लेयर्स में स्वैलिंग आ जाती है, तो चेस्ट पेन यानी सीने में दर्द की समस्या होने लगती है। इस सूजन को पेरिकार्डिटिस कहते हैं। पेरिकार्डिटिस (Pericarditis) की समस्या होने पर हार्ट अटैक जैसा महसूस हो सकता है। वहीं दिल की मांसपेशियों में सूजन आने पर मायोकार्डिआटिस (Myocarditis) की समस्या हो जाती है। ऐसा इन्फेक्शन के कारण होता है। हार्ट इन्फेक्शन (Heart infection) होने से मसल्स को हार्म पहुंचता है और पेशेंट को चक्कर आने की समस्या, हार्ट अटैक या फिर ब्रीथिंग प्रॉब्लम हो सकती है।

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कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol)

आपने गुड कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) और बैड कोलेस्ट्रॉल के बारे में जरूर सुना होगा। शरीर के लिए कोलेस्ट्रॉल जरूरी होता है, लेकिन बैड कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। कोलेस्ट्रॉल से मतलब वसा यानी फैट से है। ये लिवर की सहायता से बनाया जाता है। अगर कोई व्यक्ति अपनी डायट में कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा लेता है, तो शरीर में इसके दुष्प्रभाव दिखते है। कोलेस्ट्रॉल हार्ट के लिए हेल्दी नहीं होता है। ज्यादा कोलेस्ट्रॉल धमनियों की दीवारों में जम जाता है और ब्लॉकेज का कारण बनता है। यह  ब्लड फ्लो को कम करने का काम करता है। इस कारण से दिमाग और किडनी के साथ ही शरीर के अन्य भागों में खून का फ्लो (Blood Flow) नहीं हो पाता है। हाई बीपी वाले पेशेंट को अधिक सावधानी रखने की आवश्यकता होती है।

हार्ट फेल्योर (Heart failure)

हार्ट फेल्युअर (Heart failure) कॉन्जेस्टिव हार्ट फेलियर (congestive heart failure) के नाम से भी जाना जाता है। जब हार्ट मसल्स ब्लड को सही तरह से पम्प नहीं कर पाती हैं, तो हार्ट फेल्युअर की स्थिति पैदा हो जाती है। कुछ कंडीशन जैसे कि हार्ट में नैरो आर्टरी यानी की कोरोनरी हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर के कारण हार्ट को पंपिंग करने में समस्या होती है। इस कारण से हार्ट कमजोर पड़ जाता है और अपना काम ठीक तरह से नहीं कर पाता है। हार्ट अटैक जानलेवा हो सकता है।

कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease)

कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease) की समस्या के दौरान हार्ट तक ब्लड, ऑक्सिजन और न्यूट्रीएंट्स सही मात्रा में नहीं पहुंच पाते हैं। ये समस्या बैड कोलेस्ट्रॉल के सेवन से हो सकती है। कोरोनरी आर्टरी के ब्लॉक होने से ब्लड फ्लो ठीक से नहीं हो पाता है, जो कि चेस्ट पेन या एंजाइना का कारण बनता है।

हार्ट एरिथिमिया (Heart arrhythmia)

हार्ट रिदम डिसऑर्डर को हार्ट एरिथिमिया (Heart arrhythmia) के नाम से भी जाना जाता है। जब हार्ट बीट बहुत तेजी से चलने लगती है या बहुत धीमी भी हो जाती है, तो इसे ही हार्ट रिदम डिसऑर्डर कहते हैं। हार्ट एरिथिमिया के कारण दिल की धड़कन सामान्य रूप से नहीं चल पाती है। एडम स्ट्रोक डिसीज में हार्ट ब्लॉक की संभावना बढ़ जाती है। हार्ट रिदम में परिवर्तन टेम्प्रेचर की कमी, चिंता, तनाव आदि के कारण हो सकता है। अगर आपके साथ ऐसा है, तो डॉक्टर से चेकअप जरूर कराएं।

कॉन्जेनाइटल हार्ट डिजीज (Congenital Heart Disease)

कंजनाइटल हार्ट डिजीज (CHD) हार्ट स्ट्रक्चर का डिफेक्ट होता है। ये एक प्रकार का बर्थ डिफेक्ट है। ऐसा बर्थ डिफेक्ट 1000 बच्चों में से 8 बच्चों को होता है। इस डिफेक्ट के कारण लंग्स को अधिक मात्रा में ब्लड पहुंच सकता है, जो शरीर में अधिक प्रेशर उत्पन्न करता है। ऐसे में हार्ट मसल्स कमजोर हो जाती हैं। कंजनाइटल हार्ट डिजीज (Congenital Heart Disease) की समस्या से पीड़ित बच्चों को एक साल के भीतर ही सर्जरी की आवश्यकता होती है। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो सीरियस हेल्थ प्रॉब्लम हो सकती है।

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हार्ट वॉल्व (Heart valve)

हार्ट वाल्व वन-वे वाल्व होते हैं, जो कि ब्लड फ्लो को हार्ट की सहायता से एक डायरेक्शन में ले जाने का काम करते हैं। हार्ट में चार वाल्व होते हैं। डिफरेंट ब्लड प्रेशर में हार्ट वाल्व खुलते और बंद होते हैं। हार्ट वाल्व में किसी प्रकार की खराबी आने पर लीकी वॉल्क ( valve incompetence or regurgitation or a leaky valve ) की समस्या हो जाती है। ऐसे में हार्ट को एक्सट्रा काम करना पड़ता है।

कार्डियोपैथी (Cardiopathy)

कार्डियोपैथी (Cardiopathy) हार्ट मसल्स की डिजीज है।कार्डियोपैथी डिजीज में हार्ट मसल्स इंलार्ज्ड, थिक हो जाती है। साथ ही हार्ट टिशू में घाव भी दिखने लगता है। इस कारण से हार्ट इंफ्लमेशन भी होता है। सही समय पर अगर पेशेंट को ट्रीटमेंट मिल जाए तो स्थिति में सुधार किया जा सकता है।

हार्ट से संबंधित अधिक जानकारी के लिए देखें ये वीडियो –

कार्डियोवैस्क्युलर इशू (Cardiovascular issue)

कार्डियोवैस्क्युलर इशू हार्ट डिजीज से संबंधित है। इस कंडीशन में मसल्स नैरो या फिर ब्लड वैसल्स ब्लाक होने की समस्या हो जाती है। इस कारण से हार्ट अटैक आ सकता है। डॉक्टर इस कंडीशन में सर्जरी की सलाह भी दे सकते हैं।

एथेरोस्केलेरोसिस (Atherosclerosis)

आर्टिरी वॉल में कोलेस्ट्रॉल, फैट या फिर अन्य किसी पदार्थ की लेयर बनने को एथेरोस्केलेरोसिस के नाम से जाना जाता है। इस कंडीशन या स्थिति में ब्लड फ्लो बाधित होता है। हेल्दी लाइफस्टाइल के जरिए इस डिजीज से बचा जा सकता है।

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महिलाओं और पुरुषों में हार्ट की तकलीफ कैसे अलग हो सकती है?

स्वीटजरलैंड में हुए एक रिसर्च के अनुसार महिलाओं में हार्ट अटैक पुरुषों की तुलना में 37 गुना ज्यादा देर तक रहता है। अब आप सोच रहे हैं कि इस बात क्या मतलब है? हम आपको बताते चले कि महिलाओं और पुरुषों में होने वाले हार्ट अटैक (heart attack) में कुछ अंतर होता है। हार्ट अटैक के दौरान सीने में दर्द का एहसास होता है। दिल का दौरा पड़ने पर पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में कुछ अलग लक्षण दिख सकते हैं। पुरुषों को सीने में तेज दर्द का एहसास होता है जबकि महिलाओं को सीने में दर्द का हल्का एहसास होता है। इसी के आधार पर पुरुषों और महिलाओं में हार्ट अटैक अलग हो सकता है।

पुरुषों में होने वाली हार्ट डिजीज (Heart Disease in men)

कोरोनरी आर्टरी में अचानक से कोलेस्ट्रॉल जमने के कारण हार्ट अटैक की स्थिति पैदा हो जाती है।  पुरुषों में होने वाली दिल की बीमारियों में प्रमुख रूप से हार्ट फेल होना, कोरोनरी हार्ट डिजीज, एरिथिमिया, एंजाइना, हार्ट इन्फेक्शन आदि हैं। पुरुषों को हार्ट की बीमारी होने पर निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं।

  • चेस्ट पेन
  • सीने में ऐंठन
  • चक्कर आना
  • पसीना आना
  • गर्दन में जकड़न का एहसास
  • दिल की धड़कना बढ़ना या कम होना
  • डायजेशन में समस्या
  • ब्रीथिंग प्रॉब्लम

महिलाओं में होनेवाली हार्ट डिजीज (Heart Disease in women)

महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा दिल का दौरा स्मॉल और नॉनफेटल होता है। हार्ट फेल, कोरोनरी हार्ट डिजीज, एरिथिमिया, एंजाइना, हार्ट इन्फेक्शन आदि महिलाओं को भी दिल संबंधी बीमारियां होती हैं। हाय कोलेस्ट्रॉल, हाय बीपी, मोटापा, डायबिटीज, मेंटल स्ट्रेस, मोनोपॉज, प्रेग्नेंसी कॉम्प्लीकेशन, इंफ्लामेट्री डिजीज आदि कारणों से महिलाओं में हार्ट डिजीज की संभावना बढ़ जाती है।

जन्म से होनेवाली हार्ट की समस्याएं (Heart Disease by birth)

जन्म के साथ होने वाली हार्ट डिजीज में कंजेनिटल हार्ट डिफेक्ट (congenital heart defects) शामिल है। इस कारण से ब्लड फ्लो हार्ट से सही तरह से नहीं हो पाता है। जन्म से होने वाली हार्ट डिजीज के लक्षण पहले नहीं दिखते हैं बल्कि एडल्ट होने पर दिखाई पड़ते हैं। ऐसा क्यों होता है, इस बारे में अधिक जानकारी नहीं है। ऐसा माना जाता है कि अनुवांशिकी इसका कारण हो सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान एल्कोहॉल सेवन भी जन्म से होने वाली हार्ट की समस्याओं का मुख्य कारण बन सकता है।

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क्या हर हार्ट डिजीज के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है? (Surgery for heart disease)

हीरानंदानी हॉस्पिटल, वाशी ए फोर्टिस नेटवर्क हॉस्पिटल, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के निदेशक डॉ. बृजेश कुंवर के अनुसार, ” सभी हार्ट डिजीज को सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है। सबसे पहले पेशेंट की कंडीशन को जांचने के लिए क्लीनिकल और रेडियोलॉजिकल इंवेस्टिगेशन किया जाता है। अगर पेशेंट की हालत सीरियस है और मेडिसिन्स या थेरिपी की हेल्प से ठीक नहीं हो सकती है, तो पेशेंट को सर्जरी की जरूरत पड़ती है। सर्जरी के जोखिम और लाभों दोनों को जांचने के बाद पेशेंट को विशेषज्ञ द्वारा सही सलाह दी जानी चाहिए।” जानिए बिना ओपन हार्ट सर्जरी के ब्लॉकेज से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है ?

बिना सर्जरी के कैसे हार्ट की तकलीफ से छुटकारा मिल सकता है?

बिना सर्जरी के भी हार्ट ट्रीटमेंट (Heart Treatment) किया जा सकता है। कोरोनरी एंजियोप्लास्टी की सहायता से ब्लॉक्ड आर्टरी में सुधार किया जाता है। ऐसा करने से ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है। इस प्रोसेस में छोटी सी इन्फ्लेक्टेबल गुब्बारे के साथ एक छोटी ट्यूब को धमनी के अंदर की ओर डाला जाता है। धमनी के ब्लॉकेज को खोलने के लिए बलून यानी गुब्बारे को फुलाया जाता है। ऐसे में स्टेंट का यूज भी किया जा सकता है। हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स भी हैं जिन्हें फॉलो किया जा सकता है।

हार्ट प्रॉब्लम्स के लिए कौन से अन्य इलाज अपनाए जा सकते हैं?

हार्ट प्रॉब्लम्स से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेद तरीके भी अपनाएं जा सकते हैं। हार्ट अटैक की समस्या महिलाओं और पुरुषों में कॉमन है। अगर आप बेहतर लाइफस्टाइल के साथ ही दी गई बातों पर गौर करेंगे, तो आपको हार्ट की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। जिन्हें हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स भी कह सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, खाने में नमक, रेड मीट, सैचुरेटेड फैट के साथ ही स्वीट का कम मात्रा में सेवन करना चाहिए। अगर संतुलित आहार लिया जाए, वजन को कंट्रोल में रखा जाए और साथ ही मेडिटेशन का सहारा लिया जाए, तो हार्ट डिजीज को कंट्रोल किया जा सकता है। आप खाने में इलायची, लहसुन, मुलेठी, अश्वगंधा,अर्जुन की छाल आदि को जरूर शामिल करें। आयुर्वेद के माध्यम से हार्ट डिजीज कंट्रोल करने की अधिक जानकारी, आप आयुर्वेद से जुड़े डॉक्टर से ले सकते हैं।

हार्ट प्रॉब्लम्स में लाइफस्टाइल का क्या रोल है?

हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स में अच्छी लाइफस्टाइल भी जरूरी है। अच्छी लाइफस्टाइल हार्ट की समस्या को काफी हद तक कंट्रोल कर सकती है। यहां हम आपको लाइफस्टाइल से जुड़ें कुछ मुख्य बिंदू बता रहे हैं जिन्हें हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स भी कह सकते हैं, जो आपकी बहुत सहायता कर सकते हैं।

  • हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स में बैलेंस्ड डायट लेना शुरू करें।
  • हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स में एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
  • हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स में एल्कोहॉल और स्मोकिंग को न कह दें।
  • हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स में खाने में हेल्दी ऑयल यूज करें।
  • हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स, स्ट्रेस या टेंशन को अपने ऊपर हावी न होने दें।
  • हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स में ब्लड शुगर को मेंटेन रखें।
  • हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स में ब्लड प्रेशर की नियमित जांच कराएं।

हार्ट हेल्थ बनाए रखने के लिए सुपरफूड कौन से माने जानते हैं? (Superfood for heart health)

हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स में डायट का ध्यान रखना जरूरी है। दिल को दुरस्त रखने के लिए आपको खाने में ऐसे फूड को शामिल करना होगा, जो आपके दिल को नुकसान न पहुंचाएं। दिल की बीमारी से बचना चाहते हैं तो पहले आपको ये भी जान लेना चाहिए कि आपको किन कारणों से दिल की बीमारी हो सकती है। हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रेस, हाई शुगर आदि के कारण दिल की बीमारी हो सकती है। ऐसे में आपको निम्नलिखित फूड शामिल करने चाहिए।

हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स: हार्ट हेल्थ के लिए फल

खाने में हाई फाइबर फूड को शामिल करें। आप , चिया सीड्स, केले, बेरी,चिया पुडिंग, ककड़ी, एवोकैडो जैसे खाद्य पदार्थ को खाने में शामिल कर सकती हैं। फलों में पर्याप्त मात्रा में फाइबर और विटामिन होता है। आप फलों को डायट में रोजाना शामिल करें।

हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स:  हार्ट हेल्थ के लिए अनाज

आपको अनाज में गेहूं, ब्राउन राइस, जई, राई, जौ आदि को खाने में शामिल करना चाहिए। अनाज में अधिक फाइबर होता है, जो शरीर से बेड कोलेस्ट्रॉल को कम करने का काम करता है। अगर आप डायट में अनाज को शामिल करती हैं, तो करीब 22 % तक हार्ट डिजीज का खतरा कम हो जाता है।

हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स: हार्ट हेल्थ के लिए मसाले

आप हार्ट हेल्थ के लिए मसालों के रूप में दालचीनी का सेवन कर सकते हैं। दालचीनी कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर को कम करने का काम करती है। वहीं चिलि पेपर हार्ट अटैक के खतरे को कम करने का काम करती है। साथ ही हल्दी, गार्लिक भी दिल की सेहत के लिए बहुत उपयोगी है। गार्लिक ब्लड प्रेशर को कम करने का काम करती है।

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हार्ट प्रॉब्लम में कौन से फूड आयटम्स से करें तौबा? (Foods to avoid during Heart problems)

अच्छी हार्ट हेल्थ के लिए आपको खाने में कम ही ऑयल का यूज करना चाहिए। जो ऑयल गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का काम करते हैं, उन्हीं ऑयल को यूज करना चाहिए। आप बाहर के खाने, पैक्ड फूड या प्रोसेस्ड फूड को अवॉयड कर सकते हैं।

हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स: कौन से ऑयल हानिकारक होते हैं और किन ऑयल्स का सेवन करना चाहिए?

बटर कोकोनट ऑयल और हाइड्रोजेनेटेड ऑयल हार्ट के लिए अच्छा नहीं होता है। इनमे सैचुरेटेड फैट होता है और साथ ही एलडीएल(LDL) कोलेस्ट्रॉल होता है। ऐसे में ये बेड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का काम करता है। वहीं ऑलिव ऑयल में एचडीएल(HDL) कोलेस्ट्रॉल होता है, जो कि गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का काम करता है। बेहतर होगा कि आप अच्छी हार्ट हेल्थ के लिए कम तेल का इस्तेमाल करें। आप खाने में सरसों का तेल भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ऑप्शन के तौर पर सनफ्लावर ऑयल भी यूज किया जा सकता है।

डेयरी प्रोडक्ट का हार्ट प्रॉब्लम में क्या रोल है? क्या इनका सेवन करना चाहिए?

डेयरी प्रोडक्ट कार्डियोवस्कुलर डिजीज (cardiovascular disease) का खतरा कम करते हैं। डेयरी प्रोडक्ट में अमीनो एसिड, अनसैचुरेटेड फैट, विटामिन K-1 और K-2, कैल्शियम और प्रोबायोटिक्स होते हैं। ये हार्ट हेल्थ के लिए अच्छा होता है। आप दूध, योगर्ट, पनीर, दही आदि का सीमित सेवन रोजाना करें। यह भी हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स है।

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हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स : हेल्दी हार्ट के लिए एक्सरसाइज (Healthy heart exercise)

जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुका हैं कि अच्छी हार्ट हेल्थ के लिए एक्सरसाइज बहुत जरूरी है। साथ ही योगा शरीर को रिलेक्स देने का काम करता है और स्ट्रेस को दूर करता है। हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स के तौर पर आप व्यायाम को रोजाना जरूर करें। जानिए हेल्दी हार्ट के लिए क्या करना चाहिए ?

हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स: कौन सी एक्सरसाइज दिल के मरीजों को करनी चाहिए?

दिल के मरीजों को एरोबिक्स एक्सरसाइज या कार्डियो एक्सरसाइज की सलाह दी जाती है। रोजाना कम से कम आधे घंटे की एक्सरसाइज करने से दिल की बीमारियों का खतरा कम किया जा सकता है। साथ स्ट्रेंथ वर्क पर भी काम किया जा सकता है। ये शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का काम करता है।

हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स:  किन एक्सरसाइज को नहीं करना चाहिए?

अगर हार्ट पेशेंट किसी भी एक्सरसाइज को ज्यादा करता है, तो दिल को खतरा बढ़ सकता है। किसी प्रकार की बीमारी न होने पर एक्सरसाइज को तय समय के अनुसार किया जा सकता है। वहीं बीमार व्यक्ति को अधिक एक्सरसाइज की सलाह नहीं दी जाती है। अधिक उम्र के लोगों को बेंच प्रेस, लेग प्रेस, लॉन्ग डिस्टेंस रनिंग, डेडलिफ्ट को इग्नोर करना चाहिए।

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योग हार्ट डिजीज में कितना कारगर है? (Yoga in Heart Disease)

हार्ट हेल्थ टिप्स के रूप में योग को जरूर अपनाना चाहिए। अंजली योगा, वीरभद्रआसन, सेतु बंधासन, त्रिकोणासन आदि अच्छी हेल्थ के लिए किए जा सकते हैं। हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स में इसे भी याद रखें। अगर आपको योग करने के दौरान किसी तरह की परेशानी हो रही है, तो बेहतर होगा कि आप एक्सपर्ट से इस बारे में राय जरूर लें।

हार्ट के मरीजों के लिए कौन से टेस्ट डॉक्टर द्वारा करवाए जाते हैं? (Tests for Heart disease)

स्वस्थ्य ह्रदय के लिए आपको समय-समय पर टेस्ट जरूर कराने चाहिए। हार्ट पेशेंट के लिए डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट की सलाह दे सकता है।

  • एंजियोग्राम
  • कोरोनरी एंजियोग्राम
  • ब्लड टेस्ट
  • ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग
  • चेस्ट एक्स-रे
  • इकोकार्डियोग्राम
  • इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी)
  • इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी स्टडी
  • एमआरआई
  • स्ट्रेस टेस्ट

हार्ट के मरीजों को मेडिसिन से जुड़ी कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए?

हार्ट पेशेंट के लिए दवा का समय पर सेवन करना बहुत जरूरी है। अगर पेशेंट को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है बिना भूलें रोजाना दवा का सेवन करना चाहिए। हार्ट पेशेंट को डॉक्टर ने, जो भी दवा लेनी की सलाह दी हो, उसमे लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। अगर सर्जरी हो चुकी है, तो रोजाना समय पर दवाओं को जरूर लें। ऐसा करने से आपके घाव जल्दी सही होंगे और दर्द से भी राहत मिलेगी। आपको दवाओं का सेवन करते समय क्या सावधानी रखनी चाहिए, बेहतर होगा कि आप इस बारे में डॉक्टर से राय लें।

‘हार्ट की समस्या यानी जिंदगी खत्म’ ऐसा नहीं है। सही इलाज से और अच्छी लाइफस्टाइल से इस तकलीफ से उबरा जा सकता है। अगर कम उम्र से ही अच्छी हेल्थ की ओर जोर दिया जाए, तो दिल की बीमारियों से दूर रहा जा सकता है। अगर हेल्दी हार्ट के लिए टिप्स से संबंधित किसी भी जानकारी की आवश्यकता है, तो बेहतर होगा कि आप अपने डॉक्टर से इस बारे में जानकारी जरूर प्राप्त करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

28/07/2022

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Bhawana Awasthi


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Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 28/07/2022

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