जब हाय कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) के बारे में बात की जाती है, तो अक्सर लोग सोचते हैं कि कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना अनहेल्दी डायट (Unhealthy diet) और कम फिजिकल एक्टिविटी के कारण होता है, लेकिन ऐसा नहीं है एक और फैक्टर है जो कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने के लिए जिम्मेदार है वह नींद। जी , हां नींद और कोलेस्ट्रॉल (Sleep and Cholesterol) भी आपस में जुड़े हुए हैं। नींद की कमी कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बढ़ाने का काम करती है। जिससे हार्ट डिजीज (Heart disease) का खतरा बढ़ जाता है। नींद का कम होना या ज्यादा होना दोनों ही परेशानी का कारण बनते हैं। इस असंतुलन से कोलेस्ट्रॉल, ट्रायग्लिसरसाइड (triglyceride) और ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) कर लेवल बढ़ जाता है। इस आर्टिकल में जानिए नींद और कोलेस्ट्रॉल (Sleep and Cholesterol) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी।
कोलेस्ट्रॉल क्या है? (Cholesterol)
जब भी हम कोलेस्ट्रॉल शब्द सुनते हैं, तो हमारे मन में ख्याल आता है कि यह बुरा होता है। हालांकि, कोलेस्ट्रॉल हमेशा बुरा नहीं होता। कोलेस्ट्रॉल बॉडी की विटामिन डी (Vitamin D) को प्रोड्यूस करने, कुछ हॉर्मोन के निमार्ण यहां तक कि सेल मेम्ब्रेन्स (Cell membranes) के निमार्ण में मदद करता है। कोलेस्ट्रॉल अलग-अलग प्रकार का होता है। लो डेंसिटी लिपाप्रोटीन या एलडीएल (Low-density lipoprotein) (LDL) कोलेस्ट्रॉल का एक प्रकार है जो कि स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। इसमें प्रोटीन की जगह फैट ज्यादा होता है। फैट की अधिक मात्रा इकठ्ठा होकर आर्टरीज में लिपिड प्लाक का निमार्ण कर सकती है जो कि हार्ट डिजीज (Heart Disease) का कारण बनता है।
वहीं हाय डेंसिटी लिपोप्रोटीन (High-density lipoprotein) (HDL) कोलेस्ट्रॉल में अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को सोखने का पावर होता है। यह पहले शरीर को आवश्यक चीजें पहुंचाता है और फिर उन चीजों को क्लीन करता है जो बिल्ड अप का कारण बनती हैं। कोलेस्ट्रॉल से पूरी तरह बचने के बजाय, आपको यह जानना होगा कि अपने आहार में सही प्रकार के कोलेस्ट्रॉल को कैसे शामिल करें और कोलेस्ट्रॉल के नंबर को कैसे नियंत्रित करें?
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नींद और कोलेस्ट्रॉल (Sleep and Cholesterol) के संबंध को लेकर क्या कहती हैं स्टडीज
एनसीबीआई (NCBI) में स्टडी के अनुसार नींद और कोलेस्ट्रॉल (Sleep and Cholesterol) एक दूसरे से संबंधित हैं। आप सोच रहे होंगे कि कैसे? तो बता दें रिसचर्स के अनुसार बहुत ज्यादा और बहुत कम सोने का प्रभाव लिपिड के लेवल पर पड़ता है। इस स्टडी में 1666 पुरुष और 2329 महिलाओं को शामिल किया गया था। स्टडी में पाया गया कि 5 घंटे से कम नींद से महिलाओं में हाय ट्राइग्लिसराइड (High triglycerides) और लो एचडीएल (low HDL) का रिस्क बढ़ जाता है। साथ ही 8 घंटे से अधिक सोने से भी समान परिणाम मिलता है। पुरुष ओवरस्लीपिंग के प्रति इतने सेंसटिव नहीं पाए गए थे।
एक और ऐसी ही स्टडी में नींद और कोलेस्ट्रॉल (Sleep and Cholesterol) के कनेक्शन के बारे में बताया गया है। कार्डियोवैस्कुलर नर्सिंग जनरल के अनुसार जो व्यक्ति हर दिन 6 घंटे से कम की नींद लेता है उसमें कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (Cardiovascular disease) के डेवलप होने का रिस्क बहुत बढ़ जाता है। वहीं एनसीबीआई (NCBI) की दूसरी स्टडी के अनुसार 6 घंटे से कम सोने से व्यक्ति की ऐसी चीजों के प्रति भूख अधिक बढ़ जाती है जिनमें कोलेस्ट्रॉल का लेवल हाय होता है। साथ ही कम सोने से फिजिकल एक्टिवटी कम हो जाती हैं और स्ट्रेस का लेवल बढ़ जाता है।
इस स्टडी के अनुसार एक घंटे की अतिरिक्त नींद लेने से इन लोगों के कोलेस्ट्रॉल लेवल में सुधार देखा गया। इस प्रकार हम समझ सकते हैं कि नींद और कोलेस्ट्रॉल (Sleep and Cholesterol) कैसे एक दूसरे से जुड़ें हैं। नींद की मात्रा कम या ज्यादा होने से कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ सकता है।
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असंतुलित नींद (Sleep imbalance) के कारण होने वाली अन्य बीमारियां
बता दें कि नींद सिर्फ दिल की बीमारियों (Heart disease) के लिए ही खतरा नहीं इसकी कमी से कुछ बीमारियां भी हो सकती हैं।
वायरल इंफेक्शन (Viral Infection)
यह सुनने में अजीब लग सकता है कि नींद की कमी से वायरल इंफेक्शन (Viral infection) हो सकता है, लेकिन कुछ वैज्ञानिकों ने इसको प्रूफ कर दिया है। वैज्ञानिकों ने 153 महिलाओं और पुरुषों की स्लीप हैबिट्स को दो हफ्ते तक ट्रैक किया इसके बाद उन्हें पांच दिन के क्वारंटीन करके कोल्ड वायरस से एक्सपोज करवाया। ऐसे लोग जो रात में सात घंटे से कम सोए थे वे 8 घंटे की नींद लेने वाले लोगों की तुलना में तीन गुना ज्यादा बीमार हुए। इससे आप समझ सकते हैं कि नींद और कोलेस्ट्रॉल (Sleep and Cholesterol) ही नहीं नींद और वायरल इंफेक्शन का भी संबंध है।
वजन का बढ़ना (Weight Gain)
नींद कम होने की वजह से वजन भी बढ़ सकता है। कई स्टडीज में यह बात सामने आई है। बच्चों के साथ ऐसा होनी संभावना काफी ज्यादा होती है। नींद की कमी हॉर्मोन्स (Hormones) को डिस्ट्रब कर देती है जो भूख को कंट्रोल करते हैं। जिससे दिन में थकान का एहसास होता है और दिन में एक्सरसाइज करने का मन नहीं करता। इस प्रकार नींद की कमी से वजन बढ़ता है।
डायबिटीज (Diabetes)
डायबिटीज केयर जर्नल के अुनसार इंसोम्निया (insomnia) से पीड़ित लोगों में डायबिटीज टाइप 2 होने का रिस्क होता है। जिन लोगों को एक साल या इससे ज्यादा समय से इंसोम्निया (insomnia) होता है और जो दिन में 5 घंटे से कम सोते हैं उनमें उन व्यक्तियों की तुलना में जो 6 घंटे से ज्यादा सोते हैं टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) होने का रिस्क तीन गुना ज्यादा होता है।
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नींद के अलावा कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने वाले अन्य फैक्टर्स (Apart from sleep, other factors that increase cholesterol)
नींद और कोलेस्ट्रॉल (Sleep and Cholesterol) को लेकर हुईं अनेक स्टडीज में इस बात का पता चला है कि लाइफ स्टाइल चोइस भी हाय कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) का कारण बनती है। खराब स्लीप हैबिट्स के साथ ही लोग ऐसी दूसरे फैक्टर्स से घिरे रहते हैं जो उनके कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का काम करते हैं। जिसमें स्मोकिंग, एक्सरसाइज ना करना, डायट का ख्याल ना रखना, डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब की गई दवाओं को समय पर ना लेना आदि। ये सभी कारक कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का काम करते हैं।
लाइफ स्टाइल में बदलाव (Lifestyle modification)
नींद और कोलेस्ट्रॉल (Sleep and Cholesterol) का कनेक्शन समझने के बाद हेल्दी स्लीप हैबिट्स अपनाकर, तो आप कोलेस्ट्रॉल के लेवल को सुधार ही सकते हैं इसके अलावा भी दूसरी चीजें हैं जिन्हें अपनाकर आप हाय कोलेस्ट्रॉल के खतरे को कम करके हार्ट डिजीज को टाल सकते हैं। जिसमें डायट सबसे महत्वपूर्ण है। कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखने के लिए जरूरी है कि हाय सैचुरेटेड फूड जैसे कि मीट, बटर, चीज और फैट से युक्त डेयरी प्रोडक्ट्स को अवॉइड करना चाहिए। इसके अलावा आपको खाने में ऐसी चीजों को शामिल करना चाहिए जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने में मदद करें जैसे कि नट्स, अवोकाडो, ऑलिव ऑयल और ओट्स।
एक्सरसाइज भी कोलेस्ट्रॉल को कम करने बेहद मददगार है। अमेरिकन हेल्थ एसोसिएशन के अनुसार हफ्ते में 3 से 4 दिन चालीस मिनट की वॉक करनी चाहिए। अगर वॉकिंग पसंद नहीं है तो, साइकलिंग, जॉगिंग, स्विमिंग आदि दूसरी एक्टिविटीज को शामिल करें ताकि बॉडी मूव कर सके और हार्ट पंप।
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इन बातों का रखें ध्यान
- जब भी आपको अपने स्वास्थ्य के बारे में चिंता हो, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
- यदि हाय कोलेस्ट्रॉल रिस्क है, तो ब्लड टेस्ट से इसके बारे में तुरंत पता लग सकता है और डॉक्टर इसे अनुसार ट्रीटमेंट शुरू कर सकता है।
- कभी-कभी जीवनशैली में बदलाव बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को नॉर्मल नंबर पर लाने के लिए पर्याप्त होते हैं।
- यदि आवश्यक होगा तो आपका डॉक्टर आपके कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए स्टेटिन दवाएं भी लिख सकते हैं।
- सोने में परेशानी भी कोलेस्ट्रॉल की वजह है जिसके बारे में आपको डॉक्टर से बता करनी चाहिए।
- यहां तक कि हर रात एक घंटे की अतिरिक्त नींद भी आपके कोलेस्ट्रॉल के नंबरों को बदल सकती है, इसलिए रात को थोड़ा पहले सोने की कोशिश करें।
- सोने से पहले आराम करने के लिए योग और ध्यान जैसी रिलैक्शेसन टेक्निक बहुत अच्छी हैं। इन्हें अपनाएं।
- रात को सोते वक्त मोबाइल या किसी भी इलेक्ट्रिक उपकरण का उपयोग एक घंटे पहले बंद कर दें।
- बैड को साफ रखें इससे अच्छी नींद आती है। बैडशीट को समय समय पर धोते रहें।
- सोने और जागने का एक रूटीन सेट करें। इससे समय पर नींद आने लगती है।
- यदि ये घरेलू तरीके मदद नहीं करते हैं, तो आपका डॉक्टर आपको सही दिशा में डायरेक्ट कर सकता है या संभवतः दवा लिख सकता है।
उम्मीद करते हैं कि आपको नींद और कोलेस्ट्रॉल से (Sleep and Cholesterol) संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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