कोरोना क्या है और इसकी वजह क्या है, ये बताने की जरूरत शायद नहीं है। लेकिन इस कोरोना काल में एक सर्वे काफी चर्चा में रहा है, जिसका नाम है ‘सीरो सर्वे’। बीते कुछ महीनों में मीडिया और सोशल मीडिया में सीरो सर्वे को लेकर काफी शोर रहा। एक आम आदमी सोच रहा होगा कि जिस तरह से जनगणना होती है, उसी तरह का कोई सर्वे होगा। लेकिन ये एक प्रकार का टेस्ट है, जिसे एंटीबॉडी टेस्ट कहा जाता है। आइए जानते है एक्सपर्ट से कि एंटीबाॅडी टेस्ट या सीरो-सर्वे अवधारणा और संकल्पना के सभी पहलुओं के बारे में –
और पढ़ें : कोविड-19 (कोरोना वायरस): जानें क्यों पुरुषों को महिलाओं की तुलना में है संक्रमण का अधिक खतरा!
सीरो सर्वे क्या है?
सीरो सर्वे एक प्रकार का एंटीबॉडी टेस्ट है, जो एक बड़े समूह में ब्लड सीरम का टेस्ट होता है। सीरो-सर्वे का इस्तेमाल नोवल कोरोनावायरस या SARS-Cov-2 की जांच के लिए किया जाता है। ये जांच जिला स्तर पर संक्रमण का पता लगाने के लिए की जाती है। इसकी निगरानी जनता और राज्य स्वास्थ्य विभाग की भागीदारी से होता है। जिसे आईसीएमआर (ICMR) और नेशनल सेंटर फाॅर डिजीज कंट्रोल (NSDC)की देखरेख में किया जाता है।
कोरोना में सीरो सर्वे क्यों किया जा रहा है?
सीरो सर्वे उन खास जिलों में किया जाता है, जहां कोरोना संक्रमण का हाई और लो रिस्क हो। ऐसे समूह के सीरो-सर्वे पर आधारित आबादी को रुटीन टेस्टिंग में शामिल किया जाता है। इस कदम से न सिर्फ सरकार और उसकी एजेंसियों को कोविड-19 की स्थिति की निगरानी रखने आसानी मिलती है, बल्कि देश के किसी भी हिस्से में कम्युनिटी ट्रांसमिशन को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी। स्वास्थ्य मंत्रालय अब तक इस पर अड़ा रहा है कि देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन का अब तक कोई प्रमाण नहीं मिला है। कुछ क्लस्टरों (क्षेत्र) में महामारी तेजी से फैली है, लेकिन कम्युनिटी ट्रांसमिशन नहीं हुआ है।
सरकार अप्रैल के मध्य से कोरोना में सीरो सर्वे संचालित कर रही है, अब धीरे-धीरे इसका डेटा जारी किया जा रहा है। जारी डेटा में आए आंकड़ें अच्छा संकेत दे रहे हैं। जारी डेटा का मतलब यह है कि ज्यादा लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबाॅडीज विकसित हुए हैं। एंटीबॉडी टेस्ट के करने के पीछे एक और मकसद है, क्योंकि सिर्फ कुछ लोग ही कोविड-19 टेस्ट करा रहे हैं, जिससे कोरोना संक्रमण के प्रसार की सही तस्वीर सामने नहीं आ पा रही थी और ज्यादातर संक्रमित मरीजों को अलग नहीं रखा जा रहा था। इस तरह से यह सीरो सर्वे कोरोना संक्रमण और एंटीबाॅडीज की स्थिति की सही तस्वीर सामने लाने में मददगार है। यह एंटीबॉडी टेस्ट हर्ड इम्युनिटी की अवधारणा का पता लगाने में भी सहायक है।
और पढ़ें : कोरोना से तो जीत ली जंग, लेकिन समाज में फैले भेदभाव से कैसे लड़ें?
दिल्ली में सीरो सर्वे या एंटी बॉडी टेस्ट में क्या आया सामने?
दिल्ली में सीरोलाॅजिकल सर्वे 27 जून को शुरू हुआ था और इसमें कोविड-19 के खिलाफ बने एंटीबाॅडीज की जांच के लिए महानगर में अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों से 22,823 रैंडम ब्लड सैंपल लिए गए थे। अधिकारियों के अनुसार सीरोलाॅजिकल सर्वे के शुरुआती परिणाम से पता चला है कि इनमें से कम से कम 15 प्रतिशत लोगों में वायरस से लड़ने के लिए एंटीबाॅडीज विकसित हुए हैं। सर्वे के आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है और इसकी रिपोर्ट सरकार द्वारा जारी की जा रही है। कुछ निम्न परिणाम अभी तक देखने को मिले हैं :
- मौजूदा समय में दिल्ली में कोविड-19 की संक्रमण दर लगभग 9-10 प्रतिशत है, लेकिन सीरो सर्वे के शुरुआती परिणाम में यह ज्यादा रहा है और लगभग 15 प्रतिशत की सीरोप्रिवलेंस (कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी) का पता चला है।
- एक जिला (कुल 11 में से) जो अन्य टेस्ट का इस्तेमाल कर कम पाॅजीटिव मामले दिखा रहा था, लेकिन वहां सीरो सर्वे 25 प्रतिशत से ज्यादा का शुरुआती रुझान दिखाई दिया।
और पढ़ें : खुशखबरी! सितंबर में हो सकती हैं कोरोना की छुट्टी
एंटीबॉडी टेस्ट या जांच का क्या निष्कर्ष निकला?
सीरो सर्वे में हुए एंटीबॉडी टेस्ट के निम्न निष्कर्ष निकले हैं :
- ज्यादा सीरोप्रिवलेंस एक अच्छा संकेत है, क्योंकि इसका मतलब है कि आबादी के बड़े हिस्से में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबाॅडीज विकसित हो गई हैं। वहीं, जिनमें एंटीबॉडीज विकसित हुई है, उनमें फिर से वायरस की चपेट में आने की आशंका काफी कम है। इस वजह से, वे कोरोना वायरस के प्रसार की कड़ी तोड़ सकते हैं और महामारी के फैलने की गति धीमी कर सकते हैं।
- कुछ जिलों में पाॅजीटिव रिजल्ट या सीरोप्रिवलेंस ज्यादा है और कम से कम चार जिलों में सीरोप्रिवलेंस 15 प्रतिशत से ज्यादा है।
- पाॅजीटिव रिजल्ट का मतलब होगा कि व्यक्ति में वायरस से मुकाबले के लिए एंटीबाॅडीज विकसित हो चुके हैं। इसलिए 15 प्रतिशत के सीरोप्रिवलेंस का मतलब है कि जांच में शामिल 100 में से 15 लोगों में इस खतरनाक कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबाॅडीज विकसित हो गए हैं।
और पढ़ें : Friendship Day: कोरोना के दौर में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ इस तरह मनाएं फ्रेंडशिप डे
एंटीबॉडीज कैसे विकसित होती हैं?
एंटीबाॅडीज किसी खास बाहरी बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी या फंगस, एंटीजन के खिलाफ पैदा हुई प्रोटीन होती हैं। एंटीबाॅडीज दो प्रकार की होती है :
- जैसे ही शरीर किसी संक्रमण से लड़ता है सबसे पहले आईजीएम एंटीबाॅडी का ढांचा बनता है।
- गंभीर संक्रमण के बाद आईजीएम तैयार होते हैं। इसमें वायरस के खिलाफ मजबूत प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने की क्षमता होती है। कोविड-19 को लेकर विज्ञान पूरी तरह से सफल नहीं है, लेकिन हमें उम्मीद है कि भविष्य में प्रतिरोधक क्षमता को लेकर समस्या दूर होगी।
अलग आईजीजी एंटीबाॅडी टेस्ट की जरूरत क्यों है?
एंटीबाॅडी आपके ब्लड में प्रवेश करते हैं और एंटीजन की तलाश करते हैं। इसलिए अलग आईजीजी एंटीबाॅडी टेस्ट कराना जरूरी है। संपूर्ण एंटीबाॅडी टेस्ट या काॅम्बो एंटीबाॅडी टेस्ट से सक्रिय और पिछले संक्रमण के बीच अंतर का पता लगाने में मदद नहीं मिल सकती है, जिससे अनिश्चितता पैदा हो सकती है। इस कारण से कोई सटीक निष्कर्ष नहीं निकलेगा, इसलिए अलग आईजीजी एंटीबॉडी टेस्ट की जरूरत हो सकती है।
और पढ़ें : COVID-19 वैक्सीन : क्या सच में रूस ने कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन बना ली है?
सीरो सर्वे के लिए आईसीएमआर की सलाह क्या है?
सीरो सर्वे के लिए आईसीएमआर ने निम्न सलाह दी हैं :
- आईसीएमआर ने सीरो सर्वे करने के लिए सिर्फ आईजीजी का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। इससे कोविड-19 संक्रमण का सटीक पता चलेगा।
- सीरो-सर्वे की उपयोगिता :
- सीरो-सर्वे SARS-Cov-2 (संक्रमित लोग शामिल) के साथ संक्रमण के संपर्क में आने वाली आबादी का अनुपात समझने के लिए किया जाता है।
- ज्यादा जोखिम या संक्रमण की आशंका से जुड़े लोगों, जैसे- स्वास्थ्य कार्यकर्ता, कमजोर इम्यूनिटी वाले व्यक्ति, कंटेनमेंट जोन में रह रहे लोग आदि में यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि पहले कौन लोग संक्रमित हुए हैं और अब उनमें सुधार आया है।
- देश को इस सर्वे से लाॅकडाउन की स्थिति से बाहर निकलने में मदद मिल रही है।
- वैक्सीन बनाने और प्राथमिकता को जानने में मदद मिली है।
- काॅन्वलसेंट प्लाज्मा थेरिपी के लिए संभावित डोनर्स की पहचान भी हो रही है।
- आईसीएमआर ने सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों, ऑफिस, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को आईजीजी टेस्टिंग की सलाह दी है। इससे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, कार्यालय जाने वाले कर्मचारियों आदि लोगों की आशंका और चिंता दूर करने में मदद मिलेगी।
इस तरह से आपने जाना कि सीरो सर्वे या एंटीबॉडी टेस्ट इस कोरोना काल में कितना जरूरी है। इसकी मदद से हम कोरोना जैसी महामारी से उबर सकते हैं और इसके लिए सभी को जागरूक होने व सहयोग करने की जरूरत है।