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बदन दर्द का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? बॉडी पेन को दूर करने के लिए क्या करें, क्या न करें?

बदन दर्द का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? बॉडी पेन को दूर करने के लिए क्या करें, क्या न करें?

परिचय

शरीर में दर्द कई स्वास्थ्य स्थितियों का एक सामान्य-सा लक्षण है। फ्लू, लंबे समय तक खड़े रहने, चलने, या व्यायाम करने से भी आपके रोजमर्रा के जीवन में हाथ-पैर में दर्द हो सकता है। शरीर के दर्द से राहत पाने के लिए आपको घर पर आराम और कुछ उपचार की आवश्यकता हो सकती है। ऐसे में बदन दर्द का आयुर्वेदिक इलाज कारगर साबित होता है।

बॉडी पेन के आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट से शरीर में दर्द के लक्षणों से छुटकारा पाया जा सकता है। “हैलो स्वास्थ्य’ के इस आर्टिकल में बदन-दर्द का आयुर्वेदिक इलाज बताया जा रहा है।

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आयुर्वेद में बदन दर्द क्या है?

  • आयुर्वेद में शरीर में होने वाले दर्द को अंगमर्द भी कहा जाता है। वात का बढ़ना ही आयुर्वेद के अनुसार शरीर में होने वाले सभी प्रकार के दर्द का प्राथमिक कारण माना जाता है।
  • बुखार : डाइजेस्टिव फायर में कमजोरी की वजह से व्यक्ति ज्वर या बुखार से ग्रस्त हो जाता है और यह बदन में दर्द का एक सामान्य कारण बनता है। 
  • संधिवात (ऑस्टियोअर्थराइटिस) : जोड़ों में वात के जमने की वजह से ऑस्टियोअर्थराइटिस की समस्या पैदा होती है। इससे मांसपेशियों में दर्द के साथ-साथ जोड़ों में तेज दर्द होता है।
  • वातज पांडु (आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया) : आयुर्वेद में वातज पांडु का मुख्य कारण पित्त दोष माना गया है। हालांकि, कभी-कभी वात और कफ असंतुलित होने की वजह से भी ऐसा होता है। नतीजन, इन तीनों दोष में बैलेंस बिगड़ने की वजह से आयरन की कमी से एनीमिया होता है।

आमवात (rheumatoid arthritis) : रुमेटॉयड अर्थराइटिस खराब डाइजेशन की वजह से होता है। आयुर्वेद के अनुसार इसमें होने वाले जोड़ों में दर्द का कारण आंतों में जमा अमा (विषाक्त पदार्थों) है। यह अवशोषित होने और पूरी बॉडी में पहुंचता है जिससे शरीर में दर्द होता है।

बदन में दर्द कुछ अन्य हेल्थ कंडीशंस (राइनाइटिस, पाइल्स और रस धातु में गड़बड़ी) के कारण भी हो सकता है।

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लक्षण 

यदि शरीर में दर्द किसी मेडिकल कंडीशन के कारण होता है, तो व्यक्ति अन्य लक्षणों का भी अनुभव कर सकता है। अन्य संकेतों को पहचानने से किसी व्यक्ति को कारण की पहचान करने और यह तय करने में मदद मिल सकती है कि उन्हें डॉक्टर को दिखाना चाहिए या नहीं। बदन-दर्द होने के कुछ सामान्य लक्षण हैं:

  • शरीर के एक विशिष्ट हिस्से में दर्द
  • दुर्बलता
  • थकान
  • शरीर के तापमान में बदलाव या परिवर्तन
  • ठंड और फ्लू जैसे लक्षण

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बदन दर्द के कारण क्या हैं?

अक्सर लोगों को सो कर उठने के बाद शरीर में दर्द होता है जिसके पीछे निम्न कारण हो सकता हैं-

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बदन दर्द का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

आमतौर पर शरीर में दर्द के आयुर्वेदिक उपचार अंगमर्द के कारण के आधार पर निर्धारित किया जाता है।

बदन दर्द का आयुर्वेदिक इलाज : थेरिपी 

स्नेहन

कई तरह की जड़ी-बूटियों से बने तेल का इस्तेमाल शरीर की मालिश करके दर्द को कम करने में की जाती है। स्नेहन से अमा को समाप्त किया जाता है। बदन दर्द का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए स्नेहन सबसे अधिक प्रभावी माना गया है। यह वात को शांत करके मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द का इलाज करता है। इससे ब्लड सर्क्युलेशन भी सुधरता है।

विरेचन 

विरेचन आयुर्वेदिक थेरिपी से शरीर में बढ़े हुए पित्त और अमा को संतुलित किया जाता है। यह बुखार और गठिया के कारण शरीर में होने वाले दर्द के उपचार के लिए प्रभावी माना जाता है। अस्थमा, त्वचा रोग, क्रोनिक पीलिया, पेट दर्द और अन्य पित्त प्रधान रोगों के उपचार में भी विरेचन थेरिपी मददगार होता है।

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वमन 

उल्टी के माध्यम से कफ और पित्त दोषों को संतुलित किया जाता है। इससे बॉडी में मौजूद टॉक्सिन्स शरीर से बाहर निकलते हैं। इससे बदन दर्द के आम कारणों से निपटने में आराम मिलता है। दमा और अन्य स्थितियों के इलाज में भी वमन आयुर्वेदिक थेरिपी का प्रयोग किया जाता है।

रक्तमोक्षण

आयुर्वेद में शरीर से अशुद्ध ब्लड को हटाने की प्रक्रिया रक्तमोक्षण कहलाती है। इससे बॉडी टॉक्सिन्स और अशुद्ध रक्त बाहर निकलते हैं। इस रक्तमोक्षण आयुर्वेदिक थेरिपी से वात और पित्त रोगों जैसे सिरदर्द और गाउट के कारण हुआ बॉडी पेन कम करने में मदद मिलती है।

स्वेदन

स्वेदन एक पंचकर्म प्रक्रिया है, जिसमें शरीर में जमा अमा को पसीना बहाकर बाहर किया जाता है। इससे शरीर में अकड़न और भारीपन से निजात मिलती है। यह वात प्रधान रोगों के इलाज में उपयोग किया जाता है।

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बदन दर्द का आयुर्वेदिक इलाज : हर्ब्स 

अरंडी 

दर्द से राहत देने वाले गुणों से भरपूर अरंडी शरीर में सूजन और दर्द में आराम दिलाने में मददगार साबित होती है। इसका उपयोग सिरदर्द, बुखार और जॉइंट पेन के इलाज में प्रभावी है। वात विकार की वजह से होने वाली स्थितियों को मैनेज करने में इसका उपयोग सहायक है। अरंडी, तेल और काढ़े के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

बृहती 

बृहती में कामोत्तेजक, कार्मिनिटिव, कार्डियोटोनिक, एक्सपेक्टरेंट, उत्तेजक और कसैले गुण होते हैं। बदन दर्द की यह आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी बॉडी पेन के साथ-साथ अन्य स्थितियों के उपचार में भी सहायक है। बृहती हर्ब का इस्तेमाल काढ़े या पाउडर के रूप में किया जा सकता है।

कपिकछु 

कपिकछु आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी तंत्रिका और रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर कार्य करती है। इसमें रेजुनेटिव और कृमिनाशक गुण होते हैं। यह शरीर में दर्द, अपच और बुखार की वजह से होने वाले बॉडी पेन को कम करने में उपयोगी है। यह शरीर में बढ़े हुए वात दोष को कम करता है। कपिकछु आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी का इस्तेमाल काढ़े या पाउडर के रूप में किया जा सकता है।

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यष्टिमधु 

बदन दर्द की यह जड़ी-बूटी शरीर में दर्द और सूजन को मैनेज करने में मदद करती है। ब्लड को डिटॉक्स करके यह हर्ब वात विकारों के उपचार में लाभकारी है। वात दोष बॉडी पेन का सबसे आम कारण है। इसका उपयोग काढ़े या पाउडर के रूप में किया जा सकता है। 

कंटकारी (Kantakari) 

यह आयुर्वेदिक जड़ी बूटी प्रजनन और श्वसन प्रणालियों को प्रभावित करती है। इसमें डाइजेस्टिव और एक्सपेक्टोरेंट (expectorant) गुण होते हैं। यह फीवर और अर्थराइटिस के कारण होने वाले जोड़ों में दर्द के उपचार में उपयोगी है। बदन दर्द का आयुर्वेदिक इलाज कराते समय कंटकारी का इस्तेमाल जूस, काढ़े या पाउडर के फॉर्म में किया जाता है।

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बदन दर्द का आयुर्वेदिक इलाज : दवा 

पुनर्नवादि मंडुरा 

बदन दर्द की इस आयुर्वेदिक दवा मंडुरा भस्म, त्रिफला, गोमुत्र और त्रिकटू (लंबी काली मिर्च, सोंठ और छोटी काली मिर्च) का एक मिश्रण है। त्रिफला में पाया जाने वाला आंवला, आयरन और विटामिन सी का सोर्स है। वहीं, गोमूत्र में एंटीऑक्सिडेंट, रोगाणुरोधी और एंटी-एनेमिक प्रॉपर्टीज होती हैं। बदन दर्द की यह आयुर्वेदिक दवा शरीर में असंतुलित कफ और पित्त को मैनेज करती है। एनीमिया के कारण शरीर में दर्द के इलाज के लिए उपयोगी है।

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वसंतकुसुमाकर

 मालाबार अखरोट, चंदन और हल्दी के गुणों से भरपूर वसंतकुसुमाकर का सेवन कई बीमारियों के आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट में किया जाता है। वात दोष को खत्म करके यह दवा बदन दर्द में आराम पहुंचाती है।

आनंदभैरव रस 

बॉडी पेन की इस दवा में सूखी अदरक, पिप्पली, काली मिर्च आदि मिले होते हैं। इसका सेवन बुखार और अपच की वजह से होने वाले बदन दर्द को कम करने में किया जाता है। साथ ही अगर इसे जीरा या दालचीनी पाउडर के साथ लिया जाए तो यह दस्तऔर पेचिश के इलाज में भी सहायक होता है।

नोट : ऊपर बताई गई जड़ी-बूटी या आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन खुद से न करें। हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही इनका इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

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बदन दर्द की आयुर्वेदिक दवा कितनी प्रभावी है?

एक क्लीनिकल स्टडी में पाया गया कि आमवात से ग्रस्‍त रोगियों पर सिंहनाद गुग्‍गुल और शिव गुग्‍गुल काफी प्रभावी साबित हुई। शोध के दौरान प्र‍तिभागियों को दो ग्रुप में बांटा गया जिसमें बदन दर्द के आयुर्वेदिक इलाज के लिए एक ग्रुप को सिंहनाद गुग्‍गुल और दूसरे ग्रुप को शिव गुग्‍गुल दी गई। जिसमें पाया गया कि इन आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन से बदन दर्द के लक्षणों में सुधार देखा गया।

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आयुर्वेद के अनुसार बदन दर्द का आयुर्वेदिक इलाज करते समय जीवनशैली में बदलाव 

क्या करें?

  • हल्‍का भोजन करें।
  • दिन के खाने में मूंग दाल, जौ और मसूर की दाल शामिल करें। 
  • कुछ समय धूप में बैठें। 

क्या न करें?

  • भूख, प्‍यास, स्टूल या यूरिन पास करने जैसी नेचुरल इच्छाओं को रोके नहीं। 
  • एक साथ बहुत ज्‍यादा न खाएं। 
  • थकान भरे काम या एक्सरसाइज न करें। 

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बदन दर्द के घरेलू उपाय 

  • शरीर में होने वाले दर्द को कम करने के लिए अदरक काफी असरदार होती है। इसमें फाइटोकेमिकल्स और एंटी-इंफ्लमेटरी गुण होते हैं। इसका उपयोग करने के लिए एक कप पानी में थोड़ी-सी अदरक और एक चम्मच शहद डालकर पिएं।
  • सेंधा नमक का इस्तेमाल मांसपेशियों के दर्द को दूर करने में किया जाता है। इसके लिए एक टब या बाल्टी में सेंधा नमक डालें । इस पानी से नहाने से बदन दर्द से राहत मिलती है।
  • सरसों का तेल बदन-दर्द से निजात दिलाने में उपयोगी है। ये ब्लड सर्क्युलेशन को बढ़ाकर मांसपेशियों में दर्द को कम करता है।
हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में बदन दर्द के आयुर्वेदिक इलाज से जुड़ी ज्यादातर जानकारियां देने की कोशिश की है, जो आपके काफी काम आ सकती हैं। अगर आपको ऊपर बताई गई कोई-सी भी शारीरिक समस्या है, तो इन आयुर्वेदिक इलाज के इस्तेमाल से आपको काफी फायदा पहुंच सकता है। बस इस बात का ध्यान रखें कि हर हर्ब या दवा सुरक्षित नहीं होती। इसका इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से कंसल्ट करें तभी इसका इस्तेमाल करें। अगर आप बदन दर्द के आयुर्वेदिक इलाज से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

12/10/2020

Shikha Patel द्वारा लिखित

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ

Updated by: Surender aggarwal


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डॉ. पूजा दाफळ

· Hello Swasthya


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 12/10/2020

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