चिकनपॉक्स (Chickenpox) को हमारे भारतीय समाज में पुराने समय में माता का दर्जा दिया गया था। ये लोगों के मन में एक भ्रांति मात्र था। चिकनपॉक्स एक वायरल बीमारी है, जो एक वायरस के कारण होता है। लेकिन अंधविश्वास के चलते लोग चिकनपॉक्स से ग्रसित व्यक्ति को देवी का दर्जा देने लगते हैं। ऐसे में चिकनपॉक्स से ग्रसित व्यक्ति को स्पेशल केयर करना चाहिए और अन्य लोगों से अलग रखना चाहिए, ना कि पूजना चाहिए। फिलहाल वर्तमान में लोगों में ये भ्रांति कम हुई है और अब लोग इसे एक बीमारी के रूप में देखने लगे हैं। आइए जानते हैं कि चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज आप कैसे कर सकते हैं?
चिकनपॉक्स वेरिसेला के नाम से भी जाना जाता है, जो त्वचा पर दिखाई देने वाली स्वास्थ्य समस्या है। चिकनपॉक्स में पूरे शरीर और चेहरे पर दाने जैसे ब्लिस्टर हो जाते हैं। चिकनपॉक्स वायरस के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्या है। चिकनपॉक्स एक सामान्य हर्पिस वायरस के कारण होता है, जिसे वेरिसेला जोस्टर वायरस कहा जाता है। यह वायरस ज्यादातर बच्चों में होता है और वयस्क होने पर दाद (herpes zoster) का कारण भी बनता है। हर्पिस जोस्टर के कारण होने वाला दाद काफी पेनफुल होता है।
चिकनपॉक्स किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। लेकिन, ज्यादातर 15 साल से कम उम्र के बच्चों को यह बीमारी होती है। इसके अलावा, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, उन्हें यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है जैसे गर्भवती महिला,शिशु, बुजुर्ग आदि। ऐसे में चिकनपॉक्स का वैक्सिनेशन बीमारी को रोकने में मदद करता है।
आयुर्वेद में चिकनपॉक्स को मसुरिका या लघु मसुरिका कहा गया है। ऐसा इसलिए है कि चिकनपॉक्स में शरीर पर निकलने वाले दाने देखने में मसूर दाल की तरह लगते हैं। इसलिए आयुर्वेद में चिकनपॉक्स को मसुरिका कहा जाता है। आयुर्वेद में चिकनपॉक्स के होने के लिए पांच प्रकार के दोषों को जिम्मेदार माना गया है :
उपरोक्त दोषों के होने का कारण शरीर में कफ, पित्त, वात, रक्त का दूषित होना आदि में असंतुलन को माना गया है। चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज भी है जिससे सभी दोषों को संतुलित कर के चिकनपॉक्स को ठीक किया जाता है।
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चिकनपॉक्स के लक्षण आमतौर वायरस के द्वारा संक्रमण के 7 से 21 दिन के बाद दिखाई देते हैं। चिकनपॉक्स में हल्का बुखार, सिर में दर्द, हल्की खांसी, थकान और भूख न लगने जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। दो से तीन दिन बाद शरीर पर खुजली के साथ लाल दाने दिखाई देने लगते हैं। हालांकि, दाने चार से पांच दिनों में सूख जाते हैं। चिकनपॉक्स में कुछ लोगों के शरीर पर 500 से ज्यादा छाले भी हो सकते हैं। यह छाले मुंह, कान और आंखों में भी हो सकते हैं। वहीं, बच्चों में निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
चिकनपॉक्स के लक्षण से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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चिकनपॉक्स होने का कारण एक वायरस है, जिसका नाम वेरिसेला जोस्टर है, ये हर्पिस कैटेगरी का एक वायरस होता है। वेरिसेला जोस्टर एक संक्रामक वायरस है जो एक से दूसरे व्यक्ति में जा कर संक्रमण को फैलाता है।
चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज थेरिपी, जड़ी-बूटी और औषधियों की मदद से किया जाता है :
चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज निम्न कर्म के द्वारा की जाती है :
वमन कर्म (Vaman karma )
चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज वमन कर्म के द्वारा किया जाता है। इसमें चिकनपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति को उल्टी कराई जाती है। जिससे शरीर के दोषों में संतुलन बनता है। चिकनपॉक्स के इलाज में किए जा रहे वमन कर्म में अडूसा, नीम, परवल आदि जड़ी-बूटियों की मदद से उल्टी कराई जाती है। जिससे पेट से विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं और शरीर डिटॉक्स हो जाता है।
लेपन कर्म (Lapen Karma)
लेपन कर्म में चिकनपॉक्स पीड़ित व्यक्ति के शरीर पर किसी पेस्ट के द्वारा की जाने वाली मालिश है। इससे त्वचा पर निकलने वाले दानों में खुजली से आराम मिलता है। क्योंकि चिकनपॉक्स में होने वाली खुजली से त्वचा में जलन होने लगती है। ऐसे में त्वचा को ठंडक पहुंचाना जरूरी होता है। नीम की पत्तियां, ब्राह्मी, मेहंदी की पत्तियों को एक साथ पीस कर पेस्ट बना लें। इसके बाद आपको उसे चिकपॉक्स चिकनपॉक्स से पीड़ित मरीज के शरीर पर इस पेस्ट को लगा कर मसाज करें। मेहंदी और ब्राह्मी की तासीर ठंडी होती है, जिससे खुजली के कारण होने वाले जलन से राहत मिलती है। वहीं, नीम एंटीसेप्टिक का काम करता है और त्वचा पर किसी अन्य तरह के इंफेक्शन को होने से रोकता है।
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चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज निम्न जड़ी बूटियों के द्वारा किया जाता है :
हल्दी (turmeric)
हल्दी को हम दो तरह से इस्तेमाल करते हैं, एक कच्ची हल्दी और एक पकी हल्दी। कच्ची हल्दी, हल्दी की जड़ होती है और पकी हल्दी में हल्दी को पानी में उबाल कर पकाया जाता है और फिर उसे धूप में सुखाया जाता है। चिकनपॉक्स के इलाज के लिए कच्ची हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है। कच्ची हल्दी को पानी की मदद से पीस कर उसे मरीज को एक चम्मच सुबह शाम पिलाएं। इसके अलावा दूध में भी कच्ची हल्दी को पका कर पीने के लिए दे सकते हैं।
गुडुची (Guduchi)
गुडुची एक आयुर्वेदिक ब्लड प्यूरिफायर है, जिसे स्किन प्रॉब्लम में ज्यादातर इस्तेमाल किया जाता है। चिकनपॉक्स में भी स्किन में प्रॉब्लम होती है। ऐसे में चिकनपॉक्स के मरीज को गुडुची का इस्तेमाल करना चाहिए। हालांकि, गुडुची का स्वाद थोड़ा कड़वा होता है, लेकिन इसके पाउडर या अर्क के इस्तेमाल से चिकनपॉक्स से राहत मिलती है।
नीम (Neem)
चिकनपॉक्स में नीम का नाम सबसे पहले आता है। चिकनपॉक्स में ज्यादातर नीम का ही प्रयोग किया जाता है, क्योंकि नीम एक प्राकृतिक एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटीसेप्टिक औषधि है जो ब्लड को प्यूरीफाई भी करता है और चिकनपॉक्स में होने वाली खुजली से राहत देता है। चिकनपॉक्स से ग्रसित मरीज को नहाने के पानी में नीम की पत्तियां मिला कर नहाना चाहिए। वहीं, नीम का पाउडर, काढ़ा, अर्क, तेल आदि रूपों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
मंजिष्ठा ( Manjishtha)
मंजिष्ठा एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जो ब्लड फ्लो को दुरुस्त करती है। चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज में डॉक्टर अक्सर मंजिष्ठा का प्रयोग करते हैं। मंजिष्ठा स्वाद में थोड़ा तीखा होता है और इसे टैबलेट, पाउडर, काढ़े या पेस्ट के रूप में मरीज को दिया जाता है। मंजिष्ठा का प्रयोग हमेशा डॉक्टर के द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार ही करें।
मुलेठी (Mulethi)
मुलेठी कफ और वात विकारों में इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी-बूटी है। चिकनपॉक्स में कुछ लोगों की त्वचा पर बड़े छाले पड़ जाते हैं, ऐसे में मुलेठी उन छालों को सुखाने में मदद करता है। इसके लिए मुलेठी की चाय, काढ़ा या पानी में इसका पाउडर मिलाकर मरीज को पिलाएं।
तुलसी (Tulsi)
तुलसी एक इम्यूनिटी बूस्टर जड़ी-बूटी है। इसका सेवन चिकनपॉक्स में करने से लक्षणों में कमी आती है। 7 से 14 मिलीलीटर तुलसी के पत्तियों का जूस 5 से 10 ग्राम शहद के साथ दिन में तीन बार सेवन करें।
करेले का जूस (Karela Juice)
7 से 14 मिलीलीटर करेले के जूस में एक ग्राम हल्दी के पाउडर को मिला कर दिन में तीन बार पिएं। इससे चिकनपॉक्स में आराम मिलेगा।
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चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज निम्न औषधियों के द्वारा किया जाता है :
तिक्त पंचक क्वाथ
तिक्त पंचक क्वाथ एक प्रकार का काढ़ा होता है, जो जड़ी-बूटियों से मिल कर बना होता है। ये काढ़ा गुडुची, नीम, अडूसा, भटकटैया और परवल से मिल कर बना होता है। ये काढ़ा चिकनपॉक्स में होने वाले बुखार से राहत दिलाता है।
चंद्रकला रस
ये चंद्रकला रस एक प्रकार का औषधीय जूस है जिसमें जिसको तांबे का भस्म, गंधक, अभ्रक का भस्म और पारे से बनाया जाता है। लेकिन इस रस का सेवन शुद्ध रूप में करने की सलाह डॉक्टर कभी नहीं देते हैं। बल्कि इसे शतावरी के जूस या एलोवेरा जूस के साथ मिला कर देने के लिए कहते हैं। चंद्रकला रस हर्पीस जैसे वायरस पर काफी असरदार होता है।
परिपाठादि काढ़ा
परिपाठादि काढ़ा एक हर्बल काढ़ा है जो मुलेठी, हरड़, गुलाब आदि जड़ी-बूटियों से मिल कर बना होता है। चिकनपॉक्स में इस काढ़े का सेवन करने से हमें आराम मिलता है, क्योंकि ये खुजली में होने वाली जलन को कम कर के शरीर को ठंडक पहुंचाता है।
सूतशेखर रस
सूतशेखर रस एक आयुर्वेदिक मिश्रण है, जो गंधक, सफेद हल्दी, इलायची, दालचीनी, पिप्पली, सोंठ आदि से मिल कर बना होता है। ये चिकनपॉक्स में बुखार, सिरदर्द आदि लक्षण को कम करने में मददगार होता है।
त्रिफला चूर्ण
त्रिफला चूर्ण आंवला, हरड़ आदि जड़ी-बूटियों से तैयार एक चूर्ण है। जिसे गुग्गुल के साथ 3 से 6 ग्राम दिन में तीन बार लेने से आराम मिलता है।
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आयुर्वेद के अनुसार चिकनपॉक्स के लिए लाइफ स्टाइल में बदलाव बहुत जरूरी है।
क्या करें?
क्या ना करें?
अगर किसी को चिकनपॉक्स हुआ है तो उस व्यक्ति से संपर्क में कम आएं, क्योंकि चिकनपॉक्स एक संक्रामक रोग है।
चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज आप ऊपर बताए गए तरीकों से कर सकते हैं। लेकिन आपको ध्यान देना होगा कि आयुर्वेदिक औषधियां और इलाज खुद से करने से भी सकारात्मक प्रभाव नहीं आ सकते हैं। इसलिए आप जब भी चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज के बारे में सोचें तो डॉक्टर का परामर्श जरूर ले लें। उम्मीद करते हैं कि आपके लिए चिकनपॉक्स का आयुर्वेदिक इलाज की जानकारी बहुत मददगार साबित होगी।
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Current Version
04/07/2022
Shayali Rekha द्वारा लिखित
के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ
Updated by: Manjari Khare